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यीशु चमत्कारिक तरीके से हज़ारों को खिलाते हैं

यीशु चमत्कारिक तरीके से हज़ारों को खिलाते हैं

अध्याय ५२

यीशु चमत्कारिक तरीके से हज़ारों को खिलाते हैं

बारह प्रेरितों ने पूरे गलील का एक विशिष्ट प्रचार दौरा का आनन्द उठाया है। अब, यूहन्‍ना के हत्या के कुछ ही समय बाद, वे यीशु के पास लौटते हैं और अपने अद्‌भुत अनुभवों को बतलाते हैं। यह देखकर कि वे थके हुए हैं और इतने अधिक लोग आ-जा रहे हैं कि उन्हें भोजन करने का समय तक नहीं, यीशु कहते हैं: ‘हम आप अलग किसी एकान्त स्थान पर चले जाएँ जहाँ तुम विश्राम कर सकते हो।’

संभवतः कफरनहूम के निकट, अपनी नाव पर चढ़कर, वे प्रत्यक्षतः यरदन के पूर्व बेतसैदा के आगे, एक सुनसान जगह की ओर जाते हैं। तथापि, बहुत से लोग उन्हें जाते देखते हैं और अन्य लोग इसके बारे में जान जाते हैं। ये सब तट के बगल से भागते हैं, और जब नाव किनारे पर रुकती है, वे वहाँ उनसे मिलने मौजूद हैं।

नाव से उतरने पर और एक बड़ी भीड़ को देखकर, यीशु उन पर तरस खाते हैं क्योंकि वे उन भेड़ों के समान हैं जिनका कोई चरवाहा नहीं। अतः वह उनके बीमारों को चंगा करता है और उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगता है।

वक़्त तेज़ी से गुज़रता है, और यीशु के शिष्य पास आकर कहते हैं: “यह तो सुनसान जगह है, और दिन बहुत ढल गया है, उन्हें विदा कर, ताकि चारों ओर की बस्तियों और गाँवों में जाकर अपने लिए कुछ खाने को मोल लें।”

तथापि, यीशु जवाब देते हैं: “तूम ही उन्हें खाने को दो।” फिर, चूँकि यीशु पहले से ही जानता है कि वह क्या करने जा रहा है, वह फिलिप्पुस से यह पूछने के द्वारा उसकी परीक्षा लेता है: “हम इनके भोजन के लिए कहाँ से रोटी मोल लाएँ?।”

फिलिप्पुस के दृष्टि में स्थिति नामुमकिन है। अजी, वहाँ लगभग ५,००० पुरुष हैं, और शायद स्त्रियों और बच्चों को मिलाकर १०,००० से ज़्यादा लोग हैं! फिलिप्पुस जवाब देता है कि “दो सौ दीनार [तब एक दीनार एक दिन का वेतन था] की रोटियाँ इनके लिए काफी न होंगी, कि हर एक को थोड़ी भी मिल जाए।”—NW.

शायद इतने अधिक लोगों को खिलाने की असंभावना को दिखाने के लिए, अन्द्रियास बिना पूछे कहता है: “यहाँ एक लड़का है जिस के पास जव की पाँच रोटी और दो मछलियाँ हैं,” फिर, आगे कहता है, “परन्तु इतने लोगों के लिए वे क्या हैं?”

चूँकि यह वसंत ऋतु है सा.यु. वर्ष ३२ के फसह के कुछ ही समय पहले, वहाँ हरी घास बहुत है। अतः यीशु अपने शिष्यों से लोगों को ५० और १०० के समुहों में घास पर बिठाने के लिए कहते हैं। वह पाँच रोटियाँ और दो मछलियों को लेता है, और स्वर्ग की ओर देखकर आशिष माँगता है। फिर वह रोटियों को तोड़कर मछलियों को विभाजित करना शुरू करता है। वह इन्हें अपने शिष्यों को देता है, जो, बारी से, लोगों को बाँटते हैं। आश्‍चर्यजनक रूप से, सभी लोग पेट भर खाते हैं!

इसके पश्‍चात्‌, यीशु अपने शिष्यों से कहते हैं: “बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए।” जब वे ऐसा करते हैं, तब जो कुछ उन्होंने खाया, उन बचे हुए टुकड़ों से १२ टोकरियाँ भर लेते हैं! मत्ती १४:१३-२१; मरकुस ६:३०-४४; लूका ९:१०-१७; यूहन्‍ना ६:१-१३.

▪ यीशु अपने प्रेरितों के लिए एक एकान्त स्थान क्यों ढूँढ़ते हैं?

▪ यीशु अपने शिष्यों को कहाँ ले जाते हैं, और क्यों उनके आराम करने की आवश्‍यकता पूरी नहीं होती?

▪ जब देर हो जाती है, शिष्य किस बात का आग्रह करते हैं, पर कैसे यीशु लोगों की देखभाल करते हैं?