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यीशु यरीहो में सिखाते हैं

यीशु यरीहो में सिखाते हैं

अध्याय ९९

यीशु यरीहो में सिखाते हैं

यीशु और उनके साथ यात्रा कर रही भीड़ जल्द ही यरीहो पहुँच जाती है, यह शहर यरूशलेम से एक दिन की यात्रा है। स्पष्टतया यरीहो एक दोहरा शहर है, पुराना यहूदी शहर, नए रोमी शहर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर है। जैसे-जैसे भीड़ पुराने शहर से निकलकर नए शहर की ओर जा रही है, दो अंधे भिखारी, शोरगुल सुनते हैं। इन में से एक का नाम बरतिमाई है।

यह जानकर कि वहाँ से गुज़रनेवाला व्यक्‍ति यीशु है, बरतिमाई और उसका साथी चिल्लाना शुरू करते हैं: “हे प्रभु, दाऊद के सन्तान, हम पर दया कर!” जब भीड़ उन्हें सख्ती से शांत रहने को कहती है, वे और ऊँचे स्वर में और ज़्यादा पुकारते हैं: “हे प्रभु, दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर!”

इस हलचल को सुनकर, यीशु रुक जाते हैं। वे अपने साथ के लोगों से कहते हैं कि वे उन चिल्लाने वालों को बुलाएँ। यह लोग उन अंधे भिखारियों के पास जाकर उन में से एक को कहते हैं: “दाढ़स बाँध, उठ, वह तुझे बुलाता है।” असीम उत्तेजना से, वह अंधा आदमी अपना बाहरी वस्त्र फेंक देता है, और कूदकर यीशु के पास जाता है।

यीशु पूछते हैं, “तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए करूँ?”

दोनों अंधे विनती करते हैं, “हे प्रभु, यह कि हमारी आँखें खुल जाएँ।”

तरस खाकर, यीशु उनकी आँखों को छूते हैं। मरकुस के विवरण के अनुसार, यीशु उन में से एक को कहते है, “चला जा, तेरे विश्‍वास ने तुझे चंगा कर दिया है।” फ़ौरन अंधे भिखारी देखने लगे, और बेशक दोनों परमेश्‍वर की महिमा करने लगे। क्या घटित हुआ है, इसे देखकर सब लोग परमेश्‍वर को महिमा देने लगते हैं। बिना देर किए, बरतिमाई और उसका साथी यीशु का अनुयायी बन जाते हैं।

जैसे यीशु यरीहो से गुज़र रहे हैं, भीड़ ज़बरदस्त है। सब जन अंधों के चंगा करनेवाले को देखना चाहते हैं। भीड़ चारों तरफ से यीशु को घेर लेती है, जिसके परिणामस्वरूप, कुछ लोग उनकी एक झलक भी नहीं पा सकते। इन में जक्कई है, जो यरीहो में और उसके आस पास महसूल लेनेवालों का सरदार है। नाटे कद की वजह से जो हो रहा है उसे वह देख नहीं सकता।

इसलिए जक्कई आगे दौड़कर, यीशु के जाने का मार्ग पर एक गूलर के पेड़ पर चढ़ जाता है। इस अनुकूल स्थान से, वह सब कुछ अच्छी तरह देख सकता है। जैसे भीड़ नज़दीक आती है, यीशु पेड़ की ओर देखकर पुकारते हैं: “हे जक्कई, झट उतर आ, क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्‍य है।” जक्कई ख़ुशी से नीचे उतरता है और तुरन्त घर जाता है ताकि अपने प्रतिष्ठित मेहमान के लिए तैयारी कर सके।

बहरहाल, जब लोग यह देखते हैं तो कुड़कुड़ाने लगते हैं। वे सोचते हैं कि इस क़िस्म के आदमी के घर यीशु का मेहमान होना अनुचित है। बात यह है कि जक्कई अपने महसूल लेनेवाली व्यवसाय में बेईमानी से पैसे ऐंठकर, अमीर बन गया।

बहुत से लोग पीछे-पीछे जाते हैं और जब यीशु जक्कई के घर में प्रवेश करते है, वे शिकायत करते हैं: “वह तो एक पापी मनुष्य के यहाँ जा उतरा है।” फिर भी, यीशु जक्कई में पछतावे की संभावना देखते हैं। और यीशु की आशा पर पानी नहीं फेरा, क्योंकि जक्कई खड़े होकर घोषणा करता है: “हे प्रभु, देख, मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूँ, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय करके ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूँ।”

गरीबों को अपनी आधी सम्पत्ति देकर और बाकी हिस्सा उनको देकर जिन्हें उसने धोखा दिया था, जक्कई यह साबित करता है कि उसका पश्‍चात्ताप सच्चा है। स्पष्टतया वह अपने महसूल लेखा से हिसाब लगा सकता है कि इन लोगों को कितना धन अदा करना है। इसलिए वह परमेश्‍वर के नियम को ध्यान में रखकर, चौगुना वापस करने की शपथ खाता है: ‘यदि कोई मनुष्य एक भेड़ चुराए, तो वह उसकी सन्ती चार भेड़ भर दे।’

जक्कई के अपनी सम्पत्ति बाँटने के ढंग से यीशु प्रसन्‍न है, क्योंकि वे कहते हैं: “आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिए कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है। क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढ़ूँढ़ने और उनका उद्धार करने आया है।”

हाल ही में यीशु ने खर्चीला पुत्र की अपनी कहानी में ‘खोए हुओं’ की स्थिति को चित्रित किया था। अब हमारे पास एक खोए हुए का हक़ीक़ी मिसाल है जो पाया गया। हालाँकि धार्मिक नेता और उनके अनुयायी, यीशु का जक्कई जैसे व्यक्‍ति की ओर ध्यान देने पर बड़बड़ाते और शिकायत करते हैं, यीशु इब्राहीम के ऐसे पुत्रों को ढ़ूँढ़ने और वापस लाने में लगे रहते हैं। मत्ती २०:२९-३४; मरकुस १०:४६-५२; लूका १८:३५-१९:१०; निर्गमन २२:१.

▪ स्पष्टतया, यीशु अंधे भिखारियों को कहाँ मिलता है, और वह उनके लिए क्या करता है?

▪ जक्कई कौन है, और वह एक पेड़ पर क्यों चढ़ता है?

▪ जक्कई अपने पश्‍चात्ताप को कैसे साबित करता है?

▪ यीशु का जक्कई के साथ किए गए व्यवहार से हम क्या सबक़ सीख सकते हैं?