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यूहन्‍ना घटता है, यीशु बढ़ता है

यूहन्‍ना घटता है, यीशु बढ़ता है

अध्याय १८

यूहन्‍ना घटता है, यीशु बढ़ता है

फसह के बाद, सा.यु. वर्ष ३० के बसंत में, यीशु और उसके शिष्य यरूशलेम से निकलते हैं। लेकिन, वे गलील अपने घरों को वापस नहीं जाते, पर यहूदिया के देश जाते हैं, जहाँ वे बपतिस्मा देते हैं। यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला लगभग एक साल से वही काम कर रहा है, और उसके साथ अभी भी चेले मेल-जोल रख रहे हैं।

दरअसल, यीशु स्वयं किसी को बपतिस्मा नहीं देता, पर उसके शिष्य उसके निर्देशन के अधीन देते हैं। उनके बपतिस्मा देने का अभिप्राय वही है जो यूहन्‍ना के बपतिस्मा का है, यह परमेश्‍वर के नियम वाचा के विरुद्ध एक यहूदी का पापों से पछतावे का एक प्रतीक है। तथापि, अपने पुनरुत्थान के बाद, यीशु अपने शिष्यों को बपतिस्मा देने का आदेश देते हैं जिसका अलग अभिप्राय है। आज मसीही बपतिस्मा यहोवा परमेश्‍वर की सेवा करने की एक व्यक्‍ति का समर्पण का प्रतीक है।

यीशु की सेवकाई के इस प्रारंभिक क्षण पर, दोनों यूहन्‍ना और यीशु, यद्यपि अलग-अलग से कार्य करते हैं, पश्‍चातापी जनों को सिखला रहे हैं और बपतिस्मा दे रहे हैं। पर यूहन्‍ना के चेले डाह से भर जाते हैं और यीशु के विषय में शिकायत करते हैं: “हे रब्बी, . . . देख, वह बपतिस्मा देता है और सब उसके पास आते हैं।”

ईर्ष्यालू होने के बदले, यूहन्‍ना यीशु की सफलता पर बहुत ख़ुश होता है और चाहता है कि उसके चेले भी ख़ुश हों। वह उन्हें याद दिलाता है: “तुम ख़ूद मेरे गवाह हो कि मैं ने कहा; मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूँ।” फिर वह एक सुन्दर दृष्टान्त देता है: “जिसकी दुल्हन है, वही दुल्हा है। परन्तु, दूल्हे का मित्र जो खड़ा हुआ उसकी सुनता है, दूल्हे की आवाज़ से बहुत हर्षित होता है। अब मेरा यह हर्ष पूरा हुआ है।”—NW.

यूहन्‍ना, दूल्हे का मित्र होने के नाते, कोई छः महीने पहले ही हर्षित हुआ था जब उसने यीशु से अपने शिष्यों का परिचय कराया था। उन में से कुछ जन मसीह के स्वर्गीय दुल्हन वर्ग के प्रत्याशित सदस्य बन गए, जो आत्मा से अभिषिक्‍त मसीहियों से बनाया जाएगा। यूहन्‍ना चाहता है कि उसके वर्तमान शिष्य भी यीशु के अनुयायी बने, क्योंकि उसका उद्देश्‍य मसीह की कामयाब सेवकाई के लिए मार्ग तैयार करना है। जैसा यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला बताता है: “अवश्‍य है कि वह बढ़े और मैं घटूँ।”

यीशु का नया शिष्य यूहन्‍ना, जो पहले यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले का शिष्य था, यीशु के उद्‌गम और मनुष्यों के उद्धार में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में लिखता है: “जो स्वर्ग से आता है, वह सब के ऊपर है। . . . पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उसने सब वस्तुएँ उसके हाथ में दे दी हैं। जो पुत्र पर विश्‍वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्‍वर का क्रोध उस पर रहता है।”—NW.

यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला अपनी सक्रियता पर विचार करने के कुछ ही समय बाद, राजा हेरोदेस के ज़रिये क़ैद कर लिया जाता है। हेरोदेस ने अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास को अपनी पत्नी बना लिया है और जब यूहन्‍ना खुले आम उसके कामों को प्रकट करके उन्हें अनुचित बताता है, तब हेरादेस उसे बन्दीगृह में डाल देता है। जब यीशु यूहन्‍ना के बन्दी बनाए जाने के बारे में सुनते हैं, वे अपने शिष्यों के साथ यहूदिया छोड़कर गलील के लिए रवाना हो जाते हैं। यूहन्‍ना ३:२२–४:३; प्रेरितों के काम १९:४; मत्ती २८:१९; २ कुरिन्थियों ११:२; मरकुस १:१४; ६:१७-२०.

▪ अपने पुनरुत्थान के पहले, यीशु के निर्देशन के अधीन दिए जानेवाले बपतिस्मा का क्या अभिप्राय है? और उनके पुनरुत्थान के बाद दिए जानेवाले बपतिस्मा का क्या अभिप्राय है?

▪ कैसे यूहन्‍ना दिखाता है कि उसके चेलों की शिकायत अनुचित है?

▪ क्यों यूहन्‍ना को बन्दीगृह में डाला जाता है?