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वापस अपने घर कफरनहूम में

वापस अपने घर कफरनहूम में

अध्याय २६

वापस अपने घर कफरनहूम में

अब तक यीशु की प्रसिद्धि व्यापक रूप से फैल गयी है, और अनेक लोग उन दूरस्थ स्थानों में जाते हैं जहाँ वह ठहरा है। तथापि, कुछ दिनों के बाद, वह गलील समुद्र के पास कफरनहूम लौटता है। फ़ौरन यह ख़बर पूरे शहर में फैल जाती है कि वह वापस घर आया है, और अनेक लोग उस घर में आते हैं जहाँ वह ठहरा है। यरूशलेम जैसे दूर जगह से भी फरीसी और व्यवस्थापक आते हैं।

भीड़ इतनी अधिक है कि दरवाज़े का मार्ग बन्द हो जाता है, और किसी को अन्दर जाने की जगह नहीं होती। अब एक सचमूच ही अद्‌भूत घटना के लिए वातावरण तैयार है। इस अवसर पर जो घटना घटी उसका बहुत महत्त्व है, क्योंकि हम इस बात का क़दर कर सकते हैं कि मनुष्यों के दुःख के कारण को दूर करने और उन सब का, जिन्हें वह चुनता है, तन्दुरुस्ती लौटाने के लिए यीशु के पास सामर्थ्य है।

जब यीशु भीड़ को सिखला रहे हैं, चार व्यक्‍ति एक लक़वा से पीड़ित मनुष्य को खाट पर लिए हुए आते हैं। वे चाहते हैं कि यीशु उनके मित्र को चंगा करें, पर भीड़ के कारण वे अन्दर नहीं जा सकते। कितना निराशजनक! फिर भी वे हार नहीं मानते। वे सपाट छत पर चढ़ते हैं, उस में एक छेद बनाते हैं, और लक़वा से पीड़ित मनुष्य को खाट समेत यीशु के बिल्कुल समीप उतारते हैं।

क्या यीशु इस दख़ल के वजह से क्रोधित हैं? बिल्कुल नहीं! इसके बजाय, वह उनके विश्‍वास से बहुत ही प्रभावित हैं। वह लक़वारोगी से कहते हैं: “तेरे पाप क्षमा हुए।” पर क्या यीशु दरअसल पापों को क्षमा कर सकते हैं? शास्त्री और फरीसी ऐसा नहीं सोचते। वे अपने हृदय में तर्क करते हैं: “यह मनुष्य क्यों ऐसा कहता है? यह तो परमेश्‍वर की निन्दा करता है। परमेश्‍वर को छोड़ कौन पाप क्षमा कर सकता है?”

उनके सोच-विचारों को जानकर, यीशु उन से कहते हैं: “तुम क्यों अपने दिल में यह विचार कर रहे हो? आसान क्या है? क्या लक़वे से यह कहना ‘तेरे पाप क्षमा हुए,’ या यह कहना, ‘उठ अपनी खाट उठा कर चल फिर’?”—NW.

फिर, यीशु भीड़ को उनके आलोचकों सहित एक असाधारण प्रदर्शन देखने की अनुमति देते हैं जो प्रकट करती है कि उसे पृथ्वी पर पापों को क्षमा करने का अधिकार है और वाक़ई वे वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य है जो कभी जीवित रहा। वह लक़वारोगी की ओर मुड़कर आज्ञा देता है: “उठ, अपनी खाट उठाकर अपने घर चला जा।” और वह तुरन्त ऐसा ही करता है, उन सब के सामने से अपनी खाट उठाकर चला जाता है! आश्‍चर्यचकित होकर लोग परमेश्‍वर की महिमा करते हैं और बोल उठते हैं: “हम ने ऐसा कभी नहीं देखा।”

क्या आपने ग़ौर किया कि यीशु पाप का उल्लेख बीमारी के सम्बन्ध में करते हैं और पापों की क्षमा शारीरिक तन्दुरुस्ती पाने से संबंधित है? बाइबल स्पष्ट करती है कि हमारे पहले पिता, आदम ने पाप किया और हम सब ने उस पाप के परिणाम, अर्थात्‌, बीमारी और मृत्यु को उत्तराधिकार में प्राप्त किया है। पर परमेश्‍वर के राज्य शासन के अधीन, यीशु उन सब के पापों को क्षमा करेंगे जो परमेश्‍वर से प्रेम और उसकी सेवा करते हैं, और फिर सब बीमारियाँ दूर की जाएँगी। वह कितना बढ़िया होगा! मरकुस २:१-१२; लूका ५:१७-२६; मत्ती ९:१-८; रोमियों ५:१२, १७-१९.

▪ एक सचमूच अद्‌भुत घटना के लिए वातावरण कैसा था?

▪ कैसे लक़वारोगी यीशु तक पहुँचा?

▪ हम सब पापी क्यों हैं, पर कैसे यीशु ने आशा दी कि हमारे पापों की क्षमा और सिद्ध तन्दुरुस्ती मुमकिन है?