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विश्‍वासघात और गिरफ़्तारी

विश्‍वासघात और गिरफ़्तारी

अध्याय ११८

विश्‍वासघात और गिरफ़्तारी

जब यहूदा सैनिक, महायाजक, फरीसी और अन्य जनों की बड़ी भीड़ को गतसमनी के बाग़ में ले आता है, तब आधी रात से अधिक वक़्त गुज़र चुका है। यीशु का विश्‍वासघात करने के लिए याजकों ने यहूदा को ३० चाँदी के सिक्के देने में सहमत हुए हैं।

इससे पहले, जब यहूदा को फसह के भोजन से विदा किया गया था, वह स्पष्टतया सीधे महायाजकों के पास गया था। इन्होंने तुरन्त अपने अफ़सर, और इनके अतिरिक्‍त सैनिकों का दल को भी इकट्ठा किया। शायद यहूदा उन्हें पहले वहाँ ले गया होगा जहाँ यीशु और उसके प्रेरितों ने फसह मनाया था। यह पता लगाने पर कि वे वहाँ से निकल चुके हैं, हथियार और बत्ती और मशाल लिए हुई बड़ी भीड़ यहूदा का पीछा यरूशलेम से बाहर और किद्रोन तराई के पार करती है।

जैसे यहूदा जुलूस को जैतून के पहाड़ पर ले जाता है, उसे यक़ीन होता है कि उसे यीशु का पता चल गया है। पिछले सप्ताह के दौरान, जैसे यीशु और प्रेरित बैतनियाह और यरूशलेम के दरमियान आगे-पीछे यात्रा करते, वे अक़सर विश्राम और बातचीत करने गतसमनी के बाग़ में रुकते थे। लेकिन, अब, यीशु जैतून के पेड़ों के नीचे अन्धकार में शायद छिपे होने के वजह से, सैनिक उसे कैसे पहचानेंगे? उन्होंने उसे पहले कभी देखा भी नहीं होगा। इसलिए यहूदा यह कहते हुए एक चिह्न देता है: “जिस को मैं चूमूँ, वही है, उसे पकड़कर यतन से ले जाना।”—NW.

यहूदा उस बड़ी भीड़ को बाग़ में ले जाता है, यीशु को अपने प्रेरितों के साथ देखकर सीधे उनके पास जाता है। “हे रब्बी, नमस्कार!” और उसे कोमलता से चूमता है।

यीशु प्रत्युत्तर देते हैं, “हे मित्र, तू किस उद्देश्‍य से उपस्थित है?” (NW) फिर, अपने ही सवाल का जवाब देते हुए वे कहते हैं: “यहूदा, क्या तू चूमा लेकर मनुष्य के पुत्र को पकड़वाता है?” लेकिन उनके विश्‍वासघात करनेवाले का बहुत हो चुका! यीशु जलती बत्ती और मशालों की रोशनी में आगे बढ़ते हुए पूछते हैं: “तुम किसे ढूँढ़ते हो?”

जवाब मिलता है, “यीशु नासरी को।”

यीशु साहसीपूर्वक सबके सामने खड़े होकर जवाब देते हैं, “वह मैं हूँ।” उनकी निडरता से अचंभित होकर और यह नहीं जानते हुए कि क्या होगा, वे मनुष्य पीछे हटते हैं और ज़मीन पर गिर पड़ते हैं।

यीशु शान्ति से बात जारी रखते हैं, “मैं तुम्हें बता चुका हूँ कि वह मैं हूँ, यदि मुझे ढूँढ़ते हो तो इन्हें जाने दो।” कुछ देर पहले ऊपरी कमरे में यीशु ने प्रार्थना में अपने पिता से कहा था कि उसने अपने वफादार प्रेरितों को साथ रखा है और “विनाश के पुत्र को छोड़कर” उन में से एक भी खोया नहीं था। इसलिए, अपने वचनों की पूर्ति के लिए वह पूछता है कि अपने शिष्यों को जाने दे।

जैसे सैनिक अपने आत्मसंयम दोबारा प्राप्त करके, खड़े होकर यीशु को बाँधने लगते हैं, क्या होनेवाला है यह प्रेरित जान लेते हैं। वे पूछते हैं, “हे प्रभु, क्या हम तलवार चलाएँ?” यीशु जवाब देने से पहले, पतरस, प्रेरितों द्वारा लायी गयी दो तलवारों में से एक को निकालकर, महायाजक के एक दास मलखुस पर हमला करता है। पतरस का हमला दास का सिर चूकता है पर उसका दाहिना कान उड़ा देता है।

यीशु दख़ल देते हुए कहते हैं, “अब बस करो।” मलखुस के कान को छुते हुए वे ज़ख़्म को चंगा कर देते हैं। फिर पतरस को हुक़्म देते हुए, वे एक महत्त्वपूर्ण सबक़ सिखाते हैं, “अपनी तलवार काठी में रख ले, क्योंकि जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएँगे। और क्या तू नहीं समझता, कि मैं अपने पिता से बिनती कर सकता हूँ, और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा?”

यीशु गिरफ़्तार होने राज़ी हैं, चूँकि वे समझाते हैं: “पवित्र शास्त्र की वे बातें कि ऐसा ही होना अवश्‍य है, कैसे पूरी होंगी?” और वे आगे कहते हैं, “जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है, उसे मैं क्यों न पीऊँ?” उनके लिए परमेश्‍वर की इच्छा से वे पूरी तरह सहमत हैं!

फिर यीशु भीड़ को संबोधित करते हैं। वे पूछते हैं, “क्या तुम तलवारें और लाठियाँ लेकर मुझे डाकू के समान पकड़ने के लिए निकले हो? मैं हर दिन मंदिर में बैठकर उपदेश दिया करता था, और तुम ने मुझे नहीं पकड़ा। परन्तु यह सब इसलिए हुआ है कि भविष्यवक्‍ताओं के वचन पूरे हों।”

इस पर सैनिकों का दल और सेनापति और यहूदियों के अफ़सर यीशु को पकड़ते हैं और उन्हें बाँध देते हैं। यह देखकर, प्रेरित यीशु को त्यागकर भाग जाते हैं। बहरहाल, एक युवक—शायद यह शिष्य मरकुस है—भीड़ के साथ रहता है। शायद वह उस घर में था जहाँ यीशु ने फसह मनाया था और बाद में वहाँ से भीड़ के पीछे आया होगा। तथापि, अब, वह पहचान लिया जाता है, और उसे पकड़ने की कोशिश की जाती है। पर वह अपने वस्त्र पीछे छोड़कर भाग जाता है। मत्ती २६:४७-५६; मरकुस १४:४३-५२; लूका २२:४७-५३; यूहन्‍ना १७:१२; १८:३-१२.

▪ यहूदा को क्यों यक़ीन होता है कि वह यीशु को गतसमनी के बाग़ में पाएगा?

▪ यीशु अपने प्रेरितों के लिए चिन्ता कैसे ज़ाहिर करते हैं?

▪ यीशु के बचाव में पतरस क्या कार्यवाही करता है, लेकिन इसके बारे में यीशु पतरस सें क्या कहते हैं?

▪ यीशु कैसे प्रकट करते हैं कि उनके लिए परमेश्‍वर की इच्छा से वे पूरी तरह सहमत हैं?

▪ जब प्रेरित यीशु को त्याग देते हैं, कौन रह जाता है, और उसके साथ क्या होता है?