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शुक्रवार को दफ़नाया गया—रविवार को खाली क़ब्र

शुक्रवार को दफ़नाया गया—रविवार को खाली क़ब्र

अध्याय १२७

शुक्रवार को दफ़नाया गया—रविवार को खाली क़ब्र

अब तक शुक्रवार दोहपर ढल चुकी है, और निसान १५ का सब्त सूर्यास्थ से आरंभ होगा। यीशु का शव स्तंभ पर निर्जीव लटक रहा है, लेकिन उनकी बगल में दोनों डाकू अभी भी ज़िंदा हैं। शुक्रवार दोपहर को तैयारी कहा जाता है क्योंकि इस अवसर पर लोग भोजन तैयार करते हैं और ऐसे अत्यावश्‍यक कार्य को पूरा करते हैं जो सब्त के बाद तक नहीं रुक सकता।

शीघ्र आरंभ होनेवाला सब्त सिर्फ़ एक नियमित सब्त ही नहीं (सप्ताह का सातवाँ दिन) परन्तु एक दुगुना, या “बड़ा” सब्त भी है। उसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि निसान १५, जो सात दिनों का अख़मीरी रोटी के पर्व का पहला दिन है (और हमेशा सब्त होता है, चाहे सप्ताह के किसी भी दिन पर क्यों न आए), नियमित सब्त के दिन पर ही पड़ता है।

परमेश्‍वर के नियम के मुताबिक, लाशों को रात भर स्तंभ पर लटका हुआ नहीं छोड़ना चाहिए। सो यहूदी पीलातुस से कहते हैं कि दंडित व्यक्‍तियों की मौत उनकी टाँगे तोड़कर जल्दी लाया जाए। इसलिए लशकरी उन दो डाकुओं की टाँगे तोड़ते हैं। पर चूँकि यीशु मरा लगता है, उनकी टाँगे नहीं तोड़ी जाती। इससे उस शास्त्रपद की पूर्ति होती है: “उसकी कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी।”

फिर भी, यीशु असल में मरा है या नहीं यह शक दूर करने, एक सैनिक उनके शरीर की भुजा में भाला भोंकता है। भाला उनका हृदय के पास छेदता है, और तुरन्त लहू और पानी निकलता है। प्रेरित यूहन्‍ना, जो एक चश्‍मदीद गवाह है, बताते हैं कि यह एक और शास्त्रपद की पूर्ति है: “जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर दृष्टि करेंगे।”

अरिमतिया शहर का यूसुफ, महासभा का एक सम्मानित सदस्य, भी घात के जगह पर उपस्थित है। उसने यीशु के ख़िलाफ़ महासभा के अन्यायपूर्ण कार्यवाही के पक्ष में मत देने से इनकार किया था। दरअसल यूसुफ यीशु का एक शिष्य है, हालाँकि वह अपना पहचान करवाने से डरता था। फिर भी, अब, वह हिम्मत के साथ पीलातुस के पास जाकर यीशु की देह माँगता है। पीलातुस कार्यभारी सूबेदार को बुलाता है, और सूबेदार से यीशु की मृत्यु की पुष्टि करने के पश्‍चात पीलातुस देह दिला देता है।

दफ़न की तैयारी में यूसुफ देह को लेकर साफ पतली चादर में लपेटता है। महासभा का एक अन्य सदस्य, निकुदेमुस उसकी सहायता करता है। अपना पद खो देने के डर से निकुदेमुस भी यीशु में अपना विश्‍वास प्रकट करने में विफल रहा। परन्तु अब वह लगभग सौ रोमी पाउण्ड (३३ किलोग्राम) गंधरस और महँगा मुसब्बर लाता है। यहूदियों की लाशों का दफ़न की तैयारी का दस्तूर के अनुसार, यीशु की देह को इन मसालों से भरे पट्टियों में लपेटा जाता है।

फिर देह को पास ही की बाग़ में चट्टान में खोदी गई यूसुफ की नयी स्मारक क़ब्र में रखा जाता है। आख़िरकार, क़ब्र के सामने एक बड़ा पत्थर लुढ़काया जाता है। दफ़न को सब्त से पहले ही पूरा करने के लिए देह की तैयारी हड़बड़ी से किया जाता है। इसलिए, मरियम मगदलीनी और छोटे याकूब की माता मरियम, जो संभवतः तैयारी में मदद कर रही हैं, और अधिक मसाला और सुगंधित तेल तैयार करने जल्दी घर जाती है। सब्त के बाद, वे यीशु की देह को और अधिक समय तक बनाए रखने के लिए उसे और ज़्यादा संसाधित करने की योजना बनाते हैं।

अगले दिन, जो शनिवार है (सब्त का दिन), महायाजक और फरीसी पीलातुस के पास जाकर कहते हैं: “हे महाराज, हमें स्मरण है कि उस भरमानेवाले ने अपने जीते जी कहा था, ‘मैं तीन दिन के बाद जी उठूँगा।’ सो आज्ञा दे कि तीसरे दिन तक क़ब्र की रखवाली की जाए, ऐसा न हो कि उसके चेले आकर उसे चुरा ले जाए और लोगों से कहने लगें, ‘वह मरे हुओं में से जी उठा है!’ तब पिछला धोखा पहले से भी बुरा होगा।”

“तुम्हारे पास पहरुए तो है,” पीलातूस उन से कहता है। “जाओ, अपनी समझ के अनुसार रखवाली करो।” सो वे जाते हैं और क़ब्र को मुहरबन्द करके रोमी सैनिकों को पहरे पर तैनात करते हैं।

रविवार की भोर को मरियम मगदलीनी और याकूब की माता मरियम, शलोमी, योअन्‍ना, अन्य स्त्रियों के साथ, यीशु की देह को संसाधित करने क़ब्र पर मसाला लाती हैं। मार्ग में वे एक दूसरे से कहती हैं: “हमारे लिए क़ब्र के द्वार पर से पत्थर कौन लुढ़काएगा?” लेकिन वहाँ पहुँचने पर, उन्हें पता चलता है कि एक भूकंप हुआ और यहोवा के स्वर्गदूत ने पत्थर लुढ़का दिया है। पहरेदार चले गए हैं, और क़ब्र खाली पड़ा है! मत्ती २७:५७-२८:२; मरकुस १५:४२-१६:४; लूका २३:५०-२४:३, १०; यूहन्‍ना १९:१४, यूहन्‍ना १९:३१–२०:१; यूहन्‍ना १२:४२; लैव्यव्यवस्था २३:५-७; व्यवस्थाविवरण २१:२२, २३; भजन संहिता ३४:२०; जकर्याह १२:१०.

▪ शुक्रवार को तैयारी क्यों कहा जाता है, और “बड़ा” सब्त क्या है?

▪ यीशु की देह के सम्बन्ध में कौनसे शास्त्रपद पूरे हुए?

▪ यीशु के दफ़न से यूसुफ और निकुदेमुस का क्या सम्बन्ध है, और यीशु के साथ उनका क्या रिश्‍ता है?

▪ याजक पीलातुस से क्या निवेदन करते हैं, और वह कैसे जवाब देता है?

▪ रविवार की भोर को क्या होता है?