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सब्त के दिन उचित क्या है?

सब्त के दिन उचित क्या है?

अध्याय ३२

सब्त के दिन उचित क्या है?

एक और सब्त पर यीशु गलील सागर के पास एक आराधनालय में जाते हैं। वहाँ एक आदमी मौजूद है जिसका दाहिना हाथ सुखा हुआ है। शास्त्री और फरीसी ध्यान से देख रहे हैं कि क्या यीशु उसे चंगा करेगा या नहीं। अन्त में वे पूछते हैं: “क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है?”

यहूदी धार्मिक अगुए विश्‍वास करते हैं कि अगर जान ख़तरे में हो, तो ही सब्त के दिन चंगा करना उचित है। उदाहरणतः, वे सिखलाते हैं कि सब्त के दिन हड्डी बैठाना और मोच पर पट्टी बाँधना भी अनुचित है। अतः शास्त्री और फरीसी यीशु पर दोष लगाने की कोशिश में उससे सवाल करते हैं।

लेकिन यीशु उनके तर्कणा को जानते हैं। साथ ही, वह समझ जाता है कि काम करने के निषेध की सब्त-दिन की आवश्‍यकता का उल्लघंन में जो सम्मिलित है, उस में उन्होंने एक तीव्र, अशास्त्रीय दृष्टि अपनाया है। इस तरह यीशु सूखे हाथ वाले मनुष्य को यह कहते हुए एक नाटकीय सामना के लिए मंच तैयार करते हैं: “बीच में खड़ा हो।”

अब, शास्त्रियों और फरीसियों की ओर मुड़कर, यीशु कहते हैं: “तुम में से ऐसा कौन है, जिसकी एक ही भेड़ हो, और वह सब्त के दिन गढ़े में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले?” चूँकि एक भेड़ आर्थिक लागत को चित्रित करता है, वे उसे अगले दिन तक गढ़े में नहीं रहने देंगे, क्योंकि ऐसा करने से वह बीमार हो सकता है और उन्हें हानि हो सकती है। इसके अलावा, पवित्र शास्त्र कहता है: “धर्मी अपने पशु के भी प्राण की सुधि रखता है।”

एक समानान्तर उदाहरण देते हुए, यीशु कहते हैं: “भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़कर है! इसलिए सब्त के दिन भलाई करना उचित है।” ऐसे तर्कसंगत, दयालु तर्कणा का खण्डन करने में असमर्थ होने पर धार्मिक नेता चुप रहते हैं।

उनकी हठीली मूर्खता से दुःखी होकर और साथ ही गुस्से से यीशु चारों ओर देखते हैं। फिर उस मनुष्य से कहते हैं: “अपना हाथ बढ़ा।” और वह बढाता है और उसका हाथ चंगा हो गया।

उस मनुष्य का हाथ चंगा होने पर ख़ुश होने के बजाय, फरीसी बाहर निकल जाते हैं और फ़ौरन हेरोदेस के अनुयायियों के साथ मिलकर यीशु को मार डालने का षड़यंत्र करते हैं। प्रत्यक्ष रूप से इस राजनैतिक दल में धार्मिक सदूकियों के सदस्य भी सम्मिलित हैं। साधारणतः, यह राजनैतिक दल और फरीसी खुले आम एक दूसरे के विरोधी हैं, पर यीशु का विरोध करने में वे दृढ़ता से मिले हुए हैं। मत्ती १२:९-१४; मरकुस ३:१-६; लूका ६:६-११; नीतिवचन १२:१०; निर्गमन २०:८-१०.

▪ यीशु और यहूदी धार्मिक अगुओं के बीच नाटकीय सामना करने का सेटिंग क्या है?

▪ सब्त के दिन पर चंगा किए जाने के संबंध में ये यहूदी धार्मिक अगुए क्या विश्‍वास करते हैं?

▪ उनके ग़लत विचारों का खण्डन करने यीशु किस दृष्टान्त का उपयोग करते हैं?