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स्वर्ग से संदेश

स्वर्ग से संदेश

अध्याय १

स्वर्ग से संदेश

दरअसल, पूरा बाइबल स्वर्ग से एक संदेश है, जिसे हमारे स्वर्गीय पिता ने हमारी हिदायत के लिए दिया है। तथापि, दो ख़ास संदेश लगभग २,००० साल पहले एक स्वर्गदूत के ज़रिये दिए गए थे जो “परमेश्‍वर के सामने खड़ा रहता” है। उसका नाम जिब्राईल है। आइए हम पृथ्वी पर की गई उन दो महत्त्वपूर्ण भेंटों के हालात की जाँच करें।

साल सा.यु.पू. ३ है। यहूदिया के पहाड़ों में, संभवतः यरूशलेम से ज़्यादा दूर नहीं, यहोवा का एक याजक रहता है जिसका नाम जकरयाह है। वह बूढ़ा हो गया है, और उसकी पत्नी इलीशिबा भी बूढ़ी हो गयी है। और उनका कोई बच्चा नहीं है। जकरयाह याजकीय सेवकाई पर अपनी बारी यरूशलेम में परमेश्‍वर के मंदिर में ले रहा है। अचानक जिब्राईल धूप की वेदी की दाहिनी ओर खड़ा दिखाई देता है।

जकरयाह बहुत डर जाता है। पर जिब्राईल यह कहते हुए उसके डर को शान्त करता है, “हे जकरयाह, भयभीत न हो क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन ली गयी है, और तेरी पत्नी इलीशिबा से तेरे लिए एक पुत्र उत्पन्‍न होगा, और तू उसका नाम यूहन्‍ना रखना।” जिब्राईल आगे घोषणा करता है कि यूहन्‍ना “प्रभु [यहोवा, NW] के सामने महान होगा” और वह “प्रभु के लिए एक योग्य प्रजा तैयार” करेगा।

लेकिन, जकरयाह इस पर यक़ीन नहीं कर सका। उसे और इलीशिबा को उनके उम्र में बच्चा होना इतना नामुमकिन लगता है। इसलिए जिब्राईल उसे कहता है: “जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो लें, उस दिन तक तू मौन रहेगा, और बोल न सकेगा, इसलिए कि तू ने मेरी बातों को, जो अपने समय पर पूरी होंगी, यक़ीन न किया।”—NW.

खैर, इस बीच, बाहर खड़े लोग आश्‍चर्यित हैं कि क्यों जकरयाह मंदिर में इतनी देर लगा रहा है। जब वह आखिरकार बाहर आता है, वह बोल नहीं सकता पर केवल अपने हाथों से इशारा कर सकता है, और वे समझ जाते हैं कि उसने कुछ अलौकिक चीज़ देखी है।

मंदिर की सेवकाई की अपनी अवधि पूरा करने पर, जकरयाह घर लौटता है। और तुरन्त बाद दरअसल वैसा ही होता है—इलीशिबा गर्भवती होती है! जब वह अपने बच्चे का जन्म की प्रतीक्षा करती है, इलीशिबा पाँच महीनों के लिए लोगों से अलग घर में रहती है।

बाद में जिब्राईल फिर प्रकट होता है। और वह किससे बात करता है? वह नासरत की रहनेवाली एक जवान अविवाहित स्त्री से बातें करता है जिसका नाम मरियम है। इस बार वह क्या संदेश देता है? सुनिए! “परमेश्‍वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है,” जिब्राईल मरियम से कहता है। “देख, तू गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी, और तू उसका नाम यीशु रखना।” जिब्राईल आगे कहता है: “वह महान होगा और परम प्रधान का पुत्र कहलाएगा; . . . वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा, और उसके राज्य का अन्त न होगा।”

हम निश्‍चित हो सकते हैं कि जिब्राईल इन संदेशों को देने में ख़ास अनुग्रहित महसूस करता है। और जैसे हम यूहन्‍ना और यीशु के बारे में और अधिक पढ़ते हैं, हम ज़्यादा स्पष्ट रीति से देख लेंगे कि स्वर्ग से मिले ये संदेश क्यों इतने महत्त्वपूर्ण हैं। २ तीमुथियुस ३:१६; लूका १:५-३३.

▪ स्वर्ग से क्या दो महत्त्वपूर्ण संदेश दिए गए हैं?

▪ कौन संदेश को पहुँचाता है, और वे किसे दिए गए हैं?

▪ क्यों इन संदेशों पर यक़ीन करना इतना कठिन है?