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अध्याय 4

‘चार चेहरोंवाले जीवित प्राणी’ किस बात को दर्शाते हैं?

‘चार चेहरोंवाले जीवित प्राणी’ किस बात को दर्शाते हैं?

यहेजकेल 1:15

अध्याय किस बारे में है: जीवित प्राणी किस बात को दर्शाते हैं और उनके बारे में जानने से हम क्या सीखेंगे

1, 2. यहोवा ने अपने सेवकों को कुछ अहम बातें समझाने के लिए दृश्‍य क्यों दिखाए?

 कल्पना कीजिए कि एक पिता अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ खाने की मेज़ पर बैठकर उन्हें बाइबल से कुछ सिखा रहा है। पिता उन्हें बाइबल की एक सच्चाई समझाने के लिए कुछ तसवीरें दिखाता है। बच्चों की आँखें चमक उठती हैं, वे बड़े जोश से हाव-भाव करते हुए पिता के सवालों का जवाब देते हैं। इससे पिता जान जाता है कि उन्हें उसकी बात समझ में आ रही है। वह तसवीरों से यहोवा के बारे में उन्हें ऐसी बातें समझा पाता है जिन्हें समझना छोटे बच्चों के लिए मुश्‍किल है।

2 हमारा पिता यहोवा भी जानता है कि हमारे लिए कुछ बातें समझना मुश्‍किल है, इसलिए वह हमें दृश्‍यों के ज़रिए सिखाता है। उसने कुछ अदृश्‍य बातें समझाने के लिए अपने सेवकों को कुछ दृश्‍य दिखाए हैं। मिसाल के लिए, अपने बारे में कुछ गहरी सच्चाइयाँ बताने के लिए उसने यहेजकेल को एक ऐसा दर्शन दिखाया जिसमें उसने कई अनोखी बातें देखीं। पिछले अध्याय में हमने उस दर्शन के एक पहलू पर गौर किया था। अब आइए हम उसके एक और पहलू पर ध्यान दें और देखें कि उसका मतलब जानने से कैसे हम यहोवा के और करीब आ सकते हैं।

‘मुझे चार जीवित प्राणी जैसे दिखायी दिए’

3. (क) यहेजकेल 1:4, 5 के मुताबिक यहेजकेल ने दर्शन में क्या देखा? (शुरूआती तसवीर देखें।) (ख) यहेजकेल ने दर्शन के बारे में लिखते समय किस तरह के शब्द इस्तेमाल किए?

3 यहेजकेल 1:4, 5 पढ़िए। यहेजकेल को “चार जीवित प्राणी जैसे दिखायी दिए।” उनका रंग-रूप कुछ स्वर्गदूतों जैसा, कुछ इंसानों जैसा और कुछ पशु-पक्षियों जैसा था। ध्यान दीजिए कि यहेजकेल ने जो देखा, उसका उसने किस तरह सही-सही वर्णन किया। उसने बस इतना लिखा कि उसे “चार जीवित प्राणी जैसे दिखायी दिए।”  जब आप यहेजकेल के पहले अध्याय में पूरा दर्शन पढ़ेंगे, तो आप गौर करेंगे कि भविष्यवक्‍ता ने बार-बार इस तरह के शब्द इस्तेमाल किए: “जैसा कुछ,” “जैसी लग रही थी” और “जैसा दिख रहा था।” (यहे. 1:13, 24, 26) ज़ाहिर है यहेजकेल जानता था कि उसने दर्शन में जो भी देखा, वह स्वर्ग की बातों की बस एक छवि थी।

4. (क) दर्शन का यहेजकेल पर कैसा असर हुआ? (ख) यहेजकेल करूबों के बारे में क्या जानता होगा?

4 यहेजकेल ने दर्शन में जो देखा और सुना, उससे वह दंग रह गया होगा। चार जीवित प्राणियों का रूप ‘जलते अंगारों’ जैसा था। वे इतनी तेज़ी से आ-जा रहे थे मानो “बिजली कौंध रही हो।” उनके पंखों की आवाज़ “पानी की तेज़ धारा की गड़गड़ाहट” जैसी थी और जब वे आगे बढ़ते, तो ऐसी आवाज़ आती जैसे “किसी सेना का भयानक शोर हो।” (यहे. 1:13, 14, 24-28; यह बक्स देखें: ‘मैं जीवित  प्राणियों को गौर से देख रहा था।’) बाद में एक दर्शन में यहेजकेल बताता है कि वे चार जीवित प्राणी ‘करूब’ हैं यानी शक्‍तिशाली स्वर्गदूत हैं। (यहे. 10:2) यहेजकेल एक याजक परिवार से था, इसलिए वह ज़रूर जानता होगा कि करूब परमेश्‍वर के पास रहकर उसकी सेवा करनेवाले स्वर्गदूत हैं।—1 इति. 28:18; भज. 18:10.

‘हर प्राणी के चार चेहरे थे’

5. (क) करूब और उनके चार चेहरे यहोवा की शान और ताकत को क्यों दर्शाते हैं? (ख) इन करूबों से हमें परमेश्‍वर के नाम का मतलब क्यों याद आता है? (फुटनोट देखें।)

5 यहेजकेल 1:6, 10 पढ़िए। यहेजकेल ने यह भी देखा कि हर करूब के चार चेहरे थे। एक आदमी का, एक शेर का, एक बैल का और एक उकाब का। इन चेहरों को देखने से यहेजकेल के दिलो-दिमाग पर इस बात का गहरा असर पड़ा होगा कि यहोवा की महिमा कितनी अपार है और उसकी शक्‍ति की कोई सीमा नहीं है। यह हम कैसे कह सकते हैं? हर चेहरा शान या प्रताप को और ताकत या शक्‍ति को दर्शाता है। शेर अपनी शान के लिए जाना जाता है, बैल एक बहुत बड़ा पालतू जानवर है, उकाब एक ताकतवर पक्षी है और आदमी धरती पर यहोवा की सबसे नायाब रचना है और उसे धरती के बाकी सभी प्राणियों पर अधिकार दिया गया है। (भज. 8:4-6) मगर यहेजकेल ने दर्शन में देखा कि ये चारों ताकतवर प्राणी, जो हर करूब के चार चेहरों से दर्शाए गए हैं, यहोवा की राजगद्दी के नीचे हैं। इससे पता चलता है कि यहोवा सबके ऊपर परम-प्रधान है। यह कितने बढ़िया तरीके से दर्शाया गया है कि यहोवा अपना मकसद पूरा करने के लिए अपनी सृष्टि का इस्तेमाल कर सकता है! * भजन के एक रचयिता ने यहोवा के बारे में सही कहा, “उसका प्रताप धरती और आकाश के ऊपर फैला है।”—भज. 148:13.

चार जीवित प्राणी और उनके चार चेहरे कैसे यहोवा की शान, ताकत और दूसरे गुणों को दर्शाते हैं? (पैराग्राफ 5, 13 देखें)

6. यहेजकेल चार चेहरों का मतलब कैसे समझ पाया होगा?

6 कुछ समय बाद जब यहेजकेल ने दर्शन पर गौर से सोचा होगा, तो उसे गुज़रे वक्‍त के कुछ वफादार सेवकों की बात याद आयी होगी। उन सेवकों ने भी कुछ लोगों की खासियतें बताने के लिए पशु-पक्षियों की मिसाल दी थी। जैसे, कुलपिता याकूब ने अपने बेटे यहूदा की तुलना शेर से और बिन्यामीन की तुलना भेड़िए से की। (उत्प. 49:9, 27) क्यों? क्योंकि यहूदा और बिन्यामीन में और उनके वंशजों में कुछ ऐसी खासियतें होतीं जो शेर और भेड़िए में होती हैं। यहेजकेल शास्त्र में बताए इस तरह के लोगों के बारे में जानता था, इसलिए वह इस नतीजे पर पहुँचा होगा कि करूबों के चेहरे भी कुछ खास गुणों को दर्शाते हैं। ये गुण कौन-से थे?

यहोवा और स्वर्गदूतों के गुण

7, 8. चार चेहरे किन गुणों को दर्शाते हैं?

7 यहेजकेल के ज़माने से पहले भी बाइबल के लेखकों ने कुछ गुणों के बारे में बताने के लिए शेर, उकाब और बैल की मिसाल दी थी। जैसे, ‘शेरदिल सैनिक।’ (2 शमू. 17:10; नीति. 28:1) “उकाब उड़ान भरता है” और “दूर-दूर तक अपनी नज़र दौड़ाता है।” (अय्यू. 39:27, 29) “बैल की ताकत से बहुत पैदावार होती है।” (नीति. 14:4) इस तरह की आयतों के आधार पर हमारे प्रकाशनों में कई बार समझाया गया है कि शेर का चेहरा न्याय को दर्शाता है, उकाब का चेहरा बुद्धि को और बैल का चेहरा लाजवाब ताकत को दर्शाता है।

8 लेकिन “आदमी का चेहरा” किस गुण को दर्शाता है? (यहे. 10:14) यह ज़रूर एक ऐसे गुण को दर्शाता होगा जो किसी भी पशु-पक्षी में नहीं होता, सिर्फ इंसानों में होता है जिन्हें परमेश्‍वर की छवि में बनाया गया है। (उत्प. 1:27) परमेश्‍वर ने हमें यह गुण दर्शाने की आज्ञा भी दी है। उसने कहा है, ‘तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से पूरे दिल से प्यार करना’ और ‘अपने संगी-साथी से वैसे ही प्यार करना जैसे खुद से करता है।’ (व्यव. 6:5; लैव्य. 19:18) जब हम इन आज्ञाओं को मानते हैं और बिना स्वार्थ के यहोवा और दूसरों से प्यार करते हैं, तो हम यहोवा की मिसाल पर चलते हैं। जैसा कि प्रेषित यूहन्‍ना ने लिखा, “हम इसलिए प्यार करते हैं क्योंकि पहले परमेश्‍वर ने हमसे प्यार किया।” (1 यूह. 4:8, 19) इन बातों को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि “आदमी का चेहरा” प्यार को दर्शाता है।

9. करूबों के चेहरे जिन गुणों को दर्शाते हैं, वे किनमें देखे जाते हैं?

9 ये सारे गुण किसमें देखे जाते हैं? सभी वफादार स्वर्गदूतों में। यह हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि चारों चेहरे करूबों के हैं और ये चारों करूब यहोवा के सभी वफादार स्वर्गदूतों को दर्शाते हैं जिनसे स्वर्ग में परमेश्‍वर का परिवार बना है। (प्रका. 5:11) एक और बात यह है कि करूबों को यहोवा ने जीवन दिया है, इसलिए वे जो गुण दर्शाते हैं उनका स्रोत यहोवा है। (भज. 36:9) यही वजह है कि दर्शन में देखे गए करूबों के चारों चेहरे यहोवा के गुणों को दर्शाते हैं। (अय्यू. 37:23; भज. 99:4; नीति. 2:6; मीका 7:18) यहोवा कई तरीके से ये गुण ज़ाहिर करता है। आइए कुछ तरीकों पर गौर करें।

10, 11. यहोवा के चार खास गुणों की वजह से हम कौन-सी आशीषें पा रहे हैं?

10 न्याय। यहोवा “न्याय से प्यार करता है,” और “किसी के साथ भेदभाव नहीं करता।” (भज. 37:28; व्यव. 10:17) इसलिए उसने हम सबको उसके सेवक बनने और हमेशा की आशीषें पाने का मौका दिया है, फिर चाहे हम किसी भी भाषा, देश या तबके से क्यों न हों। बुद्धि। यहोवा एक “बुद्धिमान” परमेश्‍वर है और उसने बाइबल के रूप में हमें ऐसी किताब दी है जिसमें “बुद्धि का भंडार है।” (अय्यू. 9:4; नीति. 2:7) बाइबल की सलाह मानने से हम हर रोज़ की मुश्‍किलों का सामना कर पाते हैं और हमें जीने का मकसद मिलता है। शक्‍ति। यहोवा परमेश्‍वर “महाशक्‍तिमान” है। वह हमें अपनी पवित्र शक्‍ति देता है, इसलिए हमें “आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर” ताकत मिलती है। हम बुरे-से-बुरे हालात का सामना कर पाते हैं और हर तरह का दर्द सह लेते हैं।—नहू. 1:3; 2 कुरिं. 4:7; भज. 46:1.

11 प्यार। यहोवा का ‘प्यार अटल’ रहता है, इसलिए वह अपने वफादार सेवकों का साथ कभी नहीं छोड़ता। (भज. 103:8; 2 शमू. 22:26) हो सकता है हम बीमारी या ढलती उम्र की वजह से यहोवा की सेवा पहले की तरह न कर पाएँ और इसलिए निराश रहते हों। लेकिन हम इस बात से दिलासा पा सकते हैं कि बीते समय में हमने यहोवा की सेवा में जो मेहनत की थी, उसे वह नहीं भूलता। (इब्रा. 6:10) यहोवा ने जिस तरह से न्याय, बुद्धि, शक्‍ति और प्यार ज़ाहिर किया है, उस वजह से हमने आज तक कई आशीषें पायी हैं और आगे भी पाते रहेंगे।

12. यहोवा के गुणों को समझने के बारे में हमें क्या याद रखना चाहिए?

12 हमें याद रखना चाहिए कि हम इंसान यहोवा के गुणों के बारे में चाहे जितना भी सीखें, वह “उसके कामों के छोर को छूने जैसा है।” हम उसके गुणों को पूरी तरह नहीं समझ सकते। (अय्यू. 26:14) “सर्वशक्‍तिमान को समझना हमारे बस के बाहर है” क्योंकि “उसकी महानता हमारी समझ से परे है।” (अय्यू. 37:23; भज. 145:3) इसलिए यहोवा के गुणों को हम गिन नहीं सकते, न ही उन्हें अलग-अलग समूहों में बाँट सकते हैं। (रोमियों 11:33, 34 पढ़िए।) यहेजकेल के दर्शन से भी यही पता चलता है कि परमेश्‍वर के गुणों की संख्या सीमित नहीं है, न ही उनका दायरा सीमित है। (भज. 139:17, 18) यह सच्चाई दर्शन में देखी गयी किस बात से पता चलती है?

‘चार  चेहरे, चार  पंख, चारों  तरफ’

13, 14. करूबों के चार चेहरे किस बात को दर्शाते हैं? यह हम कैसे कह सकते हैं?

13 यहेजकेल ने दर्शन में देखा कि हर करूब के चार  चेहरे हैं, सिर्फ एक नहीं। इससे हम क्या समझ सकते हैं? याद कीजिए कि परमेश्‍वर के वचन में संख्या चार अकसर किसी बात की पूर्णता को दर्शाती है। (यशा. 11:12; मत्ती 24:31; प्रका. 7:1) गौर करनेवाली बात है कि इस दर्शन में यहेजकेल ने संख्या चार का ज़िक्र कई बार किया है! (यहे. 1:5-18) इससे हम किस नतीजे पर पहुँच सकते हैं? जैसे चार  करूब यहोवा के सभी  वफादार स्वर्गदूतों को दर्शाते हैं, उसी तरह करूबों के चारों  चेहरे एक-साथ मिलकर  यहोवा के सभी  गुणों को दर्शाते हैं। *

14 यह समझने के लिए कि करूबों के चार चेहरे सिर्फ चार गुणों को नहीं दर्शाते, एक बात पर गौर कीजिए। दर्शन में जो चार पहिए देखे गए थे, उनमें से हर पहिया अपने आप में अद्‌भुत है लेकिन हर पहिए की अलग से कोई पहचान नहीं है। इसके बजाय, वे चारों मिलकर यहोवा के रथ की नींव हैं। उसी तरह, करूबों के चार चेहरे एक-साथ मिलकर यहोवा के सभी गुणों को दर्शाते हैं, न कि सिर्फ चार खास गुणों को। ये चार गुण एक तरह से उसके सभी गुणों में नज़र आते हैं।

यहोवा अपने सभी वफादार सेवकों के करीब है

15. पहले दर्शन से यहेजकेल ने कौन-सी अच्छी बात जानी?

15 इस पहले दर्शन से यहेजकेल ने यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते के बारे में एक ऐसी बात जानी जिससे उसे बहुत खुशी हुई होगी। वह क्या है? इसे जानने के लिए ध्यान दीजिए कि वह अपनी किताब की शुरूआत में क्या कहता है। वह कहता है कि जब वह “कसदियों के देश में” था, तो “वहाँ  यहोवा का हाथ उस पर आया।” (यहे. 1:3) तो यहेजकेल को वह दर्शन “वहाँ” यानी बैबिलोन में मिला था, न कि यरूशलेम में। * इससे यहेजकेल को एहसास हुआ कि भले ही वह बैबिलोन की बँधुआई में जी रहा है और यरूशलेम और उसके मंदिर से बहुत दूर है, फिर भी वह यहोवा से दूर नहीं है और वहाँ भी उसकी उपासना कर सकता है। यहेजकेल को बैबिलोन में अपना दर्शन दिखाकर यहोवा उसे यह जता रहा था कि उसकी शुद्ध उपासना करने के लिए यहेजकेल का किसी खास जगह पर होना ज़रूरी नहीं है, न ही यह बात मायने रखती है कि वह किस हालात में है। बस यह ज़रूरी था कि यहेजकेल का दिल अच्छा हो और उसमें यहोवा की सेवा करने का जज़्बा हो।

16. (क) यहेजकेल के दर्शन से हमें कैसे दिलासा मिलता है? (ख) आप क्यों पूरे दिल से यहोवा की सेवा करना चाहते हैं?

16 यहेजकेल ने जो अहम बात जानी, उससे आज हमें भी बहुत दिलासा मिलता है। इस बात पर हमारा भरोसा बढ़ता है कि अगर हम पूरे दिल से यहोवा की सेवा करें, तो वह हमारे करीब रहेगा, फिर चाहे हम किसी भी जगह हों, कितने भी दुखी हों या कैसे भी हालात का सामना कर रहे हों। (भज. 25:14; प्रेषि. 17:27) अपने हर सेवक के लिए यहोवा का प्यार अटल है, इसलिए वह हमारी खामियों के बावजूद सब्र रखता है। (निर्ग. 34:6) कोई भी बात हमें यहोवा के प्यार से अलग नहीं कर सकती। (भज. 100:5; रोमि. 8:35-39) इस दर्शन से हम यह भी सीखते हैं कि यहोवा कितना पवित्र और शक्‍तिशाली है। इसलिए वही हमारी उपासना पाने का हकदार है। (प्रका. 4:9-11) हम यहोवा के कितने एहसानमंद हैं कि इस तरह के दर्शनों के ज़रिए वह हमें अपने बारे में और अपने गुणों के बारे में कई अहम बातें समझाता है। यहोवा के मनभावने गुणों को गहराई से जानने से हम उसके और करीब आएँगे। तब हम पूरे दिल से और पूरी ताकत से उसकी सेवा और महिमा करेंगे।—लूका 10:27.

कोई भी बात हमें यहोवा के प्यार से अलग नहीं कर सकती पैराग्राफ 16 देखें

17. आनेवाले अध्यायों में हम किन सवालों के जवाब जानेंगे?

17 मगर दुख की बात है कि यहेजकेल के दिनों में शुद्ध उपासना दूषित हो गयी थी। इसकी वजह क्या थी? उपासना दूषित होने पर यहोवा ने क्या किया? उन दिनों की घटनाओं से हम क्या सीखते हैं? इन सवालों के जवाब हम आनेवाले कुछ अध्यायों में देखेंगे।

^ पैरा. 5 यहेजकेल ने इन प्राणियों का जिस तरह वर्णन किया, उससे हमें परमेश्‍वर के नाम यहोवा का मतलब याद आता है। इस नाम का हम यह मतलब समझते हैं, “वह बनने का कारण होता है।” इस नाम का यह मतलब भी निकलता है कि यहोवा अपने मकसद को पूरा करने के लिए अपनी सृष्टि को भी जो चाहे बना सकता है। —नयी दुनिया अनुवाद  का अतिरिक्‍त लेख क4 देखें।

^ पैरा. 13 सालों से हमारे प्रकाशनों में यहोवा के करीब 50 गुणों के बारे में बताया गया है।—यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड  में “यहोवा परमेश्‍वर” शीर्षक के तहत “यहोवा के गुण” देखें।

^ पैरा. 15 बाइबल के एक विद्वान के मुताबिक ‘शब्द “वहाँ” से पता चलता है कि यहेजकेल कितना हैरान रह गया होगा कि परमेश्‍वर वहाँ  यानी बैबिलोन में भी मौजूद था। उसे कितना दिलासा मिला होगा!’