अध्याय 20
‘देश की ज़मीन विरासत में बाँटो’
अध्याय किस बारे में है: ज़मीन के बँटवारे का क्या मतलब है
1, 2. (क) यहोवा ने यहेजकेल को क्या बताया? (ख) हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?
यहेजकेल ने अभी-अभी एक ऐसा दर्शन देखा जिससे उसे मूसा और यहोशू का ज़माना याद आ गया होगा। करीब 900 साल पहले यहोवा ने मूसा को बताया था कि वादा किए गए देश की सरहदें कहाँ से कहाँ तक हैं। और बाद में उसने यहोशू को बताया कि उसे देश की ज़मीन इसराएल के गोत्रों में कैसे बाँटनी चाहिए। (गिन. 34:1-15; यहो. 13:7; 22:4, 9) लेकिन अब ईसा पूर्व 593 में यहोवा यहेजकेल से और बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों से कहता है कि एक बार फिर वादा किए गए देश की ज़मीन इसराएल के गोत्रों में बाँटी जाए।—यहे. 45:1; 47:14; 48:29.
2 यहेजकेल और यहूदियों के लिए इस दर्शन के क्या मायने थे? आज परमेश्वर के लोगों को इस दर्शन की बातें जानकर क्यों खुशी होती है? क्या दर्शन के रूप में की गयी यह भविष्यवाणी आगे चलकर बड़े पैमाने पर भी पूरी होगी?
दर्शन में चार आशीषों का वादा किया गया
3, 4. (क) यहेजकेल के आखिरी दर्शन के ज़रिए यहोवा ने कौन-से चार वादे किए? (ख) इस अध्याय में हम किस वादे के बारे में बात करेंगे?
3 यहेजकेल ने इस आखिरी दर्शन के बारे में अपनी किताब के आखिरी नौ अध्यायों में लिखा है। (यहे. 40:1–48:35) इस दर्शन के ज़रिए बँधुआई में रहनेवाले लोगों से चार वादे किए गए। उन्हें बताया गया कि जब वे दोबारा अपने देश में बस जाएँगे, तो उन्हें क्या-क्या आशीषें मिलेंगी। पहला वादा यह है कि यहोवा के मंदिर में पहले की तरह फिर से शुद्ध उपासना की जाएगी। दूसरा वादा, परमेश्वर के नेक स्तरों पर चलनेवाले याजक और चरवाहे इस राष्ट्र की अगुवाई करेंगे। तीसरा, देश में सबको ज़मीन का एक टुकड़ा ज़रूर मिलेगा। चौथा, यहोवा एक बार फिर उनके बीच निवास करेगा।
4 इस किताब के अध्याय 13 और 14 में पहले और दूसरे वादे के बारे में बताया गया था कि शुद्ध उपासना कैसे बहाल होगी और नेक चरवाहे कैसे यहोवा के लोगों की अगुवाई करेंगे। इस अध्याय में हम तीसरे वादे के बारे में बात करेंगे जो ज़मीन के बँटवारे के बारे में है। अगले अध्याय में हम चौथे वादे के बारे में बात करेंगे कि यहोवा अपने लोगों के बीच कैसे निवास करेगा।—यहे. 47:13-21; 48:1-7, 23-29.
‘यह देश तुम्हें विरासत में दिया जा रहा है’
5, 6. (क) यहेजकेल के दर्शन में जिस इलाके को बाँटने की बात की गयी, वह क्या था? (शुरूआती तसवीर देखें।) (ख) दर्शन में क्यों दिखाया गया कि ज़मीन का बँटवारा कैसे होगा?
5 यहेजकेल 47:14 पढ़िए। दर्शन में यहोवा यहेजकेल को एक इलाका दिखाता है जो बहुत जल्द “अदन के बाग” जैसा खूबसूरत बन जाएगा। (यहे. 36:35) फिर यहोवा कहता है, “तुम देश का यह इलाका इसराएल के 12 गोत्रों को विरासत में बाँटोगे।” (यहे. 47:13) ‘देश के इलाके’ का मतलब इसराएल देश है जहाँ कुछ समय बाद यहूदी लौटकर बसनेवाले थे। फिर जैसे यहेजकेल 47:15-21 में लिखा है, यहोवा साफ-साफ बताता है कि देश की सरहदें उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम में कहाँ से कहाँ तक होंगी।
6 यहेजकेल को दर्शन में क्यों दिखाया जाता है कि ज़मीन का बँटवारा कैसे होगा? वह इसलिए कि यहोवा यहेजकेल और बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों को यकीन दिलाना चाहता है कि उनका देश दोबारा बसाया जाएगा। जब लोगों ने जाना कि यहोवा ने साफ-साफ बताया है कि देश की सरहदें कहाँ से कहाँ तक होंगी और ज़मीन कैसे गोत्रों में बाँटी जाएगी, तो सोचिए उनके मन में कैसी उमंगें जाग उठी होंगी! पर सवाल यह है कि क्या उनकी सारी उम्मीदें पूरी हुईं? जब वे अपने देश लौटे, तो क्या सबको विरासत में ज़मीन का एक टुकड़ा मिला? बिलकुल।
7. (क) ईसा पूर्व 537 से क्या होने लगा? (ख) हमारे दिनों में भी क्या हुआ है? (ग) हम पहले किस सवाल का जवाब जानेंगे?
7 यहेजकेल को यह दर्शन मिलने के करीब 56 साल बाद यानी ईसा पूर्व 537 से हज़ारों यहूदी इसराएल देश लौटने लगे और वहाँ बसने लगे। कुछ इसी तरह की घटना हमारे ज़माने में भी हुई है। परमेश्वर के लोगों को एक लाक्षणिक देश विरासत में दिया गया है। यहोवा ने उन्हें फिरदौस जैसे माहौल में रहने का मौका दिया है। तो फिर पुराने ज़माने में हुई बहाली से हम आज की बहाली के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। लेकिन इस बारे में जानने से पहले आइए एक और सवाल का जवाब जानें। हम कैसे कह सकते हैं कि आज यहोवा के लोग एक लाक्षणिक देश या फिरदौस में रहते हैं?
8. (क) यहोवा ने पैदाइशी इसराएलियों को ठुकराकर किसे अपनी प्रजा चुना? (ख) लाक्षणिक देश का क्या मतलब है? (ग) यह कब से वजूद में आया और इसमें कौन-कौन बसे हैं?
8 यहोवा ने बहुत पहले एक दर्शन में यहेजकेल पर ज़ाहिर किया था कि जब उसका “सेवक दाविद” यानी यीशु राज करना शुरू करेगा, तो उसके बाद इसराएल की बहाली की भविष्यवाणियाँ बड़े पैमाने पर पूरी होंगी। (यहे. 37:24) यीशु 1914 में राजा बना। इससे पता चलता है कि ये भविष्यवाणियाँ उसके बाद ही बड़े पैमाने पर पूरी होतीं। यहोवा ने 1914 से सदियों पहले ही पैदाइशी इसराएलियों के राष्ट्र को ठुकरा दिया था। उसने उनके बदले अभिषिक्त मसीहियों से बने लाक्षणिक इसराएल को अपनी खास प्रजा चुन लिया था। (मत्ती 21:43; 1 पतरस 2:9 पढ़िए।) इतना ही नहीं, यहोवा ने अपने लोगों को सचमुच के इसराएल देश के बजाय एक लाक्षणिक देश में बसाया। (यशा. 66:8) यह लाक्षणिक देश क्या है? हमने इस किताब के अध्याय 17 में देखा था कि इस लाक्षणिक देश का मतलब फिरदौस जैसा माहौल है जहाँ हम यहोवा के सेवक महफूज़ बसे हुए हैं। अभिषिक्त मसीही 1919 से इस फिरदौस में यहोवा की उपासना करने लगे। (बक्स 9ख देखें, “1919 ही क्यों?”) बाद में “दूसरी भेड़ें” यानी धरती पर जीने की आशा रखनेवाले भी इस फिरदौस में उनके साथ मिल गए। (यूह. 10:16) आज इस फिरदौस की सरहदें बढ़ती जा रही हैं और हमें कई आशीषें मिल रही हैं। फिर भी असली आशीषें तो हमें हर-मगिदोन के बाद मिलेंगी, जब यह धरती सचमुच एक फिरदौस बन जाएगी।
ज़मीन का बराबर और ठीक-ठीक बँटवारा
9. यहोवा ने ज़मीन के बँटवारे के बारे में क्या-क्या बताया?
9 यहेजकेल 48:1, 28 पढ़िए। यह बताने के बाद कि इसराएल देश की सरहदें कहाँ से कहाँ तक होंगी, यहोवा साफ बताता है कि एक-एक करके हर गोत्र को ज़मीन कहाँ से कहाँ तक दी जाए। उसने बताया कि उत्तर से लेकर दक्षिण तक इसराएल के 12 गोत्रों में ज़मीन बराबर बाँटी जाए। देश के उत्तरी सिरे पर दान गोत्र को ज़मीन दी जाए और उसके बाद एक-एक गोत्र को दी जाए और सबसे नीचे दक्षिणी सिरे पर गाद गोत्र को उसका हिस्सा दिया जाए। इस तरह 12 गोत्रों की ज़मीन दाएँ से बाएँ की तरफ फैली होती यानी पूरब से पश्चिम तक, जहाँ महासागर या भूमध्य सागर है।—यहे. 47:20; “ज़मीन का बँटवारा” बक्स में दिया नक्शा देखें।
10. दर्शन की ये बातें जानकर यहूदियों को क्यों खुशी हुई होगी?
10 दर्शन की ये बातें जानकर बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों को कैसा लगा होगा? उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई होगी कि देश की ज़मीन बड़े कायदे से और अच्छी व्यवस्था के मुताबिक बाँटी जाएगी, क्योंकि बँटवारे के बारे में यहेजकेल ने काफी सटीक जानकारी दी। यह भी बताया गया था कि 12 गोत्रों को कहाँ से कहाँ तक ज़मीन मिलेगी। इसलिए बँधुआई में रहनेवाले हर यहूदी को इस बात का पक्का यकीन हुआ होगा कि जब वह अपने देश लौटेगा, तो उसे ज़मीन का एक टुकड़ा ज़रूर मिलेगा। देश में हर किसी की अपनी एक जगह होगी, कोई बेघर नहीं होगा।
11. इस दर्शन से हम क्या सीखते हैं? (यह बक्स देखें: “ज़मीन का बँटवारा।”)
11 इस दर्शन से आज हम क्या सीखते हैं? याद कीजिए कि जब वादा किया गया देश बहाल हुआ, तो वहाँ न सिर्फ याजकों, लेवियों और प्रधानों को ज़मीन दी गयी बल्कि 12 गोत्रों के सब लोगों को विरासत में ज़मीन दी गयी। (यहे. 45:4, 5, 7, 8) उस देश में हर इसराएली की एक जगह थी। उसी तरह आज फिरदौस जैसे माहौल में न सिर्फ अभिषिक्त मसीहियों को और “बड़ी भीड़” के उन लोगों को एक जगह मिली है जो अगुवाई करते हैं बल्कि बड़ी भीड़ के सभी लोगों को एक जगह मिली है। * (प्रका. 7:9) यहोवा के संगठन में चाहे हमारी छोटी-सी भूमिका क्यों न हो, हम सबकी सेवा बहुत अनमोल है और संगठन में हर किसी की एक अहम जगह है। यह बात हमें कितनी खुशी देती है!
दो खास फर्क—हमारे लिए इनके मायने
12, 13. ज़मीन के बँटवारे के बारे में यहोवा ने क्या हिदायतें दीं?
12 ज़मीन के बँटवारे के बारे में यहोवा की कुछ हिदायतें सुनकर यहेजकेल हैरान रह गया होगा, क्योंकि बहुत पहले यहोवा ने मूसा को जो हिदायतें दी थीं, उनसे ये कुछ हटकर थीं। आइए ऐसी दो बातों पर ध्यान दें। एक फर्क ज़मीन को लेकर था और दूसरा वहाँ के निवासियों को लेकर।
13 पहला फर्क, ज़मीन। मूसा को बताया गया था कि बड़े गोत्रों को ज़्यादा ज़मीन दी जाए और छोटे गोत्रों को कम। (गिन. 26:52-54) लेकिन यहेजकेल के दर्शन में यहोवा ने साफ-साफ कहा कि सभी गोत्रों को “बराबर हिस्सा” मिलना चाहिए ताकि ‘हर कोई अपने भाई की तरह’ विरासत में एक समान इलाका पाए। (यहे. 47:14, फु.) इसका मतलब था कि हर गोत्र की ज़मीन उत्तरी सिरे से लेकर दक्षिणी सिरे तक एक बराबर होती। इसलिए सभी इसराएलियों को, फिर चाहे वे किसी भी गोत्र के हों, वादा किए गए देश की उपजाऊ ज़मीन से और पानी की बहुतायत से बराबर फायदा होता।
14. यहोवा ने परदेसियों के बारे में जो हिदायतें दीं, वे कैसे मूसा के कानून से हटकर थीं?
14 दूसरा फर्क, वहाँ के निवासी। मूसा के कानून में परदेसियों की हिफाज़त के लिए कुछ नियम दिए गए थे और उन्हें भी यहोवा की उपासना करनी की इजाज़त थी, मगर उन्हें देश में कोई ज़मीन नहीं दी गयी थी। (लैव्य. 19:33, 34) इस तरह पैदाइशी इसराएलियों और परदेसियों में बहुत बड़ा फर्क था। लेकिन अब दर्शन में यहोवा ने यहेजकेल को कुछ ऐसी हिदायत दी जो मूसा के कानून से बिलकुल हटकर थी। उसने यहेजकेल से कहा, “तुम हर परदेसी को विरासत की ज़मीन उस गोत्र के इलाके में देना जहाँ वह रहता है।” यहोवा की इस आज्ञा की वजह से ‘पैदाइशी इसराएलियों’ और परदेसियों के बीच अब वह फर्क नहीं रहा। (यहे. 47:22, 23) यहेजकेल ने दर्शन में देखा कि दोबारा बसाए गए देश में सबके साथ एक समान व्यवहार किया जा रहा है और वे सब एकता से यहोवा की उपासना कर रहे हैं।—लैव्य. 25:23.
15. देश की ज़मीन और वहाँ के निवासियों के बारे में जो हिदायतें दी गयीं, उनसे कौन-सी सच्चाई पुख्ता होती है?
15 बँधुआई में रहनेवालों को यह जानकर कितनी खुशी हुई होगी कि देश में बड़े कायदे से ज़मीन बाँटी जाएगी। उन्हें यकीन हुआ होगा कि यहोवा की उपासना करनेवाले सब लोगों को देश में बराबर हिस्सा मिलेगा, फिर चाहे वे पैदाइशी इसराएली हों या परदेसी। (एज्रा 8:20; नहे. 3:26; 7:6, 25; यशा. 56:3, 8) इन हिदायतों से यह बात पुख्ता हो गयी कि यहोवा की नज़र में उसके सभी सेवक अनमोल हैं। (हाग्गै 2:7 पढ़िए।) यह एक ऐसी सच्चाई है जो कभी बदलती नहीं। आज हमें भी इस बात से बहुत खुशी मिलती है कि यहोवा हम सबसे प्यार करता है, फिर चाहे हमें स्वर्ग में जीने की आशा हो या धरती पर।
16, 17. (क) देश की ज़मीन और वहाँ के निवासियों के बारे में हमने जो जाना, उससे हमें क्या सीख मिलती है? (ख) अगले अध्याय में हम क्या चर्चा करेंगे?
16 देश की ज़मीन और वहाँ के निवासियों के बारे में अब तक हमने जो जाना, उससे हमें क्या सीख मिलती है? हमें ध्यान रखना है कि दुनिया-भर में हम भाई-बहनों के बीच एकता साफ ज़ाहिर हो और हम एक-दूसरे के साथ एक समान व्यवहार करें। यहोवा किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। इसलिए हमें सोचना चाहिए, ‘क्या मैं यहोवा की तरह सबके साथ एक समान व्यवहार करता हूँ? क्या मैं यहोवा के हर सेवक का दिल से आदर करता हूँ, फिर चाहे वह किसी भी भाषा या देश का हो या ज़िंदगी में उसके हालात जो भी हों?’ (रोमि. 12:10) हमें इस बात से कितनी खुशी होती है कि हमारे पिता यहोवा ने हम सबको फिरदौस जैसे माहौल में रहने का बराबर मौका दिया है। इस फिरदौस में हम तन-मन से यहोवा की उपासना करते हैं और उससे आशीषें पाते हैं।—गला. 3:26-29; प्रका. 7:9.
17 यहेजकेल के आखिरी दर्शन के आखिरी भाग में यहोवा वादा करता है कि वह अपने लोगों के बीच निवास करेगा यानी उनके साथ रहेगा। अगले अध्याय में बताया जाएगा कि यहोवा के इस चौथे वादे से हमें क्या सीख मिलती है।
^ पैरा. 11 लाक्षणिक फिरदौस में यहोवा ने याजकों और प्रधान को कौन-सी खास जगह और ज़िम्मेदारी दी, यह जानने के लिए इस किताब का अध्याय 14 पढ़ें।