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नयी समझ—सारांश

नयी समझ—सारांश

बीते कुछ सालों के दौरान हमें यहेजकेल की कई भविष्यवाणियों के बारे में नयी समझ मिली और इस बारे में प्रहरीदुर्ग:  में बताया गया था। सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!  नाम की इस किताब में कुछ और भविष्यवाणियों की नयी समझ दी गयी है। नीचे इन बातों की एक सूची दी गयी है। देखिए कि क्या आप यहाँ दिए सवालों के जवाब दे सकते हैं।

जीवित प्राणियों के चार चेहरे किस बात को दर्शाते हैं?

पुरानी समझ: जीवित प्राणियों या करूबों के जो चार चेहरे हैं, उनमें से हर चेहरा यहोवा के चार खास गुणों में से एक गुण को दर्शाता है।

नयी समझ: जीवित प्राणियों के जो चार चेहरे हैं, उनमें से हर चेहरा यहोवा के चार खास गुणों में से एक गुण को दर्शाता है और चारों चेहरे एक साथ मिलकर  यहोवा के सभी  गुणों को दर्शाते हैं। उन चारों चेहरों से हमें इस बात की भी एक झलक मिलती है कि यहोवा की महिमा और शक्‍ति अपार है।

फेरबदल की वजह: परमेश्‍वर के वचन में संख्या चार अकसर किसी बात की पूर्णता को दर्शाता है। इसलिए चारों  चेहरे एक-साथ मिलकर  यहोवा के सभी गुणों को दर्शाते हैं, न कि सिर्फ चार खास गुणों को। करूब बहुत शक्‍तिशाली हैं, क्योंकि दर्शन में दिखाया गया है कि उनके चार चेहरे शेर, बैल, उकाब और आदमी के चेहरे हैं जो ताकत, शान और प्रताप के लिए जाने जाते हैं। यहेजकेल ने दर्शन में देखा कि ये चारों ताकतवर प्राणी, जो हर करूब के चार चेहरों से दर्शाए गए हैं, यहोवा की राजगद्दी के नीचे  हैं। इससे पता चलता है कि यहोवा सबके ऊपर परम-प्रधान है।

शास्त्री की दवात लिया हुआ आदमी किसे दर्शाता है?

पुरानी समझ: दवात लिया हुआ आदमी बचे हुए अभिषिक्‍त जनों को दर्शाता है। आज वे प्रचार करते हैं और चेला बनाने का काम करते हैं। यह काम ऐसा है मानो वे उन लोगों के माथे पर निशान लगा रहे हैं, जो “बड़ी भीड़” के लोग बनते हैं।—प्रका. 7:9.

नयी समझ: शास्त्री की दवात लिया हुआ आदमी यीशु मसीह को दर्शाता है। वह “महा-संकट” के दौरान बड़ी भीड़ के लोगों के बारे में फैसला सुनाएगा कि वे भेड़ समान हैं। यह उन पर निशान लगाने जैसा होगा।—मत्ती 24:21.

फेरबदल की वजह: यहोवा ने न्याय करने का काम यीशु को सौंपा है। (यूह. 5:22, 23) मत्ती 25:31-33 के मुताबिक यीशु यह अंतिम फैसला सुनाएगा कि कौन ‘भेड़ें’ हैं और कौन ‘बकरियाँ।’

क्या ओहोला और ओहोलीबा नाम की वेश्‍याएँ ईसाईजगत को दर्शाती हैं? क्या इन दोनों बहनों में से एक कैथोलिक धर्म को और दूसरी प्रोटेस्टेंट धर्म को दर्शाती है?

पुरानी समझ: बड़ी बहन ओहोला (इसराएल की राजधानी सामरिया) कैथोलिक धर्म को दर्शाती है। छोटी बहन ओहोलीबा (यहूदा की राजधानी यरूशलेम) प्रोटेस्टेंट धर्म को दर्शाती है।

नयी समझ: बाइबल में इन दो बहनों का ज़िक्र भविष्यवाणी के रूप में नहीं किया गया है और वे ईसाईजगत के धर्मों को नहीं दर्शातीं। इन दोनों बहनों के बारे में बाइबल में जो लिखा है, उससे हमें यह सबक मिलता है कि जब यहोवा के लोग उससे विश्‍वासघात करके झूठी उपासना करते हैं, तो उसे कैसा लगता है। ऐसे लोग उसकी नज़र में मानो वेश्‍याओं जैसी बदचलनी करते हैं। यहोवा सभी झूठे धर्मों से भी इसी तरह नफरत करता है।

फेरबदल की वजह: बाइबल से हमें इस बात का कोई सुराग नहीं मिलता कि ओहोला और ओहोलीबा का ज़िक्र भविष्यवाणी के रूप में किया गया है और वे ईसाईजगत को दर्शाती हैं। ओहोला और ओहोलीबा यानी इसराएल और यहूदा राष्ट्र एक वक्‍त पर यहोवा की बात मानते थे, इसलिए वे उसकी वफादार पत्नियों जैसे थे। मगर ईसाईजगत ने कभी यहोवा की बात नहीं मानी और वह उसकी पत्नी जैसा नहीं था। इसलिए दोनों बहनें ईसाईजगत को नहीं दर्शा सकतीं। ऐसा कहने का एक और कारण है। यहेजकेल अध्याय 16 और 23 में विश्‍वासघाती इसराएल और यहूदा राष्ट्र को एक आशा दी गयी है कि भविष्य में उनका छुटकारा होगा और उन्हें बहाल किया जाएगा। लेकिन ईसाईजगत के लिए ऐसी कोई आशा नहीं है, क्योंकि वह महानगरी बैबिलोन का हिस्सा है।

क्या बगावती यरूशलेम ईसाईजगत को दर्शाता है?

पुरानी समझ: बगावती यरूशलेम ईसाईजगत को दर्शाता है। इसलिए यरूशलेम का नाश एक तरह से भविष्यवाणी है कि ईसाईजगत का नाश किया जाएगा।

नयी समझ: जैसे यरूशलेम में मूर्ति-पूजा और भ्रष्टाचार जैसी बुराइयाँ होने लगी थीं, ठीक वैसे ही आज ईसाईजगत में हो रहा है। लेकिन हम पहले की तरह यह नहीं मानते कि बगावती यरूशलेम ईसाईजगत को दर्शाता है।

फेरबदल की वजह: बाइबल में इस बात का कोई सबूत नहीं मिलता कि यरूशलेम ईसाईजगत को दर्शाता है। ऐसा कहने की एक वजह यह है कि प्राचीन यरूशलेम में पहले शुद्ध उपासना होती थी, लेकिन ईसाईजगत में कभी शुद्ध उपासना नहीं की गयी। दूसरी वजह यह है कि यरूशलेम को एक वक्‍त पर यहोवा ने माफ किया था, मगर ईसाईजगत के लिए माफी की कोई गुंजाइश नहीं है।

सूखी हड्डियों के दर्शन की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

पुरानी समझ: सन्‌ 1918 में अभिषिक्‍त जनों पर ज़ुल्म ढाया गया और उन्हें महानगरी बैबिलोन की बँधुआई में भेज दिया गया। तब वे परमेश्‍वर की सेवा बिलकुल नहीं कर पाए और बेजान हालत में रहे। वे बँधुआई में कुछ ही समय के लिए रहे, क्योंकि 1919 में यहोवा ने उन्हें छुड़ा लिया और प्रचार काम करने के लिए उनमें दोबारा जान डाल दी।

नयी समझ: अभिषिक्‍त जन 1918 से सदियों पहले यानी दूसरी सदी में लाक्षणिक तौर पर बँधुआई में गए। वे लंबे समय तक इस बँधुआई में रहे और 1919 में रिहा किए गए। इस तरह वे एक लंबे समय तक बेजान हालत में रहे। यीशु ने भी गेंहू और जंगली पौधों की मिसाल में कुछ ऐसी ही बात कही थी। उसने बताया था कि गेंहू और जंगली पौधे लंबे समय तक साथ-साथ बढ़ेंगे।

फेरबदल की वजह: प्राचीन इसराएली एक लंबे समय तक बँधुआई में रहे थे। वे ईसा पूर्व 740 में बँधुआई में चले गए और ईसा पूर्व 537 में रिहा हुए। यहेजकेल की भविष्यवाणी में बताया गया है कि हड्डियाँ “एकदम सूखी” हुई थीं। इससे पता चलता है कि इसराएलियों की मुरदों जैसी हालत लंबे समय तक रही थी। यह भी बताया गया है कि हड्डियों में जान आने में काफी समय लगा।

दो छड़ियों को जोड़ने का क्या मतलब है?

पुरानी समझ: पहले विश्‍व युद्ध के दौरान वफादार अभिषिक्‍त जनों के बीच कुछ समय के लिए फूट पड़ गयी। फिर 1919 में वे दोबारा एक हो गए।

नयी समझ: इस भविष्यवाणी से यह दर्शाया गया है कि यहोवा अपने लोगों के बीच एकता लाएगा। सन्‌ 1919 के बाद से अभिषिक्‍त जनों के साथ ऐसे लोग जुड़ने लगे जिन्हें धरती पर जीने की आशा थी। इन दोनों समूहों के लोग एक समूह बनकर यहोवा की उपासना करते हैं।

फेरबदल की वजह: इस भविष्यवाणी में यह नहीं बताया गया है कि एक छड़ी के दो हिस्से किए जाते हैं और फिर दोनों को जोड़ दिया जाता है। इसलिए भविष्यवाणी का यह मतलब नहीं हो सकता कि एक समूह के लोग दो भागों में बँट जाएँगे और बाद में एक हो जाएँगे। इसके बजाय इस भविष्यवाणी से यह दर्शाया गया है कि दो समूहों के लोगों के बीच कैसे एकता होगी।

मागोग देश का गोग कौन है?

पुरानी समझ: गोग शैतान का दूसरा नाम है। जब से उसे स्वर्ग से खदेड़ दिया गया, तब से वह मागोग देश का गोग है।

नयी समझ: मागोग देश का गोग राष्ट्रों का गठबंधन है जो महा-संकट के दौरान शुद्ध उपासना करनेवालों पर हमला करेगा।

फेरबदल की वजह: भविष्यवाणी में बताया गया है कि गोग को शिकारी पंछियों का निवाला बना दिया जाएगा और उसे धरती पर कब्रिस्तान दिया जाएगा। इससे पता चलता है कि वह कोई अदृश्‍य प्राणी नहीं हो सकता। परमेश्‍वर के लोगों पर धरती के राष्ट्र किस तरह हमला करेंगे, इस बारे में दानियेल और प्रकाशितवाक्य किताब में जो बताया गया है, बिलकुल वैसी ही बात गोग के हमले के बारे में भी बतायी गयी है।—दानि. 11:40, 44, 45; प्रका. 17:14; 19:19.

क्या यहेजकेल ने भी वही लाक्षणिक मंदिर देखा जिसका पौलुस ने बाद में ब्यौरा दिया था?

पुरानी समझ: यहेजकेल ने दर्शन में जो मंदिर देखा, वह भी वही लाक्षणिक मंदिर है जिसका पौलुस ने बाद में ब्यौरा दिया था।

नयी समझ: यहेजकेल ने वह लाक्षणिक मंदिर नहीं देखा जो ईसवी सन्‌ 29 में वजूद में आया था। यहेजकेल ने दर्शन में सिर्फ यह देखा कि जब यहूदी अपने देश लौट जाएँगे, तो शुद्ध उपासना दोबारा उसी तरह की जाएगी जैसे मूसा के कानून में बताया गया था। मगर पौलुस ने जिस लाक्षणिक मंदिर का ब्यौरा दिया, उससे हम जान पाते हैं कि ईसवी सन्‌ 29 से 33 तक मसीह ने सबसे बड़े महायाजक के नाते क्या काम किया। यहेजकेल ने दर्शन में जो मंदिर देखा था, उसमें महायाजक का कोई ज़िक्र नहीं है। उस दर्शन के ज़रिए यह भविष्यवाणी की गयी है कि शुद्ध उपासना कैसे बहाल होगी। यह भविष्यवाणी 1919 से पूरी होने लगी। इन बातों से पता चलता है कि यहेजकेल के दर्शन का मंदिर उस मंदिर से अलग है जिसका ब्यौरा पौलुस ने दिया था। इसलिए यहेजकेल के बताए मंदिर की हर बारीक जानकारी और माप के बारे में हमें यह जानने की कोशिश नहीं करनी चाहिए कि वे किन बातों को दर्शाते हैं। यहेजकेल के दर्शन से हमें बस यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि यहोवा ने शुद्ध उपासना के लिए क्या स्तर ठहराए हैं।

फेरबदल की वजह: यहेजकेल के बताए मंदिर में और लाक्षणिक मंदिर में बहुत फर्क है। जैसे, यहेजकेल ने देखा कि मंदिर में जानवरों के कई बलिदान चढ़ाए जा रहे हैं। लेकिन लाक्षणिक मंदिर में सिर्फ एक बलिदान चढ़ाया गया है और वह भी “हमेशा के लिए।” (इब्रा. 9:11, 12) यहेजकेल के दिनों तक परमेश्‍वर का वह समय नहीं आया था कि वह लाक्षणिक मंदिर के बारे में गूढ़ सच्चाइयाँ ज़ाहिर करे, क्योंकि मसीह सदियों बाद जाकर आनेवाला था।