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‘मैं जीवित प्राणियों को गौर से देख रहा था’

‘मैं जीवित प्राणियों को गौर से देख रहा था’

यहेजकेल ने कई महलों और मंदिरों के सामने ऐसी बड़ी-बड़ी मूरतें देखी होंगी जिनका सिर इंसान का होता तो शरीर बैल या शेर का होता और उनके पंख भी होते। ऐसी मूरतें प्राचीन अश्‍शूर और बैबिलोनिया साम्राज्य में जगह-जगह होती थीं। महलों और मंदिरों के सामने ये मूरतें इसलिए खड़ी की जाती थीं क्योंकि माना जाता था कि ये उनकी रक्षा करेंगी। कुछ मूरतें करीब 20 फुट लंबी होती थीं। इन विशालकाय मूरतों को देखकर लोग दाँतों तले उँगली दबा लेते होंगे। यहेजकेल भी उन्हें देखकर दंग रह गया होगा। इन मूरतों में भले ही ताकतवर प्राणियों को दर्शाया जाता था मगर ये बेजान थीं, क्योंकि उन्हें पत्थर पर गढ़कर बनाया जाता था।

मगर यहेजकेल ने दर्शन में जो चार प्राणी देखे, वे ‘जीवित  प्राणी’ थे। इन प्राणियों में और उन बेजान मूरतों में कितना बड़ा फर्क था! इन जीवित प्राणियों को देखकर यहेजकेल पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने अपनी भविष्यवाणी की शुरूआत में ही इन ‘जीवित  प्राणियों’ का ज़िक्र 11 बार किया। (यहे. 1:5-22) यहेजकेल ने देखा कि ये चार विशाल जीवित प्राणी परमेश्‍वर की राजगद्दी के नीचे साथ मिलकर आ-जा रहे थे। इससे यहेजकेल के दिलो-दिमाग में यह बात अच्छी तरह बैठ गयी होगी कि यहोवा की पूरी सृष्टि उसके काबू में है। आज हम भी इस दर्शन पर गौर करने से यहोवा की महानता, उसकी महाशक्‍ति और उसके राज के वैभव की तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।​—1 इति. 29:11.