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दोनों बहनें वेश्‍याएँ थीं

दोनों बहनें वेश्‍याएँ थीं

यहेजकेल अध्याय 23 में लिखा है कि परमेश्‍वर बड़े ही तीखे शब्दों में अपने लोगों का खंडन करता है, क्योंकि उन्होंने उससे विश्‍वासघात किया। अध्याय 23 अध्याय 16 से काफी मिलता-जुलता है। अध्याय 23 में भी परमेश्‍वर के लोगों की तुलना वेश्‍याओं से की गयी है। यहाँ दो वेश्‍याओं की मिसाल दी गयी है जो बहनें हैं। छोटी बहन यरूशलेम को दर्शाती है और बड़ी बहन सामरिया को। दोनों अध्यायों में लिखा है कि छोटी बहन कैसे अपनी बड़ी बहन की देखा-देखी वेश्‍या बन गयी और दुष्टता और बदचलनी में अपनी बड़ी बहन से भी आगे निकल गयी। अध्याय 23 में यहोवा दोनों बहनों को ये नाम देता है: ओहोला और ओहोलीबा। बड़ी बहन ओहोला सामरिया है जो दस गोत्रोंवाले इसराएल की राजधानी है। छोटी बहन ओहोलीबा यरूशलेम है जो यहूदा की राजधानी है। *​—यहे. 23:1-4.

दोनों अध्यायों में कुछ और समानताएँ भी हैं। शायद ये कुछ खास समानताएँ हैं: दोनों वेश्‍याएँ यानी सामरिया और यरूशलेम पहले यहोवा की पत्नियाँ जैसी थीं मगर उन्होंने यहोवा से बेवफाई की। उन्हें छुटकारे की आशा भी दी गयी है। अध्याय 23 में इस आशा के बारे में कम बताया गया है, मगर उसमें अध्याय 16 से मिलती-जुलती यह बात कही गयी है: “मैं तेरे अश्‍लील कामों और तेरे वेश्‍या के कामों का अंत कर दूँगा।”​—यहे. 16:16, 20, 21, 37, 38, 41, 42; 23:4, 11, 22, 23, 27, 37.

क्या दोनों बहनें ईसाईजगत को दर्शाती हैं?

पहले हमारे प्रकाशनों में बताया जाता था कि ओहोला और ओहोलीबा ईसाईजगत को दर्शाती हैं, एक कैथोलिक धर्म को और दूसरी प्रोटेस्टेंट धर्म को। लेकिन इस बारे में और खोजबीन करने और प्रार्थना करने से कुछ ऐसे सवाल उठते हैं जो हमें इस बारे में दोबारा विचार करने पर मजबूर करते हैं। जैसे, क्या ईसाईजगत कभी यहोवा की पत्नी की तरह था? क्या कभी यहोवा ने उसके साथ कोई करार किया था? नहीं। जब लाक्षणिक इसराएल के साथ ‘नया करार’ किया गया, जिसका बिचवई यीशु है, तब तक ईसाईजगत वजूद में नहीं आया था। ईसाईजगत अभिषिक्‍त मसीहियों से बने लाक्षणिक इसराएल का एक भाग कभी नहीं था। (यिर्म. 31:31; लूका 22:20) दरअसल ईसाईजगत प्रेषितों की मौत के काफी समय बाद चौथी सदी में उभरने लगा। यीशु ने एक भविष्यवाणी में जिन “जंगली पौधों” या नकली मसीहियों की बात की, उन्हीं से बना संगठन ईसाईजगत है, जिसने सच्चे मसीही धर्म से बगावत की है।​—मत्ती 13:24-30.

एक और बात यह है कि यहोवा ने विश्‍वासघाती यरूशलेम और सामरिया को छुटकारे की आशा दी थी। (यहे. 16:41, 42, 53-55) मगर क्या बाइबल में कहीं लिखा है कि ईसाईजगत को भी ऐसी आशा दी गयी है? जी नहीं। उसके छुटकारे की कोई गुंजाइश नहीं है। बाकी झूठे धर्मों के साथ उसका भी नाश तय है।

इन बातों से साफ ज़ाहिर है कि ओहोला और ओहोलीबा ईसाईजगत को नहीं दर्शातीं। लेकिन इन दोनों बहनों के इतिहास से हम एक अहम बात जान पाते हैं। वह यह कि यहोवा उन लोगों से सख्त नफरत करता है जो उसके सेवक होने का दावा तो करते हैं, मगर उसके पवित्र नाम को बदनाम करते हैं और शुद्ध उपासना के स्तरों के खिलाफ काम करते हैं। इस मामले में ईसाईजगत खासकर दोषी है, क्योंकि उसके अनगिनत चर्च दावा तो करते हैं कि वे बाइबल में बताए परमेश्‍वर को मानते हैं, मगर वे उस परमेश्‍वर के स्तरों के खिलाफ काम करते हैं। उनका कहना है कि यीशु उनका अगुवा है लेकिन वे उसकी शिक्षाओं को नहीं मानते। वे कहते हैं कि यीशु त्रियेक का एक हिस्सा है। वे यीशु की इस आज्ञा के खिलाफ काम करते हैं कि तुम्हें “दुनिया के नहीं” होना चाहिए। (यूह. 15:19) सदियों से मूर्तिपूजा करने और राजनीति के साथ मिलकर साज़िशें रचने में भी ईसाईजगत सबसे आगे रहा है, इसलिए वह भी उन झूठे धर्मों में से एक है जिन्हें “बड़ी वेश्‍या” कहा गया है। (प्रका. 17:1) बेशक, ईसाईजगत भी वही सज़ा पाने के लायक है जो बाकी झूठे धर्मों को मिलनेवाली है!

^ पैरा. 3 ये नाम गौर करने लायक हैं। ओहोला का मतलब “[उपासना का] उसका तंबू” है। शायद यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इसराएल के लोग अपने इलाकों में उपासना करने लगे थे जबकि उन्हें यरूशलेम में यहोवा के मंदिर जाना चाहिए था। ओहोलीबा का मतलब है, “[उपासना का] मेरा तंबू उसमें है।” यहोवा की उपासना का भवन यरूशलेम में था।