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उपासना का मतलब क्या है?

उपासना का मतलब क्या है?

उपासना की एक परिभाषा है, “किसी ईश्‍वर का आदर करना और उससे प्यार करना।” जिन भाषाओं में बाइबल लिखी गयी थी, उनमें “उपासना” के लिए जो शब्द हैं, उनके कई मतलब हैं। जैसे, परमेश्‍वर के बनाए जीवित प्राणियों का गहरा आदर करना या उनके अधीन रहना। (मत्ती 28:9) इन शब्दों का मतलब परमेश्‍वर या किसी देवता के लिए कोई धार्मिक काम करना भी हो सकता है। (यूह. 4:23, 24) एक आयत में उन शब्दों का मतलब आदर करना है या धार्मिक काम करना या अधीन रहना, यह आस-पास की आयतों से समझा जा सकता है।

हमारी उपासना और भक्‍ति पाने का हक सिर्फ यहोवा को है, क्योंकि वह सृष्टिकर्ता और पूरे जहान का मालिक है। (प्रका. 4:10, 11) हम यहोवा की उपासना कैसे करते हैं? हम मानते हैं कि सिर्फ उसी को राज करने का अधिकार है और हम उसके नाम की महिमा करते हैं। (भज. 86:9; मत्ती 6:9, 10) यहोवा का राज करने का अधिकार और उसका नाम, इन दो विषयों पर यहेजकेल किताब में काफी कुछ बताया गया है। ‘सारे जहान का/के मालिक यहोवा’ ये शब्द यहेजकेल किताब में 217 बार आए हैं और “जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ” ये शब्द अलग-अलग रूप में 55 बार आए हैं।​—यहे. 2:4; 6:7.

लेकिन यहोवा के लिए मन में श्रद्धा होना काफी नहीं है। हमें ऐसे काम भी करने चाहिए जिनसे साबित हो कि हम उसकी उपासना करते हैं। यही सच्ची उपासना है। (याकू. 2:26) जब हमने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की, तो हमने शपथ खायी थी कि हम हर मामले में यहोवा को अपना मालिक मानकर उसकी आज्ञा मानेंगे और उसके नाम का गहरा आदर करेंगे। यीशु ने शैतान के तीसरे प्रलोभन को ठुकराते वक्‍त जो कहा, उससे पता चलता है कि उपासना में “पवित्र सेवा” करना भी शामिल है। (मत्ती 4:10) यहोवा के उपासक होने के नाते हम दिलो-जान से उसकी सेवा करना चाहते हैं। * (व्यव. 10:12) जब हम ऐसे काम करते हैं जिनका नाता सीधे-सीधे उपासना से है और जिनके लिए त्याग करने पड़ते हैं, तो हम यहोवा की पवित्र सेवा कर रहे होते हैं। किन कामों को पवित्र सेवा कहा जा सकता है?

पवित्र सेवा में कई तरह के काम शामिल हैं। यहोवा उन सब कामों की कदर करता है। प्रचार करना, सभाओं में हिस्सा लेना, राज के काम के लिए इमारतें बनाना और उनकी देखभाल करना, यह सब पवित्र सेवा है। पारिवारिक उपासना करना, राहत काम में हाथ बँटाना और अधिवेशन या बेथेल में स्वयं-सेवा करना भी पवित्र सेवा है। (इब्रा. 13:16; याकू. 1:27) अपने जीवन में शुद्ध उपासना को पहली जगह देने से हम ‘दिन-रात पवित्र सेवा’ कर रहे होंगे। हमें अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना करने में बेहद खुशी होती है।​—प्रका. 7:15.

^ पैरा. 5 उपासना के लिए इस्तेमाल हुए एक इब्रानी शब्द का मतलब “सेवा” करना भी है। इससे पता चलता है कि उपासना में सेवा करना भी शामिल है।​—निर्ग. 3:12, फु.