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‘सूखी हड्डियाँ’ और ‘दो गवाह’—इनका आपस में क्या नाता है?

‘सूखी हड्डियाँ’ और ‘दो गवाह’—इनका आपस में क्या नाता है?

1919 में ऐसी दो भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं जो एक-दूसरे से जुड़ी हैं। एक भविष्यवाणी ‘सूखी हड्डियों’ के बारे में है और दूसरी “दो गवाहों” के बारे में। ‘सूखी हड्डियों’ की भविष्यवाणी से दर्शाया गया कि एक लंबे दौर के खत्म होने पर (जो सदियों तक चला) परमेश्‍वर के लोगों का एक बड़ा समूह लाक्षणिक तौर पर ज़िंदा होगा। (यहे. 37:2-4; प्रका. 11:1-3, 7-13) “दो गवाहों” के बारे में की गयी भविष्यवाणी में दर्शाया गया कि थोड़े समय का एक दौर खत्म होने पर (जो 1914 के आखिरी महीनों से 1919 के शुरूआती महीनों तक चला) परमेश्‍वर के सेवकों का एक छोटा समूह लाक्षणिक तौर पर ज़िंदा होगा। दोनों भविष्यवाणियों में लोगों के लाक्षणिक तौर पर ज़िंदा होने की बात की गयी है। हमारे दिनों में ये दोनों भविष्यवाणियाँ 1919 में पूरी हुईं। तब यहोवा ने अभिषिक्‍त जनों को “अपने पैरों पर उठ खड़े” होने के काबिल बनाया। उसने उन्हें महानगरी बैबिलोन से छुड़ाया और बहाल की गयी मसीही मंडली में इकट्ठा किया।​—यहे. 37:10.

ध्यान दीजिए कि ये दोनों भविष्यवाणियाँ जिस तरह पूरी हुईं, उसमें एक खास अंतर भी है। ‘सूखी हड्डियों’ की भविष्यवाणी में बताया गया था कि बचे हुए सभी  अभिषिक्‍त मसीही ज़िंदा होंगे। मगर “दो गवाहों” के बारे में की गयी भविष्यवाणी में बताया गया था कि बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों में से कुछ लोग  ही ज़िंदा होंगे, यानी वे भाई जो संगठन की अगुवाई करते थे और जिन्हें “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ठहराया गया था।​—मत्ती 24:45; प्रका. 11:6. *

‘घाटी का मैदान हड्डियों से भरा था’​—यहे. 37:1

  1. ई. 100 के बाद

    दूसरी सदी से ‘घाटी का मैदान हड्डियों से भर गया’ क्योंकि अभिषिक्‍त मसीहियों की मंडली लाक्षणिक तौर पर मार डाली गयी

  2. ई. 1919 के शुरूआती महीनों में

    ई. 1919: ‘सूखी हड्डियाँ’ ज़िंदा हो गयीं। उस साल यहोवा ने सभी अभिषिक्‍त जनों को महानगरी बैबिलोन से छुड़ाया और बहाल की गयी मसीही मंडली में इकट्ठा किया

‘दो गवाह’​—प्रका. 11:3

  1. 1914 के आखिरी महीनों में

    “टाट ओढ़कर” प्रचार

    ई. 1914: “दो गवाहों” ने साढ़े तीन साल तक “टाट ओढ़कर” प्रचार किया। इसके बाद वे लाक्षणिक रूप से मारे गए

  2. लाक्षणिक मौत

  3. ई. 1919 के शुरूआती महीनों में

    ई. 1919: ‘दो गवाह’ ज़िंदा हो गए। उस साल संगठन की अगुवाई करनेवाले चंद अभिषिक्‍त भाइयों को “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ठहराया गया

^ पैरा. 4 मार्च 2016 की प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख “आपने पूछा” पढ़ें।