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अध्याय 11

‘मैंने तुझे पहरेदार ठहराया है’

‘मैंने तुझे पहरेदार ठहराया है’

यहेजकेल 33:7

अध्याय किस बारे में है: यहोवा एक पहरेदार ठहराता है और उसे उसकी ज़िम्मेदारी बताता है

1. यहोवा के ठहराए पहरेदारों ने क्या काम किया था और उसके बाद क्या घटनाएँ घटीं?

 एक पहरेदार यरूशलेम की दीवारों पर खड़ा है। डूबते सूरज की तेज़ किरणों से अपनी आँखों को बचाते हुए वह बड़े ध्यान से देख रहा है कि क्या दूर से कुछ आ रहा है। अचानक वह तुरही उठाता है, गहरी साँस लेता है और लोगों को एक चेतावनी देता है कि शहर पर आफत आ रही है। बैबिलोन की सेना बड़ी तेज़ी से शहर की तरफ आ रही है। लेकिन अब शहर के लोगों के लिए बचने का कोई उपाय नहीं है। अब बहुत देर हो चुकी है। बरसों से यहोवा के ठहराए पहरेदार यानी भविष्यवक्‍ता उन्हें इस दिन के बारे में चेतावनी देते आए थे, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया था। अब बैबिलोन के सैनिक शहर को चारों तरफ से घेर लेते हैं। वे कई महीनों तक उसकी घेराबंदी करते हैं, फिर दीवारों को तोड़कर अंदर चले आते हैं, मंदिर को फूँक देते हैं, चारों तरफ मार-काट मचा देते हैं और कई लोगों को बंदी बनाकर ले जाते हैं। यहोवा पर विश्‍वास करने के बजाय मूर्तिपूजा करने का क्या ही भयानक अंजाम!

2, 3. (क) दुनिया के लोगों के साथ बहुत जल्द क्या होनेवाला है? (ख) हम किन सवालों पर ध्यान देंगे?

2 आज यहोवा के स्वर्गदूतों की सेना भी धरती के उन लोगों का नाश करने के लिए तेज़ी से आ रही है जो यहोवा पर विश्‍वास नहीं करते। (प्रका. 17:12-14) यह नाश महा-संकट के आखिर में होगा जो दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा संकट होगा। (मत्ती 24:21) लेकिन आज लोगों के पास मौका है कि वे यहोवा के पहरेदारों की चेतावनी पर ध्यान दें।

3 यहोवा ने इतिहास के अलग-अलग दौर में पहरेदार क्यों ठहराए? एक पहरेदार किस तरह का संदेश सुनाता है? किन लोगों ने पहरेदार की ज़िम्मेदारी निभायी है? आज हमारी क्या भूमिका है? आइए इन सवालों पर ध्यान दें।

“मेरी तरफ से लोगों को चेतावनी देना”

4. यहोवा ने पहरेदार क्यों ठहराए? (शुरूआती तसवीर देखें।)

4 यहेजकेल 33:7 पढ़िए। पुराने ज़माने में शहरों की दीवारों पर अकसर पहरेदार खड़े रहते थे ताकि लोगों को खतरे से बचा सकें। उनका होना इस बात का सबूत था कि शहर के राजा को अपनी प्रजा की फिक्र है। जब रात को लोग सो रहे होते, तब अगर पहरेदार ज़ोर से तुरही फूँकता, तो वे शायद बुरी तरह घबरा जाते। लेकिन अगर वे चेतावनी पर ध्यान देकर कदम उठाते, तो उनकी जान बच सकती थी। यहोवा ने इसराएलियों के लिए जो भविष्यवक्‍ता ठहराए, वे भी एक तरह से पहरेदारों जैसा काम करते थे। यहोवा ने उन्हें इसलिए नहीं ठहराया कि वे नाश की चेतावनी देकर लोगों में दहशत फैला दें, बल्कि इसलिए ठहराया क्योंकि उसे अपने लोगों की फिक्र थी और वह उनकी जान बचाना चाहता था।

5, 6. यहोवा के न्याय का एक सबूत क्या है?

5 यहेजकेल को भी यहोवा ने एक पहरेदार जैसी ज़िम्मेदारी सौंपी थी। उसे यह काम सौंपते वक्‍त यहोवा ने जो कहा, उस पर ध्यान देने से हम यहोवा के गुणों के बारे में जान पाएँगे और हमारा हौसला बढ़ेगा। आइए उनमें से सिर्फ दो गुणों की बात करें।

6 न्याय: यहोवा के न्याय का एक सबूत यह है कि वह हममें से हरेक के साथ बिना भेदभाव किए व्यवहार करता है।  मिसाल के लिए, यहेजकेल के संदेश को हालाँकि ज़्यादातर लोगों ने अनसुना कर दिया, फिर भी यहोवा ने सभी इसराएलियों को बगावती मानकर ठुकरा नहीं दिया। उसने हरेक इसराएली पर ध्यान दिया कि उसका रवैया कैसा है। उसने बहुवचन में दुष्टों या नेक लोगों का ज़िक्र करने के बजाय कई बार एकवचन में “दुष्ट” और “नेक इंसान” का ज़िक्र किया। यहोवा के संदेश की तरफ जो जैसा रवैया दिखाता है, उसके हिसाब से यहोवा उसका न्याय करता है।—यहे. 33:8, 18-20.

7. यहोवा किस आधार पर लोगों का न्याय करता है?

7 यहोवा जिस तरीके से न्याय करता है  वह भी उसके न्याय का एक सबूत है। एक इंसान ने पहले जो बुरे काम किए थे, उनके लिए आज यहोवा उससे लेखा नहीं लेता। वह देखता है कि आज वह इंसान उसके संदेश की तरफ कैसा रवैया दिखाता है। यहोवा ने यहेजकेल से कहा, ‘अगर मैं एक दुष्ट से कहूँ, “तू ज़रूर मर जाएगा” और वह पाप करना छोड़कर न्याय करने लगे, तो वह जीता रहेगा।’ इसके बाद यहोवा ने कहा, “उसके किसी भी पाप के लिए उससे हिसाब नहीं लिया जाएगा।” (यहे. 33:14-16) दूसरी तरफ, जिन्होंने गुज़रे वक्‍त में नेक काम किए थे, वे यह नहीं सोच सकते कि अब उन्हें बुरे काम करने की छूट मिल गयी है। यहोवा ने कहा कि अगर एक आदमी ‘यह सोचकर बुरे काम करने लगे कि उसने पहले जो नेक काम किए थे उनकी वजह से उसे सज़ा नहीं मिलेगी, तो वह नाश किया जाएगा। उसका एक भी नेक काम नहीं गिना जाएगा। उसने जो बुरे काम किए हैं उनकी वजह से वह मर जाएगा।’—यहे. 33:13.

8. यहोवा के न्याय का एक और सबूत क्या है?

8 यहोवा नाश करने से काफी पहले चेतावनी देता है।  यह भी उसके न्याय का एक सबूत है। यरूशलेम के नाश से करीब छ: साल पहले से यहेजकेल लोगों को चेतावनी देता रहा। उससे पहले भी कुछ भविष्यवक्‍ताओं ने लोगों को चेतावनी दी थी कि उनसे लेखा लिया जाएगा। यरूशलेम के नाश से सौ साल पहले से यहोवा अपने लोगों के पास भविष्यवक्‍ताओं को भेजता रहा ताकि वे पहरेदारों की तरह उन्हें आगाह करें। ये भविष्यवक्‍ता थे होशे, यशायाह, मीका, ओदेद और यिर्मयाह। यहोवा ने यिर्मयाह के ज़रिए इसराएलियों से कहा, “मैंने पहरेदार ठहराए जिन्होंने कहा, ‘नरसिंगे की आवाज़ पर ध्यान दो!’” (यिर्म. 6:17) इसलिए जब बैबिलोनियों ने आकर यहोवा की तरफ से लोगों को सज़ा दी और उन्हें मार डाला, तो उनकी मौत के लिए न तो यहोवा ज़िम्मेदार था, न ही उसके पहरेदार।

9. यहोवा ने अपने अटल प्यार का सबूत कैसे दिया?

9 प्यार: यह यहोवा के अटल प्यार का सबूत है कि उसने न सिर्फ नेक लोगों को बल्कि दुष्टों को भी चेतावनी देने के लिए पहरेदार भेजे। इन दुष्टों ने यहोवा का दिल तोड़ दिया था और उसके नाम पर कलंक लाया था। इसराएली यहोवा के लोग कहलाते थे, फिर भी उन्होंने बार-बार यहोवा को पीठ दिखायी और झूठे देवताओं को पूजने लगे। जब इसराएलियों ने इस तरह यहोवा से विश्‍वासघात किया, तो उसकी भावनाओं को ठेस पहुँची। उसने एक ऐसे पति की तरह महसूस किया जिसकी पत्नी ने उससे बेवफाई की है। (यहे. 16:32) लेकिन यहोवा का प्यार देखिए कि इतना सब होने के बाद भी उसने तुरंत उन्हें ठुकरा नहीं दिया। उसने उन्हें फौरन सज़ा नहीं दी, बल्कि पहले उनसे सुलह करने की कोशिश की। यहोवा ने तब जाकर उन पर तलवार चलवायी जब उन्होंने उसके लिए कोई और गुंजाइश नहीं छोड़ी। यहोवा ने कहा, ‘मुझे किसी दुष्ट के मरने से खुशी नहीं होती। मुझे इससे खुशी मिलती है कि दुष्ट अपने तौर-तरीके बदले और जीता रहे।’ (यहे. 33:11) उस ज़माने की तरह आज भी यहोवा दुष्ट लोगों से यही चाहता है कि वे उसकी बात पर ध्यान दें और बदल जाएँ।—मला. 3:6.

10, 11. यहोवा ने अपने लोगों के साथ जिस तरह व्यवहार किया, उससे हमें क्या सीख मिलती है?

10 यहोवा ने इसराएलियों से व्यवहार करते समय प्यार और न्याय का गुण दर्शाया। इससे हमें क्या सीख मिलती है? एक तो यह कि प्रचार करते समय हमें सब लोगों के बारे में एक-जैसी राय नहीं कायम करनी चाहिए। हमें हर इंसान को अहमियत देनी चाहिए। अगर हम एक व्यक्‍ति की जाति, उसके गोत्र या भाषा की वजह से उसे प्रचार नहीं करते, या फिर इसलिए कि वह अमीर है या गरीब है या उसने पहले बुरे काम किए थे, तो हम बहुत बड़ी गलती कर रहे होंगे। यहोवा ने पतरस को एक ऐसी सीख दी जो आज भी मायने रखती है, “परमेश्‍वर भेदभाव नहीं करता, मगर हर वह इंसान जो उसका डर मानता है और सही काम करता है, फिर चाहे वह किसी भी राष्ट्र का क्यों न हो, उसे वह स्वीकार करता है।”—प्रेषि. 10:34, 35.

क्या हम लोगों को यहोवा के नज़रिए से देखते हैं? (पैराग्राफ 10 देखें)

11 दूसरी सीख यह है कि हमें खुद पर कड़ी नज़र रखनी चाहिए। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमने पहले जो नेक काम किए थे, उनकी वजह से हमें गलत काम करने की छूट मिल जाती है। हमें याद रखना है कि हम जिन लोगों को प्रचार करते हैं, उनके जैसी कमज़ोरियाँ हममें भी हैं। कुरिंथ की मंडली को दी गयी सलाह हम पर भी लागू होती है, “जो सोचता है कि वह मज़बूती से खड़ा है, वह खबरदार रहे कि कहीं गिर न पड़े। तुम पर ऐसी कोई अनोखी परीक्षा नहीं आयी जो दूसरे इंसानों पर न आयी हो।” (1 कुरिं. 10:12, 13) हमें ऐसा इंसान नहीं बनना चाहिए जो सोचता है कि “उसने पहले जो नेक काम किए थे उनकी वजह से उसे कोई सज़ा नहीं मिलेगी।” (यहे. 33:13) यह सोचना गलत होगा कि बुरे काम करने पर हमें सज़ा नहीं मिलेगी क्योंकि हम अच्छे काम भी तो करते हैं। चाहे हम बरसों से यहोवा की सेवा कर रहे हों, फिर भी हमें नम्र रहना चाहिए और यहोवा की आज्ञा माननी चाहिए।

12. अगर हमने पहले कोई बड़ा पाप किया था, तो हमें क्या याद रखना चाहिए?

12 लेकिन अगर हमने पहले कोई बड़ा पाप किया था और अब हमें पछतावा हो रहा है, तो हम क्या याद रख सकते हैं? यहेजकेल के संदेश से हमने सीखा कि यहोवा उन लोगों को सज़ा देता है जो पश्‍चाताप नहीं करते।  मगर हमने यह भी सीखा कि यहोवा खास तौर से प्यार करनेवाला परमेश्‍वर है, न कि बदला लेनेवाला। (1 यूह. 4:8) अगर हमने पश्‍चाताप किया है और अपने तौर-तरीके बदल दिए हैं, तो हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम यहोवा की दया के लायक नहीं हैं और वह हमें माफ नहीं कर सकता। (याकू. 5:14, 15) जब यहोवा ने उन इसराएलियों को माफ किया जो झूठे देवताओं को पूजते थे, तो वह हमें भी ज़रूर माफ करेगा।—भज. 86:5.

‘अपने लोगों को मेरा संदेश सुना’

13, 14. (क) यहोवा के पहरेदार किस तरह का संदेश सुनाते थे? (ख) यशायाह ने क्या संदेश सुनाया?

13 यहेजकेल 33:2, 3 पढ़िए। यहोवा के पहरेदार किस तरह का संदेश सुनाते थे? वे लोगों को ज़्यादातर चेतावनी देते थे, पर खुशखबरी भी सुनाते थे। आइए कुछ भविष्यवक्‍ताओं के संदेश पर गौर करें।

14 यशायाह ने करीब ईसा पूर्व 778 से 732 तक सेवा की। उसने यरूशलेम के लोगों को चेतावनी दी कि बैबिलोनी आकर यरूशलेम पर कब्ज़ा कर लेंगे और उन्हें बंदी बना लेंगे। (यशा. 39:5-7) लेकिन यशायाह ने नाश की खबर देने के साथ-साथ यह खुशखबरी भी दी, “सुन! तेरे पहरेदार खुशी से चिल्ला रहे हैं, साथ मिलकर जयजयकार कर रहे हैं, क्योंकि वे साफ देख सकते हैं कि यहोवा सिय्योन को वापस ला रहा है।” (यशा. 52:8) इससे बड़ी खुशखबरी और क्या हो सकती थी कि सच्ची उपासना फिर से पहले की तरह की जाएगी!

15. यिर्मयाह ने किस संदेश का ऐलान किया?

15 यिर्मयाह ने ईसा पूर्व 647 से 580 तक सेवा की। कुछ लोगों ने यिर्मयाह को विनाश का प्रचारक नाम दिया है जबकि ऐसा कहना गलत होगा। यह सच है कि उसने इसराएलियों को बार-बार चेतावनी दी थी कि यहोवा उन पर विपत्तियाँ लाएगा। * लेकिन हम यह न भूलें कि उसने खुशखबरी भी सुनायी। उसने बताया कि इसराएली अपने देश लौटेंगे और वहाँ दोबारा शुद्ध उपासना करेंगे।—यिर्म. 29:10-14; 33:10, 11.

16. यहेजकेल के संदेश से बँधुआई में रहनेवालों की हिम्मत कैसे बँधी?

16 यहेजकेल को ईसा पूर्व 613 में पहरेदार ठहराया गया था और वह कम-से-कम ईसा पूर्व 591 तक यह काम करता रहा। जैसे इस किताब के अध्याय 5 और 6 में बताया गया था, यहेजकेल ने इसराएलियों को चेतावनी दी कि उनका नाश हो जाएगा। इसलिए वह उन लोगों के खून का दोषी नहीं बना जिनका नाश किया गया। उसने बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों को बताया कि यहोवा यरूशलेम के बगावती लोगों को सज़ा देगा। लेकिन उसने हमेशा बुरी बातों की खबर नहीं दी। उसने कुछ अच्छी खबरें भी दीं। एक तो उसने यहोवा के करीब रहने में लोगों की मदद की ताकि वे भविष्य में परमेश्‍वर का दिया काम कर सकें। उसने लोगों को ऐसा संदेश दिया जिससे वे जान गए कि 70 साल खत्म होने पर यहोवा बचे हुए कुछ यहूदियों को इसराएल में दोबारा बसाएगा। (यहे. 36:7-11) ये बचे हुए यहूदी कौन होते? खास तौर से यहेजकेल के संदेश पर ध्यान देनेवालों के बच्चे और नाती-पोते। जैसे इस किताब के भाग 3 में बताया गया है, यहेजकेल ने लोगों को यह अच्छी खबर भी दी कि यरूशलेम में शुद्ध उपासना बहाल की जाएगी।

17. यहोवा ने कब-कब पहरेदार ठहराए?

17 ईसा पूर्व 607 में यरूशलेम का नाश करने से पहले यहोवा ने इन भविष्यवक्‍ताओं को पहरेदार ठहराया था। मगर सिर्फ वे ही यहोवा के पहरेदार नहीं थे। यहोवा के मकसद के पूरा होने में जब भी कोई नया मोड़ आया, तो उसने पहरेदार ठहराए ताकि वे दुष्टों को चेतावनी दें और नेक लोगों को खुशखबरी सुनाएँ।

पहली सदी के पहरेदार

18. यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने क्या काम किया?

18 पहली सदी में यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने पहरेदार जैसा काम किया। उसने इसराएलियों को चेतावनी दी कि उन्हें बहुत जल्द ठुकरा दिया जाएगा। (मत्ती 3:1, 2, 9-11) लेकिन चेतावनी देने के अलावा उसने और भी कुछ किया। जैसे यीशु ने कहा, उसने भविष्यवाणी में बताए “दूत” की ज़िम्मेदारी निभायी और मसीहा के लिए रास्ता तैयार किया। (मला. 3:1; मत्ती 11:7-10) इस दौरान उसने यह खुशखबरी सुनायी कि “परमेश्‍वर का मेम्ना” यीशु आ गया है और वह “दुनिया का पाप” दूर ले जाएगा।—यूह. 1:29, 30.

19, 20. यीशु और उसके चेलों ने कैसे पहरेदारों जैसा काम किया?

19 यहोवा के पहरेदारों में यीशु सबसे महान पहरेदार था। यहेजकेल की तरह उसे भी यहोवा ने “इसराएल के घराने” के पास भेजा था। (यहे. 3:17; मत्ती 15:24) उसने इसराएल राष्ट्र को चेतावनी दी कि जल्द ही उसे ठुकरा दिया जाएगा और यरूशलेम का नाश हो जाएगा। (मत्ती 23:37, 38; 24:1, 2; लूका 21:20-24) लेकिन यीशु हमेशा चेतावनियाँ नहीं देता था। वह ज़्यादातर खुशखबरी सुनाता था।—लूका 4:17-21.

20 यीशु की तरह उसके चेलों ने भी पहरेदारों जैसा काम किया। यह हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि यीशु ने अपने चेलों को “जागते” रहने की आज्ञा दी थी। (मत्ती 24:42) उन्होंने उसकी आज्ञा मानी और लोगों को बताया कि यहोवा ने पैदाइशी इसराएल और यरूशलेम शहर को ठुकरा दिया है। (रोमि. 9:6-8; गला. 4:25, 26) यीशु के चेलों ने पुराने ज़माने के पहरेदारों की तरह खुशखबरी भी सुनायी। एक खुशखबरी यह थी कि अब से गैर-यहूदियों को भी परमेश्‍वर के इसराएल यानी अभिषिक्‍त जनों में से एक होने का मौका मिलेगा और वे शुद्ध उपासना बहाल करने में मसीह की मदद करेंगे।—प्रेषि. 15:14; गला. 6:15, 16; प्रका. 5:9, 10.

21. पौलुस ने कैसे एक अच्छी मिसाल रखी?

21 पहली सदी के पहरेदारों में से पौलुस ने एक उम्दा मिसाल कायम की। उसने अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे से निभायी। यहेजकेल की तरह वह जानता था कि अगर वह अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से नहीं निभाएगा, तो लोगों के खून का दोषी होगा। (प्रेषि. 20:26, 27) दूसरे पहरेदारों की तरह पौलुस ने भी लोगों को सिर्फ चेतावनी नहीं दी, उन्हें खुशखबरी भी सुनायी। (प्रेषि. 15:35; रोमि. 1:1-4) उसने पवित्र शक्‍ति की प्रेरणा से यशायाह की इस भविष्यवाणी का हवाला दिया, “पहाड़ों पर उसके पाँव कितने सुंदर हैं जो खुशखबरी लाता है।” फिर उसने कहा कि मसीह के चेले इस भविष्यवाणी को पूरा करते हैं, क्योंकि वे राज की खुशखबरी सुनाते हैं।—यशा. 52:7, 8; रोमि. 10:13-15.

22. प्रेषितों की मौत के बाद क्या हुआ?

22 प्रेषितों की मौत के बाद मसीही मंडली पर सच्चाई से बगावत करनेवालों का दबदबा बढ़ने लगा, ठीक जैसे पहले बताया गया था। (प्रेषि. 20:29, 30; 2 थिस्स. 2:3-8) फिर एक लंबे अरसे तक जंगली पौधों जैसे नकली मसीहियों की गिनती बढ़ती गयी और गेहूँ समान सच्चे मसीहियों से ज़्यादा हो गयी। झूठी शिक्षाओं के ढेर ने राज की खुशखबरी को दबा दिया। (मत्ती 13:36-43) लेकिन जब यहोवा के कार्रवाई करने का समय नज़दीक आया, तो उसने एक बार फिर अपने प्यार और न्याय का सबूत देते हुए कुछ पहरेदार ठहराए। उन्होंने लोगों को साफ शब्दों में चेतावनी दी और खुशखबरी भी सुनायी। ये पहरेदार कौन थे?

यहोवा ने दुष्टों को चेतावनी देने के लिए दोबारा पहरेदार ठहराए

23. भाई रसल और उनके साथियों ने कौन-सी ज़िम्मेदारी निभायी?

23 सन्‌ 1914 से पहले के सालों में भाई चार्ल्स टेज़ रसल और उनके साथियों ने भविष्यवाणी में बताए “दूत” की ज़िम्मेदारी निभायी और मसीह का राज शुरू होने से पहले “रास्ता तैयार” किया। * (मला. 3:1) उन सबने मिलकर एक पहरेदार का काम भी किया। उन्होंने प्रहरीदुर्ग  (पहले सिय्योन का प्रहरीदुर्ग और मसीह की उपस्थिति का उद्‌घोषक  कहलाता था) के ज़रिए लोगों को परमेश्‍वर के न्यायदंड की चेतावनी दी और राज की खुशखबरी सुनायी।

24. (क) विश्‍वासयोग्य दास कैसे एक पहरेदार की तरह काम करता है? (ख) गुज़रे वक्‍त के पहरेदारों से आपने क्या सीखा? (यह चार्ट देखें: “कुछ अच्छे पहरेदार।”)

24 परमेश्‍वर का राज शुरू होने के बाद यीशु ने कुछ पुरुषों से बने एक छोटे समूह को विश्‍वासयोग्य दास ठहराया। (मत्ती 24:45-47) तब से विश्‍वासयोग्य दास एक पहरेदार की तरह काम करता आया है। यह दास आज शासी निकाय कहलाता है और परमेश्‍वर का संदेश लोगों को सुनाने में अगुवाई कर रहा है। लोगों को न सिर्फ चेतावनी दी जा रही है कि यहोवा के ‘बदला लेने का दिन’ नज़दीक आ रहा है बल्कि “मंज़ूरी पाने के साल” का भी ऐलान किया जा रहा है।—यशा. 61:2; कृपया 2 कुरिंथियों 6:1, 2 भी देखें।

25, 26. (क) मसीह के सभी चेलों को कौन-सी आज्ञा माननी चाहिए? (ख) वे इस आज्ञा को कैसे मानते हैं? (ग) अगले अध्याय में हम क्या चर्चा करेंगे?

25 हालाँकि विश्‍वासयोग्य दास पहरेदार का काम करने में अगुवाई करता है, मगर यीशु ने ‘जागते रहने’ की आज्ञा अपने “सब” चेलों को दी है। (मर. 13:33-37) हम इस आज्ञा को मानकर जागते रहते हैं और हमारे दिनों के पहरेदार को पूरा सहयोग देते हैं। प्रचार करने की ज़िम्मेदारी निभाकर हम साबित करते हैं कि हम जाग रहे हैं। (2 तीमु. 4:2) प्रचार करने के लिए कौन-सी बातें हमें उभारती हैं? एक तो यह कि हम लोगों की जान बचाना चाहते हैं। (1 तीमु. 4:16) आज जो लोग पहरेदार की चेतावनी पर ध्यान नहीं देते, वे अपनी जान गँवा बैठेंगे। (यहे. 3:19) एक और खास बात हमें उभारती है। हम लोगों को बताना चाहते हैं कि शुद्ध उपासना बहाल की गयी है जो अब तक की सबसे बड़ी खुशखबरी है! आज जब ‘यहोवा की मंज़ूरी पाने का साल’ चल रहा है, तो बहुत-से लोगों के लिए मौके का द्वार खुला है। वे हमारे साथ जुड़कर हमारे परमेश्‍वर यहोवा की उपासना कर सकते हैं जो कि इंसाफ करनेवाला और प्यार करनेवाला परमेश्‍वर है। बहुत जल्द जो लोग दुष्ट संसार के अंत से बच जाएँगे, वे हमारे दयालु राजा यीशु के शासन में आशीषें पाएँगे। यह खुशखबरी पूरी दुनिया में फैलाने में हम ज़रूर पहरेदार का साथ देना चाहते हैं!—मत्ती 24:14.

हम खुशखबरी फैलाकर आज के पहरेदार का खुशी-खुशी साथ देते हैं (पैराग्राफ 25 देखें)

26 इस दुनिया का अंत होने से पहले ही यहोवा ने अपने लोगों को एकता के बंधन में बाँधा है, जो कि एक चमत्कार है। इस बात को समझाने के लिए उसने एक भविष्यवाणी में दो छड़ियों की मिसाल दी। इस बारे में हम अगले अध्याय में चर्चा करेंगे।

^ पैरा. 15 यिर्मयाह किताब में “विपत्ति,” “संकट,” और “कहर” जैसे शब्द कई बार आए हैं।

^ पैरा. 23 यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई, यह जानने के लिए परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!  किताब का अध्याय 2 पढ़ें, जिसका विषय है, “स्वर्ग में राज की शुरूआत।”