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अध्याय 9

“मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा”

“मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा”

यहेजकेल 11:19

अध्याय किस बारे में है: यहेजकेल की भविष्यवाणियों में बहाली के बारे में क्या बताया गया है

1-3. बैबिलोन के लोग कैसे यहोवा के उपासकों का मज़ाक उड़ाते थे? और क्यों?

 मान लीजिए, आप उन वफादार यहूदियों में से एक हैं जो बैबिलोन शहर में रहते हैं। आपको यहाँ बँधुआई में रहते करीब 50 साल हो चुके हैं। आज सब्त का दिन है और आप अपने दस्तूर के मुताबिक दूसरे वफादार यहूदियों से मिलने जा रहे हैं ताकि आप सब मिलकर यहोवा की उपासना कर सकें। आप शहर की भीड़-भाड़वाली सड़कों से होते हुए जा रहे हैं और रास्ते में आपको बड़े-बड़े मंदिर और इतने पूजा-स्थल नज़र आते हैं कि उनका हिसाब नहीं। लोगों के झुंड-के-झुंड वहाँ जमा हो रहे हैं और मरदूक जैसे देवताओं के लिए बलि चढ़ा रहे हैं और भजन गा रहे हैं।

2 उस भीड़ से दूर जाते हुए आप वफादार यहूदियों के एक छोटे-से समूह से मिलते हैं। * आप सब मिलकर एक शांत जगह ढूँढ़ते हैं ताकि आप प्रार्थना कर सकें, गीत गा सकें और परमेश्‍वर के वचन पर मनन कर सकें। आपको एक नहर के पास ऐसी जगह मिलती है। जब आप सब मिलकर प्रार्थना कर रहे होते हैं, तो आस-पास इतनी शांति है कि आपको पास में बँधी हुई नावों की तख्तियों का चरमराना भी सुनायी पड़ता है। आपको खुशी होती है कि आप सबको यहोवा की उपासना करने के लिए ऐसी शांत जगह मिली है। आप बस मन-ही-मन कामना कर रहे हैं कि शहर के लोग आकर यहाँ हंगामा न कर दें, जैसा वे अकसर करते हैं। लेकिन वे ऐसा क्यों करते हैं?

3 बैबिलोन ने बरसों से कई युद्ध जीते हैं और यहाँ के लोग मानते हैं कि उनके देवताओं की बदौलत ही उनका देश इतना ताकतवर है। जब यरूशलेम खाक में मिल गया, तो वे मानने लगे कि उनका देवता मरदूक यहोवा से ज़्यादा ताकतवर है। इसलिए वे आपके परमेश्‍वर यहोवा और साथी यहूदियों का मज़ाक उड़ाते हैं। कभी-कभी तो वे आपकी खिल्ली उड़ाते हुए कहते हैं, “हमारे लिए सिय्योन का कोई गीत गाओ।” (भज 137:3) ऐसा कहकर वे उन गीतों का मज़ाक उड़ाना चाहते हैं जिनमें इस बात पर खुशी ज़ाहिर की गयी है कि सिय्योन या यरूशलेम ने यहोवा के दुश्‍मनों पर जीत हासिल की है। मगर कुछ गीत बैबिलोन के लोगों के बारे में भी हैं। जैसे यह गीत कि ‘उन्होंने यरूशलेम को खंडहर बना दिया है। आस-पास के लोग हम पर हँसते हैं, हमारी खिल्ली उड़ाते हैं।’​—भज 79:1, 3, 4.

4, 5. (क) यहेजकेल की भविष्यवाणियों से यहूदियों को कैसी आशा मिली? (शुरूआती तसवीर देखें।) (ख) इस अध्याय में हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

4 बैबिलोन के लोग ही नहीं, कुछ यहूदी भी आपका मज़ाक उड़ाते हैं। ये ऐसे लोग हैं जो परमेश्‍वर के वफादार नहीं रहे। वे इसलिए आपकी खिल्ली उड़ाते हैं क्योंकि आप यहोवा और उसके भविष्यवक्‍ताओं पर विश्‍वास करते हैं। मगर ऐसे लोगों के बीच रहते हुए भी आपको और आपके परिवार को शुद्ध उपासना करने से काफी दिलासा मिलता है। आपको दूसरों के साथ मिलकर यहोवा से प्रार्थना करने, गीत गाने और उसका वचन पढ़ने से बहुत सुकून मिलता है। (भज. 94:19; रोमि. 15:4) कल्पना कीजिए कि आज के दिन आपके जैसा कोई वफादार यहूदी इस सभा में एक खास चीज़ लेकर आया है और वह है एक खर्रा, जिसमें यहेजकेल की भविष्यवाणियाँ दर्ज़ हैं। आप सबको उस खर्रे से पढ़कर सुनाया जाता है कि यहोवा ने वादा किया है कि वह अपने लोगों को उनके देश दोबारा ले जाएगा। भविष्यवाणी की बातें सुनकर आप खुशी से फूले नहीं समाते। आप मन-ही-मन सोचते हैं कि वह दिन कैसा होगा जब आप अपने परिवार के साथ अपने देश लौटेंगे और शुद्ध उपासना बहाल करने में हाथ बँटाएँगे।

5 यहेजकेल की भविष्यवाणियों में बहाली के कई वादे किए गए हैं। आइए इस बारे में गौर करें जिससे दिल में उम्मीद जाग उठती है। हम इन सवालों पर गौर करेंगे: बँधुआई में रहनेवालों के मामले में बहाली के वादे कैसे पूरे हुए? आज ये भविष्यवाणियाँ क्या मायने रखती हैं? कुछ भविष्यवाणियाँ आगे कैसे पूरी होंगी?

“उन्हें बंदी बनाकर दूर देश भेज दिया जाएगा”

6. परमेश्‍वर ने अपने लोगों को बार-बार क्या चेतावनी दी?

6 यहेजकेल के ज़रिए यहोवा ने बगावती लोगों को साफ बताया था कि वह उन्हें क्या सज़ा देगा। यहोवा ने कहा था, “उन्हें बंदी बनाकर दूर देश भेज दिया जाएगा।” (यहे. 12:11) हमने इस किताब के अध्याय 6 में देखा था कि यहेजकेल ने इस न्यायदंड का अभिनय भी किया था। इस तरह की चेतावनियाँ उन्हें पहले भी कई बार मिल चुकी थीं। लगभग 1,000 साल से यानी मूसा के दिनों से यहोवा अपने लोगों को बताता रहा कि वे बगावत न करें, वरना वह उन्हें पराए देश में भेज देगा और वहाँ उनका बहुत बुरा हश्र होगा। (व्यव. 28:36, 37) यशायाह और यिर्मयाह जैसे भविष्यवक्‍ताओं ने भी उन्हें इस तरह की चेतावनियाँ दी थीं।​—यशा. 39:5-7; यिर्म. 20:3-6.

7. यहोवा ने अपने लोगों को कैसी सज़ा दी?

7 दुख की बात है कि इतनी बार चेतावनियाँ मिलने पर भी उनके कानों में जूँ तक नहीं रेंगी। उनका रवैया देखकर यहोवा का दिल टूट गया। वे मूर्तिपूजा में लगे रहे, यहोवा से विश्‍वासघात करते रहे और बुरे चरवाहों और अगुवों की वजह से कई तरह के गलत काम करते गए। इसलिए यहोवा ने उन्हें अकाल से पीड़ित होने दिया। यह उनके लिए बड़े शर्म की बात थी, क्योंकि एक ज़माने में उनके देश में “दूध और शहद की धाराएँ” बहती थीं। (यहे. 20:6, 7) फिर यहोवा ने इन ढीठ लोगों को बँधुआई में भेज दिया, जैसे उसने बहुत पहले बताया था। बैबिलोन के नबूकदनेस्सर ने ईसा पूर्व 607 में उन पर आखिरी बार हमला किया और यरूशलेम और उसके मंदिर को खाक में मिला दिया। उस नाश से बचनेवाले हज़ारों यहूदियों को बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाया गया। वहाँ के लोगों ने उनका बहुत मज़ाक उड़ाया और उनका विरोध किया, जैसा कि इस अध्याय की शुरूआत में बताया गया है।

8, 9. परमेश्‍वर ने मसीही मंडली को बगावती लोगों से कैसे खबरदार किया?

8 जैसे यहूदियों को बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाया गया था, ठीक वैसा ही कुछ मसीही मंडली के साथ भी हुआ। ऐसे हालात के बारे में प्राचीन यहूदियों की तरह यीशु के चेलों को बहुत पहले ही आगाह किया गया था। यीशु ने अपनी सेवा की शुरूआत में उनसे कहा था, “झूठे भविष्यवक्‍ताओं से खबरदार रहो जो भेड़ों के भेस में तुम्हारे पास आते हैं, मगर अंदर से भूखे भेड़िए हैं।” (मत्ती 7:15) सालों बाद प्रेषित पौलुस ने भी ईश्‍वर-प्रेरणा से इसी तरह की चेतावनी दी: “मैं जानता हूँ कि मेरे जाने के बाद अत्याचारी भेड़िए तुम्हारे बीच घुस आएँगे और झुंड के साथ कोमलता से पेश नहीं आएँगे और तुम्हारे ही बीच में से ऐसे आदमी उठ खड़े होंगे जो चेलों को अपने पीछे खींच लेने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी बातें कहेंगे।”​—प्रेषि. 20:29, 30.

9 मसीहियों को सिखाया गया था कि ऐसे खतरनाक लोगों को कैसे पहचानें और कैसे उनसे दूर रहें। प्राचीनों को हिदायत दी गयी थी कि वे ऐसे बगावती लोगों को मंडली से निकाल दें। (1 तीमु. 1:19; 2 तीमु. 2:16-19; 2 पत. 2:1-3; 2 यूह. 10) मगर इसराएल और यहूदा के लोगों की तरह कई मसीहियों ने उन चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया। पहली सदी के खत्म होते-होते सच्चे मसीही धर्म से बगावत करनेवाले मंडली में जड़ पकड़ने लगे। तब तक प्रेषितों में से सिर्फ यूहन्‍ना ज़िंदा था। उसने देखा कि मंडली काफी भ्रष्ट हो चुकी है और बगावती लोगों की गिनती बढ़ती जा रही है। इस बुराई को रोकनेवाला सिर्फ वही अकेला प्रेषित रह गया था। (2 थिस्स. 2:6-8; 1 यूह. 2:18) मगर यूहन्‍ना की मौत के बाद क्या हुआ?

10, 11. गेहूँ और जंगली पौधों की भविष्यवाणी दूसरी सदी से कैसे पूरी होने लगी?

10 यूहन्‍ना की मौत के बाद गेहूँ और जंगली पौधों की भविष्यवाणी पूरी होने लगी। (मत्ती 13:24-30 पढ़िए।) जैसे यीशु ने पहले ही बताया था, शैतान ने “जंगली पौधे के बीज” बो दिए। वह मंडली में नकली मसीहियों को ले आया। इस वजह से सच्चा मसीही धर्म तेज़ी से भ्रष्ट होता गया। मसीही मूर्तिपूजा करने लगे, गैर-ईसाई धर्मों के त्योहार और रिवाज़ मनाने लगे और उन्होंने ऐसी शिक्षाओं और फलसफों को अपना लिया जो यहोवा के सिद्धांतों के खिलाफ हैं और शैतानी शिक्षाओं पर आधारित हैं। यह देखकर यहोवा को कितना दुख हुआ होगा कि उसके बेटे ने जो मंडली शुरू की थी, वह इस कदर दूषित हो गयी है। तब यहोवा ने क्या किया? उसने अपने लोगों को विश्‍वासघाती इसराएलियों की तरह बँधुआई में जाने दिया। दूसरी सदी से झूठे मसीहियों की गिनती इतनी बढ़ने लगी कि गेहूँ समान सच्चे मसीही कहीं नज़र ही नहीं आते थे। मसीही मंडली एक तरह से महानगरी बैबिलोन की बँधुआई में चली गयी जो पूरी दुनिया में फैले झूठे धर्मों का साम्राज्य है। इस तरह जब नकली मसीहियों की गिनती बढ़ने लगी, तो ईसाईजगत उभरकर सामने आया।

11 सदियों तक ईसाईजगत का ही बोलबाला रहा, मगर उस दौरान भी कुछ सच्चे मसीही थे जो “गेहूँ” समान थे। यहेजकेल 6:9 में बताए वफादार यहूदियों की तरह वे भी सच्चे परमेश्‍वर को नहीं भूले। उनमें से कुछ ने तो बड़ी हिम्मत से ईसाईजगत की झूठी शिक्षाओं का विरोध किया। उन्हें सताया गया और ज़लील किया गया। क्या इसका यह मतलब था कि यहोवा ने अपने लोगों को झूठे धर्मों के अंधकार में हमेशा के लिए छोड़ दिया था? बिलकुल नहीं! यहोवा ने उन्हें उतनी ही सज़ा दी जितनी देनी चाहिए और उतने ही समय के लिए दी जितनी कि सही थी, जैसे उसने प्राचीन इसराएल के साथ किया था। (यिर्म. 46:28) यहोवा ने अपने वफादार लोगों को एक आशा भी दी। आइए दोबारा उन यहूदियों पर गौर करें जो बैबिलोन में बंदी बनाए गए थे और जानें कि यहोवा ने कैसे उन्हें छुटकारे की आशा दी।

सदियों तक सच्चे मसीहियों ने महानगरी बैबिलोन के हाथों कई ज़ुल्म सहे (पैराग्राफ 10, 11 देखें)

“मेरा गुस्सा ठंडा होगा”

12, 13. यहोवा का गुस्सा बाद में क्यों ठंडा हो जाता?

12 यहोवा ने अपने लोगों को साफ बताया था कि उसका क्रोध उन पर भड़क उठेगा, पर साथ ही उसने यह भी कहा कि वह हमेशा उनसे क्रोधित नहीं रहेगा। उसने उनसे कहा, “मेरा गुस्सा ठंडा होगा, मेरा क्रोध शांत होगा और मुझे चैन मिलेगा। जब मैं उन पर अपना क्रोध प्रकट करके उन्हें सज़ा दूँगा, तो उन्हें मानना पड़ेगा कि मुझ यहोवा ने यह सब इसलिए कहा है क्योंकि मैं माँग करता हूँ कि सिर्फ और सिर्फ मेरी भक्‍ति की जाए।” (यहे. 5:13) लेकिन कुछ समय बाद यहोवा का गुस्सा ठंडा हो जाता। क्यों?

13 ध्यान दीजिए कि बँधुआई में न सिर्फ विश्‍वासघाती यहूदियों को बल्कि कुछ वफादार यहूदियों को भी ले जाया गया था। और जो यहूदी विश्‍वासघाती थे, उनमें से कुछ लोग बाद में पश्‍चाताप करते। परमेश्‍वर ने यहेजकेल के ज़रिए बताया था कि वे ऐसा करेंगे। उन्हें अपने गुज़रे दिन याद करके बहुत बुरा लगेगा कि उन्होंने अपने परमेश्‍वर से बगावत करके कितने शर्मनाक काम किए थे। वे माफी के लिए यहोवा से गिड़गिड़ाकर बिनती करेंगे। (यहे. 6:8-10; 12:16) जहाँ तक यहेजकेल की बात है, वह वफादार यहूदियों में से एक था। भविष्यवक्‍ता दानियेल और उसके तीन साथी भी वफादार थे। दानियेल तो इतनी लंबी उम्र जीया कि उसने बँधुआई की शुरूआत और उसका अंत भी देखा। उसने बैबिलोन में रहते वक्‍त इसराएल के पापों की माफी के लिए यहोवा से बिनती की थी। उसकी यह प्रार्थना दानियेल अध्याय 9 में दर्ज़ है। इस प्रार्थना से पता चलता है कि बँधुआई में रहनेवाले हज़ारों यहूदी यहोवा से माफी पाने के लिए कितना तरस रहे थे और चाहते थे कि यहोवा उन्हें दोबारा आशीष दे। तो जब उन्होंने यहेजकेल की भविष्यवाणियों से जाना कि यहोवा ने उन्हें छुटकारा दिलाने और शुद्ध उपासना बहाल करने का वादा किया है, तो उनमें कैसी उमंग जाग उठी होगी।

14. यहोवा अपने लोगों को क्यों उनके देश में दोबारा बसाता?

14 लेकिन यहोवा के लोगों को छुड़ाने की वजह यह नहीं थी कि वे इसके हकदार थे। उन्हें छुड़ाने और शुद्ध उपासना बहाल करने की सबसे खास वजह यह थी कि यहोवा को सब राष्ट्रों के सामने एक बार फिर अपना नाम पवित्र करना था। (यहे. 36:22) बैबिलोन के लोगों को जानना पड़ता कि सारे जहान के मालिक यहोवा के सामने मरदूक और दूसरे दुष्ट देवता कुछ भी नहीं। अब आइए यहोवा के उन वादों पर गौर करें जो उसने बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों से किए थे। उसने यहेजकेल के ज़रिए उनसे पाँच वादे किए थे। पहले हम देखेंगे कि इनमें से हर वादा उन वफादार यहूदियों के लिए क्या मायने रखता था। फिर हम जानेंगे कि हर वादा किस तरह बड़े पैमाने पर पूरा हुआ।

15. बँधुआई से लौटनेवालों की उपासना में क्या बदलाव आता?

15 पहला वादा। न फिर कभी मूर्तिपूजा होगी, न ही झूठे धर्मों के घिनौने रिवाज़ मनाए जाएँगे।  (यहेजकेल 11:18; 12:24 पढ़िए।) जैसे हमने इस किताब के अध्याय 5 में देखा था, यरूशलेम और उसका मंदिर मूर्तिपूजा जैसे झूठे धार्मिक कामों से दूषित हो गया था। वहाँ के लोग यहोवा से दूर जा चुके थे और बुरे काम करते थे। मगर जब वे बँधुआई में चले गए, तो यहोवा ने वफादार यहूदियों से वादा किया कि एक दिन वे फिर से शुद्ध उपासना करेंगे और उनकी उपासना झूठे धर्मों से दूषित नहीं होगी। यहोवा शुद्ध उपासना का इंतज़ाम दोबारा शुरू करवाएगा। यह एक अहम मुद्दा था क्योंकि शुद्ध उपासना बहाल होने पर ही उन्हें बाकी सारी आशीषें मिलतीं।

16. यहोवा ने यहूदियों के देश के बारे में क्या वादा किया?

16 दूसरा वादा। वे अपने देश लौट जाएँगे।  बैबिलोन के लोग हमेशा यहूदियों को ताने मारते थे। वह एक ऐसा देश था जहाँ से बंदी बनाए लोगों को कभी छुटकारा नहीं मिलता था। (यशा. 14:4, 17) मगर यहोवा ने यहूदियों से कहा, “मैं तुम्हें इसराएल देश की ज़मीन दे दूँगा।” (यहे. 11:17) यहोवा का यह वादा सुनकर उन्हें कितनी खुशी हुई होगी। इतना ही नहीं अगर वे अपने देश लौटने के बाद हमेशा वफादार रहते, तो वहाँ की ज़मीन अच्छी उपज देती और उन्हें खाने की कोई कमी नहीं होती। फिर कभी उनके देश में अकाल नहीं पड़ता और न ही उन्हें कभी इस वजह से अपमान सहना पड़ता।​—यहेजकेल 36:30 पढ़िए।

17. यहोवा को भेंट चढ़ाने के बारे में क्या बताया गया था?

17 तीसरा वादा। यहोवा की वेदी पर फिर से भेंट चढ़ायी जाएँगी।  जैसे हमने इस किताब के अध्याय 2 में देखा था, मूसा के कानून के मुताबिक शुद्ध उपासना में बलिदानों की अहम भूमिका थी। अपने देश लौटने के बाद जब तक यहूदी यहोवा की आज्ञा मानते और सिर्फ उसकी उपासना करते, तब तक यहोवा उनकी भेंट स्वीकार करता। इस तरह लोग अपने पापों का प्रायश्‍चित कर सकते थे और यहोवा के साथ मज़बूत रिश्‍ता बनाए रख सकते थे। यहोवा ने वादा किया, “इसराएल का पूरा घराना मेरी सेवा करेगा। वहाँ मैं तुमसे खुश होऊँगा और तुमसे भेंट और पहले फलों का चढ़ावा लिया करूँगा, मैं तुमसे ये सब पवित्र चीज़ें लिया करूँगा।” (यहे. 20:40) शुद्ध उपासना सच में बहाल की जाती और उससे यहोवा के लोगों को आशीषें मिलतीं।

18. यहोवा अपने लोगों की देखभाल करने के लिए क्या करता?

18 चौथा वादा। बुरे चरवाहे या अगुवे नहीं होंगे।  परमेश्‍वर के लोगों ने जो दुष्ट काम किए थे, उसकी एक बहुत बड़ी वजह यह थी कि उनके अगुवे बुरे थे। यहोवा ने वादा किया कि आगे ऐसा नहीं होगा। इन बुरे चरवाहों या अगुवों के बारे में यहोवा ने कहा, ‘मैं उन्हें भेड़ों को चराने के काम से निकाल दूँगा। मैं अपनी भेड़ों को उनके मुँह से छुड़ाऊँगा।’ इसके अलावा उसने अपने वफादार लोगों को यकीन दिलाया, “मैं अपनी भेड़ों की देखभाल करूँगा।” (यहे. 34:10, 12) ऐसा करने के लिए वह क्या करता? वह ऐसे पुरुषों को अगुवा ठहराता जो उसके वफादार होते।

19. एकता के बारे में यहोवा ने क्या वादा किया?

19 पाँचवाँ वादा। यहोवा के उपासकों में एकता होगी।  ज़रा सोचिए बँधुआई में जाने से पहले वफादार लोगों को यह देखकर कितना दुख हुआ होगा कि परमेश्‍वर के लोगों में फूट पड़ गयी है। झूठे भविष्यवक्‍ताओं और बुरे चरवाहों के बहकावे में आकर लोग उन अच्छे भविष्यवक्‍ताओं का विरोध करते थे जो यहोवा की तरफ से बोलते थे। लोगों में इस कदर फूट पड़ गयी थी कि उन्होंने अलग-अलग गुट बना लिए थे। इसलिए बहाली के बारे में यहोवा का यह वादा सुनकर वफादार लोगों को खास तौर से खुशी हुई होगी: “मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा और उनके अंदर एक नया रुझान पैदा करूँगा।” (यहे. 11:19) अपने देश लौटने के बाद जब तक यहूदी एक-दूसरे के साथ एकता में रहते और यहोवा के साथ एक मज़बूत रिश्‍ता बनाए रखते, तब तक कोई भी दुश्‍मन उन पर जीत हासिल नहीं कर सकता था। अब इस राष्ट्र की वजह से यहोवा के नाम पर कलंक नहीं लगता बल्कि उसकी महिमा होती।

20, 21. अपने देश लौटने के बाद यहूदियों ने किन वादों को पूरा होते देखा?

20 जो यहूदी अपने देश लौट आए, क्या उन्होंने यहोवा के इन पाँच वादों को पूरा होते देखा? याद कीजिए कि सदियों पहले यहोशू ने कहा था, “तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुमसे जितने भी बेहतरीन वादे किए थे वे सब-के-सब पूरे हुए, एक भी वादा बिना पूरा हुए नहीं रहा।” (यहो. 23:14) यहोशू के दिनों में यहोवा ने अपने सारे वादे पूरे किए थे। उसी तरह, जब यहूदी अपने देश लौटते, तो यहोवा अपने सारे वादे ज़रूर पूरे करता।

21 यहूदियों ने मूर्तिपूजा और झूठे धर्मों के दूसरे घिनौने काम करना छोड़ दिया जिनकी वजह से वे पहले यहोवा से दूर चले गए थे। वे दोबारा अपने देश में बस गए, बाग-बगीचे लगाने लगे और एक अच्छी ज़िंदगी बिताने लगे। उन्हें ऐसी खुशियाँ मिलीं जिनकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे। अपने देश लौटने के बाद उन्होंने सबसे पहले यरूशलेम में यहोवा की वेदी दोबारा बनायी और उसकी मरज़ी के मुताबिक भेंट चढ़ायी। (एज्रा 3:2-6) यहोवा ने उन्हें ऐसे अगुवे दिए जो उसके जैसी सोच रखते थे। जैसे वफादार याजक और नकल-नवीस एज्रा, राज्यपाल नहेमायाह और जरुबाबेल, महायाजक यहोशू, साथ ही हाग्गै, जकरयाह और मलाकी जैसे निडर भविष्यवक्‍ता। जब तक लोगों ने यहोवा की हिदायतें मानीं और उसके मार्गदर्शन के मुताबिक काम किया, तब तक उनमें एकता बनी रही, ऐसी एकता जो बरसों से उनमें नहीं थी।​—यशा. 61:1-4; यिर्मयाह 3:15 पढ़िए।

22. बहाली की भविष्यवाणियों की पहली पूर्ति क्यों आगे होनेवाली घटनाओं की एक झलक थी?

22 जब यहूदियों ने बहाली के बारे में यहोवा के वादे पूरे होते देखे, तो ज़रूर उनका हौसला बढ़ा होगा। लेकिन यह सिर्फ एक झलक थी कि आनेवाले समय में यहोवा अपने वादे बड़े पैमाने पर पूरे करेगा। जब तक यहूदियों ने यहोवा की आज्ञा मानी, तब तक यहोवा ने अपने वादे पूरे करके उन्हें आशीष दी। समय के गुज़रते जब वे फिर से यहोवा की आज्ञा तोड़ने लगे और बगावती बन गए, तो उन्होंने उसकी आशीषें खो दीं। लेकिन जैसे यहोशू ने कहा था, यहोवा की बात हमेशा सच होती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि उसके वादे आगे चलकर बड़े पैमाने पर पूरे होते जिससे उसके लोगों को हमेशा के लिए आशीषें मिलतीं। आइए देखें कि यह कैसे हुआ।

‘मैं तुमसे खुश होऊँगा’

23, 24. वह दौर कब और कैसे शुरू हुआ जब ‘सबकुछ पहले जैसा कर दिया जाता’?

23 बाइबल से हमने जाना कि 1914 से इस दुष्ट दुनिया के आखिरी दिन शुरू हो गए। लेकिन हम इस बात से दुखी नहीं होते कि यह दुनिया मिटनेवाली है। बाइबल बताती है कि 1914 में एक रोमांचक दौर भी शुरू हुआ, जिसमें ‘सबकुछ पहले जैसा कर दिया जाता।’ (प्रेषि. 3:21) हम यह कैसे जानते हैं? गौर कीजिए कि 1914 में स्वर्ग में क्या हुआ। यीशु को परमेश्‍वर के राज का राजा बनाया गया। इस घटना से बहाली का काम शुरू हो गया। कैसे? याद कीजिए कि यहोवा ने दाविद से वादा किया था कि राज करने का अधिकार सदा के लिए उसके वंश को दिया जाएगा। (1 इति. 17:11-14) लेकिन ईसा पूर्व 607 में जब यरूशलेम का नाश हुआ, तो दाविद के वंश के राजाओं का राज खत्म हो गया।

24 जब यीशु इंसान बनकर धरती पर आया, तो वह दाविद के खानदान में पैदा हुआ था। इस तरह “इंसान का बेटा” यीशु दाविद की राजगद्दी का कानूनी वारिस बना। (मत्ती 1:1; 16:13-16; लूका 1:32, 33) जब यहोवा ने 1914 में उसे स्वर्ग में राजगद्दी सौंपी, तो वह दौर शुरू हुआ जिसमें ‘सबकुछ पहले जैसा कर दिया जाता।’ अब यहोवा उस परिपूर्ण राजा के ज़रिए बहाली का काम जारी रखता।

25, 26. (क) महानगरी बैबिलोन में यहोवा के लोगों की बँधुआई कब खत्म हुई? (ख) यह हम कैसे जानते हैं? (यह बक्स भी देखें: “1919 ही क्यों?”) (ग) 1919 से क्या होने लगा?

25 राजा बनने के बाद यीशु ने अपने पिता के साथ धरती पर हो रही शुद्ध उपासना के इंतज़ाम का मुआयना किया। (मला. 3:1-5) जैसे यीशु ने एक मिसाल में बताया था, एक लंबे समय तक गेहूँ और जंगली पौधों में फर्क नज़र नहीं आ रहा था, जिसका मतलब था कि सच्चे अभिषिक्‍त जनों और नकली मसीहियों में फर्क करना नामुमकिन था। * लेकिन 1914 में कटाई के दिन शुरू हो गए और उनमें फर्क साफ दिखायी देने लगा। सन्‌ 1914 से पहले के कुछ दशकों में वफादार बाइबल विद्यार्थियों ने ईसाईजगत की गलत शिक्षाओं का खुलासा किया और वे उस भ्रष्ट संगठन से नाता तोड़ने लगे। अब वह समय आ चुका था कि यहोवा शुद्ध उपासना को बहाल करे। इसलिए “कटाई के दिन” शुरू होने के कुछ साल बाद, 1919 की शुरूआत में परमेश्‍वर के लोग महानगरी बैबिलोन की कैद से पूरी तरह छूट गए। (मत. 13:30) आखिरकार वे आज़ाद हो गए!

26 अब बहाली के बारे में यहेजकेल की भविष्यवाणियाँ इतने बड़े पैमाने पर पूरी होने लगीं जितनी कि पहले कभी नहीं हुई थीं। आइए देखें कि यहोवा के वे पाँच वादे बड़े पैमाने पर कैसे पूरे हो रहे हैं।

27. परमेश्‍वर ने अपने लोगों को कैसे शुद्ध किया?

27 पहला वादा। मूर्तिपूजा और झूठे धर्मों से निकले घिनौने रीति-रिवाज़ों का अंत होगा।  19वीं सदी के आखिरी सालों में और 20वीं सदी के शुरू के सालों में सच्चे मसीहियों के छोटे-छोटे समूह बनने लगे और वे झूठे धर्मों के रिवाज़ों को मनाना छोड़ने लगे। उन्होंने त्रियेक, अमर आत्मा और नरक की शिक्षा को मानना छोड़ दिया, क्योंकि वे जान गए कि ये शिक्षाएँ झूठे धर्मों से निकली हैं। वे समझ गए कि मूर्तियों और तसवीरों को पूजना गलत है। धीरे-धीरे वे यह भी समझ गए कि उपासना में क्रूस का इस्तेमाल करना मूर्तिपूजा है।​—यहे. 14:6.

28. यहोवा के लोगों को किस देश में दोबारा बसाया गया?

28 दूसरा वादा। परमेश्‍वर के लोगों को लाक्षणिक फिरदौस में दोबारा बसाया जाएगा।  जब सच्चे मसीही झूठे धर्मों से निकलने लगे, तो यहोवा उन्हें फिरदौस जैसे माहौल में ले आया। यहाँ उन्हें परमेश्‍वर के वचन की भरपूर खुराक मिलने लगी और आगे भी उन्हें इसकी कोई कमी नहीं होती। (यहेजकेल 34:13, 14 पढ़िए।) इस किताब के अध्याय 19 में हम जानेंगे कि यहोवा की आशीष से इस फिरदौस में उन्हें लगातार उसके वचन से इतनी खुराक मिल रही है जितनी पहले कभी नहीं मिली थी।​—यहे. 11:17.

29. 1919 में प्रचार काम कैसे ज़ोर पकड़ने लगा?

29 तीसरा वादा। यहोवा की वेदी पर फिर से भेंट चढ़ायी जाएँगी।  शुरू के मसीहियों को सिखाया गया था कि उन्हें यहोवा को जानवरों के बलिदान नहीं बल्कि तारीफ के बलिदान चढ़ाने हैं। ये उसकी नज़र में ज़्यादा मोल रखते हैं। उन्हें यहोवा की महिमा करनी थी और उसके बारे में दूसरों को प्रचार करना था। (इब्रा. 13:15) बाद में जब वे सदियों तक महानगरी बैबिलोन की कैद में थे, तो व्यवस्थित ढंग से तारीफ के बलिदान चढ़ाने का कोई इंतज़ाम नहीं था। फिर परमेश्‍वर के लोगों को बँधुआई से छुड़ाने का समय आ गया। इस रिहाई से पहले ही वे तारीफ के बलिदान चढ़ाने में लगे हुए थे। वे ज़ोर-शोर से प्रचार करते थे और सभाओं में खुशी से परमेश्‍वर की तारीफ करते थे। “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने 1919 से प्रचार काम पर काफी ज़ोर दिया और उसे अच्छी तरह व्यवस्थित किया। (मत्ती 24:45-47) यहोवा के लोगों की गिनती बढ़ती गयी और यहोवा की वेदी पर तारीफ के अनगिनत बलिदान चढ़ाए जाने लगे।

30. यीशु ने अपने लोगों को कैसे अच्छे चरवाहे दिए?

30 चौथा वादा। बुरे चरवाहे या अगुवे नहीं होंगे।  मसीह ने परमेश्‍वर के लोगों को ईसाईजगत के बेईमान और स्वार्थी चरवाहों से छुड़ाया। और मसीही मंडली में भी जो बुरे चरवाहे थे, उनसे उनकी ज़िम्मेदारी ले ली गयी। (यहे. 20:38) यीशु ने एक अच्छे चरवाहे के नाते इस बात का ध्यान रखा कि उसकी भेड़ों की ज़रूरतें पूरी हों। इसलिए 1919 में उसने विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास को ठहराया। वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों से बना यह छोटा समूह परमेश्‍वर के लोगों को सच्चाई की समझ देने में अगुवाई करने लगा जिस वजह से उनकी अच्छी देखभाल होने लगी। आगे चलकर प्राचीनों को “परमेश्‍वर के झुंड” का खयाल रखने के लिए अच्छा प्रशिक्षण दिया गया। (1 पत. 5:1, 2) अकसर उन्हें यहेजकेल 34:15, 16 याद दिलाकर समझाया जाता है कि यहोवा और यीशु मंडली के चरवाहों से क्या उम्मीद करते हैं और उन्हें भेड़ों की देखभाल कैसे करनी चाहिए।

31. यहोवा ने यहेजकेल 11:19 की भविष्यवाणी कैसे पूरी की?

31 पाँचवाँ वादा। यहोवा के उपासकों में एकता होगी।  सदियों से ईसाईजगत हज़ारों चर्चों में बँटता गया है और उन चर्चों के भी बेहिसाब गुट बन गए हैं। उनके बीच बिलकुल भी एकता नहीं है। लेकिन यहोवा ने अपने लोगों के बीच कुछ ऐसा किया है जो वाकई एक करिश्‍मा है। वह उन्हें एकता के बंधन में बाँध रहा है। उसने अपना यह वादा लाजवाब तरीके से पूरा किया है: “मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा।” (यहे. 11:19) यहोवा के लोग अलग-अलग धर्मों से निकले हैं और वे अलग-अलग देश, भाषा, संस्कृति और तबके से हैं। मगर इन सबको एक-जैसी सच्चाइयाँ सिखायी जाती हैं और वे सब मिलकर एक ही काम करते हैं। यीशु ने धरती पर अपनी ज़िंदगी की आखिरी रात यहोवा से प्रार्थना की थी कि उसके चेलों में एकता हो। (यूहन्‍ना 17:11, 20-23 पढ़िए।) हमारे दिनों में यहोवा ने इस प्रार्थना का बहुत ही अनोखे तरीके से जवाब दिया है।

32. बहाली की भविष्यवाणियों को पूरा होते देखकर आपको कैसा लगता है? (यह बक्स भी देखें: “बँधुआई और बहाली की भविष्यवाणियाँ।”)

32 हमें यह जानकर कितनी खुशी होती है कि आज हम एक रोमांचक दौर में जी रहे हैं। आज शुद्ध उपासना बहाल की जा रही है। यहेजकेल की भविष्यवाणियाँ उपासना के हर मामले में पूरी हो रही हैं। हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपने लोगों से खुश है, ठीक जैसे उसने यहेजकेल के ज़रिए कहा था, ‘मैं तुमसे खुश होऊँगा।’ (यहे. 20:41) यहोवा के लोग सदियों तक झूठे धर्मों की गुलामी में रहने के बाद आज़ाद हो गए हैं। आज वे सब मिलकर एक-जैसी सच्चाइयाँ सीख रहे हैं और दुनिया-भर में यहोवा की महिमा कर रहे हैं। क्या आप यहोवा के लोगों में से एक होने पर गर्व महसूस करते हैं? बहाली के बारे में यहेजकेल की कुछ भविष्यवाणियाँ आगे चलकर और भी बड़े पैमाने पर पूरी होंगी।

“अदन के बाग जैसा”

33-35. (क) यहेजकेल 36:35 की भविष्यवाणी यहूदियों के लिए क्या मायने रखती थी? (ख) आज यह भविष्यवाणी हमारे लिए क्या मायने रखती है? (यह बक्स भी देखें: “जब ‘सबकुछ पहले जैसा’ हो जाएगा।”)

33 जैसे हमने देखा, 1914 में जब यीशु को राजा बनाया गया, तो दाविद के वंश को दोबारा राजगद्दी मिल गयी और तब से वह दौर शुरू हुआ जब ‘सबकुछ पहले जैसा कर दिया जाता।’ (यहे. 37:24) फिर यहोवा ने मसीह के ज़रिए अपने लोगों के बीच शुद्ध उपासना बहाल करवायी जो झूठे धर्मों की बँधुआई से छूट गए थे। लेकिन क्या बहाली का काम खत्म हो चुका है? बिलकुल नहीं। यहेजकेल की भविष्यवाणियाँ हमारे अंदर उमंग जगाती हैं कि भविष्य में और भी लाजवाब तरीके से बहाली का काम किया जाएगा।

34 उदाहरण के लिए, इन शब्दों पर ध्यान दीजिए, “लोग कहेंगे, ‘यह देश जो कभी उजाड़ पड़ा था, अब अदन के बाग जैसा बन गया है।’” (यहे. 36:35) यहेजकेल और दूसरे यहूदियों ने इसका क्या मतलब समझा होगा? उन्होंने यह तो उम्मीद नहीं की होगी कि जब वे अपने देश लौटेंगे, तो वह सचमुच अदन के बाग जैसा हो जाएगा, जिसे यहोवा ने बनाया था। (उत्प. 2:8) इसके बजाय उन्होंने समझा होगा कि यहोवा उन्हें यकीन दिला रहा है कि जब उनका देश दोबारा बसाया जाएगा, तो वहाँ अच्छी उपज होगी और वह बहुत ही खूबसूरत होगा।

35 यहोवा का यह वादा आज हमारे लिए क्या मायने रखता है? हम यह उम्मीद नहीं करते कि यह दुष्ट दुनिया, जिसे शैतान चला रहा है, अदन के बाग की तरह आज खूबसूरत बन जाएगी। इसके बजाय हम जानते हैं कि वह भविष्यवाणी आज लाक्षणिक तौर पर पूरी हो रही है। हम अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर फिरदौस जैसे माहौल का आनंद ले रहे हैं। हम ऐसी ज़िंदगी जीते हैं जिससे दूसरों का भला होता है और यहोवा के नाम की महिमा होती है और हम उसकी पवित्र सेवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं। यह फिरदौस दिन-ब-दिन और भी खूबसूरत होता जा रहा है। अब आइए जानें कि यह वादा भविष्य में कैसे पूरा होगा।

36, 37. फिरदौस में कौन-से वादे पूरे होंगे?

36 हर-मगिदोन के बाद यीशु बहाली का काम इतने बड़े पैमाने पर करेगा कि पूरी धरती फिरदौस बन जाएगी। अपने हज़ार साल के शासन काल में वह इंसानों को निर्देश देगा कि वे पूरी धरती को अदन के बाग की तरह फिरदौस बना दें, जैसे यहोवा ने शुरू से चाहा है। (लूका 23:43) तब सभी इंसान एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहेंगे, धरती की अच्छी देखभाल करेंगे और उन्हें ज़मीन से भरपूर उपज मिलेगी। उस वक्‍त किसी बात का डर या खतरा नहीं होगा। वे भी क्या दिन होंगे जब यहोवा का यह वादा पूरा होगा: “मैं उनके साथ एक शांति का करार करूँगा और देश से खूँखार जंगली जानवरों को निकाल दूँगा ताकि वे लोग वीराने में महफूज़ रह सकें और जंगलों में सो सकें।”​—यहे. 34:25.

37 क्या आप मन की आँखों से देख सकते हैं कि वह समय कैसा होगा? इस विशाल धरती पर आप जहाँ चाहे वहाँ घूमने जा पाएँगे। आपको किसी भी जानवर से खतरा नहीं होगा, न ही किसी और चीज़ का डर होगा। आप अकेले भी घने जंगल की सैर कर पाएँगे और ऊँचे-ऊँचे पेड़ों की खूबसूरती निहार पाएँगे। आप जंगल में भी बेखौफ सो पाएँगे और जब आपकी नींद खुलेगी, तो आप तरो-ताज़ा महसूस करेंगे और सुरक्षित होंगे।

वे भी क्या दिन होंगे जब हम बेखौफ होकर ‘जंगल में भी सो सकेंगे!’ (पैराग्राफ 36, 37 देखें)

38. यहेजकेल 28:26 में बताए वादे के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

38 हम यहोवा का यह वादा भी पूरा होते देखेंगे: “वहाँ वे महफूज़ बसे रहेंगे, घर बनाएँगे और अंगूरों के बाग लगाएँगे। वे तब महफूज़ बसे रहेंगे जब मैं उनके आस-पास के लोगों का न्याय करके उन्हें सज़ा दूँगा जो उन्हें तुच्छ जानकर उनके साथ नीच व्यवहार करते हैं। और उन्हें जानना होगा कि मैं उनका परमेश्‍वर यहोवा हूँ।” (यहे. 28:26) धरती पर यहोवा का कोई भी दुश्‍मन नहीं होगा। हर कहीं शांति और सुरक्षा होगी। हम धरती की अच्छी देखभाल कर पाएँगे, अपना और अपने दोस्तों का और परिवारवालों का भी खयाल रख पाएँगे। हम रहने के लिए आरामदायक घर बनाएँगे और अंगूरों के बाग लगाएँगे।

39. आप क्यों यकीन रख सकते हैं कि फिरदौस के बारे में यहेजकेल की भविष्यवाणियाँ ज़रूर सच होंगी?

39 क्या ये सभी वादे सचमुच पूरे होंगे? कहीं यह सब एक सपना तो नहीं? अगर कभी आपको ऐसा लगे, तो ध्यान दीजिए कि आज भी आप अपनी आँखों से देख रहे हैं कि कैसे “सबकुछ पहले जैसा” हो रहा है। इतिहास के इस सबसे मुश्‍किल दौर में, शैतान के लाख विरोध के बावजूद यीशु परमेश्‍वर की मदद से शुद्ध उपासना को बहाल कर रहा है। इससे हमें पूरा यकीन हो जाता है कि यहोवा ने यहेजकेल के ज़रिए जितने भी वादे किए हैं, वे आगे भी पूरे होंगे!

^ पैरा. 2 ज़्यादातर यहूदी बैबिलोन शहर से थोड़ी दूर बस्तियों में रहते थे। जैसे, यहेजकेल कबार नदी के पास एक बस्ती में कुछ यहूदियों के साथ रहता था। (यहे. 3:15) लेकिन कुछ यहूदी बैबिलोन शहर में रहते थे। जैसे, “शाही घराने के और ऊँचे खानदान के लोग।”​—दानि. 1:3, 6; 2 राजा 24:15.

^ पैरा. 25 मिसाल के लिए, हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि 16वीं सदी के प्रोटेस्टेंट धर्म सुधारकों में से कौन अभिषिक्‍त मसीही थे।