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अध्याय 10

“तुम ज़िंदा हो जाओगी”

“तुम ज़िंदा हो जाओगी”

यहेजकेल 37:5

अध्याय किस बारे में है: ‘सूखी हड्डियों’ का दर्शन। उनमें कैसे जान आ गयी और यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कैसे पूरी हुई

1-3. बैबिलोन में रहनेवाले यहूदी क्यों उदास हैं? (शुरूआती तसवीर देखें।)

 बैबिलोन में रहनेवाले यहूदी बहुत उदास हैं। करीब पाँच साल से यहेजकेल भविष्यवाणी कर रहा था कि यरूशलेम का नाश हो जाएगा मगर वे यकीन नहीं कर रहे थे। उसने कितनी ही बार यह भविष्यवाणी अभिनय के रूप में की, उन्हें मिसालें दे-देकर समझाया, कितने ही संदेश दिए, फिर भी वे मानने को तैयार नहीं थे कि ऐसा होगा। यहाँ तक कि जब उन्हें खबर मिली कि बैबिलोन की सेना ने यरूशलेम को घेर लिया है, तब भी वे सोच रहे थे कि शहर के लोगों को कुछ नहीं होगा।

2 मगर अब घेराबंदी के दो साल बाद, यरूशलेम से कोई भागकर बैबिलोन आया है और उसने यह खबर दी है, “शहर पर कब्ज़ा कर लिया गया है!” यह खबर सुनकर उनके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। वे इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि उनका प्यारा देश, उनका शहर और वहाँ का पवित्र मंदिर, यह सब कैसे मिट सकता है। वे लंबे समय से उम्मीद लगाए हुए थे कि उनके शहर को कुछ नहीं होगा, मगर अब सबकुछ खाक में मिल गया है।—यहे. 21:7; 33:21.

3 बैबिलोन में यहूदी बुरी तरह मायूस हैं। मगर तभी यहेजकेल को एक दर्शन मिलता है जिससे उनके दिलों में उम्मीद की किरण जाग उठती है। आखिर उस दर्शन में ऐसी क्या बात थी जिससे उन्हें आशा मिलती है? इस दर्शन से आज परमेश्‍वर के लोग क्या सीख सकते हैं? हममें से हरेक को इस ब्यौरे से कैसे हिम्मत मिल सकती है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए आइए देखें कि यहोवा दर्शन में यहेजकेल को क्या दिखाता है।

“इन हड्डियों के बारे में भविष्यवाणी कर” और “हवा को भविष्यवाणी सुना”

4. यहेजकेल का ध्यान किन बातों पर गया?

4 यहेजकेल 37:1-10 पढ़िए। दर्शन में यहेजकेल को एक घाटी के मैदान में खड़ा किया जाता है जो हड्डियों से भरी है। यहेजकेल को वहाँ “चारों तरफ घुमाया” जाता है ताकि वह अपनी आँखों से वहाँ का मंज़र अच्छी तरह देख सके। घाटी में चलते हुए जब यहेजकेल चारों तरफ नज़र दौड़ाता है, तो उसका ध्यान दो बातों पर जाता है। एक यह कि घाटी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक “हड्डियाँ-ही-हड्डियाँ”  हैं और दूसरी यह कि वे हड्डियाँ “एकदम सूखी”  हैं।

5. (क) यहोवा ने यहेजकेल को कौन-सी दो आज्ञाएँ दीं? (ख) जब उसने वे आज्ञाएँ पूरी कीं, तो क्या हुआ?

5 फिर यहोवा यहेजकेल को दो आज्ञाएँ देता है जिसकी वजह से सिलसिलेवार ढंग से बहाली होती है। पहली आज्ञा थी, “इन हड्डियों के बारे में भविष्यवाणी कर” यानी उसे हड्डियों से कहना था कि वे ‘ज़िंदा हो जाएँ।’ (यहे. 37:4-6) जैसे ही यहेजकेल यह भविष्यवाणी करता है, ‘ज़ोर की खड़खड़ाहट सुनायी पड़ती है और हड्डियाँ एक-दूसरे से जुड़ने लगती हैं।’ फिर ‘हड्डियों पर नसें लगने लगती हैं, माँस भरने लगता है और खाल चढ़ने लगती है।’ (यहे. 37:7, 8) दूसरी आज्ञा थी, “हवा को भविष्यवाणी सुना” यानी उसे हवा से कहना था कि वह उनमें ‘समा जाए।’ जब वह यह भविष्यवाणी करता है, तो ‘उनमें साँस आ जाती है, वे ज़िंदा हो जाती हैं और अपने पैरों पर उठ खड़ी होती हैं। और उनसे एक बहुत बड़ी सेना बन जाती है।’—यहे. 37:9, 10.

“हमारी हड्डियाँ सूख गयी हैं, हमारी आशा मिट चुकी है”

6. यहोवा ने यहेजकेल को दर्शन का क्या मतलब समझाया?

6 अब यहोवा यहेजकेल को दर्शन का मतलब बताता है। “इन हड्डियों का मतलब इसराएल का पूरा घराना है।” बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों ने जब यरूशलेम के नाश की खबर सुनी, तो उनका दिल दहल उठा। वे बिलकुल मुरदों जैसे हो गए। वे यह कहकर शोक मनाने लगे, “हमारी हड्डियाँ सूख गयी हैं, हमारी आशा मिट चुकी है। हमें पूरी तरह काट डाला गया है।” (यहे. 37:11; यिर्म. 34:20) उनका यह दुख देखकर यहोवा ने दर्शन के ज़रिए उन्हें आशा दी कि जैसे बेजान हड्डियों में जान आ गयी थी, वैसे ही इसराएल को भी एक उज्ज्वल भविष्य मिलेगा।

7. (क) यहेजकेल 37:12-14 के मुताबिक यहोवा ने यहेजकेल को क्या बताया? (ख) इससे यहूदियों को किस बात का यकीन हुआ?

7 यहेजकेल 37:12-14 पढ़िए। इस दर्शन के ज़रिए यहोवा ने यहूदियों को यकीन दिलाया कि वह उन्हें जीवन देगा, उनके देश वापस ले जाएगा और वहाँ उन्हें बसाएगा। और-तो-और यहोवा उन्हें पहले की तरह ‘मेरे लोग’ कहता है। यह सुनकर उन दुखी यहूदियों के चेहरे खिल उठे होंगे। लेकिन वे कैसे यकीन कर सकते हैं कि बहाली का यह वादा सच में पूरा होगा? क्योंकि यह वादा यहोवा ने किया है। वह कहता है, “यह बात मुझ यहोवा ने कही है और मैंने ही इसे पूरा किया है।”

8. (क) “इसराएल का पूरा घराना” किस मायने में बेजान हालत में था? (ख) यहेजकेल 37:9 के मुताबिक इसराएल की हालत मुरदों जैसी क्यों हो गयी थी? (फुटनोट देखें।)

8 प्राचीन इसराएल की हालत किस मायने में बेजान हड्डियों जैसी हो गयी थी? ईसा पूर्व 740 में जब दस गोत्रोंवाले राज्य का नाश हो गया और वह बँधुआई में चला गया, तब से इसराएल राष्ट्र का यहोवा के साथ रिश्‍ता टूटने लगा। फिर करीब 130 साल बाद यहूदा के लोगों को भी बंदी बनाकर ले जाया गया। इस तरह “इसराएल का पूरा घराना” बँधुआई में चला गया। (यहे. 37:11) पूरा इसराएल राष्ट्र सूखी हड्डियों की तरह बेजान हो गया। * याद कीजिए कि यहेजकेल ने जो हड्डियाँ देखीं, वे “एकदम सूखी”  हुई थीं। इससे पता चलता है कि इसराएलियों की मुरदों जैसी हालत लंबे समय तक रही। इसराएल और यहूदा 200 से ज़्यादा साल तक इस हाल में रहे। *यिर्म. 50:33.

9. प्राचीन इसराएल और “परमेश्‍वर के इसराएल” के साथ कैसे एक-जैसी घटनाएँ घटीं?

9 इसराएल की बहाली के बारे में यहेजकेल की भविष्यवाणियाँ और दूसरी कुछ भविष्यवाणियाँ आगे चलकर बड़े पैमाने पर भी पूरी हुईं। (प्रेषि. 3:21) जिस तरह प्राचीन इसराएल राष्ट्र एक तरह से ‘मारा गया’ था और एक लंबे समय तक बेजान हालत में रहा, उसी तरह ‘परमेश्‍वर का इसराएल’ यानी अभिषिक्‍त मसीहियों की मंडली लाक्षणिक रूप से मार डाली गयी और लंबे समय तक बँधुआई में बेजान हालत में रही। (गला. 6:16) ऐसे में अभिषिक्‍त मसीहियों की मंडली की हालत उन हड्डियों की तरह हो गयी जो “एकदम सूखी” हुई थीं। यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता टूट चुका था। (यहे. 37:2) जैसे हमने पिछले अध्याय में जाना था, अभिषिक्‍त मसीहियों की मंडली दूसरी सदी से कई सदियों तक मानो बँधुआई में रही। यीशु ने भी गेंहू और जंगली पौधों की मिसाल देकर भविष्यवाणी की थी कि ऐसा होगा।—मत्ती 13:24-30.

‘हड्डियाँ एक-दूसरे से जुड़ने लगीं’

हड्डियाँ “एकदम सूखी” हुई थीं। वे इस बात को दर्शाती हैं कि अभिषिक्‍त जन लंबे समय तक बँधुआई में बेजान हालत में रहते (पैराग्राफ 8, 9 देखें)

10. (क) यहेजकेल 37:7, 8 में परमेश्‍वर के लोगों के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी? (ख) यहूदियों का विश्‍वास किन कारणों से बढ़ा होगा?

10 पुराने ज़माने में जब यहोवा के लोग बेजान हालत में थे, तो यहोवा ने उन्हें बताया कि उनमें धीरे-धीरे जान आ जाएगी। (यहे. 37:7, 8) परमेश्‍वर का डर माननेवाले यहूदियों को धीरे-धीरे इस बात पर विश्‍वास हुआ कि एक दिन वे ज़रूर अपने देश लौटेंगे। वह कैसे? एक तो उन्हें यहेजकेल से पहले के भविष्यवक्‍ताओं की बातों से आशा मिली होगी। जैसे, यशायाह ने भविष्यवाणी की थी कि “पवित्र वंश” यानी कुछ बचे हुए यहूदी अपने देश लौटेंगे। (यशा. 6:13; अय्यू. 14:7-9) फिर यहेजकेल की भविष्यवाणियों से उनका विश्‍वास बढ़ गया होगा जिसने बहाली के बारे में कई भविष्यवाणियाँ की थीं। इसके अलावा, बैबिलोन में भविष्यवक्‍ता दानियेल जैसे वफादार लोग भी थे जिनकी वजह से उनकी आशा बरकरार रही होगी। और फिर जब उन्होंने ईसा पूर्व 539 में खुद अपनी आँखों से बैबिलोन शहर का अचानक पतन देखा, तो उन्हें पूरा यकीन हो गया होगा कि वे ज़रूर अपने देश लौटेंगे।

11, 12. (क) ‘परमेश्‍वर का इसराएल’ कैसे धीरे-धीरे बहाल हुआ? (यह बक्स भी देखें: “शुद्ध उपासना धीरे-धीरे बहाल हुई।”) (ख) यहेजकेल 37:10 में लिखी बात से क्या सवाल उठता है?

11 “परमेश्‍वर के इसराएल” यानी अभिषिक्‍त मसीहियों की मंडली भी धीरे-धीरे बहाल हुई। वह कैसे? यह मंडली सदियों से लाक्षणिक तौर पर बँधुआई में थी और उसकी हालत बेजान थी। फिर “ज़ोर की खड़खड़ाहट सुनायी पड़ी” यानी परमेश्‍वर का डर माननेवाले कुछ लोगों ने सच्ची उपासना को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाया। मिसाल के लिए,16वीं सदी में विलियम टिंडेल ने बाइबल का अँग्रेज़ी में अनुवाद किया। रोमन कैथोलिक चर्च के पादरियों को यह देखकर बहुत गुस्सा आया कि अब आम इंसान भी बाइबल पढ़ सकता है। टिंडेल को मार डाला गया। फिर भी, कुछ लोगों ने निडर होकर दूसरी कई भाषाओं में बाइबल का अनुवाद किया। इसलिए इस अँधेरी दुनिया में परमेश्‍वर के वचन की रौशनी धीरे-धीरे फैलने लगी।

12 बाद में भाई चार्ल्स टी. रसल और उनके साथियों ने बड़े जोश से बाइबल की सच्चाइयों की दोबारा खोज करनी शुरू की। यह ऐसा था मानो हड्डियों पर ‘नसें लगने लगीं और माँस भरने लगा।’ वे प्रहरीदुर्ग  और कुछ प्रकाशन निकालने लगे जिससे नेकदिल लोग धीरे-धीरे सच्चाई समझने लगे। तब वे भी परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त लोगों के साथ जुड़ गए। बीसवीं सदी की शुरूआत में अँग्रेज़ी में समाप्त रहस्य  नाम की किताब, “सृष्टि का चलचित्र” और इस तरह के कुछ और प्रकाशन निकाले गए जिससे अभिषिक्‍त जनों का जोश और बढ़ गया। कुछ समय बाद परमेश्‍वर ने अपने लोगों को “अपने पैरों पर उठ खड़े” होने के काबिल बनाया। (यहे. 37:10) यह कब और कैसे हुआ? इसका जवाब जानने के लिए आइए पहले प्राचीन बैबिलोन में हुई घटनाओं पर गौर करें।

“वे ज़िंदा हो गए और अपने पैरों पर उठ खड़े हुए”

13. (क) यहेजकेल 37:10, 14 की भविष्यवाणी ईसा पूर्व 537 से कैसे पूरी होने लगी? (ख) किन आयतों से पता चलता है कि दस गोत्रोंवाले राज्य के कुछ लोग इसराएल लौटे थे?

13 बैबिलोन में रहनेवाले यहूदियों ने ईसा पूर्व 537 से इस दर्शन की भविष्यवाणी को पूरा होते देखा। कैसे? यहोवा ने उन्हें बँधुआई से छुड़ाया और इसराएल देश वापस ले आया। एक तरह से यहोवा ने उन्हें ज़िंदा किया और “अपने पैरों पर उठ खड़े” होने के काबिल बनाया। बँधुआई से लौटनेवालों में 42,360 इसराएली और करीब 7,000 गैर-इसराएली थे। उन सबने यरूशलेम और उसके मंदिर को दोबारा बनाया और वे इसराएल देश में बस गए। (एज्रा 1:1-4; 2:64, 65; यहे. 37:14) फिर करीब 70 साल बाद जब एज्रा यरूशलेम लौटा, तो उसके साथ बैबिलोन से करीब 1,750 लोग आए। (एज्रा 8:1-20) तो कुल मिलाकर 44,000 से ज़्यादा यहूदी अपने देश लौटे, जो कि एक “बड़ी सेना” थी। (यहे. 37:10) बाइबल की कुछ आयतों से हमें पता चलता है कि उनके अलावा दस गोत्रोंवाले राज्य के कुछ लोग भी इसराएल लौटे, ताकि मंदिर बनाने के काम में हाथ बँटा सकें। वे उन लोगों के वंशज थे जिन्हें अश्‍शूरी लोग ईसा पूर्व आठवीं सदी में बंदी बनाकर ले गए थे।—1 इति. 9:3; एज्रा 6:17; यिर्म. 33:7; यहे. 36:10.

14. (क) यहेजकेल 37:24 से कैसे पता चलता है कि सूखी हड्डियों की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कब पूरी होगी? (ख) 1919 में क्या हुआ? (यह बक्स भी देखें: “‘सूखी हड्डियाँ’ और ‘दो गवाह’—इनका आपस में क्या नाता है?”)

14 यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कैसे पूरी हुई कि यहोवा के लोग ज़िंदा होंगे, अपने पैरों पर उठ खड़े होंगे और उनकी एक बड़ी सेना बन जाएगी? इसी से जुड़ी एक और भविष्यवाणी से पता चलता है कि जब महान दाविद, यीशु मसीह, राजा के नाते राज करना शुरू करता, तो उसके कुछ समय बाद बहाली की यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर पूरी होती। * (यहे. 37:24) वाकई ऐसा ही हुआ। यहोवा ने 1919 में अपने लोगों को पवित्र शक्‍ति दी। तब “वे ज़िंदा हो गए” और महानगरी बैबिलोन की बँधुआई से छूट गए। (यशा. 66:8) इसके बाद यहोवा ने उन्हें उनके “देश” में यानी फिरदौस जैसे माहौल में बसाया। लेकिन वे एक “बड़ी सेना” कैसे बने?

15, 16. (क) हमारे समय में यहोवा के लोगों की एक “बड़ी सेना” कैसे बन गयी? (ख) यहेजकेल की इस भविष्यवाणी से हमें कैसे हिम्मत मिल सकती है? (यह बक्स देखें: “अपने पैरों पर उठ खड़े होने के लिए सहारा।”)

15 जब मसीह ने 1919 में विश्‍वासयोग्य दास को ठहराया, तो उसके कुछ समय बाद यहोवा के सेवकों ने जकरयाह की एक भविष्यवाणी को पूरा होते देखा। जकरयाह भी बँधुआई से लौटनेवालों में से था। उसने यह भविष्यवाणी की, ‘कई देशों के लोग और बड़े-बड़े राष्ट्र यहोवा की खोज’ करेंगे। जकरयाह ने इन लोगों की तुलना ऐसे ‘दस लोगों’ से की जो ‘अलग-अलग भाषा बोलनेवाले सब राष्ट्रों में से हैं।’ वे लोग “एक यहूदी” यानी लाक्षणिक इसराएल के कपड़े का छोर पकड़ेंगे और कहेंगे, “हम तुम्हारे साथ चलना चाहते हैं क्योंकि हमने सुना है, परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।”—जक. 8:20-23.

16 आज यहोवा के लोगों की “एक बहुत बड़ी सेना” है और इसकी तादाद लाखों में है। (यहे. 37:10) यह सेना लाक्षणिक इसराएल (यानी बचे हुए अभिषिक्‍त जन) से बनी है और इसमें “दस लोग” यानी दूसरी भेड़ें भी शामिल हैं। मसीह के सैनिकों के नाते हम अपने राजा की हर आज्ञा मानते हैं और हमें बहुत जल्द वे सारी आशीषें मिलनेवाली हैं जिनका हमसे वादा किया गया है।—भज. 37:29; यहे. 37:24; फिलि. 2:25; 1 थिस्स. 4:16, 17.

17. अगले अध्याय में हम क्या चर्चा करेंगे?

17 जब शुद्ध उपासना बहाल हुई, तो इसके साथ-साथ परमेश्‍वर के लोगों को एक खास ज़िम्मेदारी भी मिली। वह क्या है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें गौर करना होगा कि यरूशलेम के नाश से पहले यहोवा ने यहेजकेल को क्या ज़िम्मेदारी दी थी। अगले अध्याय में हम इस बारे में चर्चा करेंगे।

^ पैरा. 8 यहेजकेल ने दर्शन में ऐसे लोगों की हड्डियाँ देखीं जो “मारे गए”  थे, न कि अपने आप मर गए थे। (यहे. 37:9) इससे पता चलता है कि पूरे  इसराएल राष्ट्र की हालत मुरदों जैसी क्यों हो गयी थी। जब दस गोत्रोंवाले इसराएल राज्य के लोगों को अश्‍शूरी लोग बंदी बनाकर ले गए और बाद में दो गोत्रोंवाले यहूदा राज्य के लोगों को बैबिलोनी लोग बंदी बनाकर ले गए, तो “इसराएल का पूरा घराना” एक तरह से मार डाला गया। मतलब, यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता टूट गया।

^ पैरा. 8 वे इस हाल में ई.पू. 740 से ई.पू. 537 तक रहे, यानी इसराएल लौटने तक।

^ पैरा. 14 मसीहा के बारे में यह भविष्यवाणी इस किताब के अध्याय 8 में समझायी गयी है।