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शासी निकाय का खत

शासी निकाय का खत

यहोवा से प्यार करनेवाले भाई-बहनो:

सन्‌ 1971 के ज़िला सम्मेलन का विषय था, “परमेश्‍वर का नाम।” जो लोग उस सम्मेलन में हाज़िर हुए थे वे खुशी से फूले नहीं समाए, क्योंकि उसमें कई सारी नयी किताबें रिलीज़ की गयी थीं। कहा जाता है कि ये किताबें पाकर लोगों को अपनी आँखों पर विश्‍वास नहीं हो रहा था। उनमें से एक किताब के बारे में एक भाई ने कहा, “आनेवाले समय की एक झलक देनेवाली ऐसी रोमांचक किताब हमने आज तक नहीं पढ़ी!” वह कौन-सी किताब थी? वह एक अँग्रेज़ी किताब थी जिसका हिंदी में नाम है,“जातियाँ यह जानेंगी कि मैं यहोवा हूँ”—कैसे?  यह किताब पाकर लोग क्यों खुशी से बाग-बाग हो गए? क्योंकि उस किताब में यहेजकेल की उन भविष्यवाणियों की समझ दी गयी थी जिसके पूरा होने से इंसानों के भविष्य पर गहरा असर होगा। उस समय तक उन भविष्यवाणियों के बारे में हमारी जो समझ थी, वह उस किताब में दी गयी थी।

उन दिनों परमेश्‍वर के लोगों की गिनती करीब 15 लाख थी। मगर बाद के सालों में यह गिनती बढ़ती गयी और आज हमारी गिनती 80 लाख से ज़्यादा है। (यशा. 60:22) यहोवा के ये लाखों सेवक 900 से ज़्यादा भाषाएँ बोलते हैं। (जक. 8:23) इनमें से ज़्यादातर लोगों ने कभी ऐसी किताब नहीं पढ़ी जिसमें यहेजकेल की भविष्यवाणियाँ खुलकर समझायी गयी हों।

सन्‌ 1971 के बाद के सालों में बाइबल की कई सच्चाइयों के बारे में हमें गहरी समझ मिली, क्योंकि सच्चाई की रौशनी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। (नीति. 4:18) मिसाल के लिए, 1985 में हमने ठीक-ठीक समझा कि “दूसरी भेड़ें” किस मायने में नेक ठहरती हैं और परमेश्‍वर के दोस्त बनती हैं। (यूह. 10:16; रोमि. 5:18; याकू. 2:23) फिर 1995 में हमने पहली बार समझा कि “भेड़ों” और “बकरियों” का अंतिम फैसला भविष्य में “महा-संकट” के दौरान किया जाएगा। (मत्ती 24:21; 25:31, 32) इन विषयों पर हमारी समझ में जो फेरबदल हुआ है, उस वजह से यहेजकेल किताब के बारे में भी हमने कई नयी बातें जानी हैं।

“इंसान के बेटे, मैं तुझे जो कुछ दिखाऊँगा वह सब तू गौर से देखना और मेरी हर बात ध्यान से सुनना। मैं तुझे जो भी दिखाऊँगा उस पर पूरा ध्यान देना क्योंकि तुझे यहाँ इसीलिए लाया गया है।”—यहेजकेल 40:4

हाल के कुछ सालों में सच्चाई की रौशनी और भी तेज़ चमकी है। जैसे, यीशु की मिसालों के बारे में हमने जाना कि इनसे हमें क्या सीख मिलती है और ये बातें हमारे दिलो-दिमाग में अच्छी तरह बैठ गयी हैं। हमने जाना कि यीशु की कई मिसालों में जिन घटनाओं का ज़िक्र है, वे बहुत जल्द महा-संकट के दौरान होंगी। बीते कुछ सालों में हमने यहेजकेल किताब की कुछ भविष्यवाणियों का मतलब भी सही-सही समझा। जैसे, मागोग देश के गोग के बारे में (अध्याय 38 और 39), शास्त्री की दवात लिए आदमी के बारे में (अध्याय 9) और सूखी हड्डियों से भरी घाटी और दो छड़ियों के जुड़ने के बारे में (अध्याय 37)। इन विषयों पर 1971 की उस किताब में जो जानकारी दी गयी थी, उसके मुकाबले आज हमारे पास काफी नयी जानकारी है।

ताज्जुब की बात नहीं कि हमारे कई भाई-बहनों ने पूछा है कि हमें यहेजकेल की भविष्यवाणियों पर नयी जानकारी देनेवाली किताब कब मिलेगी। सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!  नाम की इस नयी किताब से उनकी ख्वाहिश पूरी हो जाएगी। इस किताब में 22 अध्याय हैं और कई खूबसूरत तसवीरें हैं। जब आप ये अध्याय पढ़ेंगे और तसवीरों पर गौर करेंगे, तो आप यह देखकर दंग रह जाएँगे कि इस किताब को तैयार करने के लिए कितनी मेहनत की गयी और कितनी खोजबीन की गयी! यहोवा ने यहेजकेल नाम की रोमांचक किताब क्यों लिखवायी थी, यह समझने के लिए काफी प्रार्थना की गयी और गहराई से विचार किया गया। कुछ ऐसे सवालों पर विचार किया गया जैसे, यहेजकेल के ज़माने के लोगों ने उसकी किताब से क्या-क्या सीखा और आज हम क्या सीख सकते हैं? उसकी कौन-सी भविष्यवाणियाँ आगे चलकर पूरी होंगी? क्या हमें यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि यहेजकेल की भविष्यवाणियों में जो लिखा है वह किन बातों को दर्शाता है? शुद्ध उपासना  नाम की इस किताब में इन सवालों के जवाब दिए गए हैं, जिन्हें जानने से आप यहेजकेल की दिलचस्प किताब को अच्छी तरह समझ पाएँगे।

जब आप यहेजकेल किताब को शुरू से आखिर तक पढ़ेंगे, तो आप यह जानकर हैरान रह जाएँगे कि यहोवा के संगठन का जो हिस्सा स्वर्ग में हैं, वह कितना लाजवाब है। आपको यह जानकर भी ताज्जुब होगा कि यहोवा ने स्वर्ग और धरती पर अपने सेवकों के लिए कितने ऊँचे स्तर ठहराए हैं। शुद्ध उपासना  किताब से आप जानेंगे कि यहोवा ने अपने लोगों के लिए कितना कुछ किया है और आगे भी क्या करनेवाला है। आपका दिल यहोवा के लिए एहसान से भर जाएगा। आप देखेंगे कि इस किताब में दो बातों पर बार-बार ज़ोर दिया गया है। एक यह कि यहोवा को खुश करने के लिए हमें दिल से मानना होगा कि वही सारे जहान का मालिक है। दूसरी बात, हमें यहोवा की उपासना वैसे करनी चाहिए जैसे वह चाहता है और उसके ऊँचे स्तरों के मुताबिक ज़िंदगी बितानी चाहिए।

हमारी कामना है कि इस किताब को पढ़ने से शुद्ध उपासना करने का आपका इरादा और मज़बूत हो ताकि यहोवा के महान और पवित्र नाम की महिमा हो। साथ ही वह समय देखने के लिए आपके अंदर उमंग जागे जब सब राष्ट्रों को जानना पड़ेगा कि यहोवा कौन है।—यहे. 36:23; 38:23.

हमारी दुआ है कि हमारे पिता यहोवा ने यहेजकेल से जो किताब लिखवायी थी, उसे समझने में वह आपकी मदद करे।

आपके भाई,

यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय