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अध्याय 15

“मैं तेरे वेश्‍या के कामों का अंत कर दूँगा”

“मैं तेरे वेश्‍या के कामों का अंत कर दूँगा”

यहेजकेल 16:41

अध्याय किस बारे में है: यहेजकेल और प्रकाशितवाक्य किताब में वेश्‍याओं का जो ब्यौरा दिया गया है, उससे हमें क्या सीख मिलती है

1, 2. किस तरह की वेश्‍या से हमें खास तौर से नफरत होगी?

 कई बार सुनने में आता है कि कुछ भोली-भाली मासूम लड़कियाँ साफ-सुथरी ज़िंदगी जीना छोड़कर वेश्‍या बन जाती हैं। कई मजबूरियों के चलते वे इस दलदल में फँस जाती हैं। या तो घर में ही उनके साथ दुष्कर्म किया जाता है या उन्हें मारा-पीटा जाता है या फिर गरीबी के दलदल से निकलने के लिए उनके पास कोई रास्ता नहीं बचता। इसलिए वे खुद को बेच देती हैं। यहाँ तक कि कुछ शादीशुदा औरतें भी पति के ज़ुल्मों से तंग आकर वेश्‍या बन जाती हैं। इस बेरहम दुनिया में न जाने कितनी ही लड़कियों और औरतों पर ऐसा अत्याचार हुआ है। इसलिए ताज्जुब की बात नहीं कि यीशु मसीह को इस तरह की कुछ औरतों पर तरस आया और वह उनके साथ कृपा से पेश आया। उसने बताया कि जो लोग पश्‍चाताप करेंगे और अपने तौर-तरीके बदलेंगे, वे एक अच्छी ज़िंदगी जी पाएँगे।—मत्ती 21:28-32; लूका 7:36-50.

2 मगर आप एक ऐसी वेश्‍या के बारे में क्या कहेंगे जिसने किसी मजबूरी की वजह से नहीं बल्कि जानबूझकर यह रास्ता चुना है। उसका पति उससे बहुत प्यार करता था और उसका वफादार था। मगर फिर भी वह उससे बेवफाई करके खुद एक वेश्‍या बन गयी है। और-तो-और उसे यह कोई नीच काम नहीं लगता! उसे तो खुद पर बड़ा गुमान है कि वह कितना पैसा कमा रही है और कितने लोगों को अपनी मुट्ठी में कर पाती है। ऐसी औरत से हमें इतनी घिन आएगी कि हम नज़र उठाकर उसे देखना भी नहीं चाहेंगे। ऐसी बदचलन औरत से हम जितनी नफरत करते हैं, उतनी ही नफरत यहोवा झूठे धर्मों से करता है। यही वजह है कि उसने झूठे धर्मों की तुलना एक वेश्‍या से की है।

3. इस अध्याय में हम किस बारे में चर्चा करेंगे?

3 यहेजकेल किताब में ऐसे दो ब्यौरे हैं जो खास तौर से गौर करने लायक हैं। उनमें इसराएल और यहूदा के लोगों की तुलना वेश्‍याओं से की गयी है और बताया गया है कि उन्होंने परमेश्‍वर से कितना विश्‍वासघात किया था। (यहे., अध्या. 16 और 23) उन दोनों ब्यौरों पर गौर करने से पहले आइए एक और लाक्षणिक वेश्‍या के बारे में जानें। उसने यहेजकेल के ज़माने से भी पहले, यहाँ तक कि इसराएल राष्ट्र के बनने से काफी समय पहले से बदचलनी शुरू कर दी थी और आज भी वह बहुत मशहूर है। इस वेश्‍या की पहचान बाइबल की आखिरी किताब प्रकाशितवाक्य में दी गयी है।

“वेश्‍याओं की माँ”

4, 5. (क) “महानगरी बैबिलोन” कौन है? (ख) यह हम कैसे जानते हैं? (शुरूआती तसवीर देखें।)

4 यीशु ने प्रेषित यूहन्‍ना को एक दर्शन में एक अजीबो-गरीब शख्स दिखाया। वह एक बदचलन औरत थी जिसे “बड़ी वेश्‍या,” ‘महानगरी बैबिलोन और वेश्‍याओं की माँ’ कहा गया है। (प्रका. 17:1, 5) सदियों से धर्म-गुरु और बाइबल के विद्वान यह रहस्य जानने की कोशिश करते आए हैं कि यह वेश्‍या आखिर किसे दर्शाती है। कुछ लोगों ने कहा कि वह बैबिलोन, रोम या फिर रोमन कैथोलिक चर्च को दर्शाती है। मगर बरसों पहले ही यहोवा के साक्षियों ने सही-सही पहचान लिया कि यह वेश्‍या झूठे धर्मों को दर्शाती है, जो दुनिया-भर में साम्राज्य की तरह फैले हुए हैं। लेकिन हम यह पक्के तौर पर कैसे कह सकते हैं?

5 यह वेश्‍या “पृथ्वी के राजाओं” यानी राजनैतिक शक्‍तियों के साथ नाजायज़ संबंध रखती है। इससे यह पता चलता है कि वह राजनैतिक शक्‍तियों को नहीं दर्शाती।  प्रकाशितवाक्य में यह भी लिखा है कि महानगरी बैबिलोन के नाश पर “पृथ्वी के सौदागर” यानी दुनिया की व्यापार व्यवस्था मातम मनाएगी। इसका मतलब, यह वेश्‍या व्यापार व्यवस्था को भी नहीं दर्शाती।  तो फिर महानगरी बैबिलोन कौन है? बाइबल के मुताबिक यह भ्रष्ट और झूठे धार्मिक संगठनों को दर्शाती है, क्योंकि इसमें लिखा है कि यह वेश्‍या ‘जादू-टोना’ और मूर्तिपूजा करती है और लोगों को गुमराह करती है। यह भी गौर कीजिए कि यह वेश्‍या दुनिया की राजनैतिक शक्‍तियों पर सवार है यानी उसका उन पर काफी दबदबा है। इतना ही नहीं, वह यहोवा के वफादार सेवकों पर ज़ुल्म ढाती है। (प्रका. 17:2, 3; 18:11, 23, 24) झूठे धर्मों का इतिहास देखें तो शुरू से लेकर आज तक ये इसी तरह की करतूतों के लिए मशहूर हैं।

प्राचीन बाबेल से, जो बाद में बैबिलोन कहलाया, सभी झूठे धार्मिक रिवाज़, धारणाएँ और संगठन निकले (पैराग्राफ 6 देखें)

6. महानगरी बैबिलोन को “वेश्‍याओं की माँ” क्यों कहा गया है?

6 महानगरी बैबिलोन को “बड़ी वेश्‍या” के अलावा “वेश्‍याओं की माँ” क्यों कहा गया है? झूठे धर्मों में जो अनगिनत गुट, संप्रदाय और पंथ हैं, वे सब कहाँ से निकले? प्राचीन बाबेल या बैबिलोन में जब भाषा में गड़बड़ी हुई, तो वहाँ से झूठी धार्मिक शिक्षाएँ दूर-दूर तक फैलती गयीं और समय के चलते बेहिसाब किस्म के नए-नए धर्म बनते गए। इस तरह बैबिलोन शहर झूठे धर्मों का जन्म-स्थान बन गया। तो यह कितना सही है कि “महानगरी बैबिलोन” का नाम बैबिलोन शहर के नाम पर पड़ा। (उत्प. 11:1-9) यह कहना गलत नहीं होगा कि सारे झूठे धर्म एक ही संगठन की उपज हैं या यूँ कहें कि एक बड़ी वेश्‍या की “बेटियाँ” हैं। शैतान अकसर इन धर्मों के ज़रिए लोगों को जादू-टोने और मूर्तिपूजा की तरफ लुभाता है और झूठी धारणाओं और रिवाज़ों में उलझाता है, जिससे परमेश्‍वर का घोर अपमान होता है। यही वजह है कि परमेश्‍वर ने अपने लोगों को आगाह किया कि वे दुनिया-भर में फैले इस भ्रष्ट संगठन से दूर रहें। वह उनसे कहता है, ‘मेरे लोगो, उसमें से बाहर निकल आओ। अगर तुम उसके पापों में हिस्सेदार नहीं होना चाहते, तो उसमें से निकल आओ।’—प्रकाशितवाक्य 18:4, 5 पढ़िए।

7. हमें महानगरी बैबिलोन से क्यों ‘बाहर निकल’ आना चाहिए?

7 क्या आपने इस चेतावनी को माना है? याद रखिए कि यहोवा ने इंसानों को इस तरह बनाया कि उनमें “परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख” होती है। (मत्ती 5:3) इस ज़रूरत को पूरा करने का एकमात्र सही तरीका है, यहोवा की शुद्ध उपासना करना। उसे छोड़ किसी और की उपासना करना उसकी नज़र में वेश्‍याओं की तरह बदचलनी करने जैसा है। यहोवा के सेवक यह बात जानते हैं, इसलिए वे झूठी उपासना से जितना हो सके दूर रहते हैं। लेकिन शैतान हमेशा इस ताक में रहता है कि वह परमेश्‍वर के लोगों को झूठी उपासना करने के लिए लुभाए और वह कई बार कामयाब भी हुआ है। पुराने ज़माने में कई बार यहोवा के लोग उसके झाँसे में आ गए थे। यहेजकेल के दिनों तक उन्हें यह पाप करते हुए एक अरसा बीत चुका था। आइए हम इसराएलियों के इतिहास पर एक नज़र डालें। तब हम यहोवा के स्तरों के बारे में और उसके न्याय और उसकी दया के बारे में काफी कुछ सीख सकेंगे।

‘तू एक वेश्‍या बन गयी’

8-10. (क) शुद्ध उपासना के बारे में हमें किस अहम बात का ध्यान रखना चाहिए? (ख) यहोवा झूठी उपासना को किस नज़र से देखता है? उदाहरण देकर समझाइए।

8 जब यहोवा के लोग उससे विश्‍वासघात करके अनैतिक काम करने लगे, तो यहोवा को बहुत दुख हुआ। उसने अपना दुख ज़ाहिर करने के लिए यहेजकेल किताब में दो ब्यौरे लिखवाए। वहाँ उसने अपने लोगों की तुलना वेश्‍याओं से की और बताया कि उनके बुरे चालचलन से उसे कितनी ठेस पहुँची है। मगर उसने अपने लोगों की तुलना वेश्‍याओं से क्यों की?

9 जवाब के लिए याद कीजिए कि इस किताब के अध्याय 5 में हमने क्या सीखा था। हमें शुद्ध उपासना करने के लिए किस अहम बात का ध्यान रखना चाहिए? यहोवा ने इसराएल को कानून में बताया था, “मेरे सिवा [या “मेरे खिलाफ,” फु.] तुम्हारा कोई और ईश्‍वर न हो। . . . मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा माँग करता हूँ कि सिर्फ मेरी भक्‍ति की जाए, मुझे छोड़ किसी और की नहीं।” (निर्ग. 20:3, 5) बाद में एक और बार उसने यही बात ज़ोर देकर बतायी, “तुम किसी और देवता के आगे झुककर उसे दंडवत मत करना, क्योंकि यहोवा यह माँग करने के लिए जाना जाता है कि सिर्फ उसी की भक्‍ति की जाए। हाँ, वह ऐसा परमेश्‍वर है जो माँग करता है कि सिर्फ उसी की भक्‍ति की जाए, किसी और की नहीं।” (निर्ग. 34:14) कितने साफ शब्दों में यहोवा ने उन्हें यह बात बतायी। हमें सिर्फ और सिर्फ  यहोवा की उपासना करनी चाहिए, तभी वह हमारी उपासना स्वीकार करेगा।

10 इस बात की गंभीरता समझने के लिए आइए हम पति-पत्नी के रिश्‍ते का उदाहरण लें। पति-पत्नी दोनों चाहते हैं कि उनका साथी सिर्फ उनसे प्यार करे, उनका वफादार रहे और इस तरह से उम्मीद करना उनका हक भी है। अगर एक साथी किसी पराए से लगाव रखे या उससे रोमानी रिश्‍ता जोड़े, तो दूसरे साथी से यह बरदाश्‍त नहीं होगा और उसे जलन होगी। (इब्रानियों 13:4 पढ़िए।) उसी तरह जब यहोवा के अपने लोग, जो सिर्फ उसके लिए समर्पित हैं, झूठे देवताओं की उपासना करते हैं, तो यहोवा इसे बरदाश्‍त नहीं कर सकता, क्योंकि यह उसकी नज़र में विश्‍वासघात है। ऐसे में उसके दिल पर क्या बीतती है, यह उसने यहेजकेल अध्याय 16 में बताया है।

11. यरूशलेम नगरी कैसे वजूद में आयी, इस बारे में यहोवा क्या बताता है?

11 इस अध्याय में हम पाते हैं कि यहोवा अपना दर्द बयान करते हुए काफी देर तक बात करता है। यहेजकेल किताब के किसी और ब्यौरे में उसने इतनी देर तक बात नहीं की। दरअसल पूरे इब्रानी शास्त्र की किसी और भविष्यवाणी में यहोवा ने इतनी लंबी बात नहीं की। इस अध्याय में वह यरूशलेम नगरी का इतिहास बताता है जो विश्‍वासघाती यहूदा राष्ट्र को दर्शाती है। यहोवा उसकी कहानी सुनाता है कि वह कैसे वजूद में आयी और कैसे उसने यहोवा से विश्‍वासघात किया। उसकी कहानी सुनकर हमें बड़ी हैरानी होती है कि वह इतने घिनौने काम कैसे कर सकती है। इस नगरी की हालत शुरू में एक बच्ची जैसी थी जिसे पैदा होने के बाद कहीं बेसहारा छोड़ दिया गया था और जो अपने खून में पड़ी पैर मार रही थी। उस बच्ची के माता-पिता मूर्तिपूजा करनेवाले कनानी थे। यह इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि जब तक दाविद ने यरूशलेम पर जीत हासिल नहीं की, तब तक वह नगरी यबूसी नाम की एक कनानी जाति के कब्ज़े में थी। यहोवा ने इस नगरी पर तरस खाया, उसे मानो नहलाया-धुलाया और उसकी हर ज़रूरत का खयाल रखा। जब वह बड़ी हो गयी, तो वह मानो यहोवा की पत्नी बन गयी। यह उस वक्‍त हुआ जब इसराएली यरूशलेम में आकर बस गए थे। उन्होंने दाविद के ज़माने से बहुत पहले यानी मूसा के दिनों में अपनी मरज़ी से यहोवा के साथ एक करार किया था और रिश्‍ता जोड़ा था। (निर्ग. 24:7, 8) फिर यरूशलेम नगरी देश की राजधानी बन गयी और यहोवा ने उसे आशीष दी, उसका धन और ऐश्‍वर्य बढ़ाया और उसे खूबसूरत बनाया, ठीक जैसे एक अमीर और रुतबेदार आदमी अपनी पत्नी पर कीमती ज़ेवरों का खज़ाना लुटाकर उसे खुश करता है।—यहे. 16:1-14.

सुलैमान ने अपनी परदेसी पत्नियों के बहकावे में आकर यरूशलेम को मूर्तिपूजा से दूषित कर दिया (पैराग्राफ 12 देखें)

12. यरूशलेम में झूठी उपासना कैसे शुरू हुई?

12 ध्यान दीजिए कि आगे क्या हुआ। यहोवा बताता है, “तू अपनी खूबसूरती पर घमंड करने लगी और तूने अपनी शोहरत का गलत इस्तेमाल किया और एक वेश्‍या बन गयी। तू आने-जानेवाले हर आदमी के साथ बेझिझक बदचलनी करती रही और उन पर अपनी खूबसूरती लुटाती रही।” (यहे. 16:15) सुलैमान के दिनों में यहोवा ने यरूशलेम पर इतनी आशीषें बरसायी थीं कि वह उस ज़माने की सबसे खूबसूरत और दौलतमंद नगरी बन गयी। (1 राजा 10:23, 27) मगर फिर धीरे-धीरे यरूशलेम के लोग यहोवा से विश्‍वासघात करके झूठी उपासना करने लगे। सुलैमान की कई परदेसी पत्नियाँ थीं और उन्हें खुश करने के लिए उसने यरूशलेम में झूठे देवताओं की पूजा शुरू करवायी और उस नगरी को दूषित कर दिया। (1 राजा 11:1-8) बाद में उसके खानदान से आए कुछ राजा तो उससे भी बदतर निकले। उन्होंने न सिर्फ यरूशलेम में बल्कि देश के कोने-कोने में झूठी उपासना फैला दी। उन्होंने यहोवा के साथ कितना विश्‍वासघात किया। यह उसकी नज़र में वेश्‍याओं जैसी बदचलनी थी। उसने उनसे कहा, तुम लोगो ने “ऐसे काम किए हैं जो कभी होने ही नहीं चाहिए थे और आगे भी कभी नहीं दोहराए जाने चाहिए।” (यहे. 16:16) क्या इस बात का उन दुष्टों पर कुछ असर हुआ? बिलकुल नहीं। वे और भी बढ़-चढ़कर नीच काम करने लगे।

कुछ इसराएली मोलेक जैसे झूठे देवताओं के लिए अपने बच्चों की बलि चढ़ाते थे

13. यरूशलेम के लोग कौन-से दुष्ट काम करते थे?

13 यहोवा ने यरूशलेम से कहा, “तू वेश्‍या के कामों में इस हद तक गिर गयी कि तू अपने बेटे-बेटियों को भी, जिन्हें तूने मेरे लिए जन्म दिया था, मूरतों के पास ले जाती और उनके सामने बलिदान करती थी। तू मेरे बेटों को मार डालती थी और उन्हें आग में होम कर देती थी।” (यहे. 16:20, 21) क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जब यहोवा ने ऐसा कहा, तो उसे कितना दर्द महसूस हुआ होगा और उसे उन लोगों से कितनी घिन हो गयी होगी? उन लोगों ने जो दिल दहलानेवाले काम किए थे, उससे एक झलक मिलती है कि शैतान कितना दुष्ट है। वह हमेशा इस ताक में रहता है कि यहोवा के लोगों को बहकाकर उनसे ऐसे घिनौने काम करवाए! लेकिन यहोवा सबकुछ देख रहा है। वह ज़रूर न्याय करेगा। वह शैतान की करतूतों का अंत कर देगा और शैतान ने आज तक जो भी नुकसान किया है, उसकी भरपाई कर देगा।—अय्यूब 34:24 पढ़िए।

14. (क) यहोवा ने जिन दो बहनों का ज़िक्र किया, वे किन्हें दर्शाती हैं? (ख) तीनों बहनों में से किसने सबसे ज़्यादा बुरे काम किए?

14 यरूशलेम नगरी को एहसास तक नहीं था कि वह कितने घिनौने काम कर रही है। वह वेश्‍याओं की तरह बदचलनी करती रही। यहोवा ने कहा कि वह दूसरी वेश्‍याओं से भी गिरी हुई है, क्योंकि वह खुद दूसरों को रकम देकर उनके साथ गंदे काम करती है। (यहे. 16:34) परमेश्‍वर ने कहा कि यरूशलेम बिलकुल अपनी “माँ” पर गयी है यानी झूठी उपासना करनेवाली जातियों की तरह बन गयी है, जिनका पहले उस नगरी पर कब्ज़ा था। (यहे. 16:44, 45) यहोवा आगे कहता है कि यरूशलेम की बड़ी बहन सामरिया उससे भी पहले झूठी उपासना करके यहोवा की नज़र में बदचलन हो गयी थी। यहोवा ने उसकी एक और बहन सदोम का भी ज़िक्र किया जिसका बहुत पहले नाश कर दिया गया था, क्योंकि वह घमंडी हो गयी थी और बढ़-चढ़कर नीच काम करती थी। यहोवा इन दोनों बहनों का ज़िक्र करके यह बता रहा था कि यरूशलेम दुष्ट काम करने में उन दोनों बहनों से यानी सामरिया और सदोम से आगे निकल गयी थी! (यहे. 16:46-50) परमेश्‍वर ने अपने लोगों को बार-बार चेतावनी दी थी मगर वे मानने को तैयार नहीं थे और उससे बगावत करते रहे।

15. (क) यहोवा ने यरूशलेम को सज़ा देने का फैसला क्यों किया? (ख) उसने उन्हें क्या आशा दी?

15 यहोवा ने अब क्या करने का फैसला किया? उसने यरूशलेम से कहा, ‘मैं तेरे सभी यारों को इकट्ठा करूँगा जिन्हें तूने खुश किया है और मैं तुझे उनके हाथ कर दूँगा।’ यरूशलेम के लोगों ने जिन परदेसियों से दोस्ती की थी, वे आकर इस नगरी को तबाह कर देंगे, उसकी कीमती चीज़ें लूट लेंगे और उसे बेहाल करके छोड़ेंगे। यहोवा ने कहा, ‘वे तुझे पत्थरों से मार डालेंगे और अपनी तलवारों से घात कर देंगे।’ यहोवा अपने लोगों को सज़ा क्यों देता? इसलिए नहीं कि वह उन्हें मिटाना चाहता है। वह इसकी यह वजह बताता है, ‘मैं तेरे वेश्‍या के कामों का अंत कर दूँगा। मैं तुझ पर अपना गुस्सा पूरी तरह उतारूँगा और मेरी जलजलाहट ठंडी हो जाएगी। मैं शांत हो जाऊँगा और फिर कभी नहीं भड़कूँगा।’ जैसे इस किताब के अध्याय 9 में हमने चर्चा की थी, यहोवा का यह मकसद था कि आगे चलकर वह अपने लोगों को बँधुआई से छुड़ाए और उनके बीच शुद्ध उपासना बहाल करे। वह क्यों ऐसा करना चाहता था? वह बताता है, “मैं अपना वह करार नहीं भूलूँगा जो मैंने तेरी जवानी में तेरे साथ किया था।” (यहे. 16:37-42, 60) यहोवा अपने लोगों की तरह नहीं है कि उन्हें दगा दे। वह हर हाल में उनसे वफादारी निभाएगा।—प्रकाशितवाक्य 15:4 पढ़िए।

16, 17. (क) अब हम क्यों नहीं मानते कि ओहोला और ओहोलीबा ईसाईजगत को दर्शाती हैं? (यह बक्स देखें: “दोनों बहनें वेश्‍याएँ थीं।”) (ख) यहेजकेल अध्याय 16 और 23 से हमें क्या सबक मिलता है?

16 यहेजकेल अध्याय 16 में यहोवा की जो दमदार बातें दर्ज़ हैं, उन पर ध्यान देने से हम जान पाते हैं कि यहोवा के स्तर सही हैं, उसका न्याय खरा है और वह बहुत दयालु है। यहेजकेल अध्याय 23 से भी हम यही सीखते हैं। यहोवा ने अपने लोगों की बदचलनी के बारे में साफ शब्दों में जो कहा, उसे आज सच्चे मसीही बहुत गंभीरता से लेते हैं। यहूदा और यरूशलेम के लोगों की तरह हमें कभी यहोवा का दिल नहीं दुखाना चाहिए क्योंकि इसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है। हमें हर तरह की मूर्तिपूजा से दूर रहना चाहिए। यहाँ तक कि लालच और धन-दौलत का प्यार भी एक तरह की मूर्तिपूजा है। (मत्ती 6:24; कुलु. 3:5) हम यहोवा की दया के लिए शुक्रगुज़ार हैं, क्योंकि उसने इन आखिरी दिनों में शुद्ध उपासना बहाल की है और वह इसे कभी-भी दूषित नहीं होने देगा। उसने लाक्षणिक इसराएल के साथ ‘ऐसा करार किया है जो सदा कायम रहेगा।’ (यहे. 16:60) यह इसराएल कभी-भी विश्‍वासघात नहीं करेगा, न ही बदचलनी करेगा, इसलिए यह करार कभी तोड़ा नहीं जाएगा। हम यहोवा के कितने एहसानमंद हैं कि हमें उसके शुद्ध लोगों में से एक होने की आशीष मिली है!

17 लेकिन यहोवा ने यहेजकेल किताब में वेश्‍याओं के बारे में जो कहा, उससे हम “बड़ी वेश्‍या” महानगरी बैबिलोन के बारे में क्या सीखते हैं? आइए जानें।

“फिर कभी उसका नामो-निशान नहीं मिलेगा”

18, 19. यहेजकेल में बतायी वेश्‍याओं और प्रकाशितवाक्य में बतायी वेश्‍या में क्या समानताएँ हैं?

18 यहोवा बदलता नहीं है। (याकू. 1:17) वह हमेशा से ही झूठे धर्मों से नफरत करता आया है। इसलिए यह जानकर हमें ताज्जुब नहीं होता कि यहेजकेल किताब में वेश्‍याओं को जो सज़ा सुनायी गयी है, वही सज़ा प्रकाशितवाक्य किताब में “बड़ी वेश्‍या” को सुनायी गयी है। दोनों वाकयों में कुछ समानताएँ हैं।

19 एक समानता पर गौर कीजिए। यहेजकेल की भविष्यवाणियों में बतायी वेश्‍याओं को यहोवा ने सीधे-सीधे सज़ा नहीं दी। उसने उन राष्ट्रों के ज़रिए उन्हें सज़ा दी जिनसे दोस्ती करके उन्होंने उसकी नज़र में बदचलनी की थी। उसी तरह प्रकाशितवाक्य किताब में बताया गया है कि “बड़ी वेश्‍या” यानी आज के झूठे धर्मों को यहोवा सीधे-सीधे सज़ा नहीं देगा बल्कि “पृथ्वी के राजाओं” यानी राजनैतिक शक्‍तियों के ज़रिए सज़ा देगा। इन धर्मों ने राजनैतिक शक्‍तियों से दोस्ती की है जो कि यहोवा की नज़र में बदचलनी जैसा है। प्रकाशितवाक्य में लिखा है कि राजनैतिक शक्‍तियाँ ‘उस वेश्‍या से नफरत करेंगी, उसे तबाह और नंगा कर देंगी, उसका माँस खा जाएँगी और उसे आग में पूरी तरह जला देंगी।’ दुनिया की सरकारें क्यों अचानक उस पर ऐसा हमला करेंगी? क्योंकि परमेश्‍वर ‘उनके दिल में यह बात डालेगा कि वे उसकी सोच पूरी करें।’—प्रका. 17:1-3, 15-17.

20. किस बात से पता चलता है कि महानगरी बैबिलोन का नाश तय है?

20 तो जैसे हमने देखा, यहोवा इस दुनिया के राष्ट्रों के ज़रिए सभी झूठे धर्मों को सज़ा देगा, यहाँ तक कि ईसाईजगत के धर्मों को भी। यहोवा का यह फैसला बदलनेवाला नहीं है। झूठे धर्मों को किसी भी हाल में माफी नहीं मिलेगी, न ही उन्हें अपने तौर-तरीके बदलने का और मौका दिया जाएगा। प्रकाशितवाक्य में बताया गया है कि महानगरी बैबिलोन का ‘फिर कभी नामो-निशान नहीं मिलेगा।’ (प्रका. 18:21) जब उसका नाश होगा, तो परमेश्‍वर के स्वर्गदूत यह कहकर खुशियाँ मनाएँगे, “याह की तारीफ करो! बैबिलोन नगरी के जलने का धुआँ हमेशा-हमेशा तक उठता रहेगा।” (प्रका. 19:3) यहोवा का यह फैसला हमेशा के लिए लागू रहेगा। फिर कभी किसी झूठे धर्म को उभरने या शुद्ध उपासना को भ्रष्ट करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी। महानगरी बैबिलोन को जलाकर राख कर दिया जाएगा और उसका धुआँ मानो हमेशा-हमेशा तक उठता रहेगा।

महानगरी बैबिलोन ने लंबे समय से जिन राष्ट्रों को बहकाया और अपने इशारों पर नचाया, वे उस पर हमला करेंगे और उसका नाश कर देंगे (पैराग्राफ 19, 20 देखें)

21. (क) झूठे धर्मों के नाश से किस दौर की शुरूआत होगी? (ख) उस दौर के आखिर में क्या होगा?

21 जब दुनिया की सरकारें महानगरी बैबिलोन के खिलाफ हो जाएँगी, तो वे दरअसल यहोवा की तरफ से उन्हें सज़ा दे रही होंगी। यह एक बहुत अहम घटना होगी, क्योंकि इससे यहोवा का मकसद अंजाम की तरफ बढ़ने लगेगा। झूठे धर्मों के नाश से ही महा-संकट का दौर शुरू हो जाएगा। महा-संकट के दौरान इतनी खलबली और दुख-तकलीफें होंगी जितनी कि पहले कभी नहीं हुईं। (मत्ती 24:21) महा-संकट के आखिर में हर-मगिदोन की लड़ाई होगी यानी यहोवा इस दुष्ट व्यवस्था को मिटाने के लिए युद्ध लड़ेगा। (प्रका. 16:14, 16) यहेजकेल किताब में इस बारे में काफी कुछ बताया गया है कि महा-संकट कैसे शुरू होगा और उस दौरान क्या-क्या होगा। इस किताब के आगे के अध्यायों में इस बारे में समझाया गया है। मगर अब आइए देखें कि यहेजकेल अध्याय 16 और 23 से हमें क्या सबक मिलता है।

परमेश्‍वर इस दुनिया की सरकारों के ज़रिए महानगरी बैबिलोन को सज़ा देगा (पैराग्राफ 21 देखें)

22, 23. यहेजकेल और प्रकाशितवाक्य में बतायी वेश्‍याओं से हमें क्या सबक मिलता है?

22 शैतान यहोवा के लोगों को शुद्ध उपासना से दूर ले जाने की ताक में रहता है। उसे इससे ज़्यादा खुशी किसी और बात से नहीं मिल सकती कि हम शुद्ध उपासना करना छोड़ दें और उन वेश्‍याओं की तरह बगावती हो जाएँ जिनका यहेजकेल किताब में ज़िक्र किया गया है। इसलिए हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा यह हरगिज़ बरदाश्‍त नहीं कर सकता कि हम उससे विश्‍वासघात करके किसी और की उपासना करें। (गिन. 25:11) हमें पूरी एहतियात बरतनी चाहिए कि हम ऐसी कोई चीज़ ‘न छूएँ’ जो यहोवा की नज़र में “अशुद्ध” है यानी झूठे धर्मों से दूर-दूर तक कोई नाता न रखें। (यशा. 52:11) साथ ही, हमें राजनैतिक झगड़ों और दंगों में निष्पक्ष रहना चाहिए। (यूह. 15:19) हम मानते हैं कि राष्ट्रवाद भी एक तरह का झूठा धर्म है जिसे शैतान बढ़ावा दे रहा है। हमें उससे कोई नाता नहीं रखना चाहिए।

23 सबसे ज़रूरी बात, हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा ने हमें शुद्ध लाक्षणिक मंदिर में उसकी उपासना करने का मौका दिया है। आइए हम इस आशीष के लिए हमेशा एहसानमंद रहें और ठान लें कि हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिसका झूठे धर्मों और उनकी बदचलनी से नाता है।