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भाग 3

भरोसेमंद मार्गदर्शन देनेवाली किताब

भरोसेमंद मार्गदर्शन देनेवाली किताब

चीन में ग्वान्गजो शहर के चॉन्ग शैन्ग विश्‍वविद्यालय द्वारा प्रकाशित एक पत्रिका कहती है: “बाइबल में इंसान की सभ्यता और जीवन-कहानियों का मिला-जुला इतिहास है और यह एक बेजोड़ किताब है।” अठारहवीं सदी के एक मशहूर तत्त्वज्ञानी, ईमानुएल कैन्ट ने कहा: “बाइबल सब लोगों के लिए है और इसका होना इंसानों के लिए सबसे बड़ी आशीष साबित हुई है। किसी भी तरह इसकी निंदा करना . . . इनसानियत के खिलाफ एक संगीन जुर्म है।” दि इनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना कहती है: “बाइबल का असर सिर्फ यहूदियों और ईसाईयों तक सीमित नहीं है। . . . इसे अब ऐसा खज़ाना माना जाता है जिसमें नैतिक और धार्मिक शिक्षाओं का भंडार है और इन शिक्षाओं की मदद से पूरी दुनिया को एक करने की उम्मीदें और भी बढ़ गयी हैं।”

2 आप चाहे किसी भी धर्म को मानते हों, मगर क्या आप ऐसी किताब के बारे में कुछ जानकारी पाना नहीं चाहेंगे? बीसवीं सदी के खत्म होते-होते, पूरी बाइबल या उसके कुछ भागों का अनुवाद 2,200 से भी ज़्यादा भाषाओं में हो चुका था। आज बाइबल ऐसी सभी भाषाओं में है जिन्हें ज़्यादातर लोग पढ़कर समझ सकते हैं। और जब से छपाई के लिए मूवेबल टाइप मशीन की ईजाद हुई, अनुमान लगाया गया है कि पूरी दुनिया में बाइबल की चार अरब कॉपियाँ बाँटी गयी हैं।

3 अगर आपके पास बाइबल है, तो कृपया उसे खोलकर उसमें दिए गए सूचीपत्र पर एक नज़र डालिए। इसके तहत आपको उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक कई किताबों के नाम मिलेंगे। बाइबल, 66 किताबों से बनी एक बड़ी लाइब्रेरी है। इन किताबों को कुछ 40 अलग-अलग लोगों ने लिखा था। पहले भाग को कई लोग पुराना नियम कहते हैं जिसमें 39 किताबें हैं। मगर इसे इब्रानी शास्त्र कहना ठीक होगा क्योंकि इसकी ज़्यादातर किताबें इब्रानी भाषा में लिखी गयी थीं। दूसरा भाग 27 किताबों से बना है और इसे कई लोग नया नियम कहते हैं मगर इसे मसीही यूनानी शास्त्र कहना सही होगा क्योंकि इसे मसीही लेखकों ने यूनानी भाषा में लिखा था। बाइबल को सा.यु.पू. 1513 से लेकर सा.यु. 98 के दौरान लिखा गया। इस तरह इसे लिखने में 1,600 साल लगे। बाइबल के लेखकों ने इसे लिखने के लिए मिलकर आपस में कोई बैठक नहीं की थी। और हालाँकि कुछ किताबें एक ही समय के दौरान लिखी गयी थीं लेकिन इनके लेखक एक-दूसरे से हज़ारों मील दूर अलग-अलग जगहों में रहते थे। इसके बावजूद पूरी बाइबल में एक ही विषय पाया जाता है, जो इसकी अलग-अलग किताबों को एक ही तार में बाँधता है और इसकी एक किताब दूसरी किताब की बात को नहीं काटती। तभी तो हम दंग रह जाते हैं कि आखिर ‘सोलह सौ सालों के दौरान रहनेवाले 40 से ज़्यादा पुरुषों ने किस तरह एक ऐसी किताब तैयार की जिसमें कमाल का तालमेल पाया जाता है?’

“[परमेश्‍वर] उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है”

4 हालाँकि बाइबल को लिखे 1,900 से भी ज़्यादा साल गुज़र गए हैं, लेकिन इसमें लिखी बातें आज के ज़माने में भी स्त्री-पुरुषों, दोनों को आकर्षित करती हैं। उदाहरण के लिए, अपनी बाइबल में अय्यूब 26:7 खोलिए। इस बात का ध्यान रखिए कि यह वचन सा.यु.पू. 15वीं सदी में लिखा गया था। यहाँ लिखा है: “[परमेश्‍वर] उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है।” (तिरछे टाइप हमारे।) इसके बाद, यशायाह 40:22 खोलिए और इसे पढ़ते वक्‍त याद रखिए कि यशायाह की किताब सा.यु.पू. आठवीं सदी में लिखी गयी थी। यहाँ हम पढ़ते हैं: “यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है, और पृथ्वी के रहनेवाले टिड्डी के तुल्य हैं; जो आकाश को मलमल की नाईं फैलाता और ऐसा तान देता है जैसा रहने के लिये तम्बू ताना जाता है।” जब आप ये दोनों आयतें पढ़ते हैं तो आपके मन में कैसी तसवीर आती है? हवा में ‘लटकी’ एक गेंद की। अंतरिक्षयान से खींची गयी हमारी पृथ्वी की ऐसी ही तसवीरें आपने ज़रूर देखी होंगी। आप शायद सोचें: ‘हज़ारों साल पहले वे आदमी इतनी सही बात कैसे लिख पाए जिसके बारे में आज कहीं जाकर विज्ञान ने पता किया है?’

5 आइए अब बाइबल से जुड़े एक और सवाल पर गौर करें। क्या बाइबल में दिया गया इतिहास सच्चा है? कुछ लोगों का मानना है कि बाइबल सिर्फ कल्प-कथाओं का एक संग्रह है, जिनके सच होने का इतिहास में कोई सबूत नहीं है। मिसाल के लिए, मशहूर इस्राएली राजा दाऊद की बात लीजिए। हाल के कुछ समय तक उसके वजूद का सबूत सिर्फ बाइबल में ही था। हालाँकि बड़े-बड़े इतिहासकार मानते हैं कि दाऊद नाम का शख्स सचमुच था मगर कुछ आलोचकों का कहना है कि दाऊद की कहानी, यहूदी धर्म का प्रचार करनेवालों की लिखी हुई एक मनगढ़ंत कहानी है। लेकिन सबूत क्या दिखाते हैं?

अभिलेख, जिसमें “दाऊद के घराने” का ज़िक्र है

6 सन्‌ 1993 में दान नाम के प्राचीन इस्राएली शहर के खंडहरों में एक अभिलेख पाया गया जिसमें “दाऊद के घराने” का ज़िक्र है। यह अभिलेख सा.यु.पू. नौवीं सदी के टूटे-फूटे ऐतिहासिक लेख का एक टुकड़ा था, जिसे इस्राएलियों की एक दुश्‍मन जाति ने अपनी जीत की यादगार में लिखा था। दाऊद का नाम बाइबल के अलावा, इस लेख में देखकर सब लोग चौंक पड़े! क्या यह वाकई बड़ी खोज थी? इस खोज के बारे में तॆल अवीव विश्‍वविद्यालय के इज़रीएल फिंकलस्टाइन कहते हैं: “दाऊद के इस अभिलेख ने बाइबल को बेबुनियाद कहनेवालों की एक ही रात में धज्जियाँ उड़ा दीं।” दिलचस्पी की बात है कि एक पुरातत्वविज्ञानी, प्रोफेसर विलियम एफ. ऑलब्राइट ने, जिन्होंने पैलिस्टाइन में बरसों तक खुदाई की थी, एक बार कहा: “एक-के-बाद-एक खोजों से यह पूरी तरह साबित हो चुका है कि बाइबल में बतायी गयी घटनाओं की बारीक-से-बारीक जानकारी भी सोलह आने सच है और आज ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग बाइबल की अहमियत को समझने लगे हैं और मानने लगे हैं कि बाइबल में लिखा इतिहास एकदम सच्चा है।” फिर एक बार हमारे मन में सवाल उठ सकता है: ‘पौराणिक ग्रंथों और कथाओं से अलग, यह किताब इतनी पुरानी होते हुए भी ऐतिहासिक रूप से इतनी सच्ची कैसे हो सकती है?’ लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती।

सिक्का, जिस पर सिकंदर महान का चित्र है

7 बाइबल, भविष्यवाणियों की किताब भी है। (2 पतरस 1:20, 21) “भविष्यवाणी” शब्द सुनते ही शायद आपको कुछ ऐसे लोगों का ध्यान आए जो भविष्यवक्‍ता होने का दावा करते थे लेकिन उनकी भविष्यवाणियाँ खोखली निकलीं। लेकिन बाइबल के बारे में ऐसी कोई भी राय कायम करने से पहले ज़रा रुकिए और अपनी बाइबल में दानिय्येल की किताब का अध्याय 8 खोलिए। इस अध्याय में दानिय्येल एक दर्शन में दो सींगवाले मेढ़े और एक बकरे को देखता है जिसके पास “एक देखने योग्य सींग” है। दानिय्येल उनके बीच होनेवाली लड़ाई का वर्णन करता है। इस लड़ाई में बकरे की जीत होती है मगर बाद में उसका बड़ा सींग टूट जाता है और उसकी जगह चार सींग निकल आते हैं। इस दर्शन का क्या अर्थ है? दानिय्येल का वृत्तांत आगे कहता है: “जो दो सींगवाला मेढ़ा तू ने देखा है, उसका अर्थ मादियों और फ़ारसियों के राज्य से है। और वह रोंआर बकरा यूनान का राज्य है; और उसकी आंखों के बीच जो बड़ा सींग निकला, वह पहिला राजा ठहरा। और वह सींग जो टूट गया और उसकी सन्ती जो चार सींग निकले, इसका अर्थ यह है कि उस जाति से चार राज्य उदय होंगे, परन्तु उनका बल उस पहिले का सा न होगा।”—दानिय्येल 8:3-22.

“एक-के-बाद-एक खोजों से यह पूरी तरह साबित हो चुका है कि बाइबल में बतायी गयी घटनाओं की बारीक-से-बारीक जानकारी भी सोलह आने सच है और आज ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग बाइबल की अहमियत को समझने लगे हैं और मानने लगे हैं कि बाइबल में लिखा इतिहास एकदम सच्चा है।”—प्रोफेसर विलियम एफ. ऑलब्राइट

8 क्या यह भविष्यवाणी सच निकली? दानिय्येल की किताब का लिखा जाना सा.यु.पू. 536 में खत्म हुआ। इसके 180 साल बाद, सा.यु.पू. 356 में मकिदुनी राजा सिकंदर महान का जन्म हुआ जिसने आगे चलकर फारस के साम्राज्य को जीत लिया। दानिय्येल की भविष्यवाणी में बताए गए ‘रोंआर बकरे’ के आंखों के बीच का “बड़ा सींग” सिकंदर ही था। यहूदी इतिहासकार, जोसिफस के मुताबिक फारस पर जीत हासिल करने से पहले जब सिकंदर यरूशलेम आया तो उसे दानिय्येल की किताब दिखायी गयी। इस पर सिकंदर ने खुद यह माना कि दानिय्येल की किताब में जो भविष्यवाणी की गयी थी वह फारस के खिलाफ उसकी इसी लड़ाई की भविष्यवाणी थी। सा.यु.पू. 323 में सिकंदर की मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य का क्या हुआ था, इसके बारे में आप दुनिया का इतिहास बतानेवाली दूसरी किताबों में भी पढ़ सकते हैं। सिकंदर की मौत के बाद उसके चार सेनापतियों ने धीरे-धीरे साम्राज्य को हथिया लिया और सा.यु.पू. 301 तक उन्होंने साम्राज्य को चार हिस्सों में बाँट लिया। इस तरह भविष्यवाणी में बताए गए एक ‘बड़े सींग’ की जगह “चार सींग” निकल आए। एक बार फिर हम यह सोचकर हैरत में पड़ जाते हैं: ‘इस किताब में 200 साल बाद होनेवाली घटना के बारे में इतनी स्पष्ट और अचूक भविष्यवाणी कैसे की गयी?’

9 ऊपर पूछे गए सारे सवालों का जवाब बाइबल खुद इस तरह देती है: “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है और . . . लाभदायक है।” (2 तीमुथियुस 3:16) “परमेश्‍वर की प्रेरणा से” के लिए इस्तेमाल किए गए यूनानी शब्द का शाब्दिक अर्थ है “ईश्‍वर-फूँक।” आज हम बाइबल में जो जानकारी पाते हैं, उसे परमेश्‍वर ने कुछ 40 लेखकों के दिमाग में मानो ‘फूँक दिया’ था। अभी हमने विज्ञान, इतिहास और भविष्यवाणी के जो चंद सबूत देखे, उनसे सिर्फ एक ही नतीजे पर पहुँचा जा सकता है: बाइबल वाकई एक बेजोड़ किताब है जिसे इंसानों ने खुद अपनी बुद्धि से नहीं लिखा, बल्कि यह परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है। लेकिन आज कई लोग बाइबल के रचनाकार यानी परमेश्‍वर के वजूद पर शक करते हैं। इस मामले में आप क्या विश्‍वास करते हैं?