इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

पढ़ने लायक़ एक किताब

पढ़ने लायक़ एक किताब

पढ़ने लायक़ एक किताब

“बाइबल को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।” विश्‍वविद्यालय के एक प्रोफ़ॆसर ने एक स्पष्टवादी युवती से ऐसा कहा।

“क्या आपने कभी बाइबल पढ़ी है?” उस युवती ने पूछा।

प्रोफ़ॆसर चकरा गया, उसे मानना पड़ा कि उसने नहीं पढ़ी थी।

“आप एक ऐसी किताब के बारे में पक्की राय कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं जिसे आपने कभी पढ़ा ही नहीं?”

उस युवती की बात में दम था। प्रोफ़ॆसर ने पहले बाइबल पढ़ने और फिर उसके बारे में एक राय क़ायम करने का फ़ैसला किया।

बाइबल को, जो ६६ लेखनों से बनी है, “मानव इतिहास में किताबों का संभवतः सबसे प्रभावशाली संग्रह” बताया गया है। सचमुच, संसार की सर्वोत्तम कला, साहित्य और संगीत में से कुछ इससे प्रभावित हुए हैं। इसने कानून पर बहुत ज़्यादा प्रभाव छोड़ा है। इसकी साहित्यिक शैली के लिए इसे सराहा गया है और कई सुशिक्षित लोगों से इसे आदर-सम्मान मिला है। समाज के हर स्तर के लोगों के जीवन पर ख़ासकर इसका गहरा प्रभाव रहा है। इसने अपने अनेक पाठकों में असाधारण स्तर की निष्ठा जगायी है। कुछ तो सिर्फ़ इसे पढ़ने के लिए जान पर भी खेल गए हैं।

इसके साथ-साथ, बाइबल पर संदेह भी किया गया है। ऐसे लोग भी हैं जो इसके बारे में निश्‍चित राय रखते हैं लेकिन उन्होंने ख़ुद कभी इसे पढ़ा नहीं है। वे शायद साहित्यिक या ऐतिहासिक रचना के रूप में इसे महत्त्वपूर्ण समझें, लेकिन वे सोचते हैं: हज़ारों साल पहले लिखी गयी एक किताब इस आधुनिक युग में किसी काम की हो, यह कैसे हो सकता है? हम “जानकारी के युग” में जीते हैं। ताज़ा घटनाओं और टेक्नॉलजी के बारे में एक-एक मिनट की जानकारी हमारे पास सहज ही उपलब्ध है। आधुनिक जीवन की लगभग सभी समस्याओं पर “पेशेवर” सलाह आसानी से उपलब्ध है। क्या बाइबल में सचमुच ऐसी जानकारी है जो आज के लिए व्यावहारिक हो?

यह ब्रोशर ऐसे सवालों का जवाब देने की कोशिश करता है। आप पर धार्मिक विचार या विश्‍वास थोपने के लिए इसे नहीं बनाया गया, लेकिन इसका उद्देश्‍य यह दिखाना है कि ऐतिहासिक रूप से यह प्रभावशाली किताब, बाइबल, आपके द्वारा ध्यान दिए जाने के योग्य है। १९९४ में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने कहा कि कुछ शिक्षकों का यह मानना है कि बाइबल पाश्‍चात्य संस्कृति में इतनी गहराई तक बैठी हुई है कि “कोई भी, विश्‍वासी या अविश्‍वासी, जो बाइबल की शिक्षाओं और वृत्तांतों से परिचित नहीं है, वह सांस्कृतिक रूप से अनपढ़ होगा।”

कदाचित्‌, इस ब्रोशर में जो छापा गया है उसे पढ़ने के बाद, आप सहमत होंगे कि—एक व्यक्‍ति चाहे धार्मिक हो या न हो—बाइबल, कम-से-कम, पढ़ने लायक़ एक किताब अवश्‍य है।

[पेज 3 पर बक्स/तसवीर]

“असल में एक किताब को पढ़ने से मुझे ज्ञानोदय हुआ है।—एक किताब? जी हाँ, और यह एक प्राचीन सरल किताब है, प्रकृति की तरह निर्मल, और उतनी ही शुद्ध . . . और साफ़-साफ़ कहें तो उस किताब का नाम है, बाइबल।”—१९वीं शताब्दी का जर्मन लेखक, हाइनरिख हाइन।