इस जानकारी को छोड़ दें

सुखी परिवार का मज़ा लीजिए

सुखी परिवार का मज़ा लीजिए

सुखी परिवार का मज़ा लीजिए

क्या आप किसी ऐसे परिवार को जानते हैं, जो इस तसवीर में दिखाए गए परिवार की तरह खुश और एकता से रहता हो? आज दुनिया की हालत ऐसी है कि तलाक हो रहे हैं, अकेली माँ या अकेले पिता को बच्चे पालने पड़ रहे हैं, कभी-भी नौकरी छूट सकती है, लोग मायूस हैं। इन सब बातों की वजह से परिवार टूट रहे हैं। एक विशेषज्ञ दुख के साथ कहता है: “आज परिवारों के बिखरने की बात किसी से छिपी हुई नहीं है।”

आखिर किस वजह से परिवारों पर मुसीबतों के काले बादल मँडरा रहे हैं? परिवारों में खुशियों की बहार कैसे आ सकती हैं?

परिवार की शुरूआत कैसे हुई

जवाब पाने के लिए हमें पहली शादी और पहले परिवार के बारे में जानना होगा। शादी या परिवार की शुरूआत करानेवाला अगर कोई है, तो परिवार के सभी सदस्यों को उसके मार्गदर्शन के मुताबिक जीना चाहिए, क्योंकि वही सबसे अच्छी तरह बता सकता है कि परिवार की खुशहाली के लिए क्या ज़रूरी है।

लेकिन अजीब बात तो ये है कि बहुत-से लोग ये मानते हैं कि शादी और परिवार की शुरूआत किसी ने नहीं की। जैसा कि द इनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना कहती है: “कुछ विद्वानों का मानना है कि इंसान जानवरों से आया है इसलिए पहले पुरुष ने खुद अपना जोड़ा बना लिया था जैसे कि जानवर अपना जोड़ा बनाते हैं।” मगर यीशु मसीह ने कभी नहीं कहा कि इंसान जानवरों से आया है इसके विपरीत यीशु ने बताया था कि परमेश्‍वर ने इंसानी जोड़े को बनाया था और फिर उनकी शादी कराई थी। यीशु ने बाइबल की बात को दोहराते हुए कहा था: “जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे।”—मत्ती 19:4-6.

यीशु मसीह ने एकदम सही कहा था। महान बुद्धिमान परमेश्‍वर ने आदमी और औरत के जोड़े को बनाया, और उन्हें शादी के बंधन में बाँधकर प्रथम सुखी परिवार की शुरूआत करवाई। परमेश्‍वर ने पुरुष से कहा था कि वह “अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक ही तन बने रहेंगे।” (उत्पत्ति 2:22-24) मगर आज हम देखते हैं कि परिवारों को दुख-तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। क्या इसकी वजह यह है कि लोग बाइबल में दी गई परमेश्‍वर की आज्ञाओं के मुताबिक नहीं जी रहे हैं?

सफलता कैसे मिल सकती है? 

आप अच्छी तरह जानते होंगे कि आज दुनिया में चारों तरफ स्वार्थ का बोल-बाला है। अमरीका में, बिज़नेस के एक प्रोफेसर ने कॉलेज खत्म करनेवाले नौजवानों से कहा “लालच करना बुरी बात नहीं, तुम लालच करो, और खुद को कसूरवार मत ठहराओ।” मगर जब लोग दुनिया भर की चीज़ें बटोरने लग जाते हैं तो खुशियाँ उनके हाथ से निकल जाती हैं, और परिवार टूट सकता है। साथ ही इससे समय और पैसे की बरबादी भी होती है। आइए हम बाइबल की सिर्फ दो कहावतों पर गौर करें। इनसे हमें यह जानने में मदद मिलेगी कि सच्ची खुशी पाने के लिए क्या करना ज़रूरी है।

“घृणा के साथ अधिक भोजन से, प्रेम के साथ थोड़ा भोजन उत्तम है।”

‘चैन के साथ सूखा टुकड़ा, कलह वाले घर के स्वादिष्ट भोजन से उत्तम है।’ नीतिवचन 15:17, ईज़ी-टू-रीड वर्शन; 17:1.

क्या ज़बरदस्त कहावतें हैं! है कि नहीं? ज़रा सोचिए कि अगर हर परिवार इनके मुताबिक चले तो दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच जाए। बाइबल यह भी बताती है कि परिवार में सबको एक-दूसरे से कैसे व्यवहार करना चाहिए। आइए इन्हीं कुछ बातों पर गौर करें।

पतियो: ‘अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखो।’—इफिसियों 5:28-30.

छोटी-सी बात! मगर बहुत फायदेमंद है। बाइबल पतियों को ये सलाह देती है कि वे अपनी पत्नी का ‘आदर करें।’ (1 पतरस 3:7) इसमें पत्नी की चिंता करना, उसे समझना, उसे प्यार करना, और उसकी मदद करना शामिल है। ऐसा करके पति अपनी पत्नी का खास खयाल रख सकता है। साथ ही पति को अपनी पत्नी की राय को अनसुना नहीं करना चाहिए। (उत्पत्ति 21:12 से तुलना कीजिए।) क्या आपको नहीं लगता कि हर परिवार सुखी हो सकता है अगर पति अपनी पत्नी से कोमलता से सलूक करे, जैसा वह चाहता है कि दूसरे उसके साथ सलूक करें?—मत्ती 7:12.

पत्नियाँ: ‘अपने पति का गहरा आदर करें।’ —इफिसियों 5:33, NW.

पत्नी अपने परिवार की खुशियाँ बढ़ाने में योगदान कैसे दे सकती है? ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में अपने पति को सहयोग देकर। इसीलिए तो परमेश्‍वर ने पुरुष को पत्नी दी थी जो उसके लिए, ‘एक सहायक होती और उससे मेल खाती।’ (उत्पत्ति 2:18) पति के फैसलों से सहमत होने और उन्हें पूरा करने में सहयोग देने के द्वारा जब पत्नी पति का आदर करती है, तो परिवार को बहुत-से फायदे होते हैं। क्या आप इस बात की अहमियत समझ सकते हैं?

पति-पत्नी: ‘पति-पत्नी को एक-दूसरे के प्रति वफादार रहना चाहिए।’—इब्रानियों 13:4, NW.

इस सलाह पर चलने से परिवार में खुशियाँ कायम रहती हैं। मगर व्यभिचार से परिवार उजड़ जाते हैं। (नीतिवचन 6:27-29, 32) बाइबल बड़ी बुद्धि की सलाह देती है: ‘अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह, . . . तू किसी परायी स्त्री पर क्यों मोहित हो?’—नीतिवचन 5:18-20.

माता-पिता: “[अपने बच्चों] को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में [उनको] चलना चाहिये।”—नीतिवचन 22:6.

जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय बिताते हैं और उनका ध्यान रखते हैं तो परिवार सचमुच सुखी होता है। इसलिए बाइबल माता-पिता को “घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते-उठते” वक्‍त अपने बच्चों को सही सिद्धांत सिखाने का बढ़ावा देती है। (व्यवस्थाविवरण 11:19) बाइबल यह भी कहती है कि माता-पिता को बच्चों को अनुशासन देने के ज़रिए भी दिखाना चाहिए कि वे उन्हें प्यार करते हैं।—इफिसियों 6:4.

बच्चों: ‘हे बच्चों, प्रभु में अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनो।’—इफिसियों 6:1.

सचमुच, इस अधर्मी दुनिया में हमेशा माता-पिता की बातों को मानना आसान नहीं होता। मगर, क्या आपको नहीं लगता कि जो परमेश्‍वर कहता है उसे मानना बुद्धिमानी की बात होगी? क्योंकि परिवार की शुरूआत परमेश्‍वर ने की है और वही सबसे अच्छी तरह जानता है कि परिवार को सुखी कैसे बनाया जा सकता है। इसलिए अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनने के लिए प्रयत्न कीजिए। और दृढ़ता से दुनिया के फँदों को ठुकराते रहिए।—नीतिवचन 1:10-19.

अगर परिवार का हर सदस्य बाइबल की सलाहों के मुताबिक चले, तो परिवार की खुशहाली ज़रूर बढ़ेगी। और परिवार सिर्फ आज ही नहीं बल्कि नई दुनिया में भी कहीं ज़्यादा खुशहाल रहेगा जिसका वादा परमेश्‍वर ने किया है। (2 पतरस 3:13; प्रकाशितवाक्य 21:3, 4) इसलिए पूरे परिवार को एक-साथ बैठकर बाइबल पढ़ने की आदत डालनी चाहिए! दुनिया भर में लाखों परिवारों ने एक किताब की बातों पर अमल किया है। ऐसा करने से उन्हें बहुत लाभ हुआ, उस किताब का नाम है, पारिवारिक सुख का रहस्य।

इस ट्रैक्ट में द होली बाइबल हिन्दीओ. वी. और न्यू वलर्ड ट्रांस्लेशन ऑफ़ द होली स्क्रिप्चर्स—NW इस्तेमाल की गई है।