सलाह और मार्गदर्शन की हम सभी को ज़रूरत है
लाक्ता बहुत परेशान था। * उसके दिमाग में ढेर सारी बातें घूम रही थी। काफी समय से वह एक पक्की नौकरी की तलाश में था, जिससे घर का गुज़ारा चल सके। उसकी दिली ख्वाहिश थी कि बच्चे अच्छा पढ़-लिख लें और अपने पैरों पर खड़े हो जाएँ। लेकिन उसे नहीं लगता था कि ये सपने कभी सच होंगे। उसकी बस यही आरज़ू थी कि उसके हाथ-पैर चलते रहें, ताकि वह अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी जुटा सके और मकान का किराया चुका सके। उसे चिंता थी तो बस इस बात की कि अगर कल उसे कुछ हो गया, तो उसके बीवी-बच्चों को कौन देखेगा?
लाक्ता की पत्नी लोमू भी चिंता में डूबी हुई थी। कुछ दिनों से उन दोनों में छोटी-छोटी बातों को लेकर बहस चल रही थी। लाक्ता हमेशा काम से थका-माँदा लौटता था। और लोमू चाहती थी कि वह बच्चों के साथ वक्त बिताए और उन्हें अच्छी तहज़ीब और दूसरों की इज़्ज़त करना सिखाए। मगर लाक्ता के पास इन सब के लिए फुरसत ही नहीं थी। लोमू को इस बात का मलाल था कि उनकी आपसी नोक-झोंक का बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा। उसे यह चिंता भी खाए जा रही थी कि अगर उनका कोई बच्चा बीमार पड़ गया, तो दवाई और अस्पताल का खर्च उठाने के लिए पैसे कहाँ से आएँगे? वह इस बारे में सोचने से भी कतराती थी।
इसके अलावा, लाक्ता और लोमू साफ देख सकते थे कि उनके आस-पड़ोस का माहौल कितना बदल गया है। कहाँ पहले लोग एक-दूसरे की फिक्र करते थे, लेकिन आज उनके पास एक-दूसरे के लिए ज़रा भी वक्त नहीं। लाक्ता और लोमू के दोस्त, सगे-संबंधी सब
उन्हीं की तरह परेशानियाँ झेल रहे थे और उन्हें भी अपने आनेवाले कल की चिंता सताती थी। ऐसा लगता था मानो मन की शांति सभी से कोसों दूर चली गयी हो। लोमू अकसर सोचा करती थी कि काश, हमें इन परेशानियों का हल मिल जाए और हम थोड़ी राहत और चैन की साँस ले पाएँ! उन दोनों ने हालात से जूझने की जी-तोड़ कोशिश की मगर वे नाकाम रहे। वे जिन चीज़ों को पाने की जद्दोजेहद कर रहे थे, वह उनकी पहुँच से दूर होती जा रही थी।एक दिन दोनों ने अपनी परेशानियों के बारे में खुलकर बात की।
लाक्ता ने लोमू से कहा, “कितना अच्छा होगा अगर हमें सुख-शांति की तरफ ले जानेवाला मार्ग मिल जाए?”
लोमू ने कहा, “मैं भी यही सोच रही थी। तब तो हमारी सारी परेशानियों का हल मिल जाएगा।”
लाक्ता ने कहा, “लेकिन आज जितने धर्म हैं, उतनी धारणाएँ हैं और जीवन के बारे में फलसफों की कोई कमी नहीं। ऐसे में हम कैसे पता लगाएँ कि कौन-सा मार्ग खुशियों की तरफ ले जाएगा? हम हर धारणा की जाँच-परख तो नहीं कर सकते। और-तो-और हर कोई यह दम भरता है कि उनके पास जीवन से जुड़ी हर समस्या का समाधान मौजूद है। लेकिन असल में, उनकी दी सलाह कोई काम नहीं आती। मेरे खयाल से इन्हें आज़माना अपना वक्त ज़ाया करना है।”
हालाँकि लोमू, लाक्ता की बात से सहमत थी, लेकिन अंदर-ही-अंदर वह चाहती थी कि कोई उनके परिवार की मदद करे। उसे लगता था कि कोई न कोई रास्ता तो ज़रूर होगा।
हो सकता है आप भी लाक्ता और लोमू की तरह समस्याओं को लेकर परेशान हों। आज दुनिया में हर कहीं लोग अच्छी सेहत, मन की शांति और एक सुखी परिवार चाहते हैं। लेकिन इन्हें हासिल करना मुश्किल लगता है। तो फिर क्या हम सुख-शांति का मार्ग पाने की उम्मीद रख सकते हैं?
^ पैरा. 2 इस किताब में जानकारी इस तरह पेश की गयी है, जैसे पति-पत्नी का दो जोड़ा आपस में बात कर रहा हो।