जॉर्जिया | 1998-2006
धमकियों के बावजूद उन्होंने यहोवा की सेवा नहीं छोड़ी
हमारे भाई-बहन डरे नहीं बल्कि सभाओं के लिए इकट्ठा होते रहे। प्राचीनों ने प्रचारकों की हिफाज़त करने के लिए कुछ कदम उठाए। भाई आन्ड्रे कारबॉनो, जो कनाडा का एक वकील है और जिसने उन सालों के दौरान हमारे भाइयों की वकालत की थी, बताता है: “उन दिनों सभा की जगह से थोड़ी दूर किसी भाई को खड़ा किया जाता था और उसके पास एक मोबाइल फोन होता था। अगर वह एक भीड़ को आते देखता तो फौरन प्राचीनों को फोन करके खबरदार कर देता था कि हमला हो सकता है।”
जब भी भाई-बहनों पर हमला हुआ तो उसके बाद शाखा दफ्तर से दो भाई उनकी हिम्मत बँधाने के लिए उनसे मिलने गए। आन्ड्रे बताता है, “यह गौर करनेवाली बात है कि जब शाखा दफ्तर के भाई आते तो वे अकसर पाते कि सभा की जगह हँसते-मुस्कुराते भाई-बहनों से खचाखच भरी है।”
जो भाई-बहन सीधे तौर पर हमले के शिकार नहीं हुए, उनका और बाइबल विद्यार्थियों का भी इरादा इसी तरह मज़बूत रहा। आन्ड्रे बताता है कि उसने एक ऐसी औरत से बात की थी जो बपतिस्मा-रहित प्रचारक
बननेवाली थी। उस औरत ने आन्ड्रे को बताया, “जब मैंने टीवी पर वे हमले देखे तो मैं साफ देख पायी कि सच्चे और झूठे मसीहियों के बीच कितना फर्क है और मैं एक सच्चा मसीही बनना चाहती हूँ।”उन्होंने हिम्मत से अपने भाई-बहनों की वकालत की
उन मुश्किल सालों में भाई-बहन प्रचार में लगे रहे और इस तरह उन्होंने विश्वास और हिम्मत की बढ़िया मिसाल रखी। जिन लोगों ने अदालत में अपने भाई-बहनों की वकालत की उन्होंने भी विश्वास की अच्छी मिसाल रखी।
वे परिवार में फूट डालते हैं, इलाज नहीं करवाते और सरकार के खिलाफ काम करते हैं। इसलिए जिन वकीलों ने साक्षियों की वकालत की उन्होंने अपनी नेकनामी और नौकरी खतरे में डाली।
अकसर मीडिया में साक्षियों के बारे में झूठी बातें फैलायी जाती थीं। जैसे,जॉन बन्र्ज़ ने, जो कनाडा शाखा दफ्तर में सेवा करनेवाला एक वकील है, उन सालों के दौरान जॉर्जिया के भाइयों की मदद की थी। वह कहता है, “वहाँ के जो भाई-बहन वकील थे उन्होंने आगे बढ़कर मदद की। हालाँकि उनकी नौकरी जा सकती थी, फिर भी वे डरे नहीं बल्कि उन्होंने अदालत जाकर साफ बताया कि वे भी यहोवा के साक्षी हैं।” उन दिलेर साक्षियों ने फिलि. 1:7.
“खुशखबरी की पैरवी करने और उसे कानूनी मान्यता दिलाने” में मदद दी।—जॉर्जिया के लोगों ने हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठायी
इस बीच साक्षियों पर हिंसा होती रही। इसलिए 8 जनवरी, 2001 से साक्षियों ने लोगों में एक याचिका-पत्र बाँटा जिसमें गुज़ारिश की गयी थी कि साक्षियों को भीड़ के हमलों से बचाया जाए और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जिन्होंने शांति से जीनेवाले नागरिकों पर हमला किया था।
भाई बन्र्ज़ समझाता है कि इस याचिका का मकसद क्या था: “हम यह दिखाना चाहते थे कि जॉर्जिया के ज़्यादातर लोग यहोवा के साक्षियों पर हो रही हिंसा के खिलाफ हैं और धर्म के कट्टरपंथियों का एक छोटा-सा गुट इस हिंसा का कसूरवार है।”
दो हफ्तों के अंदर जॉर्जिया के सभी इलाकों के 1,33,375 बालिग लोगों
ने इस याचिका पर हस्ताक्षर किए। उनमें से ज़्यादातर ऑर्थोडॉक्स चर्च के थे। हालाँकि यह याचिका राष्ट्रपति शेवार्दनाद्ज़े को दी गयी, फिर भी वारदातें नहीं रुकीं। धर्म के कट्टरपंथी, साक्षियों को सताते रहे।इस दौरान यहोवा अपने लोगों को आशीषें देता रहा। एक तरफ जहाँ कट्टरपंथी, परमेश्वर के लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी करते जा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ यहोवा बहुत-से नेकदिल लोगों को झूठे धर्म से बाहर निकलने में मदद दे रहा था।
वे झूठे धर्म से आज़ाद हो गए
बाबीलीना खारातीश्वीली अपनी ज़िंदगी के ज़्यादातर साल जॉर्जियाई ऑर्थोडॉक्स चर्च की सदस्य रही थी। वह अपने धर्म को बहुत मानती थी। जब उसकी उम्र 30 के ऊपर थी तो वह नगर-नगर, गाँव-गाँव जाकर लोगों को संतों की ज़िंदगी के बारे में सिखाती थी।
मगर बाबीलीना परमेश्वर के बारे में ज़्यादा जानना चाहती थी। इसलिए उसने जॉर्जियाई ऑर्थोडॉक्स चर्च की एक सेमिनरी में जाकर भाषण सुनने का फैसला किया। एक बार एक पादरी ने भाषण सुननेवालों को ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है किताब दिखायी और बढ़ावा दिया कि वे यहोवा के साक्षियों से यह किताब लें। पादरी ने उनसे कहा, “इस किताब से आप बाइबल के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं।”
यह सुनकर बाबीलीना चौंक गयी। वह हमेशा साक्षियों से दूर रहती थी, मगर अब एक पादरी ने उनकी किताबें पढ़ने का सुझाव दिया था! बाबीलीना ने सोचा, ‘अगर मुझे परमेश्वर के बारे में सीखने के लिए यहोवा के साक्षियों के पास जाना है, तो मैं यहाँ क्या कर रही हूँ?’ उसने फौरन पोती शहर में साक्षियों से संपर्क किया और उनसे बाइबल सीखने लगी।
जब बाबीलीना ने बाइबल से कई बातें सीखीं तो उसने अपनी ज़िंदगी में
बड़े-बड़े बदलाव किए। एक बार उसने कहा, “जब मैंने खुद बाइबल में पढ़ा कि तसवीरों की पूजा करना गलत है तो मैंने हर तरह की मूर्तिपूजा छोड़ दी। मुझे यकीन हो गया था कि मैं सही कर रही हूँ।” उसने यहोवा की एक साक्षी बनने का फैसला किया। उस वक्त वह करीब 80 साल की थी।दुख की बात है कि 2001 में बाबीलीना बीमार हो गयी और बपतिस्मा लेने से पहले उसकी मौत हो गयी। मगर बाद में उसकी पोती ईज़ाबेला ने बपतिस्मा लिया और आज वह वफादारी से यहोवा की सेवा कर रही है।
वह नन बनना चाहती थी
जब ऐलीसो दज़ीद्ज़ीश्वीली 28 साल की थी तो उसने नन बनने का फैसला किया। उसके शहर तकिबुली के आस-पास कोई कॉन्वेंट नहीं था, इसलिए वह 2001 में तिब्लिसी चली गयी। वहाँ वह इंतज़ार करने लगी कि अगर किसी कॉन्वेंट में जगह खाली हो तो वहाँ सेवा करेगी। तब तक वह
एक गैर-सरकारी स्कूल में पार्ट-टाइम टीचर की नौकरी करने लगी। उसकी एक विद्यार्थी, नुनु नाम की एक बहन की बेटी थी।ऐलीसो बताती है, “हम अकसर बाइबल के बारे में बात करते थे। मैं पूरे जोश के साथ ऑर्थोडॉक्स चर्च को सही ठहराने की कोशिश करती थी और नुनु बड़े सब्र से मुझे लगातार आयतें दिखाती थी। एक दिन उसने कहा कि वह मुझे परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है? ब्रोशर पढ़कर सुनाएगी। जब हम पैराग्राफ और बाइबल की आयतें पढ़ने लगे तो मैं समझ गयी कि तसवीरों की पूजा करना परमेश्वर की आज्ञा के बिलकुल खिलाफ है।”
बाद में ऐलीसो वहाँ के एक चर्च में गयी और उसने एक पादरी से कुछ सवाल पूछे। उसके जवाबों से साफ था कि चर्च की शिक्षाएँ बाइबल से नहीं हैं। (मर. 7:7, 8) ऐलीसो को यकीन हो गया कि उसे सच्चाई मिल गयी है। उसने तुरंत यहोवा के साक्षियों से बाइबल सीखना शुरू किया और जल्द ही बपतिस्मा ले लिया।
विरोध के बावजूद राज-घर बनाए गए
सन् 2001 तक ऐसी मंडलियों की गिनती बढ़ गयी जिन्हें उपासना के लिए राज-घरों की ज़रूरत थी। एक अनुमान के मुताबिक करीब 70 राज-घरों की ज़रूरत थी। इसलिए राज-घर निर्माण कार्यक्रम शुरू किया गया, इसके बावजूद कि देश में साक्षियों का विरोध किया जा रहा था।—एज्रा 3:3.
जल्द ही एक निर्माण दल तिब्लिसी में एक ऐसी इमारत को नया रूप देने लगा जहाँ कई मंडलियाँ सभाएँ रखती थीं। इसके फौरन बाद दो और जगहों पर काम किया गया, एक तिब्लिसी में और दूसरा पश्चिमी जॉर्जिया के छियातुरा में।
भाई तामाज़ी खुत्सीश्वीली, जिसने छियातुरा में निर्माण काम किया था, गुज़रे वक्त को याद करते हुए कहता है, “हर दिन हम 15 लोग उस जगह काम करते थे। जल्द ही नगर के सब लोगों को पता चल गया कि हम एक नया हॉल बना रहे हैं। कभी-कभी हमें अफवाहें सुनने को मिलती थीं कि हमारे विरोधी आकर राज-घर को तबाह करना चाहते हैं।”
ऐसे में निर्माण काम किस हद तक कामयाब रहा? तामाज़ी कहता है, “हम *
अपने काम में लगे रहे और तीन महीनों के अंदर हमने राज-घर बना दिया। हालाँकि हमें धमकाया गया था, मगर कभी कोई विरोधी नहीं आया।”आखिरकार राहत
अक्टूबर 2003 में सामत्रेदीया शहर में एक निर्माण काम शुरू हुआ। एक बार फिर धर्म के कट्टरपंथियों ने वहाँ के भाइयों को धमकाया। यहाँ तक कि उन्होंने आकर वह राज-घर तोड़ दिया जिसकी दीवारें अभी-अभी खड़ी की गयी थीं और गारा गीला था।
मगर नवंबर 2003 में जॉर्जिया में एक ऐसी घटना घटी जिससे हमारे भाई-बहनों को राहत मिली। वहाँ की सरकार बदल गयी जिस वजह से वहाँ के धर्मों को ज़्यादा आज़ादी मिली। नतीजा, साक्षियों पर हमला करनेवाले ऑर्थोडॉक्स चर्च के उग्रवादी गुट के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया।
परमेश्वर के लोगों पर आशीषों की बौछार
ज़ुल्मों का दौर खत्म होने के कुछ ही समय बाद यहोवा के लोगों को कई आशीषें मिलीं। सन् 2004 के ज़िला अधिवेशन में जॉर्जियाई भाषा में नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र रिलीज़ किया गया।
फिर 2006 में “छुटकारा निकट है!” ज़िला अधिवेशन में एक और यादगार घटना घटी। अधिवेशन में आए लोग यह सुनकर रोमांचित हो उठे कि शासी निकाय के सदस्य भाई जैफरी जैकसन एक भाषण देंगे। जब भाई जैकसन ने घोषणा की कि जॉर्जियाई भाषा में पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद यानी पूरी बाइबल रिलीज़ की जा रही है तो सब लोग हैरान रह गए!
बहुत-से भाई-बहनों की आँखें खुशी से भर आयीं। एक बहन ने कहा, “पूरी बाइबल पाकर मैं कितनी खुश हुई, यह बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। . . . वह दिन हम कभी नहीं भूल सकते।” वह अधिवेशन एक दावत जैसा था और 17,000 से ज़्यादा लोगों ने उसका आनंद उठाया। जॉर्जिया में यहोवा के लोगों के इतिहास में वह एक यादगार घटना थी।
^ पैरा. 29 सन् 2001 से 2003 के बीच पूरे देश में सात राज-घर बनाए गए।