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धार्मिकता के लिए सताए गए

धार्मिकता के लिए सताए गए

धार्मिकता के लिए सताए गए

आप मित्रों और रिश्‍तेदारों से शायद सुनें कि यहोवा के गवाह क़ानून के साथ मुसीबत में पड़ जाते हैं, कुछ सरकारों द्वारा उन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है, या वे किसी रीति से बुरे लोग हैं। उनके बारे में ऐसी विरोधात्मक बातें क्यों?

ऐसा इसलिए नहीं हैं कि गवाह क़ानून का अनादर करते हैं पर इसलिए है क्योंकि वे यीशु के पदचिह्नों पर चलते हैं। यीशु ने अपने चेलों से कहा कि लोग उनकी निन्दा करेंगे, उन्हें सताएँगे, और उनके विरुद्ध हर प्रकार की झूठ ही बुरी बातें कहेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्‍वर का प्रधान विरोधी, शैतान, इस संसार का ईश्‍वर है, और वह लोगों को परमेश्‍वर की सेवा से अलग करना चाहेगा।—मत्ती ५:१०-१२; १०:१६-२२, ३४–३९; २४:९, १०; यूहन्‍ना १५:१७-१६:३; २ तीमुथियुस ३:१२; १ पतरस ५:८; प्रकाशितवाक्य १२:१७.

जब प्रेरित गिरफ़्तार कर लिए गए और अदालत में ले जाए गए थे, वह इसलिए नहीं था कि वे अपराधी, उपद्रवी मनुष्य, या राजद्रोही थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि वे सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे। जब प्रेरित पौलुस ने उच्च न्यायालय में अपने मामले की अपील की, ऐसा उसने सुसमाचार प्रचार करने के लिए मसीहियों के अधिकार की रक्षा और उसे क़ानूनी रूप से स्थापित करने के लिए किया था।—प्रेरितों ४:१८-२०; ५:२८-३२; फिलिप्पियों १:७.

आज, यहोवा के गवाह नियम मानने वाले मसीही हैं जो अपना कर देते हैं और अधिकारियों के प्रति आदर दिखाते हैं। वे जो कैसर का है वह कैसर को और जो परमेश्‍वर का है वह परमेश्‍वर को देते हैं। यदि किसी सरकारी अधिकारी से उनका संघर्ष होता है, तो ऐसा इसलिए है कि वह सरकार उनके प्रचार कार्य को मान्यता नहीं देती है, या इसलिए कि राष्ट्रों के मध्य किसी मामले में वे निष्पक्ष स्थिति बनाए रखते हैं। पर इन बातों में यहोवा के गवाहों की वही स्थिति होनी चाहिए जैसी प्रेरितों की थी, जिन्होंने बताया था: “मुनष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्त्तव्य कर्म है।”—प्रेरितों ५:२९; मरकुस १२:१७; यूहन्‍ना १८:३६; तीतुस ३:१, २.

यहोवा के गवाह सताहट नहीं चाहते हैं पर एक शान्त और सरल जीवन बिताना पसन्द करते हैं। तथापि, यदि परमेश्‍वर के नियम और यीशु मसीह के उदाहरण का अनुकरण करने के कारण वे सताए जाते हैं तो उसे सहने में वे खुश हैं।—मत्ती ५:१०-१२; प्रेरितों ५:४०, ४१; १ कुरिन्थियों ४:१२; १ तीमुथियुस २:२; १ पतरस ३:१४, १५; ४:१२-१६.

• क्यों यहोवा के सेवकों की निन्दा की जाती है और वे क्यों सताए जाते हैं?

• क्यों यहोवा के गवाहों का कई बार सरकारी अधिकारियों से संघर्ष होता है, जैसा मसीही प्रेरितों का होता था?

• यहोवा के सेवक सताहट को किस दृष्टि से देखते हैं?

[पेज २९ पर तसवीरें]

परमेश्‍वर के राज्य का प्रचार करने के कारण यीशु पीलातुस के सामने लाया गया था और प्रेरित पौलुस कैद में डाला गया था