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पूर्ण-समय के सेवक प्रचार कार्य का नेतृत्व करते हैं

पूर्ण-समय के सेवक प्रचार कार्य का नेतृत्व करते हैं

पूर्ण-समय के सेवक प्रचार कार्य का नेतृत्व करते हैं

सम्भवतः आप से भेंट करनेवाला पहला यहोवा का गवाह एक पूर्ण–समय का पायनियर सेवक या मिशनरी था। चूँकि यहोवा के गवाह वैतनिक सेवकाई नहीं करते हैं, शायद आप ने आश्‍चर्य किया हो कि कैसे ये लोग सेवकाई में पूर्ण–समय भाग ले सकते हैं।

यहोवा के सभी समर्पित और बपतिस्मा प्राप्त गवाह सेवक हैं, पर उन में से अधिकांश जनों के पास पारिवारिक या दूसरी बाध्यताएँ हैं जो उन्हें उनकी सेवकाई में सप्ताह में कुछ घंटों से ज़्यादा देने से रोकती हैं। तथापि, संसार में हज़ारों गवाहों ने अपने निर्वाह-स्तर में कटौती की है ताकि वे अंशकालिक नौकरी करने के द्वारा अपने घटे हुए ख़र्चों को पूरा कर सकें और फिर सेवकाई के लिए वर्ष में १,००० या उससे अधिक घंटे दे सकें।

यह सच है कि पूर्ण–समय के पायनियर सेवकों के पास स्वयं पर ख़र्च करने के लिए इतना पैसा नहीं होता, पर उनके लिए परमेश्‍वर के राज्य को पहले ढूँढने का यही तरीक़ा है। और वे अनेक आशिषें पाते हैं। परमेश्‍वर के वचन के बारे में एक महीने में क़रीब ९० घंटे बात कर पाना अपने आप में एक अच्छा अनुभव है। पूर्ण-समय का सेवक सेवकाई में अपनी निपुणता को बढ़ाता है और उसके पास दिलचस्पी रखनेवाले लोगों से उचित रीति से फिर से भेंट करने का समय भी होता है। यह बहुत प्रोत्साहक परिणाम उत्पन्‍न करता है। भौतिक रूप से जो आवश्‍यक है वह उनके पास है, और जो कुछ उनके पास है वे उसका बहुत मूल्यांकन करते हैं।—मत्ती ६:३३.

फरवरी १९४३ में, वॉच टावर संस्था ने वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ़ गिलियड की स्थापना की। इसका उद्देश्‍य अनुभवी पूर्ण–समय के पायनियर सेवकों को विदेशों में मिशनरी बनकर सेवा के लिए प्रशिक्षित करना था। पाँच महीने के प्रशिक्षण में, बाइबल, बाइबल इतिहास, यहोवा के संगठन, और विदेशी क्षेत्र में सेवा के लिए तैयारी करने से सम्बन्धित विषयों का एकाग्र अध्ययन शामिल है।

मिशनरी कार्य-नियुक्‍ति तक जाने के लिए संस्था परिवहन का भुगतान करती है और मिशनरी घरों में पौष्टिक भोजन और रहने के लिए साधारण प्रबन्ध करती है। संस्था प्रत्येक मिशनरी को निजी ख़र्च के लिए साधारण प्रतिपूर्ति भी देती है। ख़रीदारी करने, भोजन तैयार करने और सफ़ाई करने के द्वारा घर का संचालन मिशनरी बारी-बारी से करते हैं। इस उचित देख-भाल से मिशनरी घर–घर प्रचार करने और दिलचस्पी लेनेवाले व्यक्‍तियों के साथ बाइबल अध्ययन करने के लिए महीने में कम से कम १४० घंटे दे पाते हैं।

इनमें से अनेक मिशनरी अपने घर और परिवार से हज़ारों मील दूर भेजे जाते हैं। उन्हें एक भिन्‍न निर्वाह-स्तर और संस्कृति, भोजन की नयी आदतें, एक अलग मौसम, और दूसरी भाषा बोलने में समंजन करना पड़ा है। वे इसलिए यह काम करते हैं क्योंकि वे लोगों से प्यार करते हैं और परमेश्‍वर के राज्य के बारे में सीखने में उनकी सहायता करने के लिए तीव्र इच्छा रखते हैं।

वर्ष १९४३ से १९९२ तक, वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ़ गिलियड ने ९३ क्लास संचालित की थीं और ६,५०० से अधिक मिशनरियों को बाहर भेजा था। संस्था की देख–रेख में इन्होंने बाइबल शिक्षा के विस्तार का नेतृत्व पूरे अफ्रीका, केन्द्रीय और दक्षिणी अमरीका, पूर्व में, और दक्षिणी प्रशान्त में किया है, और उन्होंने यूरोप में काफ़ी कुछ निष्पन्‍न किया है।

यहोवा के गवाह चाहे सेवकाई में पायनियर या मिशनरी के तौर पर पूर्ण-समय या अंशकालिक रूप से भाग लेते हैं, वे बिना किसी आर्थिक लाभ के सेवा करते हैं। वे इस ज्ञान को जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है, दूसरों को देने में अपना समय और पैसा, और स्वयं को देते हैं।—यूहन्‍ना १७:३.

• कैसे कुछ यहोवा के गवाह सेवकाई में अपना पूरा समय देने में समर्थ होते हैं, और वे ऐसा क्यों करते हैं?

• कैसे सेवकों को मिशनरी कार्य के लिए प्रशिक्षित किया जाता है?

• मिशनरियों की विदेशी कार्य-नियुक्‍ति में उनका समर्थन कैसे किया जाता है?

[पेज २२ पर तसवीरें]

बाएँ: गिलियड स्कूल कक्षा, ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क, अमरीका

दाएँ: मिशनरी पापुआ न्यू गिनी में परमेश्‍वर का वचन सिखा रहा है

[पेज २३ पर तसवीरें]

पायनियर सेवक और मिशनरी विभिन्‍न देशों में परमेश्‍वर के वचन का प्रचार कर रहे हैं

ब्राज़ील

डोमिनिकन रिपब्लिक

स्पेन

सियरा लियोन, अफ्रीका