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किधर जा रही है यह दुनिया?

किधर जा रही है यह दुनिया?

किधर जा रही है यह दुनिया?

आज गंभीर समस्याएँ और दिल दहलानेवाली घटनाएँ सारी दुनिया में रोज़-रोज़ की खबरें बन गयी हैं! इनके क्या मायने हैं?

लोगों की सुरक्षा: बाज़ार में बम फूटा। स्कूल में टीचरों और बच्चों को गोलियों से भून डाला गया। पल-भर के लिए माता-पिता की नज़र हटी नहीं कि बच्चों को गायब कर दिया गया। दिन-दहाड़े महिलाओं और बूढ़ों को लूटा गया।

धर्म की हालत: युद्ध में चर्चों ने अलग-अलग गुटों का साथ दिया। पादरी जनसंहार के दोषी। बच्चे पादरियों की हवस का शिकार; चर्च ने अपनी करतूतों पर परदा डाला। चर्च जानेवालों की गिनती घटी; चर्च बेच दिए गए।

वातावरण: व्यापार परियोजनाओं के लिए जंगल-के-जंगल साफ। ईंधन के लिए गरीब लोग पेड़ काट रहे हैं। ज़मीन से निकाला गया पानी प्रदूषित, पीने लायक नहीं। कारखानों के मलबे और मछुवाई की नयी-नयी तकनीकों के कारण यह व्यापार खतरे में। दूषित हवा की वजह से साँस लेना दुश्‍वार।

रोज़ी-रोटी का सवाल: खबर है कि एशिया के कई देशों में हर व्यक्‍ति की सालाना आमदनी बहुत कम है। अफसरों के लालच की वजह से बिज़नेस ठप्प, हज़ारों लोग बेरोज़गार। घोटाले ने लोगों की ज़िंदगी-भर की जमा-पूँजी लूटी।

अकाल: दुनिया के तकरीबन 80,00,00,000 लोग दाने-दाने को मोहताज।

युद्ध: बीसवीं सदी के युद्धों में 10,00,00,000 से ज़्यादा जानें गयीं। पूरी दुनिया को कई बार खाक में मिलाने की शक्‍ति रखनेवाले परमाणु हथियार मौजूद। जगह-जगह गृह-युद्ध। आतंकवाद का कहर सारी दुनिया पर।

महामारियाँ और दूसरी बीमारियाँ: सन्‌ 1918 से, स्पेनिश फ्लू ने 2,10,00,000 लोगों की जान ली। एड्‌स अब “इतिहास की सबसे भयानक और संक्रामक बीमारी”। कैंसर और दिल की बीमारी सारी दुनिया को रुला रही है।

सिर्फ इन अलग-अलग खबरों की मत सोचिए। यह सोचिए कि क्या ये कुछेक जगहों में होनेवाली इक्का-दुक्का घटनाएँ हैं? या क्या ये सारी दुनिया में जगह-जगह घट रही हैं और क्या इनके पीछे कुछ बड़ा मतलब छिपा है?

[पेज 5 पर बक्स/तसवीर]

क्या परमेश्‍वर वाकई हमारी परवाह करता है?

जब लोग दिल दहलानेवाली घटनाएँ देखते हैं, या जब उनका सबकुछ लुट जाता है या उनके किसी अज़ीज़ की मौत हो जाती है, तो वे बिलकुल टूट जाते हैं और सोचते हैं कि परमेश्‍वर ऐसे हादसों को रोकता क्यों नहीं।

परमेश्‍वर वाकई परवाह करता है। आज वह हमें भरोसेमंद सलाह दे रहा है और सच्ची राहत पहुँचा रहा है। (मत्ती 11:28-30; 2 तीमुथियुस 3:16, 17) उसने हिंसा, बीमारी और मौत को हमेशा के लिए मिटाने के इंतज़ाम किए हैं। उसके ये इंतज़ाम दिखाते हैं कि वह किसी एक देश या जाति के लोगों की नहीं बल्कि सभी देशों, जातियों और भाषाओं के लोगों की परवाह करता है।—प्रेरितों 10:34, 35.

परमेश्‍वर के मकसद की हमें कितनी परवाह है? क्या आप जानते हैं कि आकाश और पृथ्वी का सिरजनहार कौन है? उसका नाम क्या है? उसका मकसद क्या है? सिरजनहार ने इन सवालों के जवाब बाइबल में दिए हैं। इसमें वह बताता है कि वह हिंसा, बीमारी और मौत को मिटाने के लिए क्या कदम उठा रहा है। अगर हम परमेश्‍वर के इंतज़ामों से फायदा पाना चाहते हैं, तो हमें क्या करना होगा? हमें परमेश्‍वर और उसके उद्देश्‍यों के बारे में सीखना होगा। और परमेश्‍वर पर विश्‍वास ज़ाहिर करना होगा। अगर हम परमेश्‍वर पर विश्‍वास नहीं दिखाएँगे, तो हम उसके इंतज़ामों से फायदा पाने की भला कैसे सोच सकते हैं? (यूहन्‍ना 3:16; इब्रानियों 11:6) इतना ही नहीं, उसके नियमों को मानना भी ज़रूरी है। (1 यूहन्‍ना 5:3) क्या आपको इतनी परवाह है कि आप परमेश्‍वर के नियमों का पालन करें?

परमेश्‍वर ने मौजूदा हालात को क्यों रहने दिया है, इसका जवाब पाने के लिए हमें एक ज़रूरी मसले को समझना होगा। बाइबल बताती है कि यह मसला क्या है। इस ब्रोशर के 15वें पेज पर इस बारे में समझाया गया है।