इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

परमेश्‍वर के लोग अपने देश लौट आते हैं

परमेश्‍वर के लोग अपने देश लौट आते हैं

हमारे ज़माने में जहाँ ईरान है, वह पठार दो पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है। एक है (कैस्पियन सागर के दक्षिण में) एल्बूर्ज़ पर्वतमाला और दूसरी है, (फारस की खाड़ी की ओर दक्षिण-पूर्व में) ज़ाग्रोस पर्वतमाला। इन पर्वतों के बीच-बीच में लंबी-लंबी उपजाऊ घाटियाँ हैं और उनकी ढलानें पेड़ों से ढकी हुई हैं। इन घाटियों का मौसम हलका ठंडा रहता है, मगर ऊँचाई पर जो सूखे मैदान हैं, वहाँ तेज़ हवाएँ चलती हैं और सर्दियों में कड़ाके की ठंड पड़ती है। इस पठार के बिलकुल पास, बहुत कम आबादीवाला एक रेगिस्तान है। इसी इलाके से, जो मसोपोटामिया की पूर्वी दिशा में है, पुराने ज़माने का मादी-फारस साम्राज्य उभरकर आया था।

मादियों की ज़्यादातर आबादी, शुरू में उस पठार के उत्तरी हिस्से में रहती थी, मगर बाद में आर्मीनिया और किलिकिया में भी फैलती चली गयी। दूसरी तरफ, फारसी लोग ज़्यादातर उस पठार के दक्षिण-पश्‍चिमी हिस्से में, यानी टिग्रिस घाटी के पूर्व में रहते थे। सा.यु.पू. छठी सदी के मध्य में, कुस्रू की हुकूमत के दौरान, मादी और फारसी राज्य मिल गए और इस तरह मादी-फारस विश्‍व-शक्‍ति बना।

कुस्रू ने सा.यु.पू. 539 में बाबुल पर कब्ज़ा कर लिया। उसका साम्राज्य पूर्व की तरफ भारत तक फैलता गया। और पश्‍चिम की तरफ मिस्र और वह सारा इलाका उसके कब्ज़े में आ गया जो आज तुर्की कहलाता है। वाकई, दानिय्येल ने मादी-फारस साम्राज्य के बारे में बिलकुल सही मिसाल दी कि वह एक पेटू “रीछ” की तरह ‘बहुत मांस खाएगा।’ (दानि 7:5) कुस्रू एक दयालु और उदार शासक था। उसने अपने साम्राज्य को अलग-अलग प्रांतों में बाँटा। हर प्रांत पर एक अधिपति या क्षत्रप हुकूमत करता था, जो आम तौर पर फारसी होता था। और हर इलाके में उस क्षत्रप के अधीन उसी इलाके का एक शासक होता था, जिसे कुछ हद तक अधिकार सौंपा जाता था। इस साम्राज्य की प्रजा को अपने-अपने रिवाज़ों और धर्मों को मानने की छूट थी।

लोगों को धर्म की आज़ादी देने की अपनी इसी नीति के मुताबिक, कुस्रू ने यहूदियों को अपने देश लौटने की इजाज़त दी ताकि वे सच्ची उपासना बहाल कर सकें और यरूशलेम शहर को दोबारा बसाएँ। इन घटनाओं का ब्यौरा एज्रा और नहेमायाह ने अपनी किताबों में दिया है। आपको क्या लगता है, जब यहूदियों की बड़ी भीड़ बाबुल से निकली, तो वे इब्राहीम की तरह फरात नदी के रास्ते से होते हुए कर्कमीश की तरफ गए या फिर तदमोर और दमिश्‍क से गुज़रते हुए छोटे रास्ते से गए? इस बारे में बाइबल कुछ नहीं बताती। (पेज 6-7 देखिए।) कुछ समय बाद यहूदी, मादी-फारस साम्राज्य के दूसरे इलाकों में भी जा बसे, जैसे नील नदी का डेल्टा और दक्षिण की ओर काफी दूर-दूर तक के इलाकों में। और बहुत-से यहूदी बाबुल में ही रह गए। इस जानकारी से हमें पता चलता है कि सदियों बाद, प्रेरित पतरस क्यों बाबुल गया था। (1पत 5:13) जी हाँ, यहूदियों के अलग-अलग जगहों में जा बसने के पीछे मादी-फारस साम्राज्य का काफी हाथ था। इसलिए बाद में आनेवाले यूनानी और रोमी साम्राज्यों के दौरान यहूदी, दुनिया की अलग-अलग जगहों में पाए गए थे।

मादी-फारसियों ने बाबुल शहर को जीत लेने के बाद, उसे अपनी राजधानी बना लिया। वहाँ की गर्मियाँ बरदाश्‍त के बाहर होती थीं। शूशन, जो पहले एलाम की राजधानी था, वह भी फारसी राजा के राजधानी शहरों में से एक था। शूशन ही वह शहर था जहाँ बाद में, फारसी राजा क्षयर्ष (शायद ज़रक्सीज़ I) ने एस्तेर को अपनी रानी बनाया और एक ऐसी साज़िश को नाकाम कर दिया जो उसके पूरे विशाल साम्राज्य में रहनेवाले परमेश्‍वर के सभी लोगों को मिटाने के लिए रची गयी थी। मादी-फारस की दो और राजधानियाँ थीं, इकबाताना (जो 1,900 मीटर से ज़्यादा ऊँचाई पर है और जहाँ गर्मियाँ सुहावनी होती हैं) और पैसरगेड (उतनी ही ऊँचाई पर, करीब 650 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में)।

मादी-फारस विश्‍व-शक्‍ति कैसे गिर गयी? जब यह साम्राज्य अपनी बुलंदियों पर था, तब इसकी उत्तर-पश्‍चिम सीमा पर रहनेवाले यूनानी उसके खिलाफ बगावत करने लगे और इस साम्राज्य ने उसका मुकाबला किया। उस वक्‍त यूनान, अलग-अलग स्वतंत्र राज्यों में बँटा हुआ था, जिनमें आपस में हमेशा युद्ध होते थे। लेकिन फारस की सेना को हराने के लिए ये सभी राज्य एक हो गए और उन्होंने मैरेथॉन और सलमिस में फारसी सेना से ज़बरदस्त लड़ाइयाँ लड़ीं। इस तरह यूनान के सभी राज्यों के लिए एक होकर, मादी-फारस से ज़्यादा ताकतवर साबित होने का रास्ता तैयार हुआ।

[पेज 24 पर नक्शा]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

मादी-फारस साम्राज्य

क2 मकिदुनिया

क2 थ्रेस

क4 कुरेने

क4 लिबिया

ख2 बिज़ेन्टियम

ख2 लिडिया

ख3 सरदीस

ख4 मेम्फिस (नोप)

ख4 मिस्र

ख5 अमोन (थीब्ज़)

ख5 सवेने

ग3 किलिकिया

ग3 तरसुस

ग3 इसस

ग3 कर्कमीश

ग3 तदमोर

ग3 अराम

ग3 सीदोन

ग3 दमिश्‍क

ग3 सोर

ग4 यरूशलेम

घ2 फेसिस

घ2 आर्मीनिया

घ3 अश्‍शूर

घ3 नीनवे

घ4 बाबुल

च3 मादै

च3 इकबाताना (अहमता)

च3 हरकेनिया

च4 शूशन (सूसा)

च4 एलाम

च4 पैसरगेड

च4 पर्सेपोलिस

च4 फारस

छ3 पारथिया

छ4 ड्रान्जीआना

ज2 मारकंद (समरकंद)

ज3 सॉगदीयाना

ज3 बैकट्रीआ

ज3 आरिया

ज4 आरकोज़ा

ज4 जड्रोज़ा

झ5 भारत

[दूसरी जगहें]

क2 यूनान

क3 मैरेथॉन

क3 अथेने

क3 सलमीस

ग1 सिथिया

ग4 एलत (एलोत)

ग4 तेमा

घ4 अरब

[पहाड़]

च3 एल्बूर्ज़ पर्वत

च4 ज़ाग्रेस पर्वत

[सागर/खाड़ी]

ख3 भूमध्य सागर (महासागर)

ग2 काला सागर

ग5 लाल सागर

च2 कैस्पियन सागर

च4 फारस की खाड़ी

[नदियाँ]

ख4 नील

ग3 फरात

घ3 टिग्रिस

झ4 सिंधु

[पेज 24 पर तसवीर]

कुस्रू की सेना को बाबुल पहुँचने के लिए ज़ाग्रोस पर्वतमाला पार करनी थी

[पेज 25 पर तसवीर]

ऊपर: पर्सेपोलिस के पास, सभी जातियों का फाटक

[पेज 25 पर तसवीर]

अंदर का चित्र: पैसरगेड में, कुस्रू का मकबरा