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कौन स्वर्ग जाते हैं, और क्यों?

कौन स्वर्ग जाते हैं, और क्यों?

अध्याय १४

कौन स्वर्ग जाते हैं, और क्यों?

१. अधिकतर व्यक्‍ति इस प्रश्‍न का उत्तर कैसे देंगे कि कौन स्वर्ग जाता है और क्यों?

अधिकतर व्यक्‍ति यह कहते हैं, ‘सब अच्छे लोग स्वर्ग जाते हैं।’ तथापि जब उनसे यह पूछा जाय कि वे क्यों स्वर्ग जाते हैं तो वे शायद यह कहें: ‘वहाँ हम परमेश्‍वर के साथ रहेंगे, या यह कहें, ‘अच्छे बने रहने का यही प्रतिफल मिलता है।’ इस विषय में बाइबल की शिक्षा क्या है?

२, ३. (क) हम कैसे निश्‍चित हो सकते हैं कि कुछ मनुष्य स्वर्ग जायेंगे? (ख) किस प्रश्‍न के उत्तर देने की आवश्‍यकता है?

बाइबल स्पष्ट करती है कि यीशु मृतकों में से जी उठाया गया था और फिर वह स्वर्ग को चला गया। वह यह भी कहती है कि अन्य मनुष्य भी वहाँ ले जाये जायेंगे। अपनी मृत्यु से पहले की रात यीशु ने अपने वफादार प्रेरितों को यह बताया था: “मेरे पिता के घर में अनेक निवास स्थान हैं। यदि न होते तो मैं तुमसे कह देता, क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। इसके अतिरिक्‍त यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ तो मैं फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ साथ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो।”यूहन्‍ना १४:१-३.

स्पष्टतया, यीशु अपने प्रेरितों को यह सूचना दे रहा था कि वे स्वर्ग में उसके साथ रहने के लिये ले जाये जायेंगे। प्रेरित पौलुस अक्सर प्रारंभिक मसीहियों को इस अद्‌भुत आशा के विषय में बताता रहा था। उदाहरणतया, उसने यह लिखा था: “परन्तु हमारी नागरिकता, स्वर्ग से संबंधित है, जिस स्थान से हम एक उद्धारकर्त्ता, प्रभु यीशु मसीह के आने की उत्साहपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे हैं।” (फिलिप्पियों ३:२०, २१; रोमियों ६:५; २ कुरिन्थियों ५:१, २) इस प्रकार की प्रतिज्ञाओं के आधार पर करोड़ों व्यक्‍तियों ने स्वर्गीय जीवन व्यतीत करने पर अपना मन लगाया है। फिर भी क्या सब अच्छे व्यक्‍ति स्वर्ग जाते हैं?

क्या सब अच्छे व्यक्‍ति स्वर्ग जाते हैं?

४, ५. इस बात का क्या प्रमाण है कि दाऊद और अय्यूब स्वर्ग नहीं गये थे?

यीशु के मृतकों में से जी उठाये जाने के कुछ समय पश्‍चात्‌ प्रेरित पतरस ने यहूदियों की एक भीड़ से यह कहा था: “कुलपति दाऊद . . . मर गया और दफ़न हुआ और उसकी क़ब्र आज तक हमारे बीच मौजूद है। क्योंकि दाऊद वास्तव में स्वर्ग पर नहीं चढ़ा।” (प्रेरितों के काम २:२९, ३४) अतः वह नेक पुरुष दाऊद स्वर्ग को नहीं गया था। फिर धर्मी पुरुष अय्यूब के विषय क्या कहा जाय?

जब अय्यूब दुःख उठा रहा था, तब उसने परमेश्‍वर से यह प्रार्थना की: “भला होता कि तू मुझे शीओल [क़ब्र] में छिपा लेता और जब तक तेरा कोप शांत न हो जाता तब तक तू मुझे छिपाये रखता और मेरे लिये समय नियत करता और फिर मुझे याद करता!” अय्यूब को मालूम था कि जब वह मरेगा तब वह क़ब्र में अचेतन अवस्था में रहेगा। वह जानता था कि वह स्वर्ग नहीं जायेगा। परन्तु उसको आशा थी, जैसा कि उसने यह व्याख्या की: “यदि एक स्वस्थ पुरुष मर जाये तो क्या वह फिर जीवित होगा? अपनी [विवशता की] सेवा के सारे दिनों तक [क़ब्र में नियत समय तक] मैं प्रतीक्षा करता रहूंगा जब तक मेरा छुटकारा नहीं आता है। तू मुझे पुकारेगा और मैं स्वयं तुझे उत्तर दूंगा।”—अय्यूब १४:१३-१५.

६, ७. (क) किस बात से प्रदर्शित होता है कि कोई व्यक्‍ति जो मसीह से पहले मरा, स्वर्ग नहीं गया? (ख) उन सब विश्‍वासी व्यक्‍तियों का क्या होगा जो मसीह से पहले मरे थे?

यूहन्‍ना भी जिसने यीशु को बपतिस्मा दिया था, एक नेक पुरुष था। फिर भी यीशु ने यूहन्‍ना के विषय में यह कहा: “वह व्यक्‍ति जो स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है, वह उससे बड़ा है।” (मत्ती ११:११) यह इसलिये कहा गया था क्योंकि यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला स्वर्ग नहीं जायेगा। आदम और हव्वा के विद्रोह के ४,००० से अधिक वर्ष पश्‍चात्‌ जब यीशु पृथ्वी पर था तब उसने यह कहा था: “कोई मनुष्य स्वर्ग पर नहीं चढ़ा केवल वही जो स्वर्ग से उतरा है, अर्थात्‌ मनुष्य का पुत्र।”—यूहन्‍ना ३:१३.

अतः यीशु के अपने शब्दों के अनुसार उसके दिनों में ४,००० वर्षों के मानव इतिहास में कोई मनुष्य स्वर्ग नहीं गया था। दाऊद, अय्यूब और यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला पृथ्वी पर जीवन के लिये पुनरुत्थान प्राप्त करेंगे। वास्तव में, वे सब वफ़ादार पुरुष और स्त्रियाँ जो यीशु की मृत्यु से पहले मरे थे, पृथ्वी पर न कि स्वर्ग में पुनः जीवन व्यतीत करने की आशा रखते थे। वे परमेश्‍वर के राज्य की पार्थिव प्रजा में होने के लिए पुनरुत्थान प्राप्त करेंगे।—भजन संहिता ७२:७, ८; प्रेरितों के काम १७:३१.

क्यों कुछ वफ़ादार व्यक्‍ति स्वर्ग जाते हैं

८. वे कुछेक प्रश्‍न क्या हैं जिनके उत्तर महत्वपूर्ण हैं और क्यों?

यीशु क्यों स्वर्ग गया था? वह क्या कार्य है जो उसे वहाँ करना है? इन प्रश्‍नों के उत्तर महत्व रखते हैं। यह इसलिये महत्व रखते हैं क्योंकि वे जो स्वर्ग को जाते हैं, यीशु के कार्य में उसके सहभागी होंगे। वे उसी उद्देश्‍य के लिये स्वर्ग को जाते हैं।

९, १०. दानिय्येल नबी के अनुसार वे कौन हैं जो मसीह के अतिरिक्‍त उसके साथ परमेश्‍वर की सरकार में शासन करेंगे?

हमने प्रारंभिक अध्यायों में यह मालूम किया था कि यीशु परमेश्‍वर की स्वर्गीय सरकार में राजा बनकर परादीस रूपी नयी पृथ्वी के ऊपर राज्य करेगा। यीशु के पृथ्वी पर आने के बहुत समय पहले बाइबल की दानिय्येल नामक पुस्तक में इस बात की भविष्य सूचना दी थी कि “मनुष्य के पुत्र” को “राज्य दिया जायेगा।” “मनुष्य का पुत्र” यीशु मसीह है। (मरकुस १४:४१, ६२) और दानिय्येल फिर यह कहता है: “उसका राज्य अनिश्‍चित काल तक सदा बना रहेगा और उसकी प्रभुता कभी न टलेगी और उसका राज्य ऐसा होगा जिसका कभी विनाश न होगा।”—दानिय्येल ७:१३, १४.

१० तथापि, यहाँ दानिय्येल की पुस्तक में इस बात पर ध्यान देना आवश्‍यक है कि “मनुष्य का पुत्र” अकेला राज्य नहीं करेगा। बाइबल कहती है: “और उसका राज्य और उसकी प्रभुता . . . उन लोगों को दी गयी जो परम प्रधान के पवित्र व्यक्‍ति हैं। उनका राज्य ऐसा राज्य होगा जो अनिश्‍चित काल तक सदा बना रहेगा।” (दानिय्येल ७:२७) ये वाक्यांश “लोग” और “उनका राज्य” हमें यह जानकारी देते हैं कि अन्य लोग भी परमेश्‍वर की सरकार में मसीह के साथ राज्य करेंगे।

११. किस बात से प्रदर्शित होता है कि मसीह के प्रारंभिक अनुयायी उसके साथ शासन करेंगे?

११ उस आखिरी रात जो यीशु ने अपने ११ वफ़ादार प्रेरितों के साथ गुज़ारी थी, उसने यह प्रदर्शित किया था कि वे परमेश्‍वर के राज्य में उसके साथ शासक होंगे। उसने उनसे यह कहा था: “परन्तु तुम वे हो जो मेरी परीक्षाओं में मेरे साथ लगे रहे और जिस प्रकार मेरे पिता ने मेरे साथ एक राज्य का वायदा किया है, उसी प्रकार मैं भी तुम्हारे साथ वायदा करता हूँ।” (लूका २२:२८, २९) उसके बाद, प्रेरित पौलुस और तीमुथियुस इस राज्य के वायदे के लिये अथवा सहमति में सम्मिलित किये गये थे। उस कारण से पौलुस ने तीमुथियुस को यह लिखा था: “यदि हम धैर्य रखेंगे, तो हम उसके साथ राजा बनकर राज्य करेंगे।” (२ तीमुथियुस २:१२) इसके अतिरिक्‍त प्रेरित यूहन्‍ना ने भी उन लोगों के विषय में यह लिखा जो यीशु मसीह के साथ “राजा बनकर पृथ्वी के ऊपर” राज्य करेंगे।—प्रकाशितवाक्य ५:९, १०; २०:६.

१२. इब्राहीम के “वंश” के संबंध में वह वास्तविकता क्या है जो यह प्रकट करती है कि मसीह के सहशासक होंगे?

१२ अतः वे लोग जो स्वर्ग जाते हैं परमेश्‍वर की स्वर्गीय सरकार में मसीह के साथ सहशासक बनकर राज्य करते हैं। जबकि यीशु प्रतिज्ञा का मुख्य “वंश” है, राज्य में यीशु के साथ शासन करने के लिये मानवजाति में से अन्य व्यक्‍तियों को भी परमेश्‍वर चुनता है। इस प्रकार वे उस “वंश” के भाग बनते हैं जैसा कि बाइबल कहती है: “यदि तुम मसीह के हो, तो तुम वास्तव में इब्राहीम के वंश अर्थात्‌ उस प्रतिज्ञा के अनुसार उसके वारिस भी हो।”—गलतियों ३:१६, २९; याकूब २:५.

कितने हैं जो स्वर्ग जाते हैं?

१३. (क) क्यों छोटे बच्चे स्वर्ग नहीं जायेंगे? (ख) यीशु ने उन लोगों की संख्या का वर्णन कैसे किया था जो राज्य को प्राप्त करते हैं?

१३ क्योंकि इन व्यक्‍तियों को पृथ्वी के ऊपर शासन करना है इसलिये यह बात स्पष्ट हो जाती है कि वे जो स्वर्ग जाते हैं मसीह के शोधित और परीक्षित अनुयायी होंगे। इसका यह अर्थ है कि बालक और छोटे बच्चे जो मसीही सेवा में व्यतीत वर्षों के दौरान पूर्ण रूप से आज़माये नहीं गये हैं, स्वर्ग को नहीं ले जाये जायेंगे। (मत्ती १६:२४) तथापि ये बालक जो मर जाएंगे उन्हें इस पृथ्वी पर जी उठने की आशा होगी। (यूहन्‍ना ५:२८, २९) अतः उन अनेक लोगों की तुलना में जो राजकीय शासन के अधीन पृथ्वी पर जीवन प्राप्त करेंगे, इन व्यक्‍तियों की कुल संख्या जो स्वर्ग जाते हैं, कम होगी। यीशु ने अपने शिष्यों से यह कहा था: “हे छोटे झुंड, मत डर क्योंकि तुम्हारे पिता ने तुम्हें राज्य देना पसंद किया है।”—लूका १२:३२.

१४. कितने हैं जो “छोटा झुंड” बनाते हैं और स्वर्ग जाते हैं?

१४ राजकीय शासकों के उस वर्ग की संख्या कितनी कम होगी? क्या उसमें केवल यीशु के प्रेरित और अन्य प्रारंभिक अनुयायी सम्मिलित होंगे? क्योंकि बाइबल यह प्रदर्शित करती है कि “छोटे झुंड” में उनसे अधिक व्यक्‍ति सम्मिलित होंगे। प्रकाशितवाक्य १४:१, ३ में बाइबल यह कहती है: “फिर मैंने दृष्टि की और देखो! वह मेम्ना [यीशु मसीह] [स्वर्गीय] सिय्योन पर्वत पर खड़ा है और उसके साथ एक लाख चौआलीस हज़ार जन हैं . . . वे पृथ्वी पर से मोल लिये गये हैं।” यहाँ आप इस बात पर ग़ौर कीजिये कि स्वर्गीय सिय्योन पर्वत पर मेम्ने यीशु मसीह के साथ १४४,००० व्यक्‍ति देखे गये हैं। (इब्रानियों १२:२२) अतः इसकी अपेक्षा कि सब अच्छे व्यक्‍ति स्वर्ग जाते हैं, बाइबल यह प्रकट करती है कि केवल १४४,००० शोधित और वफ़ादार व्यक्‍ति मसीह के साथ वहाँ राज्य करने के लिये ले जाये जायेंगे।

वे पृथ्वी पर से क्यों चुने गये

१५. क्यों परमेश्‍वर मनुष्यों में से राज्य शासकों को चुनता है?

१५ परन्तु परमेश्‍वर इन शासकों को मनुष्यों में से क्यों चुनता है? मसीह के साथ शासन करने के लिये स्वर्गदूत क्यों नहीं चुने गये? इसलिये कि यहाँ पृथ्वी पर ही यहोवा के शासनाधिकार को चुनौती दी गयी थी। यहाँ पृथ्वी पर ही इबलीस द्वारा विरोध के अधीन परमेश्‍वर के प्रति मनुष्यों की वफ़ादारी की परीक्षा ली जा सकती थी। यहाँ पृथ्वी पर ही यीशु ने परीक्षा के अधीन परमेश्‍वर के प्रति अपनी पूर्ण वफ़ादारी को सिद्ध किया और अपना जीवन मानवजाति के लिये छुड़ौती के रूप में दे दिया। अतः पृथ्वी पर से ही यहोवा ने स्वर्गीय राज्य में अपने पुत्र के सहयोगी बनने के लिये व्यक्‍तियों के “छोटे झुंड” को लेने का प्रबंध किया। ये वे व्यक्‍ति हैं, जिन्होंने परमेश्‍वर के प्रति अपनी वफ़ादारी के द्वारा इबलीस के इस आरोप को झूठा साबित किया कि मनुष्य केवल अपने स्वार्थी कारणों के लिये परमेश्‍वर की सेवा करते हैं। इसलिये यह उपयुक्‍त है कि यहोवा अपनी महिमा के लिये इन मनुष्यों को इस्तेमाल करता है।—इफ़िसियों १:९-१२.

१६. हम क्यों इस विषय में कृतज्ञ हो सकते हैं कि वे राज्य शासक पृथ्वी पर रह चुके थे?

१६ इसके अतिरिक्‍त, इस बात पर भी विचार कीजिये कि इस प्रकार का शासक होना कितना अद्‌भुत होगा जो पृथ्वी पर परमेश्‍वर के प्रति वफ़ादार सिद्ध हुए थे, और जिनमें अनेकों ने इस राज्य के लिये अपनी जानों की कुरबानी भी दी थी। (प्रकाशितवाक्य १२: १०, ११; २०:४) स्वर्गदूतों ने इस प्रकार की परीक्षाओं का सामना नहीं किया है। न ही उन्होंने वे समस्याएँ अनुभव की हैं जो सामान्य रूप से मानवजाति अनुभव करती है। अतः वे पूर्ण रूप से इस बात को नहीं समझ सकते कि एक पापपूर्ण मनुष्य होना और इन समस्याओं का सामना करना जो हम मनुष्य अनुभव करते हैं, कैसा होता है। परन्तु वे १४४,००० व्यक्‍ति इन बातों को समझेंगे क्योंकि उनके साथ भी यही समस्याएं रही थीं। उनमें से कुछेक को तो अतिपापपूर्ण आदतों पर विजय प्राप्त करनी पड़ी थी और वे जानते हैं कि उन पर विजयी होना कितना कठिन हो सकता है। (१ कुरिन्थियों ६:९-११) अतः अपनी पार्थिव प्रजा के साथ उनका व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण होगा।—इब्रानियों २:१७, १८.

परमेश्‍वर की कलीसिया

१७. शब्द “कलीसिया” किसका संकेत करता है?

१७ बाइबल हमें यह बताती है कि मसीह परमेश्‍वर की कलीसिया (सभा) का प्रधान है और उसके सदस्य यीशु के अधीन रहते हैं। (इफिसियों ५:२३, २४) अतः शब्द “चर्च” अथवा “परमेश्‍वर की कलीसिया” किसी भवन की ओर संकेत नहीं करता है। इसकी अपेक्षा, यह शब्द मसीहियों के एक समूह की ओर संकेत करता है। (१ कुरिन्थियों १५:९) आज हम उस समूह को उन मसीहियों की सभा भी कह सकते हैं जिनके साथ हम संयुक्‍त हैं। उसी समान रीति से हम बाइबल में “लौदीकियों की कलीसिया” और फिलेमोन के नाम प्रेरित पौलुस के पत्र में उस “कलीसिया के विषय में पढ़ते हैं जो [उसके] घर में थी।”—कुलुस्सियों ४:१६; फिलेमोन २.

१८. (क) कौन हैं जिनसे “जीवित परमेश्‍वर की कलीसिया” बनती है? (ख) बाइबल में किन अन्य शब्दों द्वारा यह कलीसिया संकेत की गयी है?

१८ तथापि जब बाइबल “जीवित परमेश्‍वर की कलीसिया” का ज़िक्र करती है तब वह मसीह के अनुयायियों के एक विशेष समूह की ओर इशारा करती है। (१ तीमुथियुस ३:१५) वे “पहिलौठों की कलीसिया जिनके नाम स्वर्ग में लिखे गये हैं” भी कहलाये गये हैं। (इब्रानियों १२:२३) अतः परमेश्‍वर की यह कलीसिया पृथ्वी पर उन सब मसीहियों से बनी है जो स्वर्ग में जीवन व्यतीत करने की आशा रखते हैं। कुल मिलाकर केवल १४४,००० व्यक्‍ति “परमेश्‍वर की कलीसिया” को बनाते हैं। आज इनमें केवल थोड़े लोग अर्थात्‌ एक शेष वर्ग पृथ्वी पर अभी तक मौजूद हैं। वे मसीही जो पृथ्वी पर सर्वदा जीवित रहने की आशा रखते हैं “जीवित परमेश्‍वर की कलीसिया” के इन सदस्यों की ओर आध्यात्मिक निर्देशन की आस रखते हैं। बाइबल १४४,००० सदस्यों की इस सभा को इस प्रकार के शब्दों द्वारा संकेत करती है कि वह “मेम्ने की दुल्हन अर्थात्‌ पत्नी,” “मसीह की देह”, “परमेश्‍वर का मन्दिर”, “परमेश्‍वर का इस्राएल” और “नया यरूशलेम” है।—प्रकाशितवाक्य २१:९; इफ़िसियों ४:१२; १ कुरिन्थियों ३:१७; गलतियों ६:१६; प्रकाशितवाक्य २१:२.

परमेश्‍वर के उद्देश्‍य में एक नयी बात

१९. पृथ्वी के लिए अपने प्रारंभिक उद्देश्‍य को कार्यान्वित करने के लिए परमेश्‍वर ने किस नयी व्यवस्था का परिचय दिया?

१९ जब आदम ने मानवजाति को पाप और मृत्यु के मार्ग पर चलाना आरंभ किया तो उसके पश्‍चात पृथ्वी और उसपर मानवजाति के लिये यहोवा परमेश्‍वर ने अपने उद्देश्‍य को नहीं बदला। यदि परमेश्‍वर ने अपने उद्देश्‍य को बदल दिया होता तो उसका यह अर्थ होता कि वह अपने प्रारंभिक उद्देश्‍य को कार्यान्वित करने के योग्य नहीं था। उसका प्रारंभ से यही उद्देश्‍य था कि सारी पृथ्वी पर विस्तृत परादीस सुखी और स्वस्थ लोगों से भर जाये, और उसका वह उद्देश्‍य अभी तक कायम है। केवल एक नयी बात जिसका परमेश्‍वर ने परिचय दिया वह उसके उद्देश्‍य को कार्यान्वित करने के लिये एक नयी सरकार का प्रबंध था। जैसा कि हम देख चुके हैं कि उसका पुत्र यीशु मसीह इस सरकार में प्रमुख शासक है और १४४,००० व्यक्‍ति स्वर्ग में उसके साथ शासन करने के लिये मनुष्यों में से लिये जायेंगे।—प्रकाशितवाक्य ७:४.

२०. (क) वे कौन हैं जिनसे “नये आकाश” और “नयी पृथ्वी” बनती हैं? (ख) उस “नयी पृथ्वी” का भाग बनने के लिए आपको क्या करने की आवश्‍यकता है?

२० स्वर्ग में ये शासक परमेश्‍वर की नयी व्यवस्था में “नया आकाश” बनेंगे। इसपर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि यदि पृथ्वी के ऊपर इस प्रकार के धर्मी शासक होंगे तब उन लोगों का होना भी आवश्‍यक है जिनके ऊपर ये शासन करेंगे। बाइबल इन व्यक्‍तियों को “नयी पृथ्वी” के शब्द से संकेत करती है। (२ पतरस ३:१३; प्रकाशितवाक्य २१:१-४) इन व्यक्‍तियों में अय्यूब, दाऊद और यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला—हाँ वे सब वफ़ादार जन जो पृथ्वी पर मसीह के आने से पहले रहते थे, सम्मिलित होंगे। परन्तु इनके अतिरिक्‍त अन्य अधिक लोग होंगे जो “नयी पृथ्वी” बनेंगे और उनमें वे व्यक्‍ति भी सम्मिलित हैं जो इस दुष्ट व्यवस्था के अन्त से बच निकलेंगे। क्या आप भी उन उत्तरजीवी लोगों में होंगे? क्या आप परमेश्‍वर की सरकार की प्रजा बनना चाहते हैं? यदि आप उसकी प्रजा होना चाहते हैं तो कुछ शर्त्तें हैं जिनका पूरा करना आपके लिये आवश्‍यक है।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज १२१ पर तसवीरें]

क्या ये भले मनुष्य स्वर्ग चले गये?

राजा दाऊद

अय्यूब

यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला

[पेज १२२ पर तसवीरें]

अंतिम रात जब यीशु अपने प्रेरितों के साथ था, उसने कहा कि वे उसके पिता के राज्य में उसके संगी शासक होंगे