इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

क्या बाइबल वास्तव में परमेश्‍वर की ओर से है?

क्या बाइबल वास्तव में परमेश्‍वर की ओर से है?

अध्याय ५

क्या बाइबल वास्तव में परमेश्‍वर की ओर से है?

१. इस बात पर विचार करना क्यों तर्कसंगत होगा कि परमेश्‍वर अपने विषय में हमें सूचना देगा?

क्या यहोवा परमेश्‍वर ने अपने विषय में हमें कोई सूचना दी है? क्या उसने हमें बताया है कि उसने क्या कुछ किया है और अब भी वह क्या करने का उद्देश्‍य रखता है? एक पिता जो अपने बच्चों से प्रेम करता है उनको अनेक बातें बताता है। और जो कुछ हम मालूम कर चुके हैं, यहोवा वास्तव में एक प्रेममय पिता है।

२. (क) यहोवा के लिए अपने विषय में हमें बताने के लिए एक उत्तम तरीका क्या होगा? (ख) इससे क्या प्रश्‍न उठते हैं?

यहोवा उन मनुष्यों को जो पृथ्वी के अनेक भागों और विभिन्‍न समयावधियों में रहे हैं, कैसे सूचना दे सकता था? उसके लिये एक उत्तम तरीका यही होगा कि वह एक पुस्तक लिखवाये और फिर वह इस बात को देखे कि वह सबको उपलब्ध हो। क्या बाइबल परमेश्‍वर की ओर से इस प्रकार की पुस्तक है? हम कैसे जान सकते हैं कि वह ऐसी ही पुस्तक है?

बाइबल के समान अन्य कोई पुस्तक नहीं

३. वह एक तरीका क्या है जिससे यह प्रदर्शित होता है कि बाइबल एक श्रेष्ठ पुस्तक है?

यदि बाइबल वास्तव में परमेश्‍वर की ओर से है तो हमें उसको एक ऐसी अति श्रेष्ठ पुस्तक होने की जो, आज तक लिखी गयी है, प्रत्याशा करनी चाहिये। क्या यह प्रत्याशा सही है? हाँ, इसके कई कारण हैं। प्रथम, वह अति प्राचीन है; आप मानवजाति के लिये परमेश्‍वर के वचन को हाल में लिखे जाने की प्रत्याशा नहीं करेंगे, क्या आप करेंगे? इब्रानी भाषा में उसका लिखा जाना ३,५०० वर्ष पहले आरंभ हुआ था। फिर २,२०० वर्षों से कुछ अधिक समय पहले, उसका अन्य भाषाओं में अनुवाद होना आरम्भ हुआ। आज पृथ्वी पर लगभग प्रत्येक व्यक्‍ति बाइबल अपनी-अपनी भाषा में पढ़ सकता है।

४. बाइबल की अब तक बनी प्रतियों की संख्या की तुलना कैसे अन्य पुस्तकों की संख्या से की जा सकती है?

इसके अतिरिक्‍त, बाइबल की जितनी संख्या में प्रतियाँ बनी हैं, उतनी संख्या में अन्य कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है। एक पुस्तक उस समय “सबसे ज्यादा बिकनेवाली” पुस्तक मानी जाती है जब उसकी केवल हज़ारों प्रतियाँ छपती हैं। फिर भी प्रत्येक वर्ष बाइबल की लाखों प्रतियाँ छापी जाती हैं। और शताब्दियों से इसकी अरबों प्रतियाँ मुद्रित हो चुकी हैं! पृथ्वी पर मुश्‍किल से कोई ऐसा स्थान होगा चाहे वह कितना ही अलग-अलग हो, जहाँ बाइबल की प्रति उपलब्ध न हो। क्या आप ऐसी पुस्तक के विषय में जो वास्तव में परमेश्‍वर की ओर से है, यही प्रत्याशा नहीं करते हैं?

५. बाइबल को नष्ट करने के लिए क्या प्रयत्न किये गये?

बाइबल के इस अत्यधिक वितरण का महत्व अधिक बढ़ गया इस वास्तविकता से, कि शत्रुओं ने इसे नष्ट करने का प्रयत्न किया। परन्तु क्या हमें यह प्रत्याशा नहीं करनी चाहिये, कि उस पुस्तक पर जो परमेश्‍वर की ओर से है, इबलीस के प्रतिनिधियों का आक्रमण अवश्‍य होगा? और यही हुआ है। एक समय बाइबलों का जलाया जाना एक सामान्य बात थी, और उनको जो बाइबल पढ़ते हुए पकड़े जाते थे, बहुधा मौत की सजा मिलती थी।

६. (क) किन महत्वपूर्ण प्रश्‍नों का उत्तर बाइबल देती है? (ख) बाइबल के लेखक कहाँ से अपनी सूचनाएं प्राप्त करने का दावा करते हैं?

उस पुस्तक से जो परमेश्‍वर की ओर से है, आप यह प्रत्याशा करेंगे कि उसमें उन सब महत्वपूर्ण बातों का विवेचन है, जो हम मालूम करने के इच्छुक होंगे। ‘जीवन कहाँ से आया?’ ‘हम यहाँ क्यों हैं?’ ‘हमारे लिये भविष्य क्या है?’ ये कुछेक ऐसे प्रश्‍न हैं जिनका उत्तर वह पुस्तक देती है। और वह स्पष्ट रूप से कहती है कि उसमें जो सूचना है वह यहोवा परमेश्‍वर की ओर से है। एक बाइबल लेखक ने कहा: “यहोवा का आत्मा मुझ में होकर बोला और उसका वचन मेरी जीभ पर था।” (२ शमूएल २३:२) एक दूसरे लेखक ने यह लिखा: “सारा पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है।” (२ तीमुथियुस ३:१६) क्योंकि बाइबल निश्‍चित रूप से यह कहती है कि वास्तव में परमेश्‍वर का वचन है, यह देखने के लिये कि यदि ऐसा है तो उसकी जाँच-पड़ताल करना क्या बुद्धिमता की बात नहीं होगी?

बाइबल कैसे लिखी गयी थी

७. (क) किसने बाइबल लिखी? (ख) तब कैसे यह कहा जा सकता है कि वह परमेश्‍वर का वचन है?

‘बाइबल परमेश्‍वर की ओर से कैसे हो सकती है जबकि वह मनुष्यों द्वारा लिखी गयी थी?’ शायद आप यह पूछें। यह सच है कि लगभग ४० पुरुषों ने बाइबल के लिखने में भाग लिया था। दस आज्ञाओं के अतिरिक्‍त, जो परमेश्‍वर द्वारा व्यक्‍तिगत रूप से पत्थर की शिलाओं पर उसकी पवित्र आत्मा की प्रत्यक्ष कार्यवाही के परिणामस्वरूप लिखी गयी थी, इन पुरुषों ने बाइबल का यथार्थ लेखन किया था। (निर्गमन ३१:१८) उनके द्वारा लिखे जाने के बावजूद, परमेश्‍वर के वचन का महत्व कम नहीं हुआ। बाइबल व्याख्या देती है: “भक्‍त जन पवित्र आत्मा द्वारा प्रभावित होकर परमेश्‍वर की ओर से बोलते थे।” (२ पतरस १:२१) हाँ, जिस प्रकार परमेश्‍वर ने आकाश, पृथ्वी और सब जीवित वस्तुओं की सृष्टि में अपनी सामर्थ्यपूर्ण पवित्र आत्मा का प्रयोग किया, उस प्रकार उसने बाइबल के लेखन के निर्देशन करने में भी उसका प्रयोग किया।

८, ९. वे कौनसे उदाहरण हैं जो आज हमें इस बात को समझने में सहायता दे सकते हैं कि परमेश्‍वर ने बाइबल को कैसे लिखवाया था?

इसका यह अर्थ है कि बाइबल का केवल एक लेखक है और वह है यहोवा परमेश्‍वर। जिस प्रकार एक व्यवसायी पत्र लिखने के लिये एक सेक्रेटरी का प्रयोग करता है, इसी प्रकार यहोवा परमेश्‍वर ने सूचना के लेखन में मनुष्यों का प्रयोग किया। सेक्रेटरी पत्र लिखता है परन्तु उस पत्र में व्यवसायी के दृष्टिकोण और विचार होते हैं। वह सेक्रेटरी का नहीं बल्कि व्यवसायी का पत्र होता है; इस प्रकार बाइबल भी परमेश्‍वर की पुस्तक है, उन मनुष्यों की पुस्तक नहीं जो इसके लिखे जाने के लिये प्रयोग किये गये थे।

क्योंकि परमेश्‍वर ने मस्तिष्क को रचा है, इसलिये निश्‍चय उसे अपने सेवकों के मस्तिष्कों के संपर्क में आने में कोई कठिनाई अनुभव नहीं हुई, जिससे कि वह उनको लिखने के लिए सूचना का प्रबन्ध कर सके। आज भी एक व्यक्‍ति अपने घर में बैठे रेडियो या एक टेलीविज़न सेट द्वारा दूरस्थ स्थान से सन्देश प्राप्त कर सकता है। परमेश्‍वर द्वारा सृष्ट भौतिक नियमों के प्रयोग से, आवाज़ें अथवा तस्वीरें लंबा फासला तय करती हुई आती हैं। अतः यह समझना सरल है कि यहोवा दूर स्वर्ग में अपने स्थान से मनुष्यों को वह सूचना लिखने के लिये निर्दिष्ट कर सकता था जो वह मानव परिवार की जानकारी के लिये चाहता था।

१०. (क) कितनी पुस्तकों से बाइबल बनी है और वे कितनी समयावधि के दौरान लिखी गयी थीं? (ख) वह मुख्य विषय क्या है जो पूरी बाइबल में व्याप्त है?

१० इसके परिणामस्वरूप एक अद्‌भुत पुस्तक की रचना हुई। वास्तव में बाइबल ६६ छोटी पुस्तकों से बनी है। शब्द “बाइबल” यूनानी शब्द “बिबलिया” से निकला है जिसका अर्थ है “छोटी पुस्तकें”। ये पुस्तकें अथवा पत्र १५१३ सा.यु.पू. (सामान्य युग पूर्व) से ९८ सा.यु. (सामान्य युग) अर्थात्‌ १,६०० वर्षों की अवधि के दौरान लिखे गये थे। फिर भी ये बाइबल पुस्तकें एक दूसरे के साथ सामंजस्य में हैं क्योंकि उनका लेखक एक ही है। पूरी पुस्तक में केवल एक ही विषय व्याप्त है और वह यह है कि यहोवा अपने राज्य के द्वारा न्याययुक्‍त परिस्थितियाँ पुनःस्थापित करेगा। उसकी पहली पुस्तक उत्पत्ति यह बताती है कि किस तरह परमेश्‍वर के विरुद्ध विद्रोह करने से एक परादीस रूपी निवास-स्थान खो दिया गया था और उसकी अन्तिम पुस्तक प्रकाशितवाक्य यह वर्णन करती है कि परमेश्‍वर के शासन द्वारा यह पृथ्वी फिर से एक परादीस में परिवर्तित हो जायेगी।—उत्पत्ति ३:१९, २३; प्रकाशितवाक्य १२:१०; २१:३, ४.

११. (क) वे कौनसी भाषाएं थीं जो बाइबल के लिखने में प्रयुक्‍त हुई थीं? (ख) बाइबल किन दो भागों में विभाजित हैं परन्तु किस बात से उनकी एकता प्रदर्शित होती है?

११ बाइबल की पहली ३९ पुस्तकें मूल रूप से इब्रानी भाषा में लिखी गयी थीं और बहुत थोड़ा भाग आरामी भाषा में लिखा गया था। और बाइबल की अन्तिम २७ पुस्तकें यूनानी भाषा में लिखी गयी थीं जो यीशु और उसके मसीही अनुयायियों के दिनों में लोगों की सर्वसाधारण भाषा थी। बाइबल के यह मुख्य दो भाग उपयुक्‍त रूप से “इब्रानी शास्त्र” और “यूनानी शास्त्र” कहलाते हैं। यूनानी शास्त्र में इब्रानी शास्त्र के ३६५ से अधिक उद्धरण हैं और इनके अतिरिक्‍त ३७५ से अधिक हवाले मिलते हैं जिससे यह प्रदर्शित होता है कि वह एक दूसरे के साथ सहमत है।

सबके लिये बाइबल का उपलब्ध होना

१२. यहोवा ने क्यों बाइबल की प्रतियाँ बनवायीं?

१२ यदि बाइबल के केवल मूल लेख उपलब्ध होते तो प्रत्येक व्यक्‍ति परमेश्‍वर के वचन को कैसे पढ़ सकता था? सब नहीं पढ़ सकते थे। अतः यहोवा ने मूल इब्रानी लेखों की प्रतियाँ बनाये जाने की व्यवस्था की। (व्यवस्थाविवरण १७:१८) उदाहरणतया एज्रा नामक पुरुष “मूसा की व्यवस्था का जो इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा ने दी थी, निपुण प्रतिलिपिक” कहलाया गया है। (एज्रा ७:६) इसके अतिरिक्‍त यूनानी शास्त्र की हज़ारों प्रतियाँ भी बनायी गयी थीं।

१३. (क) किस बात की आवश्‍यकता थी जिससे कि अधिकतर लोग बाइबल को पढ़ सकते थे? (ख) कब बाइबल का पहला अनुवाद हुआ?

१३ क्या आप इब्रानी या यूनानी भाषा पढ़ना जानते हैं? यदि नहीं तो आप बाइबल का प्रारंभिक हस्तलिपियाँ नहीं पढ़ सकते हैं जिनमें कुछेक आज तक मौजूद हैं। अतः आपका बाइबल पढ़ना संभव करने के लिये उस भाषा के शब्दों में, जो आप जानते हैं, अनुवाद करना आवश्‍यक था। एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करने से अधिक लोगों के लिये परमेश्‍वर का वचन पढ़ना संभव हुआ है। उदाहरणतया, यीशु के पृथ्वी पर आने से लगभग ३०० वर्ष पूर्व अधिकतर लोग यूनानी भाषा बोलने लगे थे। अतः २८० सा.यु.पू. से इब्रानी शास्त्र का यूनानी भाषा में अनुवाद होने लगा था। ये प्रारंभिक अनुवाद “सेप्टयुआजेंट” कहलाया गया है।

१४. (क) क्यों कुछेक धार्मिक नेता बाइबल का अनुवाद रोकने के लिए संघर्ष करते रहे हैं? (ख) क्या प्रदर्शित करता है कि वे संघर्ष में हार गये?

१४ बाद में अधिकतर लोगों की सामान्य भाषा लॅटिन हो गयी थी, इसलिये लॅटिन भाषा में बाइबल का अनुवाद हुआ था। परन्तु जैसे शताब्दियाँ गुज़रती गयीं, कम लोग लॅटिन भाषा बोलने लगे। अधिकतर लोग अन्य भाषाएं बोलने लगे और अरबी, फ्रांसीसी, स्पानवी, पुर्तगाली, इतालियन, जर्मन और अंग्रेज़ी। कुछ समय तक कैथोलिक धार्मिक नेता बाइबल का सामान्य लोगों की भाषा में अनुवाद होने से रोकने के लिये संघर्ष करते रहे। यहाँ तक कि वे उन व्यक्‍तियों को जिनके पास बाइबल पायी जाती थी, खूंटे से बांधकर जला देते थे। वे यह इसलिये करते थे क्योंकि बाइबल उनकी झूठी शिक्षाओं और दुष्ट कार्यों को खोल देती थी। परन्तु वह समय आया जब ये धार्मिक नेता अपने संघर्ष में हार गये और बाइबल का अनुवाद अनेक भाषाओं में होने लगा और बड़ी संख्या में उसका वितरण होने लगा। आज संपूर्ण रूप में अथवा आंशिक रूप में बाइबल को १,८०० से अधिक भाषाओं में पढ़ा जा सकता है!

१५. बाइबल के नवीन अनुवादों का होना क्यों अच्छा है?

१५ जैसे समय गुज़रता गया एक ही भाषा में बाइबल के अनेक अनुवाद होने लगे। उदाहरणतया, केवल अंग्रेज़ी भाषा में दर्जनों बाइबल अनुवाद हुए हैं। क्यों? क्या केवल एक अनुवाद काफी नहीं है? वास्तविकता यह है कि कुछ वर्षों में एक भाषा बहुत अधिक बदल जाती है। अतः जब आप पुराने बाइबल अनुवादों की तुलना नये अनुवादों से करें, तो आप उसकी भाषा में परिवर्तन देखेंगे। जबकि वे एक ही विचार प्रस्तुत करते हैं फिर भी आप यह नोट करेंगे कि अनुवाद जो हाल के वर्षों में मुद्रित हुए हैं साधारण रूप से आसानी से समझ में आते हैं। हमें इन नवीन बाइबल अनुवादों के लिए कृतज्ञ होना चाहिये, क्योंकि वे परमेश्‍वर के वचन को आज की सामान्य सरल भाषा में प्रस्तुत करते हैं।

क्या बाइबल में परिवर्तन हुआ है?

१६. क्यों कुछेक लोग यह विश्‍वास करते हैं कि बाइबल में परिवर्तन आ गया है?

१६ शायद आप यह पूछें: ‘हम कैसे निश्‍चित हो सकते हैं कि आज हमारी बाइबल में वही सूचना है जो बाइबल लेखकों ने परमेश्‍वर से प्राप्त की थी?’ सैकड़ों और हज़ारों वर्षों के दौरान बाइबल पुस्तकों की प्रतियाँ दर प्रतियाँ हुई हैं, तो क्या इस कारण से उनमें भूल नहीं आ गई हैं? हाँ, ये भूल मालूम हो गयी हैं और वे बाइबल के आधुनिक अनुवादों में ठीक कर दी गयी हैं। आज उनमें वही सूचना पायी जाती है जो परमेश्‍वर ने उन लोगों को पुरायी थी जिन्होंने उसे आरम्भ में लिखा था। इस बात का क्या प्रमाण है?

१७. इस बात का क्या प्रमाण है कि बाइबल में परिवर्तन नहीं हुआ है?

१७ १९४७ और १९५५ के मध्य कुछ दस्तावेज़ पाये गये जो डेड सी स्क्रोल्स के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन प्राचीन दस्तावेज़ों में इब्रानी शास्त्र की पुस्तकों की प्रतियाँ सम्मिलित हैं। इन लेखों की तिथि यीशु के जन्म से १०० से २०० वर्ष पूर्व निर्धारित की गयी हैं। उनमें से एक दस्तावेज़ यशायाह की पुस्तक की प्रति है। इसके मिलने से पहले जो इब्रानी भाषा में यशायाह की पुस्तक की प्राचीनतम प्रति उपलब्ध थी वह यीशु के जन्म के लगभग १,००० वर्ष बाद बनायी गयी थी। जब यशायाह की पुस्तक की इन दोनों प्रतियों की तुलना की गयी तब उनमें केवल बहुत ही थोड़ा अन्तर था और वे भी अधिकतर शब्दों की वर्तनी में थे! इसका यह अर्थ है कि हज़ार वर्षों से अधिक समयावधि के दौरान प्रतियाँ बनाने में कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं आया था!

१८. (क) प्रतिलिपिक संबंधी त्रुटियों का संशोधन कैसे किया गया है? (ख) यूनानी शास्त्र की यथार्थता के विषय में क्या कहा जा सकता है?

१८ इब्रानी शास्त्र के विभिन्‍न भागों की १,७०० से अधिक प्राचीन प्रतियाँ उपलब्ध हैं। इन अनेक अति प्राचीन प्रतियों की सावधानीपूर्वक तुलना करने से वे कुछेक भूल जो प्रतिलिपिकों ने की थीं, मालूम की जा सकती हैं और उनको ठीक किया जा सकता है। इसके अतिरिक्‍त हज़ारों की संख्या में यूनानी शास्त्र की अति प्राचीन प्रतियाँ उपलब्ध है जिनमें कुछ प्रतियाँ यीशु और उसके प्रेरितों के समय के लगभग बनी थीं। अतः, जैसा कि सर फ्रेडरिक केन्यान ने कहा है: “इस विषय में किसी प्रकार के सन्देह की अंतिम नींव की शास्त्र तात्विक रूप से हमारे पास वैसे ही पहुँचे हैं, जैसे कि वह लिखे गये थे, अब ढह चुकी है।”—द बाइबल ऐंड आरक्यॉलाजी, पृष्ठ २८८, २८९.

१९. (क) बाइबल में कुछ जोड़ने के एक प्रयत्न का एक उदाहरण क्या है? (ख) ऐसा क्यों है कि १ यूहन्‍ना ५:७ का अनुवाद, जिस तरह कुछेक बाइबलों में हुआ है, वह दरअसल बाइबल का कोई भाग नहीं?

१९ इसका यह अर्थ नहीं है कि परमेश्‍वर के वचन में परिवर्तन लाने के प्रयत्न नहीं हुए हैं। इस विषय में प्रयत्न अवश्‍य हुए हैं। इसका महत्वपूर्ण उदाहरण १ यूहन्‍ना ५:७ है। वर्ष १६११ के किंग जेम्स वर्शन में यह लिखा है: “स्वर्ग में तीन हैं जो इस बात की गवाही देते हैं अर्थात्‌, पिता, वचन, और पवित्र आत्मा, और वे तीनों एक हैं।” अतः ये शब्द बाइबल की अति प्रारंभिक प्रतियों में से किसी में भी नहीं मिलते हैं। वे उस व्यक्‍ति द्वारा जोड़े गये जो त्रियेक की शिक्षा का समर्थन करने का प्रयत्न कर रहा था। क्योंकि यह बात स्पष्ट हो गयी है कि यह शब्द परमेश्‍वर के वचन का वास्तविक भाग नहीं है उनका संशोधन कर दिया गया है और नयी बाइबलों में ये शब्द नहीं मिलते हैं।

२०. हम क्यों निश्‍चित हो सकते हैं कि बाइबल शुद्ध रूप में सुरक्षित है?

२० अतः कोई व्यक्‍ति जो यह कहता है कि बाइबल में वही सूचना नहीं मिलती है जैसा कि वह प्रारंभ में लिखी गयी थी, वास्तविकताओं को नहीं जानता है। यहोवा परमेश्‍वर ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि उसका वचन उन भूलों से जो प्रतिलिपिकों ने की हैं, बल्कि उन लोगों से भी जिन्होंने उसमें जोड़ने का प्रयत्न किया है, सुरक्षित रहे। स्वयं बाइबल में परमेश्‍वर की यह प्रतिज्ञा है कि उसका वचन हमारे लिये आज भी शुद्ध रूप में रहेगा।—भजन संहिता १२:६, ७; दानिय्येल १२:४; १ पतरस १:२४, २५; प्रकाशितवाक्य २२:१८, १९.

क्या बाइबल वास्तव में सत्य है?

२१. यीशु ने परमेश्‍वर के वचन को किस दृष्टि से देखा था?

२१ यीशु मसीह ने परमेश्‍वर से अपनी प्रार्थना में यह कहा था: “तेरा वचन सत्य है।” (यूहन्‍ना १७:१७) परन्तु क्या तथ्य इसका समर्थन करते हैं? जब सावधानीपूर्वक बाइबल की जांच-पड़ताल की जाती है तो क्या हम मालूम करते हैं कि वह वास्तव में सत्य की पुस्तक है? इतिहास के अध्येता, जिन्होंने बाइबल का अध्ययन किया है अक्सर उसकी यथार्थता पर चकित होते हैं। बाइबल में विशिष्ट नाम और विस्तृत वर्णन पाये जाते हैं जिनकी पुष्टि की जा सकती है। कुछेक उदाहरणों पर विचार कीजिये।

२२-२५. वे कुछेक उदाहरण क्या हैं जो यह प्रदर्शित करते हैं कि बाइबल में सत्य इतिहास पाया जाता है?

२२ मिस्र में करनाक स्थान के इस मंदिर की दीवार पर बने हुए चित्र और अंकित लेखों को देखिये। वे उस विजय का वर्णन देते हैं जो लगभग ३,००० वर्ष पूर्व सुलेमान के पुत्र रहूबियाम के शासन के दौरान फिरौन शीशक ने यहूदा के राज्य के ऊपर प्राप्त की थी। बाइबल भी उसी घटना के विषय में बताती है।—१ राजा १४:२५, २६.

२३ मोआबी शिला को भी देखिये। मूल शिला को फ्रांस में पेरिस के लूव्र म्यूज़ियम में देखा जा सकता है। उस पर दिया हुआ लेख इस्राएल के विरुद्ध मोआब के राजा मेशा के विद्रोह के बारे में बताता है। इस घटना की सूचना भी बाइबल में मिलती है।—२ राजा १:१; ३:४-२७.

२४ यहाँ दायीं तरफ यरूशलेम का शीलोम का तालाब और १७४९ फुट लंबी (५३३ मीटर लंबी) पानी की सुरंग का द्वार देखा जा सकता है। अनेक आधुनिक दर्शकों ने जो यरूशलेम गये हैं इस सुरंग को पैदल पार किया है। इसका अस्तित्व इस बात का प्रमाण है कि बाइबल सत्य है। कैसे सत्य है? क्योंकि बाइबल व्याख्या करती है कि राजा हिज़किय्याह ने इस सुरंग को २,५०० वर्ष पूर्व अपनी जल आपूर्ति को एक आक्रमणकारी सेना से सुरक्षित रखने के लिये बनाया था।—२ राजा २०:२०; २ इतिहास ३२:२-४, ३०.

२५ ब्रिटिश म्यूज़ियम में दर्शक नेबोनाइडस इतिहास की शिला देख सकता है जिसका चित्र यहाँ दायीं ओर दिया हुआ है। यह प्राचीन बेबीलोन के पतन का उसी प्रकार वर्णन करता है, जिस प्रकार बाइबल भी करती है। (दानिय्येल ५:३०, ३१) परन्तु बाइबल यह कहती है कि उस समय बेबीलोन का राजा बेलशस्सर था। फिर भी नेबोनाइडस इतिहास बेलशस्सर नाम का ज़िक्र भी नहीं करता है। वास्तव में एक समय सब ज्ञात प्राचीन लेख यह कहते थे कि नेबोनाइडस बेबीलोन का अंतिम राजा था। अतः वे लोग जो यह कहते थे कि बाइबल सत्य नहीं है इस बात का दावा करते थे कि बेलशस्सर कभी अस्तित्व में नहीं था और कि बाइबल गलत है। परन्तु हाल के वर्षों में कुछेक प्राचीन लेख पाये गये हैं जिन्होंने बेलशस्सर को नेबोनाइडस का पुत्र और उस समय बेबीलोन में अपने पिता का सहशासक बताया है। हाँ, जैसा कि अनेकों उदाहरण प्रमाणित करते हैं कि बाइबल वास्तव में सत्य है।

२६. इस बात का क्या प्रमाण है कि बाइबल वैज्ञानिक रूप से यथार्थ है?

२६ फिर भी बाइबल में केवल सही इतिहास ही नहीं पाया जाता है। बल्कि, प्रत्येक बात जो वह कहती है, सत्य है। जब वह विज्ञान के विषयों का ज़िक्र करती है तब भी वह अद्‌भुत रूप से यथार्थ है। यहाँ केवल दो उदाहरण दिये जाते हैं: प्राचीन काल में इस बात का सामान्य रूप से विश्‍वास किया जाता था कि पृथ्वी किसी प्रकार के दृश्‍य आधार पर हुई अर्थात्‌ किसी वस्तु पर जैसे कि एक राक्षस के ऊपर टिकी हुई है। फिर भी वैज्ञानिक प्रमाण के साथ पूर्ण सहमत होते हुए बाइबल इस बात की सूचना देती है कि परमेश्‍वर “बिना किसी आधार के पृथ्वी को लटकाया” है। (अय्यूब २६:७) यह कहने की अपेक्षा कि पृथ्वी चपटी है जैसा कि अतीत में अनेक लोग विश्‍वास करते थे बाइबल यह कहती है कि परमेश्‍वर “पृथ्वी के घेरे के ऊपर विराजमान है।”—यशायाह ४०:२२.

२७. (क) इस बात का प्रबल प्रमाण क्या है कि बाइबल परमेश्‍वर की ओर से है? (ख) वह कौनसी बातें हैं जिनकी भविष्य सूचना सत्यपूर्ण रूप से इब्रानी शास्त्र ने परमेश्‍वर के पुत्र के विषय में दी थी?

२७ परन्तु इस बात का महानतम प्रमाण कि बाइबल वास्तव में परमेश्‍वर की ओर से है, यह है कि उसमें भविष्य के विषय में दी हुई सूचना का पूर्ण अभिलेख पाया जाता है। मनुष्यों द्वारा लिखी हुई कोई भी पुस्तक यथार्थ रूप से किसी घटना की सूचना उसके घटित होने से पहले नहीं देती है; परन्तु बाइबल, घटना के होने से पहले उसकी सूचना देती है। वह यथार्थ भविष्यवाणियों से भरी हुई है, हाँ, वह इतिहास जो वास्तविक रूप से उसके घटित होने से पहले लिख दिया गया था। इनमें कुछ अत्यधिक विशिष्ट भविष्यवाणियाँ वे हैं, जो पृथ्वी पर परमेश्‍वर के पुत्र के आने के विषय में दी हुई हैं। इब्रानी शास्त्र ने यथार्थ रूप से सैकड़ों वर्षों पहले इस बात की भविष्य सूचना दी थी कि इस प्रतिज्ञित व्यक्‍ति का जन्म बेथलेहम के नगर में होगा, और कि वह एक कुंआरी से जन्म लेगा और कि चांदी के ३० सिक्कों के लिए उसका विश्‍वासघात किया जायेगा और कि वह पापियों के साथ गिना जायेगा और कि उसकी देह की कोई भी हड्डी नहीं तोडी जायेगी और उसके वस्त्रों के लिए चिट्ठियाँ डाल कर निर्णय होगा। इनके अतिरिक्‍त अनेक अन्य बातें भी विस्तार में दी हुई हैं।—मीका ५:२; मत्ती २:३-९; यशायाह ७:१४; मत्ती १:२२, २३; ज़कर्याह ११:१२, १३; मत्ती २७:३-५; यशायाह ५३:१२; लूका २२:३७, ५२; २३:३२, ३३; भजन संहिता ३४:२०; यूहन्‍ना १९:३६; भजन संहिता २२:१८; मत्ती २७:३५.

२८. (क) हम कैसे विश्‍वस्त हो सकते हैं कि बाइबल की वे भविष्यवाणियाँ जो अभी तक पूरी नहीं हुई हैं, अवश्‍य पूरी होंगी? (ख) बाइबल का निरन्तर अध्ययन करते रहना आपको किस बात के लिए आश्‍वस्त करेगा?

२८ इस पुस्तक के प्रथम अध्याय में जैसा कि कहा जा चुका है बाइबल इस बात की भी भविष्य सूचना देती है कि यह पुराना रीति-व्यवहार शीघ्र समाप्त होगा और उसके स्थान पर एक न्याययुक्‍त नयी व्यवस्था आयेगी। (मत्ती २४:३-१४; २ पतरस ३:७, १३) क्या हम इस प्रकार की भविष्यवाणियों पर विश्‍वास कर सकते हैं जिनका अभी पूरा होना बाक़ी है? यदि कोई व्यक्‍ति आपको सैकड़ों बार वे बातें बताता रहा था जो सच थीं और जब वह आपको कोई नयी बात बताये तो क्या आप उसपर अचानक शक करने लगेंगे? यदि आपने उसको कभी उसकी बातों में गलत नहीं पाया है तो क्या आप तब उसपर सन्देह करना शुरू कर देंगे? यह कितनी असंगत बात होगी! इसी प्रकार हमारे पास उस बात पर शक करने के लिये कोई कारण नहीं है जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्‍वर बाइबल में करता है। उसके वचन पर विश्‍वास किया जा सकता है! (तीतुस १:२) बाइबल का निरन्तर अध्ययन करते रहने से आप भी वास्तविकताओं द्वारा अधिकाधिक निश्‍चित होते जायेंगे कि बाइबल वास्तव में परमेश्‍वर की ओर से है।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज ४९ पर तसवीर]

जिस प्रकार एक व्यापारी पत्र लेखन में एक सेक्रेटरी का उपयोग करता है उसी प्रकार परमेश्‍वर ने बाइबल लेखन में मनुष्यों का प्रयोग किया था

[पेज ५० पर तसवीर]

कुछ धार्मिक नेताओं ने बाइबल को आम लोगों से दूर रखने के लिये संघर्ष किया यहाँ तक कि उन व्यक्‍तियों को जिनके पास बाइबल होती थी, सूली पर जला देते थे

[पेज ५२, ५३ पर तसवीरें]

यशायाह के मृत सागर दस्तावेज़

[पेज ५४, ५५ पर तसवीरें]

मिस्र के करनाक के मंदिर की दीवार

मोआबी शिला

नेबोनाइडस इतिहास की शिला

हिज़किय्याह की सुरंग का प्रवेश द्वार और शीलोम का तालाब