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परमेश्‍वर का दृश्‍य संगठन

परमेश्‍वर का दृश्‍य संगठन

अध्याय २३

परमेश्‍वर का दृश्‍य संगठन

१. परमेश्‍वर के अदृश्‍य संगठन के विषय में बाइबल क्या कहती है?

हम इस विषय में क्यों निश्‍चित हो सकते हैं कि परमेश्‍वर का एक दृश्‍य संगठन है? इसका एक कारण यह है कि उसका एक अदृश्‍य संगठन भी है। यहोवा ने स्वर्ग में अपनी इच्छा पूरी करने के लिये केरुबीम, सेराफीम और अनेक अन्य स्वर्गदूत सृष्ट किये। (उत्पत्ति ३:२४; यशायाह ६:२, ३; भजन संहिता १०३:२०) इन सबके ऊपर और इनसे श्रेष्ठ यीशु मसीह महास्वर्गदूत है। (१ थिस्सलुनीकियों ४:१६; यहूदा ९; प्रकाशितवाक्य १२:७) बाइबल इन स्वर्गदूतों का वर्णन दूसरी रीति से करती है कि वे “क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएं, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार” के रूप में संगठित हैं। (कुलुस्सियों १:१६; इफिसियों १:२१) ये सब के सब यहोवा के आदेशानुसार सेवा करते हैं और संयुक्‍त होकर वह कार्य करते हैं जो उसने करने के लिये दिया है।—दानिय्येल ७:९, १०; अय्यूब १:६; २:१.

२. जिस रीति से परमेश्‍वर ने हमारे भौतिक विश्‍व को सृष्ट किया वह कैसे प्रदर्शित करता है कि वह संगठन को बृहत महत्व देता है?

हमें उस महत्व का भी पता चलता है जो परमेश्‍वर अपने संगठन को प्रदान करता है जब हम उसकी भौतिक सृष्टियों पर विचार करते हैं। उदाहरणतया विश्‍व में अरबों की संख्या में तारे हैं जो विशाल समूहों में व्यवस्थित हैं और जिन्हें हम आकाशगंगाएं कहते हैं। ये आकाशगंगाएं अंतरिक्ष में विधिपूर्वक रीति से गति करती हैं, और इसी प्रकार इन आकाशगंगाओं में अलग-अलग तारे और ग्रह भी इसी रीति से गति करते हैं। उदाहरण के रूप में हमारा पृथ्वी ग्रह हर वर्ष इस सूर्य के चारों ओर जो हमारा निकटतम तारा है, यथार्थ रूप से ३६५ दिन, ५ घंटे, ४८ मिनट और ४५.५१ सैकण्ड में चक्कर लगाता है। हाँ, यह भौतिक विश्‍व अत्यन्त व्यवस्थित है!

३. परमेश्‍वर की अदृश्‍य सृष्टियों के मध्य और उसके भौतिक विश्‍व में वह उत्तम व्यवस्था हमें क्या सिखाती है?

क्या परमेश्‍वर की अदृश्‍य सृष्टियों के मध्य और उसके भौतिक विश्‍व में यह विस्मयकारी व्यवस्था हमें कुछ सिखाती है? हाँ, वह हमें यह सिखाती है कि यहोवा व्यवस्था का एक परमेश्‍वर है। निश्‍चय, तब इस प्रकार का परमेश्‍वर पृथ्वी पर उन मनुष्यों को जो वास्तव में उससे प्रेम करते हैं, पथ-प्रदर्शन के बिना और अव्यवस्थित नहीं रखेगा।

परमेश्‍वर का दृश्‍य संगठन—अतीत और वर्तमान

४, ५. हम कैसे जानते हैं कि परमेश्‍वर इब्राहीम और इस्राएल की जाति के दिनों में अपने लोगों का व्यवस्थित रीति से नेतृत्व करता था?

बाइबल प्रदर्शित करती है कि यहोवा ने अपने सेवकों का हमेशा व्यवस्थित तरीके से पथ-प्रदर्शन किया है। उदाहरणतया परमेश्‍वर की उपासना करने में इब्राहीम जैसे विश्‍वासी पुरुष ने अपने परिवारों और सेवकों का नेतृत्व किया है। यहोवा इब्राहीम से वार्तालाप करके अपनी इच्छा को उसपर जाहिर करता था। (उत्पत्ति १२:१) और परमेश्‍वर ने उसे दूसरों को यह सूचना देने के लिये यह कहकर आदेश दिया: “मैंने उसको [इब्राहीम को] इन बातों की जानकारी दी है जिससे कि वह इन बातों की अपने पुत्रों और अपने परिवार जो उसके बाद होंगे, आज्ञा दे जिससे कि वे यहोवा के मार्ग में अटल बने रहें।” (उत्पत्ति १८:१९) यहाँ लोगों के एक समूह के लिये उपयुक्‍त रीति से यहोवा की उपासना करने का एक सुव्यवस्थित प्रबंध था।

बाद में, जब इस्राएली गिनती में लाखों की संख्या में हो गये तब यहोवा ने प्रत्येक व्यक्‍ति को अपने ही रीतिनुसार किसी सुव्यवस्थित प्रबंध से अलग रहकर अपनी उपासना नहीं करने दी। नहीं, ये इस्राएली व्यवस्थित उपासकों की जाति बनी। इस्राएल की जाति “यहोवा की मंडली” कहलाती थी। (गिनती २०:४; १ इतिहास २८:८) यदि आप उस समय यहोवा के सच्चे उपासक होते तो आपको उपासकों की उस मंडली का भाग बनना पड़ता, न कि आप उससे अलग रहते।—भजन संहिता १४७:१९, २०.

६. (क) परमेश्‍वर ने कैसे प्रदर्शित किया कि उसकी कृपादृष्टि मसीह के अनुयायियों पर थी? (ख) इसका प्रमाण क्या है कि मसीही लोग उपासना के लिए संगठित किये गये थे?

पहली शताब्दी में स्थिति क्या थी? बाइबल प्रदर्शित करती है कि यहोवा की कृपादृष्टि उसके पुत्र यीशु मसीह के अनुयायियों पर थी। यहोवा ने उनपर अपनी पवित्र आत्मा को उंडेला था। यह प्रकट करने के लिये कि वह इस्राएल की जाति की अपेक्षा इस मसीही संगठन को अब इस्तेमाल कर रहा था, उसने कुछेक प्रारंभिक मसीहियों को, बीमारों को शिफ़ा देने की, मृतकों को जी उठाने की और अन्य चमत्कार संपन्‍न करने की शक्‍ति दी थी। आप मसीही यूनानी शास्त्र को इस वास्तविकता से प्रभावित हुए बिना नहीं पढ़ सकते हैं कि वे मसीही उपासना के लिये समूह में संबंधित थे। वास्तव में उन्हें इसी उद्देश्‍य के लिये सभा के रूप में एकत्रित होने का आदेश दिया गया था। (इब्रानियों १०:२४, २५) अतः यदि आप पहली शताब्दी में यहोवा के सच्चे उपासक होते तो आप भी मसीही संगठन का भाग होते।

७. हम कैसे जानते हैं कि यहोवा ने किसी भी विशेष समयावधि में एक से अधिक संगठन का प्रयोग नहीं किया था?

क्या यहोवा ने किसी भी समयावधि के दौरान कभी भी एक से अधिक संगठन का उपयोग किया है? नूह के दिनों में केवल नूह और उन व्यक्‍तियों को जो उसके साथ जहाज़ के अंदर थे, परमेश्‍वर की सुरक्षा प्राप्त थी जिससे कि वे जलप्रलय से बच गये थे। (१ पतरस ३:२०) इसके अतिरिक्‍त पहली शताब्दी में दो या उससे अधिक मसीही संगठन नहीं थे। परमेश्‍वर केवल एक संगठन से सम्बद्ध था। उस समय “केवल एक प्रभु, एक विश्‍वास, एक बपतिस्मा” था। (इफिसियों ४:५) उसी प्रकार हमारे दिनों के लिये यीशु मसीह ने यह भविष्य सूचना दी थी कि परमेश्‍वर के लोगों के लिये आध्यात्मिक निर्देश का स्रोत केवल एक होगा।

८. यीशु ने कैसे प्रदर्शित किया था कि हमारे दिनों में पृथ्वी पर परमेश्‍वर का केवल एक दृश्‍य संगठन होगा?

राजसत्ता में अपनी उपस्थिति के संबंध में बताते हुए यीशु ने कहा: “वह वफादार और बुद्धिमान दास कौन है जिसके स्वामी ने उसे अपने नौकरों के ऊपर नियुक्‍त किया है कि उनको उपयुक्‍त समय पर भोजन दे? धन्य है वह दास जिसे उसका स्वामी लौटने पर उसे ऐसा ही करता हुआ पाये। मैं तुमसे सच कहता हूँ कि वह उसे अपनी सारी संपत्ति का अधिकारी नियुक्‍त करेगा।” (मत्ती २४:४५-४७) क्या वर्ष १९१४ में मसीह ने राजसत्ता में अपनी वापसी पर “वफ़ादार और बुद्धिमान दास वर्ग” को आध्यात्मिक “भोजन” अथवा सूचना देते पाया? हाँ, उसने ऐसा ही “दास” पाया जो उसके १४४,००० “भाइयों” के शेष व्यक्‍तियों से जो पृथ्वी पर थे, बना है। (प्रकाशितवाक्य १२:१०; १४:१, ३) और वर्ष १९१४ से लाखों की संख्या में लोगों ने इस “भोजन” को जो वे देते हैं स्वीकार किया है और उनके साथ सच्चे धर्म का पालन करना आरंभ कर दिया है। परमेश्‍वर के सेवकों का यह संगठन यहोवा के गवाहों के नाम से जाना जाता है।

९. (क) परमेश्‍वर के सेवक क्यों यहोवा के गवाह कहलाते हैं? (ख) वे अपने उपासना के स्थानों को क्यों किंगडम हाल कहते हैं?

यहोवा के गवाह अपने सब कार्यों के निर्देशन के लिये परमेश्‍वर और उसके वचन की ओर देखते हैं। उनका यह नाम यहोवा के गवाह यही प्रदर्शित करता है कि उनका मुख्य कार्य यह है कि वे यहोवा परमेश्‍वर के नाम और राज्य की गवाही दें, जैसा कि मसीह भी देता था। (यूहन्‍ना १७:६; प्रकाशितवाक्य १:५) इसके अतिरिक्‍त, वे उस स्थान को जहाँ वे उपासना के लिये एकत्रित होते हैं, किंगडम हाल कहते हैं क्योंकि मसीहा अथवा मसीह द्वारा परमेश्‍वर का राज्य सम्पूर्ण बाइबल का विषय है। क्योंकि यह बात स्पष्ट है कि पहली शताब्दी के मसीही धर्म को परमेश्‍वर की स्वीकृति प्राप्त थी इसलिये यहोवा के गवाह अपने संगठन को उसी नमूने पर चलाते हैं। आइये हम संक्षिप्त रूप से उस प्रारंभिक मसीही संगठन पर दृष्टि डालें और उन समानताओं पर गौर करें जो आज परमेश्‍वर के दृश्‍य संगठन में प्रत्यक्ष हैं।

पहली शताब्दी का नमूना

१०. पहली शताब्दी के मसीही संगठन की कुछेक विशेषताएं क्या थीं?

१० पहली शताब्दी में जहाँ कहीं भी मसीही होते थे वे उपासना के लिये समूहों में एकत्रित होते थे। वे इन सभाओं में नियमित रूप से मैत्रीभाव रखने और अध्ययन करने के लिये इकट्ठे होते थे। (इब्रानियों १०:२४, २५) उनका मुख्य कार्य परमेश्‍वर के राज्य के विषय में प्रचार करना और शिक्षा देना था, जैसा कि मसीह भी यही करता था। (मत्ती ४:१७; २८:१९, २०) यदि सभा का कोई सदस्य अपने जीवन में बुरा रास्ता अपना लेता था तो उसे सभा में से निकाल दिया जाता था।—१ कुरिन्थियों ५:९-१३; २ यूहन्‍ना १०, ११.

११, १२. (क) किस बात से सिद्ध होता है कि प्रारंभिक मसीही सभाएं यरूशलेम में स्थित प्रेरितों और “प्रौढ़ जन” से पथ-प्रदर्शन और निर्देशन प्राप्त करते थे? (ख) “धर्मतंत्रीय” निर्देशन का क्या अभिप्राय है? (ग) सभाओं का इस प्रकार के निर्देशन को स्वीकार करने का क्या परिणाम हुआ?

११ क्या पहली शताब्दी में वे मसीही सभाएं एक दूसरे से स्वतंत्र थीं और प्रत्येक सभा विषयों पर अपना निजी निर्णय देती थीं? नहीं, बाइबल प्रदर्शित करती है कि वे एक मसीही विश्‍वास में संयुक्‍त रहते थे। सब सभाएं एक ही स्रोत से पथ-प्रदर्शन और निर्देशन प्राप्त करती थीं। इस प्रकार जब खतना के विषय पर विवाद उठा तो प्रत्येक सभा अथवा व्यक्‍ति ने स्वयं निर्णय नहीं किया था कि उन्हें क्या करना चाहिए। बल्कि उसकी अपेक्षा प्रेरित पौलुस, बरनबास और अन्यों को इस विवाद के संबंध में “प्रेरितों और प्रौढ़ जन के पास जो यरूशलेम में थे, जाने का निर्देश दिया गया।” जब इन प्रौढ़ व्यक्‍तियों ने परमेश्‍वर के वचन और उसकी “पवित्र आत्मा” की सहायता से अपना निर्णय दिया तो उन्होंने वफ़ादार व्यक्‍तियों को सभाओं में निर्णय की सूचना देने के लिये भेजा।—प्रेरितों के काम १५:२, २७-२९.

१२ जब सभाओं ने धर्मतंत्रीय अथवा ईश्‍वरदत्त पथ-प्रदर्शन और निर्देशन को स्वीकार किया तो क्या परिणाम हुए? बाइबल कहती है: “जब वे [प्रेरित पौलुस और उसके संगी साथी] नगर-नगर गये तो उनको जो वहाँ थे, यरूशलेम के प्रेरितों और प्रौढ़ जनों द्वारा दी गयी निर्णीत विधियों का पालन करने के लिये निर्देश देते थे। अतः ये सभाएं वास्तव में विश्‍वास में दृढ़ होती चली गयीं और दिन-ब-दिन उनकी संख्या बढ़ती गयी।” (प्रेरितों के काम १६:४, ५) हाँ सब सभाओं ने यरूशलेम के प्रौढ़ जनों के निकाय द्वारा निर्णीत निर्णयों का सहयोग दिया और वे विश्‍वास में दृढ़ होते चले गये।

वर्तमान धर्मतंत्रीय निर्देशन

१३. (क) आज पृथ्वी पर किस स्थान से और पुरुषों के किस निकाय द्वारा परमेश्‍वर का दृश्‍य संगठन पथ-प्रदर्शन प्राप्त करता है? (ख) शासी निकाय का “विश्‍वासी और बुद्धिमान दास” से क्या संबंध है?

१३ परमेश्‍वर के दृश्‍य संगठन को आज भी धर्मतंत्रीय पथ-प्रदर्शन और निर्देशन प्राप्त होता है। ब्रुकलिन, न्यू यार्क में स्थित यहोवा के गवाहों के मुख्यालय में पृथ्वी के विभिन्‍न भागों से आये हुए प्रौढ़ मसीही व्यक्‍तियों का शासी निकाय है जो परमेश्‍वर के लोगों की पूरी दुनिया में विस्तृत क्रियाकलापों का निरीक्षण करता है जिनकी उनको आवश्‍यक होती है। यह शासी निकाय “वफादार और बुद्धिमान दास” के सदस्यों से बना है। वह उस वफ़ादार “दास” के लिये वक्‍ता के रूप में कार्य करता है।

१४. परमेश्‍वर के लोगों का यह शासी निकाय अपना निर्णय देने के लिए किस पर आश्रित है?

१४ यरूशलेम में प्ररितों और प्रौढ़ मनुष्यों के समान इस शासी निकाय के पुरुष परमेश्‍वर की सेवा करने में कई वर्षों का अनुभव रखते हैं। परन्तु वे निर्णय करने में मानव बुद्धि पर आश्रित नहीं रहते हैं। नहीं, क्योंकि वे धर्मतंत्रीय रूप से शासित हैं इसलिये वे यरूशलेम के प्रारंभिक शासी निकाय के उदाहरण का अनुसरण करते हैं जिनके निर्णय परमेश्‍वर के वचन पर आधारित होते थे और पवित्र आत्मा के निर्देशन के अधीन किये जाते थे।—प्रेरितों के काम १५:१३-१७, २८, २९.

एक संसार-व्याप्त संगठन का निर्देशन

१५. मत्ती २४:१४ में यीशु के शब्द क्यों यह प्रदर्शित करते हैं कि अन्तिम समय के दौरान पृथ्वी परमेश्‍वर का एक महान संगठन होगा?

१५ अन्त के समय के दौरान पृथ्वी पर परमेश्‍वर का जो संगठन होगा उसके विस्तार का बोध यीशु मसीह ने उस समय दिया जब उसने यह कहा: “राज्य के सुसमाचार का प्रचार सारी बसी हुई पृथ्वी पर किया जायेगा कि जिससे सब जातियों पर गवाही हो; और तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती २४:१४) पृथ्वी के करोड़ों लोगों को स्थापित परमेश्‍वर के राज्य के विषय में बताने के लिये जिस भारी मात्रा में कार्य करने की आवश्‍यकता है उस पर विचार कीजिये। क्या वर्तमान काल का मसीही संगठन जो पथ-प्रदर्शन और निर्देशन के लिये इस शासी निकाय की ओर देखता है, यह महान कार्य करने के लिये सुसज्जित है?

१६. (क) यहोवा के गवाहों ने क्यों अनेक बड़े-बड़े छापेखाने स्थापित किये हैं? (ख) इन छापेखानों में क्या तैयार होता है?

१६ यहोवा के गवाह अब सारी पृथ्वी के २०० से अधिक देशों और द्वीपों में राज्य के संदेश का प्रचार कर रहे हैं। ३५,००,००० से अधिक राज्य के प्रकाशकों (१९८८ में) को इस कार्य को पूरा करने में सहायता देने के लिये अनेक देशों में बड़े बड़े छापेखाने स्थापित किये गये हैं। यहाँ बाइबल और बाइबल साहित्य बहुत मात्रा में छापा जाता है। इन फैक्टरियों में प्रत्येक कार्य दिवस, औसतन बीस लाख से ऊपर वाचटावर और अवेक! पत्रिकाएं छपती हैं और बाहर भेजी जाती हैं।

१७. (क) यह बाइबल साहित्य क्यों तैयार किया जाता है? (ख) आपको क्या करने के लिए आमंत्रित किया जाता है?

१७ यह सारा बाइबल साहित्य लोगों को यहोवा के महान उद्देश्‍यों के विषय में ज्ञान बढ़ाने में सहायता देने के लिये तैयार किया जाता है। वास्तव में, ये शब्द “यहोवा के राज्य की घोषणा” प्रहरीदुर्ग पत्रिका के शीर्षक का भाग है। आपको यह बाइबल साहित्य वितरण करने और उसमें जो बाइबल सच्चाइयाँ हैं उनकी दूसरों को व्याख्या देने में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया जाता है। उदाहरणतया क्या कोई व्यक्‍ति है जिसे आप यह अति आवश्‍यक सूचना लेने में अपने साथ शामिल कर सकते हैं जिसको आपने इस पुस्तक पृथ्वी पर परादीस में आप सर्वदा जीवित रह सकते हैं, द्वारा सीखा है?

१८. (क) परमेश्‍वर का संगठन आज किस प्रकार का संगठन है? (ख) क्यों परमेश्‍वर के लोगों को अब अधिक प्रोत्साहन की आवश्‍यकता है?

१८ जैसा कि पहली शताब्दी में था आज भी परमेश्‍वर का यह संगठन समर्पित और बपतिस्मा प्राप्त राज्य प्रचारकों का संगठन है। इसे उसके सदस्यों को प्रचार कार्य में भाग लेने में सहायता देने के लिये स्थापित किया गया है। इन व्यक्‍तियों को बहुत बड़ी मात्रा में प्रोत्साहन देने और आध्यात्मिक रूप से दृढ़ बनाये रखने की आवश्‍यकता होती है क्योंकि शैतान और वे लोग जिनको उसने प्रभावित किया है, राज्य संदेश का विरोध करते हैं। इस प्रकार के विरोधियों द्वारा यीशु मसीह राज्य संदेश प्रचार करने के लिये जान से मारा गया था और बाइबल चेतावनी देती है कि उसके अनुयायी भी सताये जायेंगे।—यूहन्‍ना १५:१९, २०; २ तीमुथियुस ३:१२.

१९. (क) परमेश्‍वर के लोगों को सहायता देने और मजबूत करने के लिए कौन लोग प्रदान किये गये हैं? (ख) सभा को उन दुष्ट प्रभावों से जो उसे भ्रष्ट कर सकते हैं, कैसे सुरक्षित रखा जाता है?

१९ जैसा कि पहली शताब्दी में होता था आज भी “प्रौढ़ जन” या प्राचीन प्रत्येक सभा को सहायता देने और मज़बूत करने के लिये नियुक्‍त किये जाते हैं। वे आपकी भी बाइबल पारामर्श द्वारा अनेक समस्याओं का सामना करने में मदद कर सकते हैं। ये प्राचीन “परमेश्‍वर के झुंड” की भी रक्षा करते हैं। इस प्रकार यदि सभा का कोई सदस्य बुरे रास्ते पर चलने लगता है और अपने आपको बदलने से इन्कार करता है तो ये “प्रौढ़ जन” इस बात को देखते हैं कि इस प्रकार का व्यक्‍ति सभा से बहिष्कृत अथवा डिसफेलोशिप कर दिया जाये। इस प्रकार एक स्वस्थ और आध्यात्मिक रूप से स्वच्छ सभा बनी रहती है।—तीतुस १:५; १ पतरस ५:१-३; यशायाह ३२:१, २; १ कुरिन्थियों ५:१३.

२०. (क) पहली शताब्दी में कौन यरूशलेम में स्थित शासी निकाय द्वारा बाहर भेजे गये थे और किस कारण से? (ख) कौन हैं जो आज शासी निकाय द्वारा बाहर भेजे जाते हैं?

२० इसी समान, जैसा कि यरूशलेम में शासी निकाय पौलुस और सीलास जैसे विशेष प्रतिनिधियों को परमेश्‍वर के लोगों के पास निर्देशन और प्रोत्साहन देने के लिये भेजते थे, आज का भी शासी निकाय अन्त के इस समय में ऐसा ही करता है। (प्रेरितों के काम १५:२४-२७, ३०-३२) वर्ष में दो बार एक अनुभवी सेवक को जो सर्किट ओवरसीयर कहलाता है, उसके सर्किट में प्रत्येक सभा के साथ एक सप्ताह व्यतीत करने के लिये निर्देश दिया जाता है।

२१. परमेश्‍वर के लोगों की सभाओं को सर्किट ओवरसीयर कैसे सहायता देता है?

२१ पूरी दुनिया में यहोवा के गवाहों के ६०,००० से अधिक सभाएं हैं जो कई सर्किटों में विभाजित हैं और प्रत्येक सर्किट में २० सभाएं हैं। जब सर्किट ओवरसीयर अपने सर्किट में इन सभाओं से मिलने जाता है तो वह राज्य के गवाहों के प्रचार और शिक्षा कार्य में उनका साथ देता है और इस प्रकार उनको प्रोत्साहन देता है। इस रीति से उनको उत्तेजित करने के अतिरिक्‍त वह उनको सुझाव भी देता है जिससे उनकी धर्मसेवा में उन्‍नति होने में सहायता मिलती है।—प्रेरितों के काम २०:२०, २१.

२२. (क) परमेश्‍वर के लोगों को मजबूत करने के लिए वह अतिरिक्‍त प्रबंध क्या है जो वर्ष में दो बार किया जाता है? (ख) आपको किसमें आमंत्रित किया जाता है?

२२ इसके अतिरिक्‍त प्रोत्साहन देने और मज़बूत बने रहने की सुविधायें भी प्रदान की जाती हैं क्योंकि सामान्य रूप से वर्ष में दो बार प्रत्येक सर्किट में सब सभाएं एक या दो दिन की सर्किट एसेम्बली में एकत्रित होती हैं। इन अवसरों पर दो या तीन सौ से लेकर २००० या उससे अधिक व्यक्‍ति उपस्थित होते हैं। आपको आपके क्षेत्र में होनेवाली अगली सर्किट ऐसेम्बली में आमंत्रित किया जाता है। हम निश्‍चित रूप से यही महसूस करते हैं कि आपको उस एसेम्बली में आध्यात्मिक रूप से ताज़गी मिलेगी और वह आपके लिये व्यक्‍तिगत रूप से लाभदायक सिद्ध होगी।

२३. (क) अन्य कौनसी सभाएं वर्ष में एक बार होती हैं? (ख) इनमें से एक कन्वेन्शन कितनी बड़ी थी?

२३ फिर वर्ष में एक बार डिस्ट्रिक्ट कन्वेन्शन नामक बड़ी सभा होती है जिसका आयोजन कई दिनों के लिये होता है। आप क्यों नहीं उसमें शामिल होने के लिये वास्तविक प्रयत्न करते और क्यों नहीं स्वयं देखते कि इस प्रकार की कन्वेन्शन कितनी सुखकर और आध्यात्मिक रूप से लाभप्रद हो सकती है? कुछ वर्ष इन डिस्ट्रिक्ट कन्वेन्शन के बजाय कुछ बड़ी राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय कन्वेन्शन भी हुई हैं। एक ही स्थान पर जो आज तक कभी भी बड़ी कन्वेन्शन हुई है वह न्यू यार्क के यान्की स्टेडियम और पोलो ग्राउंड्‌स में वर्ष १९५८ में आठ दिनों तक हुई थी। उस अवसर पर “परमेश्‍वर का राज्य शासन करता है—क्या दुनिया का अंत निकट है?” नामक आम-भाषण में २५३,९२२ लोग उपस्थित थे। क्योंकि उस समय से इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिये कोई स्थान इतना बड़ा नहीं मिला है, इसलिये इतनी बड़ी कन्वेन्शनों के प्रयोग के लिये अनेक मुख्य नगरों में सुविधाओं का प्रबंध किया गया है।

मंडलियों में सभाएं

२४. कौनसी पाँच साप्ताहिक सभाएं परमेश्‍वर के लोगों की मंडली द्वारा आयोजित होती हैं?

२४ यहोवा के गवाहों का शासी निकाय बाइबल निर्देशन का सब पहलुओं से संबंधित कार्यक्रम का प्रबंध करता है जो यहोवा के लोगों की सब मंडलियों में होता है। प्रत्येक मंडली में एक सप्ताह में पांच सभा होती हैं। ये थियोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल, सर्विस मीटिंग, पब्लिक मीटिंग, वाचटावर स्टडी और कांग्रीगेशन बुक स्टडी हैं। क्योंकि आप शायद इन सभाओं से परिचित नहीं हुए हैं हम संक्षिप्त रूप से उनका वर्णन करेंगे।

२५, २६. थियोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल और सर्विस मीटिंग के आयोजन का क्या उद्देश्‍य है?

२५ थियोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल का उद्देश्‍य बाइबल विद्यार्थियों की सहायता करना है जिससे कि वे दूसरों को परमेश्‍वर के राज्य के विषय में बताने में अधिक प्रभावशाली बनें। समय-समय पर ये विद्यार्थी जिनके नाम इस स्कूल में लिखे गये हैं सम्पूर्ण समूह को अनेक बाइबल विषयों पर छोटे भाषण देते हैं। फिर एक अनुभवी प्रौढ़ जन उनकी उन्‍नति के लिये सुझाव देता है।

२६ सामान्यतया उसी शाम सर्विस मीटिंग भी होती है। उस सभा का खाका हमारी राज्य सेवा नामक मासिक प्रकाशन, जो दो या उससे अधिक पृष्ठों का होता है, प्रकाशित होता है और जिसका संपादन शासी निकाय करता है। इस सभा में राज्य संदेश के विषय में दूसरों से प्रभावकारी तरीकों से बात करने के लिये व्यावहारिक सुझाव और प्रदर्शन प्रस्तुत किये जाते हैं। इसी समान रीति से यीशु ने अपने अनुयायियों को प्रोत्साहन दिया था, और इस विषय पर कि वे अपनी राज्य सेवा को कैसे कार्यान्वित करें, निर्देश दिये थे।—यूहन्‍ना २१:१५-१७; मत्ती १०:५-१४.

२७, २८. पब्लिक मीटिंग, वाचटावर स्टडी और कांग्रीगेशन बुक स्टडी किस प्रकार की मीटिंग हैं?

२७ पब्लिक मीटिंग और वाचटावर स्टडी सामान्यतया रविवार के दिन होती हैं। बाइबल में रुचि वाले नये व्यक्‍तियों को इस पब्लिक मीटिंग जिसमें योग्य सेवक द्वारा बाइबल संबंधी भाषण दिया जाता है, आमंत्रित करने के लिये विशेष प्रयत्न किये जाते हैं वाचटावर स्टडी में, हाल के वाचटावर पत्रिका में दिये गये बाइबल संबंधी लेख पर प्रश्‍नोत्तर रूप में विवाद होता है।

२८ जबकि सारी मंडली किंगडम हाल में उपर्युक्‍त सभाओं के लिये इकट्ठी होती है, छोटे समूह साप्ताहिक कांग्रीगेशन बुक स्टडी के लिये निजी घरों में एकत्रित होते हैं। बाइबल अध्ययन में सहायक पुस्तक जैसी कि आप यह पढ़ रहे हैं उस बाइबल विवाद के लिये आधार के रूप में प्रयुक्‍त होती है, जिसका अध्ययन एक घंटे तक चलता है।

२९. (क) सच्चे मसीही प्रत्येक वर्ष किस स्मारक समारोह को मनाते हैं? (ख) कौन उचित रूप से रोटी और मदिरा लेते हैं?

२९ इन नियमित सभाओं के अतिरिक्‍त यहोवा के गवाह प्रत्येक वर्ष यीशु की मृत्यु तिथि पर एक विशेष सभा आयोजित करते हैं। जब यीशु ने अपनी मृत्यु के इस स्मारक के लिये पहला प्रबंध जो किया था तो उसने यह कहा था: “मेरी यादगारी में ऐसा ही करते रहो।” (लूका २२:१९, २०) एक सादा समारोह के दौरान यीशु ने मदिरा और अख़मीरी रोटी का उस जीवन के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया था जो वह मानवजाति के लिये बलिदान के रूप में देने जा रहा था। अतः इस वार्षिक स्मारक भोज पर मसीह के १४४,००० अभिषिक्‍त अनुयायियों में शेष व्यक्‍ति जो पृथ्वी पर रह गये हैं, रोटी खाकर और मदिरा पीकर अपनी स्वर्गीय आशा का प्रदर्शन करते हैं।

३०. (क) कौन अन्य लोग उचित रूप से इस स्मारक समारोह में सम्मिलित होते हैं और उनकी क्या प्रत्याशाएं हैं? (ख) इस प्रकार के व्यक्‍तियों का यीशु ने क्या कहकर वर्णन किया है?

३० लाखों की संख्या में अन्य लोग जो सारी पृथ्वी पर किंगडम हालों में इस स्मारक समारोह में सम्मिलित होते हैं, उनको पर्यवेक्षक बनने का विशेषाधिकार प्राप्त होता है। उनको भी इस बात की याद दिलायी जाती है कि यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह ने उनके लिये पाप और मृत्यु से छुटकारा पाना संभव किया है। परन्तु स्वर्गीय जीवन की प्रत्याशा करने की अपेक्षा वे पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रहने की प्रत्याशा से प्रसन्‍न होते हैं। वे यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के समान हैं जिसने अपने आपको १४४,००० सदस्यों से बनी दुल्हन का भाग बनने की अपेक्षा “दूल्हे का मित्र” घोषित किया था। (यूहन्‍ना ३:२९) ये लाखों की संख्या में व्यक्‍ति उन “दूसरी भेड़ों” का भाग हैं जिनका ज़िक्र यीशु ने किया था। वे “छोटे झुंड” के सदस्य नहीं हैं। तथापि जैसा कि यीशु ने कहा वे “छोटे झुंड” के सदस्यों के साथ मिलकर परमेश्‍वर की सेवा करते हैं जिससे वे सब मिलकर “एक झुंड” बनते हैं।—यूहन्‍ना १०:१६; लूका १२:३२.

उसके संगठन के साथ मिलकर परमेश्‍वर की सेवा करना

३१. इस बात का क्या प्रमाण है कि परमेश्‍वर उन लोगों को स्वीकार नहीं करता है जो मिथ्या धर्म का भाग बने रहते हैं और उसके संगठन का भाग बनने का प्रयत्न करते हैं?

३१ यह बात कितनी स्पष्ट है जैसा अतीत काल में था उसी प्रकार आज भी यहोवा का एक दृश्‍य संगठन है! वह अब उसे अपने लोगों को अपनी न्याययुक्‍त नयी व्यवस्था में जीवन व्यतीत करने की शिक्षा देने के लिये प्रयोग कर रहा है। तथापि हम परमेश्‍वर के संगठन का भाग और उसी समय मिथ्या धर्म का भाग नहीं बने रह सकते हैं। परमेश्‍वर का वचन कहता है: “अविश्‍वासियों के साथ असमान रीति से जूए में न जुतो क्योंकि धार्मिकता और अधर्म का क्या मेल? या ज्योति और अंधकार का क्या संगति? . . . या विश्‍वासी व्यक्‍ति के साथ अविश्‍वासी व्यक्‍ति का क्या नाता?” अतः परमेश्‍वर यह आदेश देता है: “इसलिए उनके बीच में से निकल आओ और अपने आपको अलग कर लो।”—२ कुरिन्थियों ६:१४-१७.

३२. (क) यदि हमें उनके “बीच में से निकलना है” तो हमें क्या करने की आवश्‍यकता है? (ख) हमें क्या आशीष प्राप्त होगी यदि हम परमेश्‍वर की उसके धर्मतंत्रीय संगठन के साथ मिलकर सेवा करने के लिए निश्‍चयात्मक कार्यवाही करते हैं?

३२ “उनके बीच में से निकल आने” का क्या अर्थ है? हम यहोवा परमेश्‍वर द्वारा प्रयुक्‍त संगठन की अपेक्षा किसी अन्य धार्मिक संगठन का भाग बने रहकर या उसका समर्थन करके उस आदेश का पालन नहीं कर सकते हैं। अतः यदि हममें से कोई इस प्रकार के धार्मिक संगठन से अभी तक संबंधित है तो हमें उस संगठन में से अपना नाम हटाने के लिये सूचना देने की आवश्‍यकता है। यदि हम अभी उनमें से निकल आयें जो मिथ्या धर्म का पालन करते हैं और परमेश्‍वर की उसके दृश्‍य धर्मतंत्रीय संगठन के साथ मिलकर उसकी सेवा करने के लिये निश्‍चयात्मक कार्यवाही करें तो हम उन लोगों में कहलाए जायेंगे जिनके विषय में परमेश्‍वर कहता है: “मैं उनमें वास करूंगा और उनके मध्य चलूंगा और मैं उनका परमेश्‍वर होऊंगा और वे मेरे लोग होंगे।”—२ कुरिन्थियों ६:१६.

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज १९२ पर तसवीरें]

जलप्रलय के समय क्या परमेश्‍वर का एक से अधिक संगठन था?

[पेज १९६ पर तसवीरें]

यहोवा के गवाहों का विश्‍व मुख्यालय

कार्यकारी कार्यालय

कम्प्यूटर प्रणालियाँ

ब्रुकलिन का छापाखाना

रोटरी प्रिटिंग

बुक बाइंडरी

प्रेषण

[पेज १९७ पर तसवीरें]

अन्य कुछ वाच टावर छापेखाने

ब्राजील

इंग्लैंड

दक्षिणी अफ्रीका

वॉलकिल, न्यू यॉर्क

कनाडा

[पेज १९८ पर तसवीरें]

न्यू यॉर्क में यहोवा के गवाहों की कन्वेशन में सम्मिलित २५३,९२२ के कुछेक व्यक्‍ति

पोलो ग्राउंड्‌स

यान्की स्टेडियम

[पेज २०१ पर तसवीरें]

यहोवा के गवाहों की सभाओं में बाइबल शिक्षा के लाभप्रद कार्यक्रम