पुनरुत्थान—किसके लिए और कहाँ?
अध्याय २०
पुनरुत्थान—किसके लिए और कहाँ?
१, २. हम कैसे जानते हैं कि परमेश्वर के प्राचीन सेवक पुनरुत्थान में विश्वास रखते थे?
परमेश्वर के सेवकों का पुनरुत्थान में हमेशा से विश्वास रहा है। इब्राहीम के विषय में जो यीशु के मनुष्य बनकर पैदा होने से २००० वर्ष पहले रहता था, बाइबल कहती है: “उसे भरोसा था कि परमेश्वर उसको [उसके पुत्र इसहाक को] मरे हुओं में से भी जी उठाएगा।” (इब्रानियों ११:१७-१९) बाद में परमेश्वर के सेवक अय्यूब ने पूछा: “यदि एक स्वस्थ पुरुष मर जाये तो क्या वह पुनःजीवित हो सकता है?” अपने ही प्रश्न के उत्तर में अय्यूब ने परमेश्वर से कहा: “तू मुझे बुलाएगा और मैं स्वयं तुझे उत्तर दूंगा।” इस प्रकार उसने यह प्रदर्शित किया कि वह पुनरुत्थान में विश्वास रखता था।—अय्यूब १४:१४, १५.
२ जब यीशु मसीह पृथ्वी पर था तो उसने यह व्याख्या की: “परन्तु इस बात को कि मरे हुए जी उठते हैं मूसा ने झाड़ी के विषय में दिये हुए वर्णन में प्रकट किया जब वह यहोवा को ‘इब्राहीम का परमेश्वर और इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर कहता है।’ वह मरे हुओं का नहीं बल्कि जीवितों का परमेश्वर है क्योंकि वे सब उसकी दृष्टि में जीवित हैं।” (लूका २०:३७, ३८) मसीही यूनानी शास्त्र में शब्द “पुनरुत्थान” का प्रयोग ४० बार से अधिक हुआ है। वास्तव में मरे हुओं का पुनरुत्थान बाइबल की एक प्रमुख शिक्षा है।—इब्रानियों ६:१, २.
३. मरथा ने पुनरुत्थान में क्या विश्वास अभिव्यक्त किया था?
३ जब मरथा का भाई लाज़र जो यीशु का मित्र था, मर गया तो मरथा ने पुनरुत्थान में अपने विश्वास का प्रदर्शन किया था। जब मरथा ने सुना कि यीशु आ रहा है, तो वह उससे मिलने के लिये दौड़ी। और उससे बोली: “हे प्रभु यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई मर नहीं गया होता।” उसका दुःख देखकर यीशु ने उसे यह शब्द कहकर तसल्ली दी: “तेरा भाई जी उठेगा।” मरथा ने उत्तर दिया: “मैं जानती हूँ कि वह आख़िरी दिन पुनरुत्थान में जी उठेगा।”—यूहन्ना ११:१७-२४.
४-६. पुनरुत्थान में विश्वास रखने के लिए मरथा के पास क्या कारण थे?
४ मरथा के पास पुनरुत्थान में विश्वास रखने के दृढ़ कारण थे। उदाहरणतया वह जानती थी कि बहुत वर्षों पहले परमेश्वर के नबी एलिय्याह और एलीशा दोनों ने परमेश्वर की शक्ति से एक बालक को पुनर्जीवित किया था। (१ राजा १७:१७-२४; २ राजा ४:३२-३७) और वह यह भी जानती थी कि जब एक मरा हुआ आदमी एक गड्ढे में फेंका गया और मृत एलीशा की हड्डियों से छू गया तो वह पुनःजीवित हो गया था। (२ राजा १३:२०, २१) परन्तु यीशु ने स्वयं जिसकी शिक्षा दी और जो कार्य किये थे उसने मरथा के पुनरुत्थान में विश्वास को अधिक दृढ़ किया था।
५ उस समय जब दो वर्ष भी नहीं हुए थे वह शायद यरूशलेम में मौजूद रही होगी जब यीशु ने इस विषय में बात की थी कि उसका मरे हुओं को पुनःजीवित करने में क्या भाग होगा। उसने कहा था: “क्योंकि जैसे पिता मरे हुओं को जी उठाता है अथवा उनको जीवित करता है, वैसे ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है उन्हें जीवित करता है। इस पर आश्चर्य न करो क्योंकि वह घड़ी आती है कि वे सब जो स्मारक कब्रों में होंगे उसकी आवाज़ सुनकर बाहर निकल आयेंगे।”—यूहन्ना ५:२१, २८, २९.
६ जब यीशु ने यह शब्द कहे थे तो उस समय तक बाइबल में कोई सूचना नहीं है कि उसने किसी को पुनःजीवित किया था। परन्तु शीघ्र उसके पश्चात् उसने एक युवा को पुनःजीवित किया जो नाईन के नगर में विधवा का पुत्र था। ये ख़बर दक्षिण में यहूदा के लूका ७:११-१७) बाद में मरथा ने यह भी सुना होगा कि गलील की झील के पास याईर के घर में क्या घटना हुई थी उसकी १२ वर्ष की पुत्री बहुत बीमार हो गयी थी और मर गयी थी। परन्तु जब यीशु याईर के घर पहुँचा तो वह उस मरी हुई बच्ची के पास गया और बोला: “हे लड़की, उठ!” और वह तुरन्त उठ बैठी!—लूका ८:४०-५६.
इलाक़े में पहुँच गयी थी इसलिये मरथा ने निश्चय यह ख़बर सुनी होगी। (७. यीशु ने मरथा को क्या प्रमाण दिया था कि वह मरे हुओं को जी उठा सकता था?
७ फिर भी मरथा यीशु से इस समय अपने भाई को पुनःजीवित करने की आशा नहीं करती थी। इसलिये उसने कहा: “मैं जानती हूँ कि वह आख़िरी दिन पुनरुत्थान में जी उठेगा।” तथापि मरथा को इस बात से प्रभावित करने के लिये कि मरे हुओं को जी उठाने में उसका क्या भाग है, यीशु ने कहा: पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ। वह जो कोई मुझ पर विश्वास करता है यदि मर भी जाये तो पुनःजीवित होगा और प्रत्येक जो जीवित है और मुझमें विश्वास करता है, कभी नहीं मरेगा।” इसके शीघ्र पश्चात् यीशु को उस क़ब्र पर ले जाया गया जिसमें लाज़र को रखा गया था। वहाँ उसने पुकारा: “हे लाज़र निकल आ!” और लाज़र जो चार दिन से मरा पड़ा था, उठकर बाहर निकल आया!—यूहन्ना ११:२४-२६, ३८-४४.
८. क्या प्रमाण है कि यीशु को पुनरुत्थान प्राप्त हुआ था?
८ कुछ हफ्तों बाद यीशु स्वयं घात किया गया और क़ब्र में रखा गया। परन्तु वह वहाँ प्रेरितों के काम २:३२; मत्ती २७:६२-६६; २८:१-७) इसमें कोई सन्देह नहीं है कि मसीह मरे हुओं में से जी उठाया गया था क्योंकि उसके पश्चात् वह स्वयं अपने अनेक शिष्यों और एक बार ५०० शिष्यों को जीवित दिखायी दिया था। (१ कुरिन्थियों १५:३-८) यीशु के शिष्य पुनरुत्थान में इतना दृढ़तापूर्वक विश्वास करते थे कि वे परमेश्वर की सेवा करने के लिये मौत का सामना करने को भी तैयार थे।
पूरे तीन दिन भी नहीं रहा। प्रेरित पतरस उस कारण की व्याख्या यह कहकर करता है: “इसी यीशु को परमेश्वर ने जी उठाया है जिसके हम सब गवाह हैं।” धार्मिक नेता भी परमेश्वर के पुत्र को क़ब्र में से बाहर निकलने से नहीं रोक सके। (९. बाइबल किन नौ व्यक्तियों के विषय में कहती है कि वे जी उठाये गये थे?
९ इस बात का अतिरिक्त प्रमाण कि मरे हुए जी उठाये जा सकते हैं, बाद में प्रेरित पतरस और पौलुस के द्वारा दिया गया था। सबसे पहले पतरस ने याफ़ा नगर की तबीता नामक स्त्री को जो दोरकास भी कहलाती थी, पुनः जीवित किया था। (प्रेरितों के काम ९:३६-४२) और फिर पौलुस ने यूतुखुस नामक एक जवान को पुनःजीवित किया था जो उस समय तीसरी मंज़िल की खिड़की से नीचे गिरकर मर गया था, जब पौलुस वार्त्ता दे रहा था। (प्रेरितों के काम २०:७-१२) निःसंदेह इन नौ व्यक्तियों के पुनरुत्थान जिनका वर्णन बाइबल में दिया गया है इस बात का निश्चित प्रमाण देते हैं कि मरे हुए लोग पुनः जीवित किये जा सकते हैं!
किन व्यक्तियों का पुनरुत्थान होगा?
१०, ११. (क) परमेश्वर ने पुनरुत्थान का प्रबंध क्यों किया था? (ख) प्रेरितों के काम २४:१५ के अनुसार किन दो वर्गों के लोग जी उठाये जायेंगे?
१० प्रारंभ में परमेश्वर का उद्देश्य यह नहीं था कि किसी का पुनरुत्थान किया जाय क्योंकि यदि आदम और हव्वा वफ़ादार रहते तो किसी को मरना नहीं पड़ता। परन्तु आदम के पाप के कारण प्रत्येक व्यक्ति को अपूर्णता और मृत्यु मिली। (रोमियों ५:१२) अतः आदम की सन्तान में से किसी का अनन्त जीवन का आनन्द उठाना सम्भव करने के लिये यहोवा परमेश्वर ने पुनरुत्थान की व्यवस्था की। परन्तु वह क्या है जिससे ये निर्णय हो कि किसी व्यक्ति का पुनरुत्थान सम्भव है या नहीं?
११ बाइबल व्याख्या करती है: “धर्मी और अधर्मी दोनों का पुनरुत्थान होगा।” (प्रेरितों के काम २४:१५) शायद इससे कुछ लोगों को आश्चर्य हो। शायद वे सोचे: ‘क्यों “अधर्मी” व्यक्तियों को पुनर्जीवित किया जाय?’ जब यीशु सूली पर लटका हुआ था तो उस समय जो घटना हुई वह हमें इस प्रश्न का उत्तर देने में सहायता देगी।
१२, १३ (क) यीशु ने एक अपराधी से क्या प्रतिज्ञा की थी? (ख) वह “परादीस” कहाँ है जिसका जिक्र यीशु ने किया था?
१२ ये पुरुष जो यीशु के दोनों ओर लटके हुए हैं, अपराधी हैं। इनमें से एक ने अभी यह कहकर उसकी निन्दा की है: “क्या तू मसीह नहीं है? तो फिर अपने आप को और हमें बचा।” तथापि दूसरा अपराधी यीशु पर विश्वास रखता है। वह उसकी ओर देखकर कहता है: “जब तू अपने राज्य में आये तो मुझे याद रखना।” इसपर यीशु उसे वचन देता है: “मैं आज तुझसे सच कहता हूँ, तू मेरे साथ परादीस में होगा।”—लूका २३:३९-४३.
१३ इसका अर्थ क्या है जब यीशु यह कहता है: “तू मेरे साथ परादीस में होगा”? परादीस कहाँ है? परादीस कहाँ था जिसे परमेश्वर ने प्रारंभ में बनाया था? वह पृथ्वी पर था, क्या यह सही नहीं? परमेश्वर ने प्रथम मानव दंपति को एक सुंदर परादीस में रखा जो अदन का उद्यान कहलाता था। इसलिये जब हम यह पढ़ते हैं कि यह पूर्व अपराधी परादीस में होगा उत्पत्ति २:८, ९.
तो हमारे दिमाग में यह तस्वीर आनी चाहिये कि यह पृथ्वी निवास करने के लिये एक सुन्दर स्थान में परिवर्तित कर दी जायेगी क्योंकि शब्द “परादीस” का अर्थ “बाग” अर्थात “उद्यान” है।—१४. किस रीति से यीशु परादीस में उस पूर्व अपराधी के साथ होगा?
१४ यीशु मसीह निश्चय यहाँ पृथ्वी पर उस पहले वाले अपराधी के साथ नहीं होगा। नहीं, यीशु स्वर्ग में होगा जहाँ से वह पार्थिव परादीस के ऊपर राजा बनकर शासन करेगा। अतः वह उस पुरुष के साथ इस अर्थ में होगा कि वह उसे मृतकों में से जी उठायेगा और उसकी भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की आवश्यकताओं का ध्यान रखेगा। परन्तु यीशु क्यों एक आदमी को जो अपराधी था परादीस में रहने की अनुमति देगा?
१५. “अधर्मी” क्यों जी उठाये जाते हैं?
१५ यह बात सच है कि इस आदमी ने बुरे कार्य किये थे। वह “अधर्मी” था। इसके अतिरिक्त वह परमेश्वर की इच्छा से परिचित नहीं था। परन्तु यदि उसे परमेश्वर के उद्देश्यों के विषय में जानकारी होती तो क्या वह अपराधी बनता? यह मालूम करने के लिये यीशु इस अधर्मी पुरुष को और करोड़ों अन्य व्यक्तियों को जो अज्ञान अवस्था में मर गये थे, जी उठायेगा। उदाहरणतया पिछली शताब्दियों में अनेक निरक्षर लोग मरे हैं और जिन्होंने बाइबल भी कभी नहीं देखी थी। परन्तु वह शीओल अथवा हेडीस में से जी उठाये जायेंगे। तब परादीस रूपी पृथ्वी पर उनको परमेश्वर की इच्छा के विषय में शिक्षा दी जायेगी और उनको यह प्रमाणित करने का अवसर मिलेगा कि वे वास्तव में परमेश्वर से प्रेम करने के कारण उसकी इच्छा पूरी करते हैं।
१६. (क) कौन हैं जो मरे हुओं में से नहीं जी उठाये जायेंगे? (ख) हमें इस विषय में अपना निर्णय देने का प्रयत्न क्यों नहीं करना चाहिये? (ग) हमारी मुख्य चिन्ता क्या होनी चाहिये?
१६ इसका यह अर्थ नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति का पुनरुत्थान होगा। बाइबल प्रदर्शित करती है, कि यहूदा इस्करियोती जिसने यीशु के साथ विश्वासघात किया था, नहीं जी उठाया जायेगा। जानबूझकर किये गये अपने दुष्ट कार्यों के कारण यहूदा “विनाश का पुत्र” कहलाया गया है। (यूहन्ना १७:१२) वह लाक्षणिक गेहन्ना में चला गया है जहाँ से पुनरुत्थान संभव नहीं। (मत्ती २३:३३) वे व्यक्ति जो परमेश्वर की इच्छा जानने के पश्चात् जानबूझकर बुरे कार्य करते हैं शायद वे पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप करते हैं। परमेश्वर उन व्यक्तियों को जो उसी पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप करते हैं, नहीं जी उठायेगा। (मत्ती १२:३२; इब्रानियों ६:४-६; १०:२६, २७) तथापि क्योंकि परमेश्वर न्यायाधीश है तो हमारे पास यह अनुमान करने का उचित कारण नहीं है कि भूतकाल अथवा आधुनिक काल में क्या कुछेक दुष्ट लोगों का पुनरुत्थान होगा या नहीं। परमेश्वर जानता है कि कौन हेडीस में है और कौन गेहन्ना में है। अपनी तरफ से हमें वह सब कुछ करना चाहिये जिससे हम उस प्रकार के व्यक्ति बन सकें जिनको परमेश्वर अपनी नयी व्यवस्था में चाहता है।—लूका १३:२४, २९.
१७. कौन हैं जिनको अनन्त जीवन का आनन्द उठाने के लिए पुनरुत्थान की आवश्यकता नहीं होगी?
यूहन्ना ११:२६; २ तीमुथियुस ३:१.
१७ वास्तविकता यह है, कि उन सब को जो अनन्त जीवन प्राप्त करते हैं, जी उठने की आवश्यकता नहीं होगी। परमेश्वर के अनेक सेवक जो इस रीति-व्यवहार के “अन्तिम दिनों” में रह रहे हैं, आरमागेदोन से बच निकलेंगे। और तब न्याययुक्त “नयी पृथ्वी” का भाग बनेंगे और उनको कभी मरना नहीं पड़ेगा। जो बात यीशु ने मरथा से कही थी वह अक्षरशः उनके संबंध में सच सिद्ध हो सकती है: “प्रत्येक व्यक्ति जो जीवित है और मुझ में विश्वास करता है, कभी नहीं मरेगा।”—१८. वे “धर्मी” कौन हैं जो जी उठाये जायेंगे?
१८ वे “धर्मी” कौन हैं जिनका पुनरुत्थान होगा? इनमें परमेश्वर के वे वफ़ादार सेवक सम्मिलित होंगे जो यीशु मसीह के पृथ्वी पर आने से पहले रहते थे। इनमें अनेक व्यक्तियों के नाम बाइबल की इब्रानियों नामक पुस्तक के अध्याय ११ में दिये गये हैं। वे स्वर्ग में जाने की आशा नहीं करते थे बल्कि उनको पृथ्वी पर पुनः रहने की आशा थी। इसके अतिरिक्त इन “धर्मी” व्यक्तियों के मध्य जिनका पुनरुत्थान होगा, परमेश्वर के वे वफ़ादार सेवक भी होंगे जो हाल के वर्षों में मरे हैं। परमेश्वर इस बात की ओर ध्यान देगा कि उनकी पृथ्वी पर सर्वदा जीवित रहने की आशा कार्यान्वित हो जब वह उनको मृतकों में से जी उठायेगा।
कब और कहाँ पुनरुत्थान होगा
१९. (क) किस अर्थ में यीशु पहला था जिसको पुनरुत्थान प्राप्त हुआ था? (ख) कौन हैं जो उसके बाद पुनरुत्थान प्राप्त करते हैं?
१९ यीशु मसीह के विषय में यह कहा गया है कि वह “मृतकों में से जी उठाये गयों में प्रथम है।” (प्रेरितों के काम २६:२३) इसका यह अर्थ है कि वह उन व्यक्तियों में प्रथम था जो जी उठाये गये हैं और जिनको फिर कभी नहीं मरना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, वह एक आत्मिक व्यक्ति के रूप में भी जी उठाया हुआ प्रथम व्यक्ति था। (१ पतरस ३:१८) परन्तु बाइबल हमें बताती है कि इसके अतिरिक्त अन्य व्यक्ति भी इस रूप में उठाये जायेंगे और वह यह कहती है: “परन्तु प्रत्येक अपनी-अपनी श्रेणी में: मसीह पहला फल और उसके पश्चात् वे जो मसीह के हैं उसकी उपस्थिति के दौरान।” (१ कुरिन्थियों १५:२०-२३) अतः पुनरुत्थान के समय कुछ लोग अन्य व्यक्तियों से पहले जी उठाये जायेंगे।
२०. (क) वे कौन हैं जो “मसीह के” कहलाये जाते हैं? (ख) उन्हें कौनसा पुनरुत्थान प्राप्त होता है?
२० “वे जो मसीह के हैं” संख्या में १४४,००० वफ़ादार शिष्य हैं, जो राज्य में उसके साथ शासन करने के लिये चुने गये हैं। उनके स्वर्गीय पुनरुत्थान के विषय में बाइबल कहती है: “धन्य और पवित्र है वह व्यक्ति जो इस प्रथम पुनरुत्थान का भागी है; ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कोई अधिकार नहीं, और वे . . . उसके साथ हज़ार वर्ष तक राजा बनकर शासन करेंगे।”—प्रकाशितवाक्य २०:६; १४:१, ३.
२१. (क) “प्रथम पुनरुत्थान” कब प्रारंभ होता है? (ख) कौन हैं जो निःसन्देह स्वर्गीय जीवन के लिए जी उठाये जा चुके हैं?
फिलिप्पियों ३:११) यह कब घटित होगा? बाइबल कहती है: “उसकी उपस्थिति के दौरान”। जैसा कि हम पिछले अध्यायों में सीख चुके हैं मसीह की उपस्थिति का समय वर्ष १९१४ में आरंभ हुआ। अतः स्वर्ग के लिये वफ़ादार मसीहियों के “प्रथम पुनरुत्थान” का “दिन” पहले ही आ चुका है। निःसंदेह प्रेरित और अन्य प्रारंभिक मसीही स्वर्गीय जीवन के लिये पहले ही जी उठाये जा चुके हैं।—२ तीमुथियुस ४:८.
२१ अतः मसीह के पुनरुत्थान के बाद, १४४,००० व्यक्ति हैं जो जी उठाये जायेंगे। ये वे हैं जो “प्रथम पुनरुत्थान” अथवा “प्रारंभिक पुनरुत्थान” के सहभागी होंगे। (२२. (क) कौन अन्य व्यक्ति हैं जो “प्रथम पुनरुत्थान” का भाग होंगे? (ख) वे कब पुनरुत्थान प्राप्त करते हैं?
२२ परन्तु अभी मसीह की अदृश्य उपस्थिति के दौरान कुछ मसीही अभी जीवित हैं जो स्वर्ग में मसीह के साथ शासन करने की यही समान आशा रखते हैं। वे बचे हुए व्यक्ति हैं अर्थात् १४४,००० का शेष भाग। वे कब जी उठाये जायेंगे? उनको मृत्यु में सोने की आवश्यकता नहीं है परन्तु जब वे मरते हैं, तुरन्त जी उठाये जाते हैं। बाइबल व्याख्या करती है: “हम सब मृत्यु में नहीं सोते रहेंगे, परन्तु हम सब बदल जायेंगे, और यह एक क्षण में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही के फूंकने के दौरान होगा। क्योंकि तुरही फूंकी जायेगी और मरे हुए जी उठाये जायेंगे।”—१ कुरिन्थियों १५:५१, ५२; १ थिस्सलुनीकियों ४:१५-१७.
२३. किस प्रकार बाइबल आत्मिक जीवन में परिवर्तित होने का वर्णन करती है?
२३ निश्चय, स्वर्गीय जीवन के लिये यह “प्रथम पुनरुत्थान” मानव आँखों के प्रति अदृश्य है। यह आत्मिक प्राणियों के रूप में जीवन के लिये पुनरुत्थान है। आत्मिक जीवन के परिवर्तन का वर्णन बाइबल इस रीति से करती है: “देह नाशवान दशा में बोयी जाती है और अविनाशी रूप में जी उठायी जाती है। वह अनादर में बोयी जाती है और महिमा में जी उठायी जाती है . . . भौतिक देह बोयी जाती है और आत्मिक देह जी उठायी जाती है।”—१ कुरिन्थियों १५:४२-४४.
२४. (क) “पथम पुनरुत्थान” के बाद कौनसा पुनरुत्थान होता है? (ख) वह क्यों एक “बेहतर पुनरुत्थान” कहलाया गया है?
२४ तथापि, यह वाक्यांश “प्रथम पुनरुत्थान” यह प्रदर्शित करता है कि उसके बाद एक दूसरा पुनरुत्थान होगा। यह धर्मी और अधर्मी दोनों व्यक्तियों का इस परादीस पृथ्वी पर जीवन के लिये पुनरुत्थान है। यह पुनरुत्थान आरमागेदोन के पश्चात घटित होगा। यह एलिय्याह और एलीशा द्वारा जी उठाये गये बालकों और उन व्यक्तियों की अपेक्षा जो पृथ्वी पर एक बार जी उठाये गये थे, “बेहतर पुनरुत्थान” होगा। क्यों? इसलिए कि यदि वे जो आरमागेदोन के बाद जी उठाये जाते हैं, परमेश्वर की सेवा करना पसंद करें तो उनको फिर कभी मरने की आवश्यकता नहीं होगी।—इब्रानियों ११:३५.
परमेश्वर का एक चमत्कार
२५. (क) वह देह जो मर गयी थी, क्यों नहीं जी उठायी जाती है? (ख) क्या जी उठाया जाता है और उनको जो जी उठाये जाते हैं, क्या दिया जाता है?
२५ जब एक व्यक्ति मर जाता है तो उसके पश्चात् क्या जी उठाया जाता है? वह देह नहीं जी उठती है जो मर गयी थी। बाइबल इसी बात को प्रदर्शित करती है जब वह स्वर्गीय जीवन के लिये पुनरुत्थान का वर्णन करती है। (१ कुरिन्थियों १५:३५-४४) यहाँ तक कि वे उन लोगों को जो पृथ्वी पर जीवन के लिये जी उठाये जाते हैं, वही देह प्राप्त नहीं होती है जो वह उस समय रखते थे जब वे जीवित थे। वह देह शायद क्षीण होकर मिट्टी में मिल गयी। कुछ समय पश्चात् मृत शरीर के तत्व अन्य जीवों के भाग बन गये होंगे। अतः परमेश्वर उस देह को नहीं बल्कि उसी व्यक्ति को जो मर गया है, जी उठाता है। वह उन व्यक्तियों को जो स्वर्ग जाते हैं एक नयी आत्मिक देह देता है और उनको जो पृथ्वी पर रहने के लिये जी उठाये जाते हैं, एक नयी भौतिक देह देता है। यह नयी भौतिक देह निःसन्देह उस देह के समान होगी जो एक व्यक्ति अपने मरने से पहले रखता था जिससे कि वे उन लोगों द्वारा पहचाना जायेगा जो उसे जानते थे।
२६. (क) क्यों पुनरुत्थान एक इतना अद्भुत चमत्कार है? (ख) मनुष्यों के वे आविष्कार क्या हैं जो हमें परमेश्वर की महान योग्यता को समझने में जो वह मरे हुए लोगों को याद रखने में प्रकट करता है, हमारी सहायता कर सकते हैं?
२६ यह पुनरुत्थान वास्तव में एक अद्भुत चमत्कार है। उस व्यक्ति के पास जो मर गया था, शायद जीवन भर के अनुभव, ज्ञान और अनेक यादों का संग्रह होगा। उसका ऐसा व्यक्तित्व विकसित हो गया होगा जिससे वह किसी अन्य व्यक्ति से जो पहले कभी रहा हो, भिन्न हो गया था। फिर भी यहोवा परमेश्वर को सारी तफ़सील याद है और वह उसके अनुसार इस पूर्ण व्यक्तित्व को जब वह उसे जी उठाता है, पुनःस्थापित करेगा। जैसा कि बाइबल उन मरे हुओं के विषय जो जी उठाये जायेंगे, कहती है: “वे सब उसकी दृष्टि में जीवित हैं।” (लूका २०:३८) मनुष्य उन लोगों की आवाज़ों और चित्रों को रिकार्ड कर सकते हैं और उन लोगों के मरने के बहुत समय पश्चात् मशीन यंत्र द्वारा फिर उनकी आवाज़ें सुन सकते हैं और उनको देख सकते हैं। परन्तु यहोवा उन सब व्यक्तियों को जो उसी स्मृति में जीवित हैं पुनःजीवित कर सकता है और वास्तव में उनको पुनः जी उठायेगा!
२७. पुनरुत्थान के संबंध में वे प्रश्न क्या हैं जिनका उत्तर बाद में दिया जाना है?
२७ बाइबल हमें मृतकों के जी उठने के पश्चात् परादीस में जीवन के विषय में बहुत कुछ बताती है। उदाहरणतया यीशु ने उन व्यक्तियों के विषय में बताया था जिनमें कुछ “जीवन के पुनरुत्थान” के लिये और अन्य “न्याय के पुनरुत्थान” के लिये जी उठेंगे। (यूहन्ना ५:२९) उसका इससे क्या अभिप्राय था? क्या “धर्मी” व्यक्तियों के लिये स्थिति जो जी उठाये जायेंगे “अधर्मी” व्यक्तियों की स्थिति से भिन्न होगी? न्याय के दिन के विषय पर विचार-विमर्श हमें इस प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देगा।
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज १६७ पर तसवीरें]
“मैं जानती हूँ कि वह पुनरुत्थान में जी उठेगा”
एलिय्याह ने एक विधवा के पुत्र को जी उठाया था
एलीशा ने एक बालक को जी उठाया था
एक व्यक्ति जो एलीशा की हड्डियों से जा टकराया, पुनःजीवित हो गया
[पेज १६८ पर तसवीरें]
व्यक्ति जिन्हें यीशु ने जी उठाया:
नाईन की विधवा का पुत्र
लाजर
याईर की पुत्री
[पेज १६९ पर तसवीरें]
वे अन्य व्यक्ति जो जी उठाये गये:
दोरकास
यीशु स्वयं
यूतुखुस
[पेज १७० पर तसवीर]
वह परादीस कहाँ है जिसकी प्रतिज्ञा यीशु ने कुकर्मी से की थी?