अध्ययन लेख 30
अपना प्यार बढ़ाते जाइए
‘आओ हम सब बातों में प्यार बढ़ाते जाएँ।’—इफि. 4:15.
गीत 2 यहोवा तेरा नाम
एक झलक a
1. जब आपने बाइबल अध्ययन करना शुरू किया था, तब आपने क्या-क्या बातें सीखी थीं?
ज़रा उस वक्त के बारे में सोचिए जब आपने बाइबल का अध्ययन करना शुरू किया था। क्या आपको याद है, उस वक्त आपने क्या-क्या बातें सीखी थीं? शायद आप यह जानकर हैरान रह गए होंगे कि एक सच्चा परमेश्वर है और उसका नाम यहोवा है। आपको शायद यह जानकर राहत महसूस हुई होगी कि परमेश्वर लोगों को नरक की आग में नहीं तड़पाता। और जब आपने यह जाना होगा कि आपके अपने जो अब नहीं रहे, वे ज़िंदा किए जाएँगे और आप उनके साथ हमेशा नयी दुनिया में रह पाएँगे, तो शायद आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा होगा।
2. बाइबल से सच्चाइयाँ सीखने के अलावा आपने और कैसे तरक्की की? (इफिसियों 5:1, 2)
2 जब आप परमेश्वर के वचन का और भी अध्ययन करने लगे, तो यहोवा के लिए आपका प्यार बढ़ने लगा। फिर आपका मन करने लगा कि आप जो सीख रहे हैं, उसके मुताबिक चलें भी। आप बाइबल के सिद्धांतों के हिसाब से अच्छे फैसले लेने लगे। आप परमेश्वर को खुश करना चाहते थे, इसलिए आपने अपनी सोच बदली और सही काम करने लगे। जैसे एक बच्चा अपनी माँ या पिता की तरह बनने की कोशिश करता है, वैसे ही आप पिता यहोवा की तरह बनने की कोशिश करने लगे।—इफिसियों 5:1, 2 पढ़िए।
3. हम खुद से कौन-से सवाल कर सकते हैं?
3 हम खुद से कुछ इस तरह के सवाल कर सकते हैं, ‘जब मैं मसीही बना था, उसके मुकाबले क्या अब मैं यहोवा से और भी प्यार करने लगा हूँ? बपतिस्मे के बाद से क्या मैंने अपनी सोच और कामों में और भी बदलाव किए हैं? क्या मैं और भी यहोवा की तरह बनने की कोशिश कर रहा हूँ? क्या मैं उसकी तरह भाई-बहनों से प्यार करने लगा हूँ?’ अगर आपको लगे कि आपमें “अब वह प्यार नहीं रहा जो पहले था,” तो निराश मत होइए। पहली सदी के मसीहियों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। लेकिन यीशु ने उन्हें ठुकरा नहीं दिया और ना ही वह आपको ठुकराएगा। (प्रका. 2:4, 7) वह जानता है कि हम फिर से अपने दिल में वह प्यार बढ़ा सकते हैं जो हममें पहले था।
4. इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?
4 इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि हम यहोवा और दूसरों के लिए अपना प्यार कैसे बढ़ाते रह सकते हैं। फिर हम जानेंगे कि जब हम उनसे और भी प्यार करेंगे, तो हमें और दूसरे लोगों को कौन-सी आशीषें मिलेंगी।
यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ाते जाइए
5-6. (क) प्रेषित पौलुस को कौन-सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा? (ख) लेकिन किस वजह से वह लगातार यहोवा की सेवा कर पाया?
5 प्रेषित पौलुस खुशी से यहोवा की सेवा कर रहा था, लेकिन कई बार उसे मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। वह अकसर दूर-दूर तक सफर करता था और उन दिनों सफर करना इतना आसान भी नहीं होता था। इस दौरान कई बार उसे “नदियों के खतरों” और “डाकुओं के खतरों” का सामना करना पड़ा। कई बार ऐसा भी हुआ कि उसके विरोधियों ने उसे मारा-पीटा। (2 कुरिं. 11:23-27) और दुख की बात है कि कई बार मसीही भाइयों ने भी उसकी मेहनत की कदर नहीं की।—2 कुरिं. 10:10; फिलि. 4:15.
6 फिर भी पौलुस लगातार यहोवा की सेवा करता रहा। वह किस वजह से ऐसा कर पाया? शास्त्र का अध्ययन करके और अपने अनुभव से पौलुस और भी अच्छी तरह जान पाया कि यहोवा कैसा परमेश्वर है। उसे यकीन हो गया कि परमेश्वर यहोवा उससे प्यार करता है। (रोमि. 8:38, 39; इफि. 2:4, 5) और फिर वह भी यहोवा से बहुत प्यार करने लगा। उसने अपना प्यार कैसे ज़ाहिर किया? लगातार “पवित्र जनों की सेवा” करके।—इब्रा. 6:10.
7. यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ाने का एक तरीका क्या है?
7 आज हम परमेश्वर के लिए अपना प्यार कैसे बढ़ा सकते हैं? पूरी लगन से उसके वचन का अध्ययन करके। जब आप बाइबल पढ़ते हैं, तो यह जानने की कोशिश कीजिए कि आपने जो पढ़ा है उससे यहोवा के बारे में क्या पता चलता है। खुद से इस तरह के सवाल कीजिए: ‘इस किस्से से कैसे पता चलता है कि यहोवा मुझसे प्यार करता है? इसमें ऐसी कौन-सी बात थी जिस वजह से अब मेरा मन कर रहा है कि मैं यहोवा से और भी प्यार करूँ?’
8. प्रार्थना करने से परमेश्वर के लिए हमारा प्यार कैसे बढ़ सकता है?
8 यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ाने का एक और तरीका है, हर दिन दिल खोलकर उससे प्रार्थना करना। (भज. 25:4, 5) फिर यहोवा भी हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देगा। (1 यूह. 3:21, 22) एशिया में रहनेवाली बहन कायला कहती हैं, “शुरू-शुरू में मैं यहोवा से बस इसलिए प्यार करती थी, क्योंकि मैंने उसके बारे में बहुत-सी अच्छी बातें सीखी थीं। लेकिन जब मैंने देखा कि वह कैसे मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दे रहा है, तो मैं उससे और भी प्यार करने लगी। फिर मेरा मन करने लगा कि मैं अपने हर काम से उसे खुश करूँ।” b
दूसरों के लिए अपना प्यार बढ़ाते जाइए
9. पौलुस ने जो कहा, उससे कैसे पता चलता है कि तीमुथियुस भाई-बहनों से और भी प्यार करने लगा था?
9 पौलुस जब मसीही बना था, उसके कुछ ही साल बाद वह तीमुथियुस नाम के एक नौजवान से मिला। तीमुथियुस यहोवा से और लोगों से बहुत प्यार करता था। इसके कुछ साल बाद पौलुस ने फिलिप्पी मंडली को लिखा, “मेरे पास [तीमुथियुस के] जैसा स्वभाव रखनेवाला दूसरा और कोई भी नहीं, जो सच्चे दिल से तुम्हारी परवाह करेगा।” (फिलि. 2:20) ध्यान दीजिए कि पौलुस ने यह नहीं कहा कि तीमुथियुस कितनी अच्छी तरह हर काम की व्यवस्था करता है या कितने अच्छे भाषण देता है। इसके बजाय उसे तीमुथियुस की यह बात बहुत अच्छी लगी कि उसे भाई-बहनों की परवाह है, उसे उनसे प्यार है। इसी वजह से मंडली के भाई-बहनों को भी इंतज़ार रहता होगा कि तीमुथियुस कब उनके यहाँ दौरा करने आएगा।—1 कुरिं. 4:17.
10. बहन ऐना और उनके पति ने भाई-बहनों के लिए अपना प्यार कैसे ज़ाहिर किया?
10 हम भी अपने भाई-बहनों की मदद करने के लिए मौकों की तलाश में रहते हैं। (इब्रा. 13:16) ज़रा बहन ऐना के अनुभव पर गौर कीजिए, जिनका पिछले लेख में ज़िक्र किया गया था। उनके इलाके में एक भयंकर तूफान आया था। तूफान के बाद वे और उनके पति एक मसीही परिवार से मिलने गए। वहाँ जाने पर पता चला कि उनके घर की छत गिर गयी है। इस वजह से उस परिवार के पास एक भी साफ कपड़ा नहीं रह गया था। बहन ऐना कहती हैं, “हम उनके कपड़े लेकर गए, उन्हें धोया, इस्त्री की और फिर अच्छे-से रखकर उनके यहाँ पहुँचा दिए। हमारे लिए तो यह छोटा-सा काम था, पर इस वजह से हमारी उनके साथ बहुत गहरी दोस्ती हो गयी और हम आज तक अच्छे दोस्त हैं।” बहन ऐना और उनके पति भाई-बहनों से बहुत प्यार करते थे, इसी वजह से उन्होंने उनकी मदद की।—1 यूह. 3:17, 18.
11. (क) जब हम दूसरों के साथ प्यार से पेश आते हैं, तो अकसर उन्हें कैसा लगता है? (ख) नीतिवचन 19:17 के मुताबिक जब हम प्यार की खातिर लोगों के लिए कुछ करते हैं, तो यहोवा क्या करता है?
11 जब हम दूसरों के साथ प्यार से पेश आते हैं और उनकी मदद करते हैं, तो अकसर वे ध्यान देते हैं कि हम किस तरह यहोवा की सोच अपना रहे हैं और उसकी तरह बनने की कोशिश कर रहे हैं। हमें शायद एहसास भी ना हो कि हम उनके लिए जो करते हैं, उसकी वे कितनी कदर करते हैं। ज़रा फिर से बहन कायला के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उन्हें वह वक्त आज भी याद है जब सालों पहले कुछ बहनों ने उनकी मदद की थी। वे कहती हैं, “मैं उन सब बहनों का बहुत एहसान मानती हूँ जो मुझे प्रचार के लिए ले जाती थीं। वे मुझे घर लेने आती थीं, मुझे खाने या नाश्ते के लिए ले जाती थीं और वापस घर भी छोड़ देती थीं। आज जब मैं उस बारे में सोचती हूँ, तो मुझे एहसास होता है कि उन्होंने मेरे लिए कितना कुछ किया और वह भी बस प्यार की खातिर।” हो सकता है, हम जिनकी मदद करते हैं, उनमें से हर कोई बदले में हमारे लिए कुछ कर ना पाए। जिन्होंने बहन कायला की मदद की, उनके बारे में वे कहती हैं, “उन्होंने मेरे लिए इतना कुछ किया, काश! मैं भी बदले में उनके लिए कुछ कर पाती। पर मैं नहीं जानती कि अब वे सब कहाँ रहते हैं। लेकिन यहोवा जानता है और मैं दुआ करती हूँ कि वह उनके लिए मेरी तरफ से कुछ-न-कुछ करे।” बहन कायला ने एकदम सही कहा। अगर हम किसी की थोड़ी-सी भी मदद करें, तो यहोवा उस पर ध्यान देता है। वह उसे एक अनमोल बलिदान की तरह समझता है। यहोवा ऐसा सोचता है मानो हमने उस पर उपकार किया है और वह उसके लिए हमें ज़रूर इनाम देगा।—नीतिवचन 19:17 पढ़िए।
12. भाई मंडली के भाई-बहनों के लिए अपना प्यार कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं? (तसवीरें भी देखें।)
12 अगर आप एक भाई हैं, तो दूसरों के लिए अपना प्यार ज़ाहिर करने और आगे बढ़कर उनकी मदद करने के लिए आप क्या कर सकते हैं? ज़रा जॉर्डन नाम के एक जवान भाई के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उसने एक प्राचीन से पूछा कि वह किस तरह मंडली की और भी मदद कर सकता है। जॉर्डन पहले से ही जो कर रहा था, उसके लिए प्राचीन ने उसकी तारीफ की और फिर उसे कुछ सुझाव दिए। जैसे, उन्होंने कहा कि वह सभा शुरू होने से थोड़ा पहले ही राज-घर आ सकता है और दूसरों का स्वागत कर सकता है, सभाओं में अच्छे-से जवाब दे सकता है, लगातार अपने समूह के साथ प्रचार कर सकता है और सोच सकता है कि वह किन तरीकों से दूसरों की मदद कर सकता है। जॉर्डन ने उस प्राचीन की सलाह मानी। इससे वह ना सिर्फ ये सब काम अच्छी तरह करना सीख पाया, बल्कि भाई-बहनों के लिए उसका प्यार भी बढ़ने लगा। जॉर्डन ने एक अहम बात भी सीखी। वह यह कि एक भाई सहायक सेवक बनने के बाद दूसरों की मदद करना शुरू नहीं करता, बल्कि उसे पहले से ऐसा करना होता है और आगे भी करते रहना है।—1 तीमु. 3:8-10, 13.
13. भाई क्रिस्टियान प्यार की वजह से किस तरह दोबारा प्राचीन के तौर पर सेवा करने के योग्य बन पाए?
13 हो सकता है, आप पहले एक प्राचीन या सहायक सेवक के तौर पर सेवा कर रहे हों। उस वक्त आपने प्यार की खातिर भाई-बहनों के लिए जो भी किया, उसे यहोवा भूला नहीं है। (1 कुरिं. 15:58) और आज आप जिस तरह भाई-बहनों के लिए प्यार ज़ाहिर कर रहे हैं, उस पर भी यहोवा ध्यान देता है। ज़रा क्रिस्टियान नाम के एक भाई के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वे एक प्राचीन के तौर पर सेवा करते थे, लेकिन फिर उनके पास यह ज़िम्मेदारी नहीं रही। उस वक्त उन्हें थोड़ा दुख तो हुआ, पर वे बताते हैं, “मैं यहोवा से प्यार करता था, इसलिए मैंने ठान लिया कि मुझसे जितना हो सकेगा, मैं यहोवा की सेवा करता रहूँगा, फिर चाहे मेरे पास कोई ज़िम्मेदारी हो या ना हो।” कुछ समय बाद उन्हें फिर से एक प्राचीन के तौर पर नियुक्त किया गया। वे कहते हैं, “पहले तो मैं यह ज़िम्मेदारी लेने से झिझक रहा था। लेकिन फिर मैंने सोचा, ‘अगर यहोवा मुझ पर दया कर रहा है और मुझे दोबारा प्राचीन के तौर पर सेवा करने का मौका दे रहा है, तो मुझे इनकार नहीं करना चाहिए। मैं उससे और अपने भाई-बहनों से प्यार करता हूँ, इसलिए मैं यह ज़िम्मेदारी लेने से पीछे नहीं हटूँगा।’”
14. आपने बहन एलेना के उदाहरण से क्या सीखा?
14 यहोवा के सेवक अपने पड़ोसियों से भी प्यार करते हैं। (मत्ती 22:37-39) ज़रा जॉर्जिया में रहनेवाली बहन एलेना के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वे कहती हैं, “पहले तो मैं लोगों को सिर्फ इसलिए प्रचार करती थी, क्योंकि मैं यहोवा से बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन जैसे-जैसे यहोवा के लिए मेरा प्यार बढ़ता गया, मैं लोगों से भी और ज़्यादा प्यार करने लगी। मैं सोचती थी कि लोग किन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और उन्हें किस विषय पर बात करना अच्छा लगेगा। मैंने जितना ज़्यादा इस बारे में सोचा, उतना ही मेरा मन करने लगा कि मैं उनकी और भी मदद करूँ।”—रोमि. 10:13-15.
दूसरों से प्यार करने से मिलतीं ढेरों आशीषें
15-16. जैसे तसवीरों में दिखाया गया है, दूसरों से प्यार करने से कौन-सी आशीषें मिलती हैं?
15 जब हम भाई-बहनों से प्यार करते हैं, तो इससे ना सिर्फ उन्हें, बल्कि दूसरों को भी बहुत फायदा होता है। ज़रा एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। कोविड-19 महामारी शुरू होने के कुछ समय बाद भाई पाउलो और उनकी पत्नी ने कई बुज़ुर्ग बहनों को सिखाया कि वे अपने फोन या टैबलेट के ज़रिए किस तरह लोगों को गवाही दे सकती हैं। एक बहन को शुरू-शुरू में ऐसा करना मुश्किल लग रहा था, पर बाद में वे सीख गयीं। उन्होंने अपने बहुत-से रिश्तेदारों को स्मारक में हाज़िर होने के लिए न्यौता दिया। और कमाल की बात है, उनमें से 60 लोग स्मारक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए हाज़िर हुए! भाई पाउलो और उनकी पत्नी ने जो मेहनत की, उससे ना सिर्फ उस बुज़ुर्ग बहन को, बल्कि उनके बहुत-से रिश्तेदारों को भी फायदा हुआ। बाद में उस बुज़ुर्ग बहन ने भाई पाउलो को लिखा, “आपने हम बुज़ुर्गों को जिस तरह से सिखाया, उसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया। यहोवा ने हमारा जिस तरह खयाल रखा और आपने हमारे लिए जो मेहनत की, उसे मैं कभी नहीं भूलूँगी।”
16 इस तरह के अनुभवों से भाई पाउलो ने एक अहम बात सीखी। वह यह कि कोई काबिलीयत या ज्ञान होने से कहीं ज़्यादा मायने रखता है भाई-बहनों से प्यार करना। वे कहते हैं, “पहले मैं एक सर्किट निगरान के तौर पर सेवा करता था। उस वक्त मैं जो भाषण दिया करता था, वे शायद भाई-बहनों को याद ना हों, पर मैंने जिस तरह उनकी मदद की, वह उन्हें आज भी याद है।”
17. जब हम दूसरों से प्यार करते हैं, तो और किसे फायदा होता है?
17 दूसरों से प्यार करने से खुद हमें भी फायदा होता है और कई बार तो उस तरह, जिसके बारे में हमने सोचा भी नहीं होता। न्यूज़ीलैंड में रहनेवाले भाई जौनाथन के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। एक बार शनिवार दोपहर को उन्होंने देखा कि एक पायनियर चिलचिलाती धूप में सड़क किनारे लोगों को गवाही दे रहा है। उन्होंने सोचा कि अगले हफ्ते से शनिवार दोपहर को वे भी उस पायनियर के साथ प्रचार करेंगे। वे बस उस पायनियर की मदद करने की सोच रहे थे, उन्हें नहीं पता था कि इससे खुद उन्हें कितना फायदा होगा। उन्होंने कहा, “सच कहूँ तो उस वक्त मुझे प्रचार करने में मज़ा नहीं आता था। लेकिन जब मैंने देखा कि वह पायनियर किस तरह लोगों को सिखाता है और उसे प्रचार में कितने अच्छे नतीजे मिल रहे हैं, तो इससे मुझमें भी प्रचार के लिए जोश भर आया। मेरी उस पायनियर से अच्छी दोस्ती हो गयी। उसके साथ वक्त बिताने से मैं और तरक्की कर पाया, मुझे प्रचार में मज़ा आने लगा और मैं यहोवा के और भी करीब आ पाया।”
18. यहोवा हमसे क्या चाहता है?
18 यहोवा चाहता है कि हम उसके लिए और दूसरों के लिए अपना प्यार बढ़ाते जाएँ। जैसे हमने इस लेख में जाना, परमेश्वर का वचन पढ़कर, उस पर मनन करके और लगातार प्रार्थना करके हम परमेश्वर के लिए अपना प्यार बढ़ा सकते हैं। हम भाई-बहनों की अलग-अलग तरीकों से मदद करके उनके लिए भी अपना प्यार बढ़ा सकते हैं। जैसे-जैसे यहोवा और भाई-बहनों के लिए हमारा प्यार बढ़ेगा, हम उनके और भी करीब महसूस करेंगे और उनके साथ हमारी दोस्ती हमेशा के लिए बनी रहेगी!
गीत 109 गहरा प्यार करें
a चाहे हमारा बपतिस्मा हाल ही में हुआ हो या हम कई सालों से यहोवा की सेवा कर रहे हों, हम सब एक मसीही के नाते और भी तरक्की करते रह सकते हैं। इस लेख में ऐसा करने के एक अहम तरीके पर चर्चा की जाएगी। वह है, यहोवा और दूसरों के लिए अपना प्यार बढ़ाना। जब हम इस लेख पर चर्चा करेंगे, तो ध्यान दीजिए कि अब तक आपने इस मामले में किस हद तक तरक्की की है और आप आगे कैसे तरक्की कर सकते हैं।
b इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।