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जीवन कहानी

एक-दूसरे में रुचि लेने से मिलती हैं ढेरों आशीषें

एक-दूसरे में रुचि लेने से मिलती हैं ढेरों आशीषें

1948 में मम्मी और अपनी बहन पैट के साथ

“ऐंग्लिकन चर्च में सच्चाई नहीं सिखायी जाती। तुम सच्चाई की तलाश करती रहना।” मेरी नानी ऐंग्लिकन चर्च जाया करती थीं और यह बात उन्हीं ने मम्मी से कही थी। तब से मम्मी सच्चे धर्म की तलाश करने लगीं। पर वे यहोवा के साक्षियों से बात नहीं करना चाहती थीं और उनके घर आने पर मुझे भी छिप जाने को कहतीं। उस वक्‍त हम लोग कनाडा के टोरंटो शहर में रहते थे। लेकिन 1950 में जब मौसी यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन करने लगीं, तो मम्मी भी उनके साथ बैठने लगीं। वे दोनों मेरी मौसी के घर पर ही अध्ययन किया करती थीं और बाद में उन्होंने बपतिस्मा ले लिया।

पापा यूनाइटेड चर्च ऑफ कनाडा में एक पादरी थे। पापा हर रविवार को सुबह मुझे और मेरी बहन को संडे स्कूल भेजते थे जहाँ छोटे बच्चों को बाइबल की कहानियाँ सिखायी जाती थीं। फिर 11 बजे हम उनके साथ चर्च जाते थे और दोपहर में मम्मी के साथ यहोवा के साक्षियों के राज-घर जाते थे। हम साफ देख पाए कि दोनों धर्म एक-दूसरे से कितने अलग हैं।

1958 में ‘ईश्‍वरीय इच्छा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में हचेसन परिवार के साथ

बॉब हचेसन और उनकी पत्नी मेरियन लंबे समय से मम्मी के अच्छे दोस्त थे। मम्मी बाइबल से जो सीख रही थीं, वह उन्होंने उन दोनों को भी बताया और वे भी यहोवा के साक्षी बन गए। फिर 1958 में न्यू यॉर्क सिटी में ‘ईश्‍वरीय इच्छा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ रखा गया। यह सम्मेलन आठ दिन का था और बॉब और मेरियन अपने तीन बेटों के साथ मुझे भी वहाँ ले गए। आज जब मैं उस समय के बारे में सोचता हूँ, तो मुझे एहसास होता है कि उनके लिए मुझे साथ ले जाना आसान नहीं रहा होगा। लेकिन उस वक्‍त की मीठी यादें आज भी मेरे ज़हन में ताज़ा हैं।

भाई-बहनों ने ली रुचि, मिली जीवन में सही दिशा

जब मैं नौजवान था, तो कुछ समय के लिए हम एक फार्म पर रहे, जहाँ हम तरह-तरह के जानवर पालते थे। मुझे उनकी देखभाल करना बहुत अच्छा लगता था, इसलिए मैंने सोचा कि आगे चलकर मैं जानवरों का डॉक्टर बनूँगा। मम्मी ने यह बात हमारी मंडली के एक प्राचीन को बतायी। तब भाई ने प्यार से मुझे समझाया कि हम “आखिरी दिनों” में जी रहे हैं और मुझसे इस बारे में सोचने के लिए कहा कि अगर मैं कुछ साल के लिए कॉलेज में पढ़ने जाऊँगा, तो यहोवा के साथ मेरे रिश्‍ते पर कैसा असर पड़ेगा। (2 तीमु. 3:1) मैंने इस बारे में सोचा और फिर फैसला किया कि मैं कॉलेज नहीं जाऊँगा।

स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद मैं सोच रहा था कि अब मैं क्या करूँ। वैसे तो मैं हर शनिवार-रविवार प्रचार करने के लिए जाता था, पर मुझे उसमें इतना मज़ा नहीं आता था और मुझे नहीं लगा कि मैं पायनियर सेवा कर सकूँगा। मेरे पापा और चाचा सच्चाई में नहीं थे और वे मुझसे कह रहे थे कि मैं टोरंटो में एक बड़ी बीमा कंपनी में नौकरी करूँ। चाचा उसी कंपनी में एक बड़े ओहदे पर थे, इसलिए मैं भी वहाँ नौकरी करने लगा।

टोरंटो में मेरा ज़्यादातर समय ऑफिस के काम में निकल जाता था और बचा-कुचा समय मैं दुनिया के लोगों के साथ बिता देता था। इस वजह से मैं लगातार प्रचार के लिए और सभाओं में नहीं जा पाता था। पहले तो मैं अपने दादाजी के साथ रहता था जो यहोवा के साक्षी नहीं थे, लेकिन फिर उनकी मौत हो गयी। इसलिए मुझे अब रहने के लिए एक दूसरी जगह ढूँढ़नी थी।

बॉब और मेरियन, जो मुझे 1958 में अपने साथ सम्मेलन के लिए ले गए थे, मेरे लिए माता-पिता के जैसे थे। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनके घर में रह सकता हूँ। उन्होंने यहोवा के साथ रिश्‍ता मज़बूत करने में भी मेरी मदद की। फिर 1960 में उनके बेटे जॉन के साथ मैंने भी बपतिस्मा ले लिया। फिर जॉन पायनियर सेवा करने लगा। इससे मेरा भी मन करने लगा कि मैं प्रचार में और हिस्सा लूँ। मंडली के भाइयों ने देखा कि मैं अच्छी तरक्की कर रहा हूँ और कुछ समय बाद मुझे ‘परमेश्‍वर की सेवा स्कूल’ सेवक नियुक्‍त किया गया। a

मिला एक प्यारा साथी, शुरू की पायनियर सेवा

1966 में अपनी शादी के दिन

1966 में मैंने रैंडी बर्ग से शादी कर ली। वह एक जोशीली पायनियर थी और ऐसी जगह जाकर सेवा करना चाहती थी जहाँ ज़्यादा ज़रूरत हो। हमारे सर्किट निगरान ने हममें रुचि ली और हमें बढ़ावा दिया कि हम ऑन्टेरीयो प्रांत के ओरिलिया शहर की मंडली में जाकर सेवा करें। फिर क्या था, हमने अपना सामान बाँधा और निकल पड़े!

जब हम ओरिलिया पहुँचे, तो मैंने भी पायनियर सेवा शुरू कर दी। रैंडी का जोश देखकर मुझमें भी जोश भर आया था! और जब मैं पूरी लगन से पायनियर सेवा करने लगा, तो मैंने एक अलग तरह की खुशी महसूस की। जब मैं लोगों को बाइबल से कुछ दिखाता था और वे उसे समझ जाते थे, तो मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना अच्छा लगता था। वहाँ हम एक पति-पत्नी से मिले और उन्हें बाइबल से सिखाने लगे। हमने देखा कि उन्होंने किस तरह अपनी ज़िंदगी में बदलाव किए और यहोवा के सेवक बन गए। यह हमारे लिए बहुत बड़ी आशीष थी!

नयी भाषा, नयी सोच

एक बार जब हम टोरंटो गए हुए थे, तो मैं भाई आर्नल्ड मैक-नमारा से मिला जो उस वक्‍त बेथेल में काफी ज़िम्मेदारियाँ सँभाल रहे थे। उन्होंने पूछा कि क्या हम खास पायनियर सेवा करना चाहेंगे। मैंने तुरंत कहा, “हाँ, ज़रूर! कहीं भी भेज दीजिए, बस क्युबेक मत भेजना!” बात यह थी कि उस वक्‍त क्युबेक में फ्रेंच भाषा बोलनेवाले लोग सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे और चाहते थे कि क्युबेक को एक अलग देश बना दिया जाए। इसलिए कनाडा के जिन इलाकों में अँग्रेज़ी बोली जाती थी, वहाँ के लोग क्युबेक के फ्रेंच बोलनेवाले लोगों से भेदभाव करते थे। और मैं भी उन अँग्रेज़ी बोलनेवाले लोगों की तरह सोचने लगा था, इसलिए मैंने ऐसा कह दिया।

आर्नल्ड ने कहा, “फिलहाल तो शाखा दफ्तर खास पायनियर सेवकों को क्युबेक ही भेज रहा है।” रैंडी का तो पहले से ही वहाँ जाकर सेवा करने का मन था, इसलिए मैंने तुरंत हाँ कर दी। बाद में मुझे एहसास हुआ कि यह बहुत ही अच्छा फैसला था।

हमने पाँच हफ्तों तक फ्रेंच भाषा सीखी। इसके बाद मुझे और रैंडी को एक और पति-पत्नी के साथ रिमूस्की शहर भेजा गया। यह शहर मोंट्रियाल से 540 किलोमीटर (336 मील) दूर उत्तर-पूर्व में है। फ्रेंच भाषा की बात करें, तो हमें अब भी बहुत कुछ सीखना था। मुझे इस बात का एहसास तब हुआ जब एक सभा में मैं कुछ घोषणाएँ पढ़ रहा था। मुझे कहना था कि आनेवाले अधिवेशन में “ऑस्ट्रिया” से बहुत-से भाई-बहन आएँगे। पर मैंने कह दिया “शुतुरमुर्ग” से बहुत-से भाई-बहन आएँगे! असल में फ्रेंच भाषा में “ऑस्ट्रिया” और “शुतुरमुर्ग” के लिए जो शब्द हैं, वे लगभग एक ही तरह से बोले जाते हैं।

रिमूस्की में हमारा घर, “व्हाइट हाउस”

रिमूस्की शहर में हम चारों के साथ चार अविवाहित बहनें भी जुड़ गयीं जो बहुत जोशीली थीं। उनके अलावा, भाई और बहन ह्‌यूबर्डो और उनकी दो बेटियाँ भी हमारे साथ मिलकर सेवा करने लगे। भाई और बहन ह्‌यूबर्डो ने एक बड़ा-सा मकान किराए पर लिया था, जिसमें सात कमरे थे। हम सब उसी घर में रहने लगे और सब थोड़ा-थोड़ा किराया भरते थे। हम उस घर को “व्हाइट हाउस” कहा करते थे, क्योंकि वह आगे से पूरा सफेद था और उसके पिलर भी सफेद थे। उस घर में अकसर 12 से 14 लोग रहा करते थे। मैं और रैंडी खास पायनियर थे, इसलिए हम सुबह, दोपहर और शाम को प्रचार के लिए निकलते थे। और खुशी की बात है कि हमारे साथ जाने के लिए हमेशा कोई-न-कोई रहता था, यहाँ तक कि सर्दियों में शाम को भी जब कड़ाके की ठंड पड़ती है।

उन जोशीले पायनियर भाई-बहनों से हमारी इतनी अच्छी दोस्ती हो गयी थी कि वे हमारे परिवार जैसे हो गए थे। कभी-कभी हम सब आग जलाकर एक-साथ बैठते थे, तो किसी दिन हम तरह-तरह के पेरोगी बनाते थे (एक तरह का खाना जो आटे में अलग-अलग चीज़ें भरकर बनाया जाता है)। एक भाई को संगीत बजाना आता था, इसलिए शनिवार रात को अकसर हम मिलकर नाच-गाना करते थे।

रिमूस्की में हमारी मेहनत रंग लायी! पाँच साल के अंदर ही हमारे कई बाइबल विद्यार्थियों ने तरक्की की और बपतिस्मा ले लिया। देखते-ही-देखते वहाँ की मंडली में 35 प्रचारक हो गए।

क्युबेक में हमें राज प्रचारकों के नाते बहुत अच्छी ट्रेनिंग मिली। हमने साफ देखा कि किस तरह यहोवा प्रचार काम में हमारी मदद कर रहा है और हमारी ज़रूरतें पूरी कर रहा है। हमें फ्रेंच भाषा बोलनेवाले लोगों, उनकी भाषा और उनकी संस्कृति से भी लगाव हो गया। इस वजह से आगे चलकर हम दूसरी संस्कृति और भाषा के लोगों से भी प्यार करना सीख गए।​—2 कुरिं. 6:13.

लेकिन फिर अचानक शाखा दफ्तर ने हमसे कहा कि हम न्यू ब्रन्सविक प्रांत के पूर्वी तट पर ट्रैकडी नाम के कसबे में जाकर सेवा करें। इससे एक मुश्‍किल खड़ी हो गयी। हमने अभी-अभी एक फ्लैट किराए पर लेने के लिए कागज़ पर दस्तखत किए थे। और मैंने एक स्कूल में भी बात की थी कि मैं हर हफ्ते उनके यहाँ कुछ घंटे पढ़ाऊँगा। इसके अलावा हमारे कुछ बाइबल विद्यार्थी अभी-अभी प्रचारक बने थे। और हमारे यहाँ राज-घर का निर्माण भी चल रहा था।

अगले दो दिन तक हमने ट्रैकडी जाने के बारे में बहुत प्रार्थना की और हम वह कसबा देखने भी गए। वह रिमूस्की से काफी अलग था। पर फिर हमने सोचा कि अगर यहोवा हमें वहाँ भेज रहा है, तो हम कौन होते हैं ना कहनेवाले। हमने यहोवा को परखकर देखा और एक-एक करके उसने हमारी सारी मुश्‍किलें दूर कर दीं। (मला. 3:10) रैंडी का यहोवा के साथ बहुत मज़बूत रिश्‍ता था। वह हमेशा त्याग करने को तैयार रहती थी और बड़ी मज़ाकिया थी। इस वजह से ट्रैकडी जाना हमारे लिए थोड़ा आसान हो गया।

हमारी नयी मंडली में सिर्फ एक ही प्राचीन था, रॉबर्ट रॉस। वह अपनी पत्नी लिंडा के साथ वहाँ पायनियर सेवा करता था। लेकिन फिर उनका एक बेटा पैदा हुआ, पर उन्होंने वहीं रुकने का फैसला किया। हालाँकि उन्हें अपने छोटे बच्चे की देखभाल करनी होती थी, फिर भी वे अकसर मेरी और रैंडी की मेहमान-नवाज़ी करते थे और जोश से प्रचार करते थे। उन दोनों ने हमारा बहुत हौसला बढ़ाया।

जहाँ ज़रूरत थी वहाँ सेवा करने से मिलीं आशीषें

हमारे पहले सर्किट में सर्दियों के दौरान

हमने दो साल तक ट्रैकडी में पायनियर सेवा की। उसके बाद हमें एक ऐसी ज़िम्मेदारी दी गयी जिसके बारे में हमने सोचा भी नहीं था। हमें सफरी निगरान के तौर पर सेवा करने के लिए कहा गया। हमने सात साल तक अँग्रेज़ी बोलनेवाले अलग-अलग सर्किट में सेवा की। उसके बाद हमें क्युबेक में फ्रेंच भाषावाले सर्किट में सेवा करने के लिए भेजा गया। उस वक्‍त हमारे जो ज़िला निगरान थे, भाई लेऔन्स क्रेपो, मेरे भाषणों के लिए मेरी तारीफ किया करते थे। पर बाद में वे हमेशा कहते थे, “तुम अपने भाषणों में और भी व्यवहारिक बातें कैसे बता सकते हो?” b इस तरह जब भाई ने मुझमें रुचि ली, तो मैं अपनी सिखाने की कला और भी बढ़ा पाया। मैं इस तरह भाषण देने की कोशिश करने लगा कि लोग उसे आसानी से समझ पाएँ और कुछ व्यवहारिक बातें भी सीख पाएँ।

1978 में मुझे एक ऐसी ज़िम्मेदारी दी गयी जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा। मुझे मोंट्रियाल में रखे गए “विजयी विश्‍वास” अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में सेवा करने के लिए कहा गया। मुझे खाने-पीने के इंतज़ाम में सहयोग करना था। हमें बताया गया था कि वहाँ लगभग 80,000 लोग आएँगे। पहली बार अधिवेशन में खाना देने का इंतज़ाम किया गया था। सबकुछ नया था: नए बरतन, नयी मशीनें, हमें तय करना था कि हम खाने में क्या-क्या रखेंगे और उसे कैसे बनाएँगे। हमारे पास करीब 20 बड़े-बड़े फ्रिज थे, लेकिन वे कई बार काम नहीं करते थे। जिस दिन अधिवेशन शुरू होना था, उसके एक दिन पहले रात को 12 बजे हमें स्टेडियम के अंदर जाने की इजाज़त मिली, क्योंकि उस दिन वहाँ खेल का कोई कार्यक्रम चल रहा था। सूरज निकलने से पहले हमें फटाफट ओवन चलाने थे, ताकि हम भाई-बहनों को नाश्‍ते में कुछ खिला सकें! हम सब बहुत थक गए थे, पर भाई-बहन बहुत मेहनती थे, समझदार थे और बड़े मज़ाकिया स्वभाव के थे। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा। हमें एक-दूसरे से इतना लगाव हो गया था कि हम आज भी अच्छे दोस्त हैं। क्युबेक में रखे गए उस अधिवेशन में हाज़िर होकर हमें बहुत खुशी हो रही थी। 1940 से 1960 के बीच जहाँ भाई-बहनों पर बहुत ज़ुल्म किए जा रहे थे, वहीं आज एक ऐतिहासिक अधिवेशन रखा गया था!

1985 में मोंट्रियाल में रखे गए एक अधिवेशन से पहले रैंडी के साथ अधिवेशन से जुड़ा काम करते हुए

मोंट्रियाल में रखे जानेवाले बड़े-बड़े अधिवेशनों में मैंने दूसरे निगरानों से भी बहुत कुछ सीखा। एक बार एक अधिवेशन में डेविड स्प्लेन जो अब शासी निकाय के सदस्य हैं, अधिवेशन निगरान थे। कुछ समय बाद एक अधिवेशन में जब मुझे वह ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए कहा गया, तो डेविड ने मेरा पूरा साथ दिया।

2011 में मुझे सफरी निगरान के तौर पर सेवा करते हुए 36 साल हो गए। इसके बाद मुझे ‘मंडली के प्राचीनों के लिए स्कूल’ में भाइयों को सिखाने के लिए कहा गया। अगले दो साल तक मैं और रैंडी 75 अलग-अलग बिस्तरों पर सोए। हाँ, थोड़ी दिक्कत तो होती थी, लेकिन स्कूल से भाइयों को जो फायदा होता था, वह देखकर हम अपनी तकलीफें भूल जाते थे। हफ्ते के आखिर में जब प्राचीनों को एहसास होता था कि शासी निकाय उनकी कितनी परवाह करता है और चाहता है कि यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता मज़बूत बना रहे, तो उनका दिल एहसान से भर जाता था।

बाद में मुझे ‘राज प्रचारकों के लिए स्कूल’ में सिखाने का मौका मिला। मैं अकसर देखता था कि विद्यार्थियों को बहुत चिंता होती है और वे बहुत थक जाते हैं, क्योंकि उन्हें हर दिन क्लास के लिए सात घंटों तक बैठना होता था, फिर हर शाम तीन घंटे होमवर्क करना होता था और हर हफ्ते चार-पाँच भाग पेश करने होते थे। मैं और स्कूल का दूसरा शिक्षक विद्यार्थियों को समझाते थे कि वे अपने दम पर तो इसे नहीं कर सकते, पर यहोवा की मदद से ज़रूर कर पाएँगे। और हमेशा ऐसा ही होता था! शुरू-शुरू में विद्यार्थियों को लगता था कि उनसे नहीं हो पाएगा। लेकिन जब वे देखते थे कि यहोवा की मदद से वे अपनी उम्मीदों से कहीं बढ़कर कर पा रहे हैं, तो वे हैरान रह जाते थे।

दूसरों में रुचि लेने से मिलती हैं ढेरों आशीषें

मम्मी अपने बाइबल विद्यार्थियों में जो रुचि लेती थीं, उस वजह से वे तरक्की कर पाए। मम्मी के व्यवहार की वजह से पापा का भी सच्चाई के बारे में रवैया बदल गया। मम्मी की मौत के तीन दिन बाद पापा राज-घर में एक जन भाषण सुनने के लिए आए। यह देखकर हम सब हैरान रह गए। अगले 26 सालों तक वे लगातार सभाओं में आते रहे। पापा ने बपतिस्मा तो नहीं लिया, लेकिन प्राचीनों ने मुझे बताया कि वे सभाओं में हमेशा सबसे पहले आते थे।

मम्मी ने हम सब बच्चों के लिए भी बहुत बढ़िया मिसाल रखी। मेरी तीनों बहनें और उनके पति वफादारी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं। मेरी दो बहनें शाखा दफ्तर में सेवा कर रही हैं, एक पुर्तगाल में और दूसरी हैती में।

मैं और रैंडी अब ऑन्टेरीयो के हैमिल्टन शहर में खास पायनियर सेवा कर रहे हैं। जब मैं सफरी निगरान था, तो हम दूसरे भाई-बहनों के साथ उनके वापसी भेंट और बाइबल अध्ययन पर जाते थे, लेकिन अब हमारे अपने बाइबल विद्यार्थी हैं। जब हम देखते हैं कि वे किस तरह यहोवा से प्यार करने लगे हैं, तो हमें बहुत खुशी होती है। और जब हम अपनी नयी मंडली के भाई-बहनों से दोस्ती करते हैं और देखते हैं कि कैसे यहोवा अच्छे और बुरे वक्‍त में उन्हें सँभाल रहा है, तो हमारा बहुत हौसला बढ़ता है।

आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं कि किस तरह अलग-अलग भाई-बहनों ने हममें रुचि ली, तो हम एहसान से भर जाते हैं। बदले में हमारी भी यह कोशिश रहती है कि हम यह ज़ाहिर करें कि हमें भाई-बहनों की कितनी “चिंता” और परवाह है। हम उनका हौसला बढ़ाने की कोशिश करते हैं, ताकि वे तन-मन से यहोवा की सेवा कर सकें। (2 कुरिं. 7:6, 7) एक बार हम एक परिवार से मिले थे, जिसमें माँ, बेटा और बेटी, तीनों पूरे समय की सेवा कर रहे थे। मैंने पिता से पूछा कि क्या उसने कभी पायनियर सेवा करने की सोची है। उसने कहा कि वह उन तीनों की मदद कर रहा है, ताकि वे पायनियर सेवा कर सकें। मैंने उससे कहा, “क्या आप यहोवा से ज़्यादा अच्छी तरह उनकी मदद कर सकते हैं?” मैंने उसे बढ़ावा दिया कि वह भी वह खुशी पाए जो उन्हें मिल रही है। और छ: महीने के अंदर ही वह भाई पायनियर सेवा करने लगा।

मैं और रैंडी हमेशा “अगली पीढ़ी” को यहोवा के “आश्‍चर्य के कामों” के बारे में बताते रहेंगे। और हमारी दुआ है कि उसकी सेवा से उन्हें भी वह खुशी मिले जो हमें मिली है।​—भज. 71:17, 18.

a अब जो भाई यह ज़िम्मेदारी सँभालता है, उसे ‘मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा’ निगरान कहा जाता है।

b लेऔन्स क्रेपो की जीवन कहानी फरवरी 2020 की प्रहरीदुर्ग  के पेज 26-30 पर पढ़ें।