मानसिक बीमारी—पूरी दुनिया पर भारी
“मुझे हर वक्त थोड़ी-बहुत चिंता लगी रहती है, तब भी जब इसकी कोई वजह नहीं होती।”
“जब मैं बहुत अच्छा महसूस करता हूँ, तभी मुझे घबराहट भी होने लगती है। क्योंकि मेरे साथ अकसर ऐसा होता है कि एक पल मैं बहुत खुश होता हूँ और अगले ही पल बहुत उदास हो जाता हूँ।”
“मैं आज की चिंताओं से लड़ने की कोशिश करता हूँ। पर कभी-कभी कई दिनों की चिंताएँ एक-साथ मुझे आ घेरती हैं।”
ये बातें उन लोगों ने कही हैं जो अलग-अलग मानसिक बीमारियों से लड़ रहे हैं। क्या आप भी ऐसा ही महसूस करते हैं? या क्या आपका कोई अपना इस तरह की बीमारी से लड़ रहा है?
अगर हाँ, तो यकीन रखिए कि आप अकेले नहीं हैं। और भी बहुत-से लोग हैं जो किसी-न-किसी मानसिक बीमारी से लड़ रहे हैं, या फिर उनका कोई परिवारवाला या दोस्त इसका शिकार है।
इसमें कोई शक नहीं कि हम ‘संकटों से भरे ऐसे वक्त में जी रहे हैं, जिसका सामना करना मुश्किल’ हो गया है। (2 तीमुथियुस 3:1) इसका हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर कई तरीकों से गहरा असर हो रहा है। एक अध्ययन से पता चला है कि पूरी दुनिया में हर आठ में से एक व्यक्ति को मानसिक बीमारी है। सन् 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते एंज़ाइटी (हद-से-ज़्यादा चिंता) और गंभीर डिप्रेशन के शिकार लोगों की गिनती करीब 7 करोड़ 80 लाख और बढ़ गयी है।
ये आँकड़े बहुत अहम हैं क्योंकि इनसे हम जान पाते हैं कि कितने लोग मानसिक बीमारियों से पीड़ित हैं। लेकिन इससे भी ज़्यादा यह जानना ज़रूरी है कि मानसिक बीमारियों के शिकार व्यक्ति और उसके परिवार पर क्या बीतती है।
मानसिक स्वास्थ्य क्या होता है?
अच्छे मानसिक स्वास्थ्य का मतलब है, अच्छा महसूस करना और सबकुछ अच्छी तरह कर पाना। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य होने से आप हर दिन के तनाव का सामना कर सकते हैं, अपना काम अच्छी तरह पूरा कर सकते हैं और अपनी ज़िंदगी से खुश रह सकते हैं।
मानसिक बीमारी के बारे में सच्चाई
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अगर किसी को कोई मानसिक बीमारी है, तो इसमें उसकी कोई गलती नहीं है। ऐसा नहीं है कि वह शारीरिक तौर पर कमज़ोर है या उसने कुछ गलत किया है।
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यह बीमारी होने पर एक व्यक्ति को हद-से-ज़्यादा डर और चिंता होने लगती है। वह ठीक से सोच नहीं पाता, अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता और सही से व्यवहार भी नहीं कर पाता।
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इससे अकसर उसके लिए दूसरों से घुलना-मिलना और हर दिन के छोटे-मोटे काम करना मुश्किल हो जाता है।
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यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, फिर चाहे वह कोई भी उम्र, संस्कृति, देश, जाति या धर्म का हो, कम या ज़्यादा पढ़ा-लिखा हो, अमीर हो या गरीब।
मानसिक बीमारी होने पर मदद लीजिए
कभी-कभी एक व्यक्ति के स्वभाव में अचानक बदलाव आने लगता है, वह बहुत ज़्यादा सोने लगता है या बहुत कम, उसे ज़्यादा भूख लगती है या उसकी भूख मर जाती है, उसे बहुत चिंता होने लगती है या वह उदास रहने लगता है। ऐसे में उसे शायद किसी डॉक्टर के पास जाना पड़े। एक डॉक्टर की मदद से वह समझ सकता है कि यह सब क्यों हो रहा है और इसका इलाज क्या है। लेकिन क्या डॉक्टर के पास जाना ज़रूरी है?
आज तक के सबसे बुद्धिमान इंसान, यीशु मसीह ने कहा, “जो भले-चंगे हैं, उन्हें वैद्य की ज़रूरत नहीं होती, मगर बीमारों को होती है।” (मत्ती 9:12) अगर मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोग सही से अपना इलाज करवाएँ और दवा लें, तो उनके लक्षण काफी कम हो सकते हैं और वे एक अच्छी और खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं। अगर किसी को लंबे समय से मानसिक बीमारी के लक्षण हैं या ये लक्षण बढ़ते जा रहे हैं, तो अच्छा होगा कि वह जल्द-से-जल्द अपना इलाज करवाए। a
इसके अलावा, पवित्र शास्त्र बाइबल की मदद से भी हम मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। हालाँकि बाइबल कोई चिकित्सा की किताब नहीं है, फिर भी इसमें ऐसी बातें बतायी गयी हैं, जिन्हें मानने से हमारा मानसिक स्वास्थ्य अच्छा हो सकता है। यही बातें आगे के लेखों में बतायी गयी हैं। हम आपको बढ़ावा देते हैं कि आप ये लेख पढ़ें।
a यह पत्रिका किसी एक किस्म के इलाज का बढ़ावा नहीं देती। कोई भी फैसला लेने से पहले एक व्यक्ति को इलाज के अलग-अलग तरीकों की पूरी जानकारी लेनी चाहिए।