2 | ‘शास्त्र से दिलासा’ पाइए
पवित्र शास्त्र में लिखा है, “जो बातें पहले से लिखी गयी थीं, वे इसलिए लिखी गयीं कि हम उनसे सीखें और हमें धीरज धरने में मदद मिले और हम दिलासा पाएँ ताकि हमारे पास आशा हो।”—रोमियों 15:4.
इसका क्या मतलब है?
जब हमारे मन में रह-रहकर बुरे खयाल आने लगें, तब बाइबल में लिखी बातें पढ़कर हमें दिलासा मिल सकता है और हम उन बुरे खयालों को अपने मन से निकाल सकते हैं। यही नहीं, बाइबल में यह आशा भी दी गयी है कि बहुत जल्द एक ऐसा वक्त आएगा जब डर, निराशा और चिंताएँ जैसी बुरी भावनाएँ नहीं रहेंगी।
क्या कदम उठाएँ?
हम सब कभी-कभी उदास या निराश हो जाते हैं। पर जिन लोगों को एंज़ाइटी या डिप्रेशन है, वे शायद हर रोज़ ऐसा महसूस करें। उन्हें बाइबल से कैसे मदद मिल सकती है?
बाइबल में ऐसी कई अच्छी-अच्छी बातें लिखी हैं, जिन्हें पढ़ने से हम बुरी बातों के बजाय अच्छी बातों पर अपना मन लगा पाएँगे। (फिलिप्पियों 4:8) इनसे हमें दिलासा और सुकून भी मिलता है जिससे हम अपनी भावनाओं पर काबू रख पाएँगे।—भजन 94:18, 19.
कई बार शायद हम खुद को बेकार समझें, लेकिन बाइबल की मदद से हम अपनी यह सोच बदल सकते हैं।—लूका 12:6, 7.
बाइबल की कई आयतों में हमें यकीन दिलाया गया है कि हम अकेले नहीं हैं। हमारा बनानेवाला परमेश्वर हमारे साथ है। वह हमारी भावनाएँ पूरी तरह समझता है।—भजन 34:18; 1 यूहन्ना 3:19, 20.
बाइबल में बताया गया है कि परमेश्वर हमारी बुरी यादें हमेशा के लिए मिटा देगा। (यशायाह 65:17; प्रकाशितवाक्य 21:4) इस वादे से हमें ऐसी सोच और भावनाओं से लड़ने की हिम्मत मिल सकती है, जो हमें बार-बार परेशान करती हैं।