जब आपका दुख बरदाश्त से बाहर हो जाए
अमरीका में रहनेवाली सैली * को ही लीजिए। एक भयंकर तूफान में उसका करीब-करीब सबकुछ खत्म हो गया। वह कहती है, “कई बार मुझे लगता था कि अब मैं यह सदमा और नहीं सह पाऊँगी। मुझसे नहीं होगा।”
अगर परिवार में किसी की मौत हो गयी हो, तो उसका गम सहना भी बहुत मुश्किल होता है। ऑस्ट्रेलिया में रहनेवाली जैनिस बताती है, “जब मैंने अपने दोनों बेटों को खो दिया, तो मैं पूरी तरह टूट गयी। मैंने खुद को सँभालने की बहुत कोशिश की, मगर मुझसे नहीं हो रहा था। मैंने ईश्वर से बिनती की, ‘मुझसे यह दर्द और सहा नहीं जाता। मुझे मौत दे दे।’”
जब दिनेश की पत्नी ने उससे बेवफाई की, तो उसे गहरा सदमा लगा। वह कहता है, “जब मेरी पत्नी ने खुद मुझे बताया कि उसने ऐसा किया है, तो मुझे लगा मेरे सीने में किसी ने खंजर भोंक दिया। महीनों तक यह दर्द रह-रहकर उठता रहा।”
क्या आप नीचे बताए किसी हालात से जूझ रहे हैं?
प्रहरीदुर्ग के इस अंक में बताया जाएगा कि ऐसे मुश्किल हालात में भी आप कैसे खुद को सँभाल सकते हैं।
^ इन लेखों की शृंखला में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।