जीवन क्यों अनमोल है?
पिछले लेखों में हमने देखा कि कई बार ज़िंदगी में ऐसे हादसे हो जाते हैं कि जीने की इच्छा ही नहीं रहती। अपनी परेशानियों का बोझ ढोते-ढोते कभी-कभी आपके मन में भी खयाल आता होगा कि क्या मेरे जीने का कोई फायदा है। शायद आप यह भी सोचते होंगे, पता नहीं किसी को मेरी परवाह है भी कि नहीं। पर यकीन मानिए, यहोवा परमेश्वर को आपकी परवाह है। आप उसके लिए बहुत मायने रखते हैं।
परमेश्वर के एक सेवक को उस पर पूरा भरोसा था कि वह उसकी मदद करेगा। इसलिए उसने परमेश्वर से यह बिनती की: “संकट के दिन मैं तुझे पुकारता हूँ, क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि तू जवाब देगा।” (भजन 86:7) लेकिन शायद आप सोचें, जब मैं अपने “संकट” में परमेश्वर को पुकारूँगा, तो वह किस तरह मेरी मदद करेगा?
आपकी प्रार्थना सुनकर परमेश्वर भले ही आपकी सारी तकलीफें दूर न कर दे, लेकिन वह आपको मन की शांति दे सकता है ताकि आप अपने हालात का सही तरह से सामना कर पाएँ। बाइबल में लिखा है, ‘किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो, मगर हर बात के बारे में प्रार्थना और मिन्नतों और धन्यवाद के साथ परमेश्वर से बिनतियाँ करो। तब परमेश्वर की वह शांति जो समझ से परे है, तुम्हारे दिल की और तुम्हारे विचारों की हिफाज़त करेगी।’ (फिलिप्पियों 4:6, 7, फुटनोट) अब बाइबल की कुछ बातों पर ध्यान दीजिए जिनसे पता चलता है कि परमेश्वर को आपकी बहुत परवाह है।
परमेश्वर आपकी बहुत परवाह करता है
‘परमेश्वर एक चिड़िया को भी अनदेखा नहीं करता। तुम तो बहुत-सी चिड़ियों से कहीं ज़्यादा अनमोल हो।’—लूका 12:6, 7, फुटनोट।
ध्यान दीजिए: भले ही हम इंसानों की नज़र में छोटी-छोटी चिड़ियों का मोल न हो, लेकिन परमेश्वर उनका भी खयाल रखता है। वह एक भी चिड़िया को अनदेखा नहीं करता। अगर इंसानों की बात करें, तो वे परमेश्वर की नज़र में चिड़ियों से कहीं ज़्यादा अनमोल हैं। परमेश्वर ने धरती पर जितने भी प्राणी बनाए उनमें इंसान सबसे खास है। उसने इंसानों को अपनी “छवि” में बनाया है, इसलिए वे परमेश्वर की तरह अच्छे गुण बढ़ा सकते हैं और दर्शा सकते हैं।—उत्पत्ति 1:26, 27.
‘हे यहोवा, तूने मुझे जाँचा है, तू मुझे जानता है। तू मेरे विचारों को जान लेता है। मुझे परख और मेरे मन की चिंताओं को जान ले।’—भजन 139:1, 2, 23.
ध्यान दीजिए: परमेश्वर आपकी एक-एक बात जानता है। आपके जीवन में क्या चल रहा है, आपको कौन-सी चिंताएँ सता रही हैं, वह सब जानता है। शायद कोई और आपकी परेशानियाँ न समझ पाए, लेकिन वह समझ सकता है। उसे आपकी परवाह है और वह आपकी मदद करना चाहता है। इसलिए अपनी ज़िंदगी को अनमोल जानिए।
आपकी ज़िंदगी मायने रखती है
‘हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, मेरी मदद की पुकार तेरे पास पहुँचे। मेरी तरफ कान लगा, जब मैं पुकारूँ तो फौरन जवाब दे। . . . परमेश्वर बेसहारा लोगों की प्रार्थना पर ध्यान देगा।’—भजन 102:1, 2, 17.
ध्यान दीजिए: आज तक इंसानों ने जितने भी दुख झेले हैं, जितने भी आँसू बहाएँ हैं उन सबके बारे में परमेश्वर ने मानो एक किताब में लिखकर रखा है। (भजन 56:8) उसने आपके भी आँसू देखे हैं। आपने जीवन में जो-जो दुख सहा है, जो तकलीफें झेली हैं, वह सब उसे याद है, क्योंकि आप उसके बहुत अज़ीज़ हैं।
‘घबरा मत क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ। मैं तेरी हिम्मत बँधाऊँगा, तेरी मदद करूँगा। मैं तेरा परमेश्वर यहोवा तुझसे कहता हूँ, “मत डर, मैं तेरी मदद करूँगा।”’—यशायाह 41:10, 13.
ध्यान दीजिए: परमेश्वर आपकी मदद करना चाहता है। अगर आप कभी हिम्मत हार बैठें, तो वह आपका हाथ थाम लेगा और आपको सहारा देगा।
एक अच्छे कल की आशा है
“परमेश्वर ने दुनिया से इतना प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न किया जाए बल्कि हमेशा की ज़िंदगी पाए।”—यूहन्ना 3:16.
ध्यान दीजिए: परमेश्वर आपसे इतना प्यार करता है कि उसने आपके लिए अपने बेटे यीशु की जान कुरबान कर दी। इस कुरबानी की वजह से आप भविष्य में हमेशा के लिए खुशी से जी सकेंगे। *
भले ही आप कितने ही परेशान हों और ज़िंदगी आपको एक बोझ लगे, फिर भी बाइबल की बातों पर ध्यान दीजिए और परमेश्वर के वादों पर भरोसा रखिए। फिर आप खुश रहेंगे और आपको यकीन होगा कि आपका जीवन बहुत अनमोल है।
^ यीशु की कुरबानी से आपको क्या आशीषें मिल सकती हैं, इस बारे में जानने के लिए www.pr418.com पर यीशु के बलिदान को याद कीजिए नाम का वीडियो देखिए। हमारे बारे में > स्मारक में देखिए।