“ईश्वर ने ऐसा क्यों होने दिया?”
“मेरे मन में रह रहकर यही सवाल उठता है, ईश्वर ने ऐसा क्यों होने दिया?”—पोप बेनेडिक्ट 16वें ने पोलैंड के ऑशविट्ज़ यातना शिविर का दौरा करते समय ऐसा कहा।
जब कोई बुरी घटना होती है, तो क्या आप सोचते हैं कि ईश्वर ने ऐसा क्यों होने दिया? क्या आपके साथ कोई दर्दनाक हादसा हुआ है, जिससे आप सोचने लगे कि क्या ईश्वर देख भी रहा है कि मेरे साथ क्या हो रहा है?
अमरीका में रहनेवाली शीला भी ऐसा ही सोचती थी। उसकी परवरिश ऐसे परिवार में हुई थी, जो बहुत धार्मिक था। वह कहती है, “बचपन से मैं ईश्वर को बहुत मानती थी क्योंकि उसी ने हमें बनाया है, पर मैंने कभी उसके करीब महसूस नहीं किया। मुझे लगता था कि वह मुझे बस दूर से ही देखता है। मुझे कभी नहीं लगा कि वह मुझसे नफरत करता है, पर यह भी नहीं लगा कि वह मुझसे प्यार करता है।” शीला ऐसा क्यों सोचती थी? वह कहती है, “मेरे परिवार पर एक-के-बाद-एक मुसीबतें टूट पड़ीं। हमें लगा कि ईश्वर बस दूर से देख रहा है, कुछ कर नहीं रहा।”
शीला की तरह आप भी मानते होंगे कि एक ईश्वर है, मगर वह आपकी परवाह करता है या नहीं, इसका शायद आपको यकीन न हो। सदियों पहले अय्यूब नाम का एक नेक इंसान था। वह मानता था कि ईश्वर बहुत ताकतवर और बुद्धिमान है। (अय्यूब 2:3; 9:4) लेकिन एक बार जब उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और उसे कहीं से राहत नहीं मिल रही थी, तो उसे भी लगा कि ईश्वर को उसकी कोई फिक्र नहीं। उसने ईश्वर से कहा, ‘तू क्यों मुझसे इस तरह मुँह फेरे हुए है? क्यों मुझे अपना दुश्मन समझ रहा है?’—अय्यूब 13:24.
पवित्र शास्त्र बाइबल में क्या लिखा है? जब कोई हादसा हो, तो क्या ईश्वर पर दोष लगाना सही होगा? हम कैसे जान सकते हैं कि ईश्वर हम सबका खयाल रखता है और हर इंसान पर जो बीत रही है, उस पर भी ध्यान देता है? हम कैसे जान सकते हैं कि हम जो तकलीफें सह रहे हैं, उस पर वह ध्यान देता है, वह हमारी भावनाएँ समझता है, हमसे हमदर्दी रखता है और मुसीबत में हमारी मदद करता है?
ईश्वर हमारी परवाह करता है कि नहीं, यह जानने के लिए अगले लेखों में हम दो बातों पर गौर करेंगे। एक यह कि उसने इंसान को जिस तरह रचा है, उससे कैसे सबूत मिलता है कि वह हमारी परवाह करता है। (रोमियों 1:20) दूसरा, शास्त्र से हम कैसे जान सकते हैं कि परमेश्वर हमसे प्यार करता है। इन बातों पर गौर करने से आप ‘परमेश्वर को जान’ पाएँगे। आपको यकीन हो जाएगा कि वह सचमुच ‘आपकी परवाह’ करता है।—1 यूहन्ना 2:3; 1 पतरस 5:7.