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आज भी हम खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं!

आज भी हम खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं!

बहुत जल्द ऐसा वक्‍त आएगा जब कोई बीमार नहीं होगा, कोई बूढ़ा नहीं होगा और किसी की मौत नहीं होगी। आप भी वह समय देख सकते हैं। लेकिन आज हमें कई मुश्‍किलों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हम इनका सामना कैसे कर सकते हैं? पवित्र शास्त्र बाइबल में दी सलाह मानकर हम आज भी खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं। ध्यान दीजिए कि कुछ मुश्‍किलों का सामना करने के लिए पवित्र शास्त्र में क्या सलाह दी गयी है।

संतुष्टि कैसे पाएँ

पवित्र शास्त्र की सलाह: “तुम्हारे जीने का तरीका दिखाए कि तुम्हें पैसे से प्यार नहीं और जो कुछ तुम्हारे पास है उसी में संतोष करो।”इब्रानियों 13:5.

कुछ लोगों को लगता है कि अगर उनके पास बहुत-सारी चीज़ें होंगी, तो वे खुश रहेंगे। लेकिन बाइबल कहती है, “जो कुछ तुम्हारे पास है उसी में संतोष करो।” हम संतुष्ट कैसे रह सकते हैं?

‘पैसे से प्यार’ मत कीजिए। जो लोग ‘पैसे से प्यार’ करते हैं, वे इसे पाने के लिए अपनी सेहत, परिवार, दोस्त, उसूल, अपनी इज़्ज़त सब दाँव पर लगा देते हैं। (1 तीमुथियुस 6:10) फिर भी उनका मन “अपनी कमाई से नहीं भरता।”—सभोपदेशक 5:10.

चीज़ों से ज़्यादा लोगों की कदर कीजिए। हालाँकि पैसों और चीज़ों से हमारी कुछ ज़रूरतें पूरी की जा सकती हैं, लेकिन इनसे हमें प्यार नहीं मिल सकता। प्यार हमें सिर्फ लोगों से मिल सकता है, ऐसे लोगों से जो हमारे ‘सच्चे दोस्त’ हैं और जिनकी संगति से हमें खुशी मिलती है।—नीतिवचन 17:17.

पवित्र शास्त्र की सलाह मानने से हम आज भी खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं!

बीमारी का सामना कैसे करें

पवित्र शास्त्र की सलाह: “दिल का खुश रहना बढ़िया दवा है।”नीतिवचन 17:22.

“खुशी” एक ऐसा गुण है जो बढ़िया दवा का काम करती है। अगर हम खुश रहेंगे, तो हम खराब सेहत का सामना कर पाएँगे। लेकिन खराब सेहत के बावजूद हम कैसे खुश रह सकते हैं?

एहसानमंद रहिए। अगर हम सिर्फ अपनी मुश्‍किलों के बारे में सोचते रहेंगे, तो “सब दिन” बुरे होंगे। (नीतिवचन 15:15) इसके बजाय बाइबल की यह सलाह मानिए, “दिखाओ कि तुम कितने एहसानमंद हो।” (कुलुस्सियों 3:15) हर छोटी-से-छोटी चीज़ के लिए एहसानमंदी ज़ाहिर कीजिए। जैसे ढलता सूरज, ठंडी हवा का झोंका, किसी करीबी की मुस्कराहट, यह सब हमारी ज़िंदगी को खुशनुमा बनाती हैं।

दूसरों के लिए कुछ अच्छा कीजिए। खराब सेहत के बावजूद हम खुश रह सकते हैं। वह कैसे? बाइबल बताती है, “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।” (प्रेषितों 20:35) जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं और वे उसके लिए अपनी कदरदानी ज़ाहिर करते हैं, तो हमें खुशी होती है। इससे हमारा ध्यान अपनी समस्याओं से हट जाता है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो उन्हें खुश देखकर हमें भी खुशी होती है।

शादी का बंधन कैसे मज़बूत करें

पवित्र शास्त्र की सलाह: ‘पहचानो कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं।’फिलिप्पियों 1:10.

अगर पति-पत्नी साथ में समय नहीं बिताएँगे, तो इससे उनके रिश्‍ते में दरार आ सकती है। पति-पत्नी को अपनी शादीशुदा ज़िंदगी पर ध्यान देना चाहिए, जो ज़्यादा  अहमियत रखनेवाली बातों में से एक है।

मिलकर कुछ कीजिए। अपने शौक अकेले पूरे करने के बजाय कुछ ऐसा कीजिए जो आप दोनों साथ मिलकर कर सकते हैं। पवित्र शास्त्र बताता है, “एक से भले दो हैं।” (सभोपदेशक 4:9) आप दोनों सैर पर जा सकते हैं, मिलकर खाना बना सकते हैं या कहीं घूमने जा सकते हैं।

प्यार ज़ाहिर कीजिए। पवित्र शास्त्र पति-पत्नी को बढ़ावा देता है कि वे एक-दूसरे से प्यार और आदर से पेश आएँ। (इफिसियों 5:28, 33) वे अपने कामों से एक-दूसरे के लिए प्यार जता सकते हैं। जैसे, प्यार से बात करके, गले लगाकर या कोई तोहफा देकर। इन सब बातों से शादी का बंधन मज़बूत होता है। लेकिन उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे सिर्फ एक-दूसरे के साथ संबंध रखें।—इब्रानियों 13:4.