इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

क्या इंसानों के जीन्स में फेरबदल करने से ज़िंदगी लंबी हो गयी है?

लंबी ज़िंदगी की तलाश

लंबी ज़िंदगी की तलाश

“मैंने वे सारे काम देखे जो परमेश्‍वर ने इंसानों को दिए हैं कि वे उनमें लगे रहें। परमेश्‍वर ने हर चीज़ को ऐसा बनाया है कि वह अपने समय पर सुंदर लगती है। उसने इंसान के मन में हमेशा तक जीने का विचार भी डाला है।”—सभोपदेशक 3:10, 11.

ये शब्द बुद्धिमान राजा सुलैमान के हैं, जो बहुत साल पहले लिखे गए थे। इनसे पता चलता है कि इंसान ज़िंदगी के बारे में कैसा महसूस करता है। हालाँकि इंसान की ज़िंदगी छोटी है और वह मौत से नहीं बच सकता, फिर भी उसकी इच्छा यही रहती है कि वह लंबी उम्र जीए। इतिहास के पन्‍ने ऐसी कई कथा-कहानियों से भरे हुए हैं, जो बताती हैं कि किस तरह इंसान सदियों से ज़िंदगी को बढ़ाने की खोज में लगा हुआ है।

उदाहरण के लिए, सूमेरी राजा गिलगामेश के बारे में कई कथा-कहानियाँ सुनायी जाती हैं। एक कहानी में बताया गया है कि वह एक खतरनाक सफर पर निकल पड़ा ताकि वह जान सके कि मौत से कैसे बचा जाए। लेकिन वह नाकाम हो गया।

पुराने ज़माने में एक वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला में काम कर रहा है

हज़ारों साल पहले वैज्ञानिकों ने ज़िंदगी बढ़ाने के लिए एक जादुई दवा बनाने की कोशिश की। उन्होंने इसे मरक्यूरी और आर्सेनिक से तैयार किया। लेकिन माना जाता है कि इसे पीकर चीन के कई राजाओं की मौत हो गयी। ईसवी सन्‌ 500 से 1,500 के बीच यूरोप में कुछ वैज्ञानिकों ने सोने में कुछ चीज़ें मिलायीं ताकि इसे आसानी से खाया और पचाया जा सके। उनका मानना था कि सोना आसानी से नष्ट नहीं होता, इसलिए इसे लेने से लोगों की आयु बढ़ जाएगी।

कुछ जीव-वैज्ञानिक और आनुवंशिकी वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इंसान बूढ़ा क्यों होता है। चीन के वैज्ञानिकों की तरह इन वैज्ञानिकों की कोशिशों से यही पता चलता है कि आज भी इंसान बुढ़ापे और मौत से बचना चाहता है। लेकिन इन वैज्ञानिकों की खोजबीन के क्या नतीजे निकले हैं?

परमेश्‍वर ने ‘इंसान के मन में हमेशा तक जीने का विचार डाला है।’—सभोपदेशक 3:10, 11

इंसान बूढ़ा क्यों होता है?

इंसान की कोशिकाओं का अध्ययन करनेवाले वैज्ञानिकों ने अब तक 300 से भी ज़्यादा वजह बतायी हैं कि क्यों इंसान बूढ़ा होता है और मरता है। हाल के सालों में वैज्ञानिकों ने कुछ जानवरों और इंसान की कोशिकाओं के जीन्स और प्रोटीन में फेरबदल किया। नतीजा, वे उन कोशिकाओं का जीवन बढ़ाने में कामयाब हो गए। इस वजह से कुछ अमीर लोगों ने वैज्ञानिकों को इस बारे में खोजबीन करने के लिए पैसे दिए हैं कि हम क्यों मरते हैं। उनकी खोजबीन से क्या पता लगा है?

ज़िंदगी बढ़ाने की कोशिशें। कुछ जीव-वैज्ञानिकों का मानना है कि बूढ़े होने की एक वजह है, हमारे शरीर में पाए जानेवाले टेलोमेर। टेलोमेर हमारे क्रोमोसोम का निचला हिस्सा होता है। जब हमारी कोशिकाएँ विभाजित होती हैं, तो टेलोमेर उनमें पायी जानेवाली जीन्स से जुड़ी जानकारी की रक्षा करते हैं। लेकिन हर बार जब कोशिकाएँ विभाजित होती हैं तो टेलोमेर छोटे हो जाते हैं। आखिर में कोशिकाएँ विभाजित होना बंद कर देती हैं और हम बूढ़े होने लगते हैं।

सन्‌ 2009 की नोबल पुरस्कार विजेता एलीज़बेथ ब्लैकबर्न और उनकी टीम ने एक तरह की एन्ज़ाइम की खोज की और पता लगाया कि इस एन्ज़ाइम की वजह से टेलोमेर जल्दी छोटे नहीं होते जिससे इंसान जल्दी बूढ़ा नहीं होगा।। लेकिन अपनी रिपोर्ट में उन्होंने यह कबूल किया कि टेलोमेर इंसान की ज़िंदगी बढ़ा नहीं सकता।

बुढ़ापा रोकने का एक और तरीका आज़माया जा रहा है। वह है, कोशिकाओं में फेरबदल करके। जब हमारी कोशिकाएँ बूढ़ी होने की वजह से विभाजित होना बंद कर देती हैं, तो वे कीटाणुओं या बीमारियों से लड़नेवाली दूसरी कोशिकाओं को गलत जानकारी भेजने लगती हैं। नतीजा, सूजन, लगातार उठनेवाला दर्द और बीमारियाँ। हाल ही में फ्रांस के कुछ वैज्ञानिकों ने कुछ कोशिकाओं में फेरबदल किया। ये कोशिकाएँ कुछ बुज़ुर्ग लोगों के शरीर से ली गयी थीं, जिनमें से कुछ की उम्र 100 से भी ज़्यादा थी। इस खोज के प्रमुख खोजकर्ता ने कहा कि उनके काम से यह साफ देखा जा सकता है कि कोशिकाओं में फेरबदल करने से उनकी ‘उम्र बढ़ायी जा सकती है।’

क्या विज्ञान हमारी ज़िंदगी बढ़ा सकती है?

कई वैज्ञानिकों का मानना है कि बुढ़ापे को रोकने के लिए जो इलाज निकले हैं, उनसे इंसान की ज़िंदगी ज़्यादा नहीं बढ़ सकती। हालाँकि कि उन्‍नीसवीं सदी से लेकर आज तक के आँकड़े दिखाते हैं कि इंसान की आयु बढ़ती गयी है। लेकिन यह खासकर इस वजह से हुआ है क्योंकि आज लोग साफ-सफाई का ज़्यादा ध्यान रखने लगे हैं और दवाइयों और टीकों से अब कुछ संक्रामक और दूसरी तरह की बीमारियों को रोका जा सकता है। कुछ वैज्ञानिक यह मानते हैं कि अब इंसान की ज़िंदगी जितनी लंबी है, उसे और बढ़ाया नहीं जा सकता है।

करीब 3, 500 साल पहले शास्त्र में यह बात लिखी थी, “हमारी उम्र 70 साल की होती है, अगर किसी में ज़्यादा दमखम हो तो 80 साल की होती है पर ये साल भी दुख और मुसीबतों से भरे होते हैं, ये जल्दी बीत जाते हैं और हम गायब हो जाते हैं।” (भजन 90:10) इंसान की काफी कोशिशों के बावजूद हमारी ज़िंदगी बहुत लंबी नहीं हुई है, बल्कि यह वैसी ही है जैसा भजन की किताब में बताया गया है।

कुछ जीव-जंतु इंसानों के मुकाबले बहुत लंबी ज़िंदगी जीते हैं। जैसे कुछ कछुए 150 से भी ज़्यादा साल जीते हैं और सिकुआ पेड़ हज़ारों साल जीते हैं। इस बारे में सोचकर शायद हमारे मन में यह खयाल आए, ‘जब इनकी उम्र इतनी लंबी होती है, तो इंसान सिर्फ 70 या 80 साल क्यों जीता है?’