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हमें हमेशा तक जीने के लिए बनाया गया है

हमें हमेशा तक जीने के लिए बनाया गया है

हम सब यही चाहते हैं कि हम खुशहाल और लंबी ज़िंदगी जीएँ। सोचिए कि वह ज़िंदगी कैसी होगी जब हम कभी बीमार नहीं होंगे, सब खुशी से रहेंगे और हमेशा के लिए जीएँगे। हम अपने परिवार के साथ समय बिता पाएँगे, दुनिया की सैर कर पाएँगे, नए-नए हुनर और ऐसे बहुत-से काम सीख पाएँगे जो हमें पसंद हैं।

आखिर इंसान लंबी ज़िंदगी क्यों जीना चाहता है? शास्त्र बताता है कि ईश्‍वर ने इंसान के मन में हमेशा तक जीने की इच्छा डाली है। (सभोपदेशक 3:11) वहाँ यह भी लिखा है कि “परमेश्‍वर प्यार है।” (1 यूहन्‍ना 4:8) परमेश्‍वर हमसे प्यार करता है, इसलिए वह हमारे अंदर कभी ऐसी इच्छा नहीं डालेगा जो पूरी न हो सके।

देखा जाए तो हममें से कोई भी मरना नहीं चाहता। दरअसल बाइबल बताती है कि मौत हमारा “दुश्‍मन” है। (1 कुरिंथियों 15:26) कुछ लोग कम उम्र में मौत के शिकार हो जाते हैं, तो कुछ लंबी उम्र जीकर मर जाते हैं। लेकिन सच तो यह है कि हम सबको एक-न-एक-दिन मौत का सामना करना होगा। बहुत-से लोगों को मौत के खयाल से ही डर लगने लगता है। क्या कभी ऐसा वक्‍त आएगा जब मौत रहेगी ही नहीं? क्या यह मुमकिन है?

हमेशा की ज़िंदगी की आशा

शायद कुछ लोग यह जानकर हैरान हों कि ईश्‍वर ने यह कभी नहीं चाहा था कि इंसान की मौत हो। बाइबल में हमें इस बात का सबूत मिलता है कि परमेश्‍वर ने इंसानों को धरती पर हमेशा तक जीने के लिए बनाया था। यहोवा * परमेश्‍वर ने इस बात का खयाल रखा कि धरती पर हर वह चीज़ हो जिससे इंसान खुशहाल ज़िंदगी जी सके। इसके बाद उसने पहले इंसान आदम को बनाया और उसे एक खूबसूरत बाग में रखा जिसे अदन का बाग कहा गया। फिर “परमेश्‍वर ने वह सब देखा जो उसने बनाया था। वाह! सबकुछ बहुत बढ़िया था।”—उत्पत्ति 1:26, 31.

आदम को परमेश्‍वर की छवि में बनाया गया था और वह परिपूर्ण था। (व्यवस्थाविवरण 32:4) आदम की पत्नी हव्वा भी तन-मन से परिपूर्ण थी, उसमें कोई खामी नहीं थी। आदम और हव्वा को बनाने के बाद परमेश्‍वर ने उनसे कहा, “फूलो-फलो और गिनती में बढ़ जाओ, धरती को आबाद करो और इस पर अधिकार रखो। समुंदर की मछलियों, आसमान में उड़नेवाले जीवों और ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले सब जीव-जंतुओं पर अधिकार रखो।”—उत्पत्ति 1:28.

धरती को आबाद करने में आदम और हव्वा को वक्‍त लगता। आदम-हव्वा के बच्चे होते, फिर उनके बच्चों के बच्चे होते। आखिर में यह धरती इंसानों से पूरी तरह भर जाती, ठीक जैसे परमेश्‍वर ने चाहा था। (यशायाह 45:18) अगर आदम और हव्वा सिर्फ कुछ ही साल जीते, तो क्या परमेश्‍वर अपना यह मकसद पूरा कर पाता? उन सालों के दौरान उन्हें सिर्फ अपने बच्चों और शायद कुछ नाती-पोतों का सुख मिलता। वे नहीं जान पाते कि आगे चलकर ज़िंदगी कैसी होगी।

आदम और हव्वा को जानवरों पर भी अधिकार रखना था। आदम को यह ज़िम्मेदारी मिली थी कि वह जानवरों का नाम रखे और इसमें भी वक्‍त लगता। (उत्पत्ति 2:19) वह इसलिए कि उसे पहले उनके बारे में जानना था और समझना था कि उनकी कैसे देखभाल करनी है। इसके लिए बहुत समय चाहिए था।

परमेश्‍वर ने पहले जोड़े को धरती को आबाद करने और जानवरों पर अधिकार रखने का जो काम सौंपा था, उससे पता चलता है कि उसने उन्हें लंबे समय तक जीने के लिए बनाया था। और आदम वाकई बहुत साल जीया।

परमेश्‍वर चाहता है कि इंसान एक खूबसूरत धरती पर हमेशा के लिए जीए

उन्होंने लंबी ज़िंदगी जी

आदम, 930 साल

मतूशेलह, 969 साल

नूह, 950 साल

आज, 70-80 साल

बाइबल बताती है कि पुराने ज़माने में लोगों की उम्र बहुत लंबी होती थी। जैसे एक जगह लिखा है, “आदम कुल मिलाकर 930 साल जीया।” बाइबल में छ: और आदमियों का ज़िक्र है जिनकी उम्र 900 से ज़्यादा थी। वे थे शेत, एनोश, केनान, येरेद, मतूशेलह और नूह। ये सब लोग नूह के ज़माने में हुए जलप्रलय से पहले जीए थे। जब जलप्रलय आया, तब नूह 600 साल का था। (उत्पत्ति 5:5-27; 7:6; 9:29) उनकी लंबी उम्र की वजह क्या थी?

ये लोग जब पैदा हुए थे, उस वक्‍त आदम और हव्वा को मरे ज़्यादा समय नहीं हुआ था, जो पहले परिपूर्ण थे। शायद इसी वजह से ये लोग इतनी लंबी ज़िंदगी जीए। लेकिन परिपूर्ण होने और लंबी ज़िंदगी के बीच क्या नाता है? मौत को किस तरह मिटाया जाएगा? इनका जवाब जानने के लिए हमें यह समझना होगा कि हम क्यों बूढ़े होकर मर जाते हैं?

^ पैरा. 6 बाइबल के मुताबिक परमेश्‍वर का नाम यहोवा है।