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सच बोलिए

सच बोलिए

“एक-दूसरे से सच बोलना।”​—जक. 8:16.

गीत: 34, 18

1, 2. शैतान ने इंसानों को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचाने के लिए क्या किया?

कुछ आविष्कारों की वजह से लोगों की ज़िंदगी काफी आसान हो गयी है, जैसे, टेलीफोन, बल्ब, कार और फ्रिज। मगर कुछ ऐसे भी आविष्कार हैं, जिनकी वजह से लोगों की जान का खतरा बढ़ गया है, जैसे, बंदूक, बारूदी सुरंग, सिगरेट और परमाणु बम। लेकिन कुछ और भी है, जो इन सबसे पुराना और खतरनाक है। वह है, झूठ। झूठ का मतलब है, ऐसी बात जो सच नहीं होती और जो किसी को धोखा देने या फँसाने के इरादे से कही जाती है। सबसे पहला झूठ शैतान ने बोला था। उसके बारे में यीशु मसीह ने कहा कि वह “झूठ का पिता” है। (यूहन्‍ना 8:44 पढ़िए।) शैतान ने सबसे पहला झूठ कब बोला?

2 उसने यह झूठ हज़ारों साल पहले अदन के बाग में बोला था। उस वक्‍त आदम और हव्वा उस खूबसूरत फिरदौस में, जिसे यहोवा ने बनाया था, जीवन का आनंद ले रहे थे। यहोवा ने उनसे कहा था कि अगर वे ‘अच्छे-बुरे के ज्ञान के पेड़’ का फल खाएँगे, तो वे मर जाएँगे। शैतान यह बात जानता था, फिर भी उसने एक साँप के ज़रिए हव्वा से कहा, “तुम हरगिज़ नहीं मरोगे।” यह दुनिया का सबसे पहला झूठ था! शैतान ने यह भी कहा, “परमेश्‍वर जानता है कि जिस दिन तुम उस पेड़ का फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, तुम परमेश्‍वर के जैसे हो जाओगे और खुद जान लोगे कि अच्छा क्या है और बुरा क्या।”​—उत्प. 2:15-17; 3:1-5.

3. (क) यह क्यों कहा जा सकता है कि शैतान का झूठ खतरनाक था? (ख) शैतान के झूठ का अंजाम क्या हुआ?

3 शैतान का झूठ बहुत खतरनाक था, क्योंकि वह जानता था कि अगर हव्वा उस पर विश्‍वास करे और फल खा ले, तो वह मर जाएगी। ठीक वैसा ही हुआ। हव्वा ने और बाद में आदम ने भी यहोवा की आज्ञा तोड़ी और आखिरकार वे मर गए। (उत्प. 3:6; 5:5) इससे भी ज़्यादा नुकसान यह हुआ कि आदम के पाप करने की वजह से “मौत सब इंसानों में फैल गयी।” दरअसल “मौत ने . . . राजा बनकर राज किया, उन पर भी जिन्होंने आदम की तरह कानून तोड़कर पाप नहीं किया था।” (रोमि. 5:12, 14) इस वजह से हम सब अपरिपूर्ण हैं और हमेशा नहीं जी पाते, जबकि परमेश्‍वर चाहता था कि हम हमेशा जीएँ। आज हम कुछ “70 साल” जीते हैं, “अगर किसी में ज़्यादा दमखम हो तो [वह] 80 साल” जीता है। लेकिन “ये साल भी दुख और मुसीबतों से भरे होते हैं।” (भज. 90:10) यह सबकुछ शैतान के एक झूठ की वजह से हुआ!

4. (क) हम किन सवालों के जवाब जानेंगे? (ख) भजन 15:1, 2 के मुताबिक कौन यहोवा का दोस्त बन सकता है?

4 यीशु ने शैतान के बारे में कहा था कि वह “सच्चाई में टिका नहीं रहा, क्योंकि सच्चाई उसमें है ही नहीं।” शैतान बदला नहीं है। वह आज भी अपने झूठ से “सारे जगत को गुमराह करता है।” (प्रका. 12:9) मगर हम शैतान के बहकावे में नहीं आना चाहते। इस वजह से आइए हम तीन सवालों के जवाब जानें। पहला, आज शैतान लोगों को किस तरह गुमराह करता है? दूसरा, लोग झूठ क्यों बोलते हैं? तीसरा, हम हमेशा सच कैसे बोल सकते हैं, ताकि आदम और हव्वा की तरह यहोवा के साथ हमारी दोस्ती न टूटे?​—भजन 15:1, 2 पढ़िए।

शैतान लोगों को किस तरह गुमराह करता है?

5. आज शैतान इंसानों को गुमराह कैसे कर रहा है?

5 हम शैतान के झाँसे में आने से बच सकते हैं। प्रेषित पौलुस ने कहा, “हम उसके इरादों से अनजान नहीं।” (2 कुरिं. 2:11; फु.) हम जानते हैं कि शैतान का पूरी दुनिया पर काबू है। (1 यूह. 5:19) झूठे धर्म, भ्रष्ट सरकारें और लालची व्यापार जगत, सब उसकी मुट्ठी में हैं। इस वजह से यह कोई हैरानी की बात नहीं कि शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूत समाज के इज़्ज़तदार और ताकतवर लोगों को ‘झूठी बातें’ कहने के लिए बहकाते हैं। (1 तीमु. 4:1, 2) उदाहरण के लिए, कुछ व्यापारी अपने विज्ञापनों में झूठ बोलते हैं, ताकि वे हानिकारक चीज़ें बेच सकें या लोगों को लूट सकें।

6, 7. (क) झूठ बोलने के मामले में धर्म गुरु सबसे ज़्यादा दोषी क्यों हैं? (ख) आपने धर्म गुरुओं को कौन-सी झूठी शिक्षाएँ सिखाते सुना है?

6 झूठ बोलने के मामले में सबसे ज़्यादा दोषी धर्म गुरु हैं। उनकी झूठी शिक्षाओं पर यकीन करके लोग ऐसे काम करने लगते हैं, जिनसे परमेश्‍वर नफरत करता है। इस वजह से वे हमेशा जीने का मौका गँवा देते हैं। (होशे 4:9) यीशु जानता था कि उसके ज़माने के धर्म गुरु लोगों को धोखा देते हैं। उसने निडर होकर उनसे कहा, “अरे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, धिक्कार है तुम पर! क्योंकि तुम एक आदमी को अपने पंथ में लाने के लिए पूरी धरती पर फिरते हो और समुंदर तक पार कर जाते हो। और जब वह तुम्हारे पंथ में आ जाता है, तो तुम उसे . . . गेहन्‍ना [यानी हमेशा के नाश] के लायक बना देते हो।” (मत्ती 23:15) यीशु ने कहा था कि ये झूठे धर्म गुरु अपने पिता शैतान की तरह हैं, जो “हत्यारा” है।​—यूह. 8:44.

7 आज हमारे समय में भी बहुत-से धर्म गुरु हैं। लोग इन्हें पादरी, रब्बी, पुजारी, स्वामी या अलग-अलग तरीकों से बुलाते हैं। पहली सदी के धर्म गुरुओं की तरह वे परमेश्‍वर के वचन से सच्चाई नहीं सिखाते। वे “परमेश्‍वर की सच्चाई के बदले झूठ” सिखाते हैं, जैसे, नरक की शिक्षा, अमर आत्मा, पुनर्जन्म। (रोमि. 1:18, 25) वे यह भी सिखाते हैं कि समलैंगिक जीवन बिताना या समलैंगिक विवाह करना ईश्‍वर की नज़र में गलत नहीं है।

8. राजनेता बहुत जल्द कौन-सा झूठ बोलेंगे, लेकिन उस वक्‍त हमारा रवैया कैसा होना चाहिए?

8 राजनेता भी झूठ बोलकर लोगों को धोखा देते हैं। बहुत जल्द वे सबसे बड़ा झूठ बोलेंगे, वह यह कि वे दुनिया में “शांति और सुरक्षा” लाने में कामयाब हुए हैं। मगर “उसी वक्‍त अचानक उन पर विनाश आ पड़ेगा।” इस वजह से हमें इन राजनेताओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए, जो कहते हैं कि दुनिया के हालात बेहतर हो रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि दुनिया का अंत बहुत करीब है। हम जानते हैं कि “यहोवा का दिन ठीक वैसे ही आ रहा है जैसे रात को चोर आता है।”​—1 थिस्स. 5:1-4.

लोग झूठ क्यों बोलते हैं?

9, 10. (क) लोग झूठ क्यों बोलते हैं और उसके अंजाम क्या होते हैं? (ख) हमें यहोवा के बारे में कौन-सी बात याद रखनी चाहिए?

9 आज सिर्फ इज़्ज़तदार और ताकतवर लोग ही नहीं, बल्कि आम लोग भी झूठ बोलते हैं। वाई. भट्टाचार्जी ने एक लेख लिखा, जिसका विषय है, “हम झूठ क्यों बोलते हैं।” इसमें उसने बताया, “देखा गया है कि झूठ बोलना लोगों की रग-रग में समा गया है।” दूसरे शब्दों में कहें तो लोगों को लगता है कि झूठ बोलना स्वाभाविक है और इसमें कुछ गलत नहीं है। अकसर लोग खुद को बचाने के लिए या अपनी गलतियाँ या फिर अपने अपराध छिपाने के लिए झूठ बोलते हैं। वे पैसा कमाने या किसी-न-किसी तरह खुद को फायदा पहुँचाने के लिए भी झूठ बोलते हैं। उस लेख में यह भी लिखा है कि कुछ लोग बड़ी आसानी से “अजनबियों, साथ काम करनेवालों, दोस्तों और परिवारवालों से” झूठ बोल लेते हैं।

10 जब लोग इस तरह झूठ बोलते रहते हैं, तो इसका अंजाम क्या होता है? लोग एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते और रिश्‍ते टूट जाते हैं। ज़रा सोचिए, जब एक व्यक्‍ति को पता चलता है कि उसके जीवन-साथी का किसी और के साथ संबंध है और वह उसे छिपाने के लिए उससे झूठ बोलता आया है, तो उसे कैसा लगेगा। एक और हालात के बारे में सोचिए। अगर एक आदमी घर पर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बुरा व्यवहार करे, मगर दूसरों के सामने यह दिखाए कि उसे अपने परिवार से बहुत प्यार है और उनकी बहुत परवाह करता है, तो उसके परिवारवालों को कैसा लगेगा। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि इस तरह झूठ बोलकर लोग दूसरों को तो धोखा दे सकते हैं, मगर यहोवा को नहीं। बाइबल कहती है, “उसकी आँखों के सामने सारी चीज़ें खुली और बेपरदा हैं।”​—इब्रा. 4:13.

11. हनन्याह और सफीरा की बुरी मिसाल से हम क्या सीखते हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

11 बाइबल में एक ऐसे मसीही पति-पत्नी के बारे में बताया गया है, जिन्होंने शैतान के बहकावे में आकर परमेश्‍वर से झूठ बोला। वे मसीही पति-पत्नी थे, हनन्याह और सफीरा। उन्होंने प्रेषितों को धोखा देने की कोशिश की। उन्होंने अपनी कुछ ज़मीन-जायदाद बेची और रकम का कुछ ही हिस्सा प्रेषितों को दिया। लेकिन उन्होंने प्रेषितों से कहा कि वे अपनी सारी रकम दे रहे हैं। ऐसा करके वे भाई-बहनों की नज़रों में छाना चाहते थे। मगर यहोवा को पता था कि वे झूठ बोल रहे हैं, इसलिए उसने उन्हें सज़ा दी।​—प्रेषि. 5:1-10.

12. नुकसान पहुँचाने के इरादे से झूठ बोलनेवालों का अंजाम क्या होगा और क्यों?

12 झूठ बोलनेवालों के बारे में यहोवा को कैसा लगता है? यहोवा की नज़र में झूठ बोलनेवाले उतने ही बुरे हैं, जितने वे लोग “जिनके काम परमेश्‍वर की नज़र में घिनौने हैं।” (प्रका. 22:15) इस वजह से बाइबल कहती है कि जो लोग दूसरों को नुकसान पहुँचाने के इरादे से झूठ बोलते हैं और कोई पछतावा नहीं करते, वे ‘आग की झील’ में फेंक दिए जाएँगे, जैसे शैतान को फेंका जाएगा। कहने का मतलब है कि उनका हमेशा के लिए नाश हो जाएगा।​—प्रका. 20:10; 21:8; भज. 5:6.

13. (क) हम यहोवा के बारे में क्या जानते हैं? (ख) यहोवा की मिसाल से हमें क्या करने का बढ़ावा मिलता है?

13 हम जानते हैं कि यहोवा “कोई अदना इंसान नहीं कि वह झूठ बोले।” (गिन. 23:19) उसका “झूठ बोलना नामुमकिन है।” (इब्रा. 6:18) ‘यहोवा झूठ बोलनेवाली जीभ से नफरत करता है।’ (नीति. 6:16, 17) अगर हम उसे खुश करना चाहते हैं, तो हमें सच बोलना चाहिए। इस वजह से हम ‘एक-दूसरे से झूठ नहीं’ बोलते।​—कुलु. 3:9.

हम ‘सच बोलते हैं’

14. (क) क्या बात सच्चे मसीहियों को झूठे धर्म के लोगों से अलग करती है? (ख) लूका 6:45 में दिया सिद्धांत समझाइए।

14 सच्चे मसीही कई तरीकों से झूठे धर्म के लोगों से अलग हैं। एक है कि हम ‘सच बोलते हैं।’ (जकरयाह 8:16, 17 पढ़िए।) पौलुस ने कहा, ‘हम सच्ची बातें बोलकर परमेश्‍वर के सेवक होने का सबूत देते हैं।’ (2 कुरिं. 6:4, 7) यीशु ने कहा था कि लोगों के ‘दिल में जो भरा है, वही उनके मुँह पर आता है।’ (लूका 6:45) इसका मतलब है कि अगर एक व्यक्‍ति ईमानदार है, तो वह सच बोलेगा। वह अजनबियों, साथ काम करनेवालों, दोस्तों और परिवारवालों से सच बोलेगा। आइए कुछ मामलों पर ध्यान दें, जिनमें हम दिखा सकते हैं कि हम हर बात में ईमानदार हैं।

क्या आप इस बहन की ज़िंदगी में कुछ समस्या देख सकते हैं? (पैराग्राफ 15, 16 देखिए)

15. (क) दोहरी ज़िंदगी जीना बुरी बात क्यों है? (ख) दोस्तों के दबाव में न आने के लिए नौजवानों को मदद कहाँ से मिल सकती है? (फुटनोट देखिए।)

15 कोई भी नौजवान नहीं चाहता कि वह अपने दोस्तों से अलग नज़र आए। इस वजह से कुछ नौजवान दोहरी ज़िंदगी जीने लगते हैं। अपने परिवार और मंडली के साथ होने पर वे नैतिक रूप से शुद्ध होने का ढोंग करते हैं। लेकिन सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते वक्‍त या दुनियावालों के साथ होने पर वे बहुत ही अलग होते हैं। शायद वे गंदी भाषा बोलें, बेढंगे कपड़े पहनें, ऐसे गाने सुनें जिनके बोल गंदे हैं, शराब पीकर नशे में धुत्त हो जाएँ, ड्रग्स लें, चोरी-छिपे डेटिंग करें या फिर कुछ और बुरे काम करें। इस तरह वे अपने माता-पिता से, मंडली के भाई-बहनों से और यहोवा से झूठ बोल रहे होते हैं। (भज. 26:4, 5) लेकिन यहोवा सब जानता है, तब भी जब हम सिर्फ ‘अपने होठों से उसका आदर कर रहे होते हैं, लेकिन हमारा दिल उससे कोसों दूर होता है।’ (मर. 7:6) इस वजह से अच्छा होगा कि हम नीतिवचन 23:17 में लिखी बात के मुताबिक चलें, जहाँ लिखा है, “तेरा दिल पापियों से ईर्ष्या न करे, बल्कि हर वक्‍त यहोवा का डर माने।” *

16. पूरे समय की सेवा की अर्ज़ी भरते वक्‍त हमें क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?

16 अगर आप एक पायनियर बनना चाहते हैं या पूरे समय की सेवा करना चाहते हैं, जैसे बेथेल सेवा, तो इसके लिए आपको एक अर्ज़ी भरनी पड़ेगी। अर्ज़ी भरते वक्‍त यह ज़रूरी है कि आप अपनी सेहत, अपने मनोरंजन और अपने नैतिक स्तरों के बारे में जो सवाल दिए गए हैं, उनके जवाब ईमानदारी से लिखें। (इब्रा. 13:18) लेकिन अगर आपने ऐसा कुछ किया है, जिससे यहोवा नफरत करता है या आपका ज़मीर आपको परेशान कर रहा है और आपने इस बारे में प्राचीनों से कोई बात नहीं की है, तो आप क्या करेंगे? प्राचीनों से मदद माँगिए, ताकि आप एक साफ ज़मीर के साथ यहोवा की सेवा कर सकें।​—रोमि. 9:1; गला. 6:1.

17. अगर हम पर ज़ुल्म ढानेवाले हमसे भाइयों के बारे में पूछताछ करें, तो हमें क्या करना चाहिए?

17 मान लीजिए कि आपके देश में यहोवा के साक्षियों के काम पर रोक लगा दी गयी है। अधिकारी आपको गिरफ्तार करके आपसे भाइयों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। तब आप क्या करेंगे? क्या आपको वह सब बता देना चाहिए, जो कुछ आप जानते हैं? जब एक रोमी अधिकारी ने यीशु से सवाल किया, तो उसने क्या किया? बाइबल में एक सिद्धांत है, “हर चीज़ का एक समय होता है,” कभी “चुप रहने का समय,” तो कभी “बोलने का समय।” यीशु इस सिद्धांत के मुताबिक कभी-कभी चुप रहा। (सभो. 3:1, 7; मत्ती 27:11-14) अगर हम यीशु के जैसे हालात में पड़ जाएँ, तो हमें बुद्धिमानी और सावधानी से काम लेना चाहिए, ताकि हम अपने भाइयों को खतरे में न डालें।​—नीति. 10:19; 11:12.

आप कैसे तय करेंगे कि कब चुप रहना है और कब सबकुछ सच-सच बता देना है? (पैराग्राफ 17, 18 देखिए)

18. अगर प्राचीन हमसे किसी मसीही के बारे में सवाल करें, तो हमारी क्या ज़िम्मेदारी बनती है?

18 अगर एक मसीही कोई बड़ा पाप कर बैठे और आपको उस बारे में पता हो, तो आप क्या करेंगे? हो सकता है कि प्राचीन इस बारे में आपसे सवाल करें, क्योंकि उन्हें मंडली को नैतिक तौर पर शुद्ध रखने की ज़िम्मेदारी दी गयी है। अगर वह मसीही आपका अच्छा दोस्त या आपका रिश्‍तेदार है, तो आप क्या करेंगे? बाइबल कहती है, “विश्‍वासयोग्य गवाह सच बोलता है।” (नीति. 12:17; 21:28) इस कारण आपकी ज़िम्मेदारी बनती है कि आप बिना कुछ छिपाए प्राचीनों को सबकुछ सच-सच बताएँ। प्राचीनों को सच जानने का अधिकार है, तभी वे उस भाई या बहन की यहोवा के साथ रिश्‍ता ठीक करने में अच्छी तरह मदद कर पाएँगे।​—याकू. 5:14, 15.

19. अगले लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

19 दाविद ने यहोवा से प्रार्थना करते वक्‍त कहा, “तू ऐसे इंसान से खुश होता है जो दिल का सच्चा है।” (भज. 51:6) सच बोलने के लिए दिल का सच्चा होना बहुत मायने रखता है, यह बात दाविद जानता था। सच्चे मसीही हर वक्‍त ‘एक-दूसरे से सच बोलते हैं।’ इसके अलावा वे लोगों को बाइबल से सच सिखाते हैं। यह एक और तरीका है, जिससे वे झूठे धर्म के लोगों से अलग ठहरते हैं। अगले लेख में हम चर्चा करेंगे कि हम अपनी प्रचार सेवा के दौरान लोगों को बाइबल से सच कैसे सिखा सकते हैं।

^ पैरा. 15 10 सवाल जो नौजवान पूछते हैं नाम के ब्रोशर में “सवाल 6: अगर दोस्त गलत काम करने के लिए कहें तो क्या करूँ?” और क्वेश्‍चन्स यंग पीपल आस्क​—आंसर्स दैट वर्क, वॉल्यूम 2 किताब का अध्याय 16, “अ डबल लाइफ​—हू हैस टू नो?” देखिए।