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अध्ययन लेख 41

“महा-संकट” के दौरान वफादार रहिए

“महा-संकट” के दौरान वफादार रहिए

“यहोवा के सभी वफादार लोगो, उससे प्यार करो! यहोवा विश्‍वासयोग्य लोगों की हिफाज़त करता है।”—भज. 31:23.

गीत 129 हम धीरज धरेंगे

लेख की एक झलक *

1-2. (क) बहुत जल्द दुनिया के नेता क्या ऐलान करेंगे? (ख) हमें किन ज़रूरी सवालों के जवाब मिलेंगे?

कल्पना कीजिए कि दुनिया के नेताओं ने अभी-अभी “शांति और सुरक्षा” का ऐलान किया है। वे पूरे दावे के साथ कहते हैं कि अब से हर कोई सुरक्षित होगा और सुकून की ज़िंदगी जीएगा। वे लोगों को यकीन दिलाना चाहते हैं कि उन्होंने दुनिया की सारी समस्याओं का हल कर दिया है। लेकिन इसके बाद जो घटना घटेगी, उस पर उनका कोई बस नहीं चलेगा। वह इसलिए कि बाइबल बताती है, “उसी वक्‍त अचानक उन पर विनाश आ पड़ेगा, . . . और वे किसी भी हाल में नहीं बच पाएँगे।”—1 थिस्स. 5:3.

2 लेकिन सवाल है कि “महा-संकट” के दौरान क्या होगा? उस समय यहोवा हमसे क्या करने की उम्मीद रखता है? हम अभी से क्या तैयारी कर सकते हैं, ताकि महा-संकट के दौरान यहोवा के वफादार रह सकें? इस लेख में हमें इन ज़रूरी सवालों के जवाब मिलेंगे।—मत्ती 24:21.

“महा-संकट” के दौरान क्या होगा?

3. प्रकाशितवाक्य 17:5, 15-18 के मुताबिक परमेश्‍वर किस तरह “महानगरी बैबिलोन” को तबाह करेगा?

3 प्रकाशितवाक्य 17:5, 15-18 पढ़िए। “महानगरी बैबिलोन” को तबाह किया जाएगा! जैसे हमने पिछले पैराग्राफ में पढ़ा, दुनिया के नेताओं का इस घटना पर कोई बस नहीं चलेगा। वह इसलिए कि ‘परमेश्‍वर उनके दिल में यह बात डालेगा कि वे उसकी सोच  पूरी करें।’ परमेश्‍वर की सोच क्या है? यही कि ईसाईजगत  * और बाकी सभी झूठे धर्मों का नाश किया जाए। परमेश्‍वर यह किस तरह करेगा? वह “सुर्ख लाल रंग के एक जंगली जानवर” के ‘दस सींगों’ के मन में अपनी बात डालेगा। दस सींग उन सभी राजनैतिक शक्‍तियों को दर्शाते हैं, जो उस “जंगली जानवर” यानी संयुक्‍त राष्ट्र का साथ देती हैं। (प्रका. 17:3, 11-13; 18:8) जब राजनैतिक शक्‍तियाँ झूठे धर्मों पर हमला करेंगी, उसी घड़ी महा-संकट शुरू हो जाएगा। यह घटना पूरी दुनिया को हिलाकर रख देगी!

4. (क) दुनिया के नेता झूठे धर्मों पर हमला करने की शायद क्या वजह दें? (ख) इन धर्मों के माननेवाले शायद क्या करें?

4 हम नहीं जानते कि दुनिया के नेता महानगरी बैबिलोन पर हमला करने की क्या वजह देंगे। हो सकता है, वे कहें कि धर्मों की वजह से दुनिया में शांति नहीं थी या धर्मों ने हमेशा से राजनीति में दखल दिया है। या फिर वे शायद कहें कि इन धार्मिक संगठनों ने बेशुमार दौलत और संपत्ति बटोर ली है, इस वजह से उनके खिलाफ कदम उठाना ज़रूरी है। (प्रका. 18:3, 7) ऐसा मालूम होता है कि दुनिया के नेता, झूठे धर्म के माननेवालों  का नहीं, बल्कि धर्मों  का नाश करेंगे। इसके बाद उन धर्मों के माननेवालों को एहसास हो जाएगा कि धार्मिक अगुवे उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और वे उन धर्मों से नाता नहीं रखेंगे।

5. यहोवा ने महा-संकट के बारे में क्या वादा किया है और क्यों?

5 बाइबल यह नहीं बताती कि महानगरी बैबिलोन के नाश होने में ठीक कितना वक्‍त लगेगा, लेकिन इतना ज़रूर बताती है कि यह बड़ी तेज़ी से होगा। (प्रका. 18:10, 21) यहोवा ने वादा किया है कि महा-संकट के ‘दिन घटाए जाएँगे,’ ताकि उसके “चुने हुओं” का नाश न हो और सच्चा धर्म मिट न जाए। (मर. 13:19, 20) लेकिन जब महा-संकट शुरू होगा, उस वक्‍त से लेकर हर-मगिदोन की लड़ाई तक यहोवा हमसे क्या करने की उम्मीद रखता है?

यहोवा की शुद्ध उपासना करते रहिए

6. महानगरी बैबिलोन से अलग होने के लिए हमें और क्या करना होगा?

6 पिछले लेख में हमने देखा था, यहोवा चाहता है कि उसके सेवक महानगरी बैबिलोन से अलग हो जाएँ। लेकिन इसके लिए झूठे धर्मों से नाता तोड़ लेना काफी नहीं है। हमें यह भी ठान लेना चाहिए कि हम हर हाल में यहोवा की शुद्ध उपासना करेंगे। ऐसा करने के दो तरीकों पर गौर कीजिए।

मुश्‍किल हालात में भी एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें (पैराग्राफ 7 देखें) *

7. (क) हम किस तरह यहोवा के ऊँचे नैतिक स्तरों पर चलते हैं? (ख) इब्रानियों 10:24, 25 में इकट्ठा होने की क्या वजह बतायी गयी है और ऐसा करना आज और भी ज़्यादा ज़रूरी क्यों है?

7 पहला तरीका है, हर हाल में यहोवा के ऊँचे नैतिक स्तरों पर चलना।  चालचलन के मामले में हम दुनिया के स्तर नहीं अपनाते। उदाहरण के लिए, हम हर किस्म के नाजायज़ यौन-संबंध को गलत मानते हैं, फिर चाहे वह दो समान लिंग के व्यक्‍तियों का आपस में शादी करना हो या किसी और तरीके से समलैंगिक जीवन बिताना। (मत्ती 19:4, 5; रोमि. 1:26, 27) दूसरा है, मसीही भाई-बहनों के साथ यहोवा की उपासना करते रहना।  हम सभाओं में इकट्ठा होना नहीं छोड़ते, फिर चाहे हम राज-घर में मिलते हों या हालात ऐसे हो जाएँ कि हमें भाई-बहनों के घरों पर या फिर चोरी-छिपे सभाओं के लिए मिलना हो। दरअसल ‘जैसे-जैसे हम यहोवा का दिन नज़दीक आता देख रहे हैं,’ सभाओं में इकट्ठा होना “और भी ज़्यादा” ज़रूरी है।—इब्रानियों 10:24, 25 पढ़िए।

8. भविष्य में हमारे संदेश में क्या फेरबदल होगा?

8 अब तक हम परमेश्‍वर के राज के बारे में खुशखबरी सुनाकर लोगों को चेला बनाते आए हैं। लेकिन महा-संकट के दौरान इस संदेश में फेरबदल होगा। उस वक्‍त हमें शायद लोगों को कड़ा संदेश सुनाना हो, जिसकी तुलना बाइबल में बड़े-बड़े ओलों से की गयी है। (प्रका. 16:21) हो सकता है, हम यह संदेश सुनाएँ कि शैतान की दुनिया का बहुत जल्द अंत होनेवाला है। लेकिन हम ठीक क्या संदेश सुनाएँगे और कैसे सुनाएँगे? क्या हम पिछले सौ सालों से जो तरीके आज़माते आए हैं, वही तरीके अपनाएँगे या दूसरे तरीके आज़माएँगे? यह तो वक्‍त आने पर ही पता चलेगा। हम चाहे जो भी तरीका अपनाएँ, हम निडर होकर यहोवा के न्याय का संदेश सुनाएँगे जो हमारे लिए किसी सम्मान से कम नहीं!—यहे. 2:3-5.

9. हमारा संदेश सुनकर राष्ट्र क्या करेंगे, लेकिन हमें किस बात का यकीन है?

9 हमारा संदेश सुनकर राष्ट्र ज़रूर भड़क उठेंगे और हमारा काम बंद करवाने की पूरी कोशिश करेंगे। आज जिस तरह हम प्रचार में यहोवा पर निर्भर रहते हैं, उस वक्‍त भी हमें यहोवा पर निर्भर रहना होगा। हमें पक्का यकीन है कि परमेश्‍वर हमें ताकत से भर देगा, ताकि हम उसकी मरज़ी पूरी कर सकें।—मीका 3:8.

परमेश्‍वर के लोगों पर होनेवाले हमले के लिए तैयार रहिए

10. जैसा कि लूका 21:25-28 में बताया गया है, महा-संकट के दौरान ज़्यादातर लोग कैसा महसूस करेंगे?

10 लूका 21:25-28 पढ़िए। लोग अब तक जिन-जिन चीज़ों पर भरोसा करते आए हैं, महा-संकट के दौरान वह सब मिट जाएँगी। यह देखकर उन्हें बड़ा झटका लगेगा। वे एकदम लाचार महसूस करेंगे, उन्हें ‘चिंताएँ’ आ घेरेंगी, यहाँ तक कि उन्हें अपनी जान गँवाने का भी डर रहेगा। (सप. 1:14, 15) महा-संकट के दौरान यहोवा के लोगों के लिए भी ज़िंदगी मुश्‍किल-भरी होगी। हम दुनिया के नहीं हैं, इसलिए हमें शायद कुछ तकलीफों और परेशानियों से गुज़रना पड़े। हो सकता है, हमारी हर दिन की ज़रूरतें भी पूरी न हों।

11. (क) राष्ट्रों का पूरा ध्यान यहोवा के साक्षियों पर क्यों होगा? (ख) हमें महा-संकट से डरने की ज़रूरत क्यों नहीं है?

11 महा-संकट के दौरान जिन लोगों का धर्म मिट जाएगा, वे यह देखकर गुस्से से भर जाएँगे कि यहोवा के साक्षी अब भी परमेश्‍वर की उपासना कर रहे हैं। वे अपनी यह नाराज़गी शायद सोशल मीडिया वगैरह पर खुलकर ज़ाहिर करेंगे। सभी राष्ट्र और उनका राजा शैतान हमसे नफरत करेंगे क्योंकि सिर्फ हमारा धर्म नाश नहीं हुआ होगा, जबकि इन राष्ट्रों का मकसद था कि धरती से सभी धर्मों का नामो-निशान मिट जाए। इस वजह से उनका पूरा ध्यान हम पर होगा। तब राष्ट्र मागोग देश के गोग की भूमिका निभाएँगे।  * वे एकजुट होकर यहोवा के लोगों पर हमला करेंगे, ताकि उन्हें पूरी तरह मिटा दें। (यहे. 38:2, 14-16) हो सकता है, इस हमले के बारे में सोचकर हम थोड़ा घबरा जाएँ, खासकर जब हमें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है। लेकिन हम एक बात का भरोसा रख सकते हैं। वह यह कि यहोवा हमारी हिफाज़त के लिए ज़रूरी निर्देश देगा, इसलिए हमें महा-संकट से डरने की ज़रूरत नहीं होगी। (भज. 34:19) हम “सिर उठाकर सीधे खड़े” होंगे, क्योंकि तब हमें एहसास होगा कि हमारे “छुटकारे का वक्‍त पास आ रहा” है।  *

12. “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” हमें आनेवाले समय के लिए कैसे तैयार कर रहा है?

12 “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” हमें अभी से तैयार कर रहा है, ताकि हम महा-संकट के दौरान यहोवा के वफादार रह सकें। (मत्ती 24:45) हमें तैयार करने का एक तरीका है, हमारे अधिवेशन। सन्‌ 2016 से 2018 के हमारे अधिवेशनों पर ध्यान दीजिए। इनमें बताया गया था कि यहोवा के दिन का सामना करने के लिए हमें किन गुणों की ज़रूरत है और उन्हें बढ़ाते रहने का प्रोत्साहन दिया गया। आइए थोड़ी देर के लिए उन गुणों पर चर्चा करें।

वफादारी, धीरज और हिम्मत बढ़ाते रहिए

“महा-संकट” से बचने के लिए अभी से तैयारी कीजिए (पैराग्राफ 13-16 देखें) *

13. यहोवा के वफादार रहने के लिए हमें क्या करना होगा और यह अभी से करना क्यों ज़रूरी है?

13 वफादारी:  सन्‌ 2016 के अधिवेशन का विषय था, “यहोवा के वफादार बने रहिए!” इस कार्यक्रम से हमने सीखा कि अगर यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होगा, तो हम उसके वफादार रहेंगे। हमें याद दिलाया गया कि सच्चे दिल से प्रार्थना करने और बाइबल का गहराई से अध्ययन करने से हम यहोवा के करीब आ सकते हैं। प्रार्थना और अध्ययन करने से हमें बड़ी-से-बड़ी समस्याओं का सामना करने की हिम्मत मिलेगी। जैसे-जैसे महा-संकट करीब आ रहा है, हमारे सामने शायद ऐसे और भी मुश्‍किल हालात उठें, जिनमें यहोवा और उसके राज के लिए हमारी वफादारी परखी जाए। हो सकता है, लोग बार-बार हमारी खिल्ली उड़ाएँ और इसकी एक वजह शायद यह हो कि हम हर मामले में निष्पक्ष रहते हैं। (2 पत. 3:3, 4) हमें अभी से वफादार रहने का अपना इरादा मज़बूत करना होगा, तभी हम महा-संकट के दौरान वफादार रह पाएँगे।

14. (क) धरती पर अगुवाई करनेवाले भाइयों को लेकर क्या बदलाव होनेवाला है? (ख) उस वक्‍त यहोवा के वफादार रहना क्यों ज़रूरी होगा?

14 महा-संकट शुरू होने के कुछ समय बाद अगुवाई करनेवाले भाइयों को लेकर एक बदलाव होगा। उस वक्‍त धरती पर बचे हुए सभी अभिषिक्‍त जनों को स्वर्ग में उठा लिया जाएगा, ताकि वे हर-मगिदोन की लड़ाई में हिस्सा ले सकें। (मत्ती 24:31; प्रका. 2:26, 27) इसका मतलब है कि शासी निकाय के भाई अगुवाई करने के लिए धरती पर मौजूद नहीं होंगे। फिर भी बड़ी भीड़ में कोई गड़बड़ी नहीं मचेगी। वह इसलिए कि दूसरी भेड़ों में से काबिल भाइयों को अगुवाई करने के लिए चुना जाएगा। उस वक्‍त हम कैसे दिखाएँगे कि हम यहोवा के वफादार हैं? अगुवाई करनेवाले भाइयों को सहयोग देकर और यहोवा से मिले निर्देश मानकर। ऐसा करने से ही हमारी जान बचेगी।

15. हम अपने अंदर धीरज का गुण कैसे बढ़ा सकते हैं और इसका क्या नतीजा होगा?

15 धीरज:  सन्‌ 2017 के अधिवेशन का विषय था, “हार मत मानो!” इस अधिवेशन में हमने सीखा कि हम कैसे बिना हार माने परीक्षाओं का सामना कर सकते हैं। हमने यह भी सीखा कि धीरज का गुण बढ़ाना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हमारे हालात सुधरेंगे या नहीं, बल्कि इस बात पर करता है कि हम यहोवा पर कितना भरोसा करते हैं। (रोमि. 12:12) हम यीशु का यह वादा कभी नहीं भूलना चाहते: “जो अंत तक धीरज धरेगा,  वही उद्धार पाएगा।” (मत्ती 24:13) यीशु की इस बात से हम सीखते हैं कि चाहे हम पर कैसी भी मुश्‍किलें आएँ, हमें यहोवा के वफादार रहना है। अगर आज हम हर आज़माइश का सामना धीरज से करें, तो महा-संकट के शुरू होने से पहले हममें मज़बूत विश्‍वास होगा।

16. (क) हम किस वजह से हिम्मतवाले बनते हैं? (ख) हिम्मत बढ़ाने के लिए हमें क्या करना होगा?

16 हिम्मत:  सन्‌ 2018 के अधिवेशन का विषय था, “हिम्मत से काम लो!” इस कार्यक्रम के ज़रिए हमें याद दिलाया गया कि हम अपनी काबिलीयतों की वजह से हिम्मतवाले नहीं बनते। जिस तरह यहोवा पर निर्भर रहने से हम धीरज धर सकते हैं, उसी तरह यहोवा पर भरोसा रखने से ही हम हिम्मतवाले बन सकते हैं। हम यह भरोसा कैसे बढ़ा सकते हैं? हर दिन परमेश्‍वर का वचन पढ़कर और इस बात पर मनन करके कि बीते समय में यहोवा ने अपने लोगों को किस तरह बचाया था। (भज. 68:20; 2 पत. 2:9) जब महा-संकट के दौरान राष्ट्र हम पर हमला करेंगे, तो हमें हिम्मत से काम लेना होगा और पहले से कहीं ज़्यादा यहोवा पर भरोसा रखना होगा। (भज. 112:7, 8; इब्रा. 13:6) अगर आज हम यहोवा पर निर्भर रहना सीखें, तो आनेवाले समय में हम गोग के हमले का हिम्मत से सामना कर पाएँगे। *

अपने छुटकारे की आस लगाइए

बहुत जल्द यीशु अपनी स्वर्गीय सेनाओं के साथ हर-मगिदोन का युद्ध करने आएगा और परमेश्‍वर के दुश्‍मनों का खात्मा कर देगा! (पैराग्राफ 17 देखें)

17. हर-मगिदोन के युद्ध से हमें डरने की ज़रूरत क्यों नहीं है? (बाहर दी तसवीर देखें।)

17 पिछले लेख में हमने देखा था कि हममें से कई लोगों ने अपनी पूरी ज़िंदगी आखिरी दिनों में काटी है। हमारे आगे यह भी मौका है कि हम महा-संकट से बच निकलें और उसके बाद भी जीते रहें। हर-मगिदोन की लड़ाई में शैतान की व्यवस्था का पूरी तरह खात्मा किया जाएगा। लेकिन हमें इस युद्ध से डरने की ज़रूरत नहीं है। वह क्यों? क्योंकि यह यहोवा की लड़ाई होगी, जो वह हमारी तरफ से लड़ेगा। (नीति. 1:33; यहे. 38:18-20; जक. 14:3) यहोवा का हुक्म मिलते ही यीशु मसीह स्वर्गीय सेनाओं के साथ युद्ध के लिए निकल पड़ेगा। इनमें स्वर्ग में जीवन पानेवाले अभिषिक्‍त जन और लाखों-करोड़ों स्वर्गदूत शामिल होंगे। वे एकजुट होकर शैतान, उसके दुष्ट दूतों और धरती पर उसका साथ देनेवालों से युद्ध करेंगे।—दानि. 12:1; प्रका. 6:2; 17:14.

18. (क) यहोवा ने क्या वादा किया है? (ख) प्रकाशितवाक्य 7:9, 13-17 से आपको भविष्य के बारे में क्या भरोसा मिलता है?

18 यहोवा ने हमसे यह वादा किया है: “तुम्हारे खिलाफ उठनेवाला कोई भी हथियार कामयाब नहीं होगा।” (यशा. 54:17) उसके वफादार सेवकों की “एक बड़ी भीड़” आनेवाले ‘महा-संकट से ज़िंदा निकलकर आएगी’ और यहोवा की सेवा करती रहेगी। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 13-17 पढ़िए।) वाकई, बाइबल से हमें कितना भरोसा मिलता है कि भविष्य में हमें बचाया जाएगा! हम जानते हैं कि “यहोवा विश्‍वासयोग्य लोगों की हिफाज़त करता है।” (भज. 31:23) जो यहोवा से प्यार करते हैं और उसकी तारीफ करते हैं, उन्हें उस दिन का इंतज़ार है, जब यहोवा अपने पवित्र नाम पर लगा कलंक मिटाएगा।—यहे. 38:23.

19. हम किस आशा को पूरा होते देखेंगे?

19 ज़रा उस वक्‍त की कल्पना कीजिए, जब दुनिया पर से शैतान का असर मिट चुका होगा। ऐसे में अगर 2 तीमुथियुस 3:2-5 में नयी दुनिया के लोगों के बारे में लिखा जाए, तो किस तरह वर्णन किया जाएगा? (“ उस वक्‍त लोग कैसे होंगे?” नाम का बक्स देखें।) शासी निकाय के सदस्य रह चुके भाई जॉर्ज गैंगस ने कहा था, “सोचिए वह दुनिया कैसी होगी जब हर कोई यहोवा की उपासना करेगा! बहुत जल्द आपको ऐसी ही दुनिया में जीने का मौका मिलेगा। आप तब तक जीएँगे जब तक यहोवा जीएगा! हम सबको हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी।” कितनी बढ़िया आशा! जल्द ही हम सब यह आशा पूरी होते देखेंगे।

गीत 122 अटल रहें!

^ पैरा. 5 बहुत जल्द धरती पर रहनेवाले सभी इंसानों पर “महा-संकट” आनेवाला है। उस वक्‍त हमारा क्या होगा? यहोवा हमसे क्या उम्मीद करता है? हमें अपने अंदर कौन-से गुण बढ़ाते रहना है, ताकि हम महा-संकट के दौरान यहोवा के वफादार रह सकें? इस लेख में इन सवालों के जवाब दिए जाएँगे।

^ पैरा. 3 इसका क्या मतलब है? ईसाईजगत  उन धर्मों को कहा जाता है जो मसीह की शिक्षाओं पर चलने का दावा तो करते हैं, मगर जो लोगों को यहोवा की उपासना करने और उसके स्तरों के मुताबिक चलने का बढ़ावा नहीं देते।

^ पैरा. 11 इसका क्या मतलब है? मागोग देश का गोग  (या गोग) राष्ट्रों का गठबंधन है। महा-संकट के दौरान ये राष्ट्र एकजुट होकर शुद्ध उपासना करनेवालों पर हमला करेंगे।

^ पैरा. 11 हर-मगिदोन की लड़ाई से पहले कौन-कौन-सी घटनाएँ होंगी, इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!  किताब का अध्याय 21 देखें। मागोग देश का गोग कैसे हमला करेगा और हर-मगिदोन के दौरान यहोवा अपने लोगों की किस तरह हिफाज़त करेगा, इस बारे में और जानने के लिए सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!  किताब के अध्याय 17 और 18 देखें।

^ पैरा. 16 सन्‌ 2019 के अधिवेशन का विषय है, “प्यार कभी नहीं मिटता!” इस कार्यक्रम से हमारा यकीन बढ़ेगा कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और हम उसकी पनाह में हमेशा सुरक्षित रहेंगे।—1 कुरिं. 13:8.

^ पैरा. 64 तसवीर के बारे में: महा-संकट के दौरान साक्षियों का एक छोटा-सा समूह हिम्मत से काम लेता है और सभा के लिए जंगल में इकट्ठा होता है।

^ पैरा. 66 तसवीर के बारे में: यहोवा के वफादार सेवकों की एक बड़ी भीड़ महा-संकट से ज़िंदा निकलकर आयी है और सब बहुत खुश हैं!