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अध्ययन लेख 42

यहोवा आपको जो चाहे बना सकता है!

यहोवा आपको जो चाहे बना सकता है!

“परमेश्‍वर . . . तुम्हें मज़बूत करता है और तुम्हारे अंदर इच्छा पैदा करता है और उसे पूरा करने की ताकत भी देता है।”—फिलि. 2:13.

गीत 104 परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का तोहफा

लेख की एक झलक *

1. अपना मकसद पूरा करने के लिए यहोवा क्या कर सकता है?

यहोवा अपना मकसद पूरा करने के लिए हालात के मुताबिक जो ज़रूरी है, वह बन सकता है। कभी वह शिक्षक बना, तो कभी दिलासा देनेवाला और कभी खुशखबरी सुनानेवाला। (यशा. 48:17; 2 कुरिं. 7:6; गला. 3:8) मगर कई बार वह इंसानों से भी अपना काम करवा सकता है। (मत्ती 24:14; 28:19, 20; 2 कुरिं. 1:3, 4) वह हममें से किसी को भी बुद्धि और ताकत दे सकता है, ताकि उसकी मरज़ी पूरी करने के लिए जो ज़रूरी है, वह हम बन जाएँ। देखा जाए तो यहोवा नाम का यही मतलब है: अपना मकसद पूरा करने के लिए वह जो चाहे बन सकता है और अपनी सृष्टि को भी जो चाहे बना सकता है। कई विद्वान भी यहोवा नाम का मतलब इसी तरह समझाते हैं।

2. (क) हमें कभी-कभी ऐसा क्यों लग सकता है कि हम यहोवा के काम नहीं आ रहे हैं? (ख) इस लेख में हम किस बारे में चर्चा करेंगे?

2 हम सब चाहते हैं कि हम यहोवा के काम आएँ। लेकिन अपनी उम्र या हालात की वजह से शायद कुछ लोगों को लगे कि वे यहोवा के किसी काम नहीं आ सकते। या शायद उन्हें लगे कि उनमें कोई खास हुनर नहीं जो यहोवा के काम आ सके। दूसरी तरफ, कुछ लोगों को लगता है कि वे यहोवा के लिए जितना कर रहे हैं, उतना काफी है और उन्हें इससे ज़्यादा करने की ज़रूरत महसूस नहीं होती। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि यहोवा अपना मकसद पूरा करने के लिए हममें से हरेक को किस तरह काबिल बनाता है। फिर हम बाइबल की कुछ घटनाओं पर गौर करेंगे कि कैसे यहोवा ने अपने सेवकों को उसकी मरज़ी पूरी करने की इच्छा और ताकत दी। इनमें से कुछ आदमी थे, तो कुछ औरतें। आखिर में हम देखेंगे कि हम ऐसा क्या कर सकते हैं, ताकि यहोवा हमसे अपना कोई काम करवा सके।

यहोवा हमें किस तरह काबिल बनाता है?

3. यहोवा हममें इच्छा  कैसे पैदा कर सकता है, जैसे फिलिप्पियों 2:13 में बताया गया है?

3 फिलिप्पियों 2:13 पढ़िए।  * यहोवा अपनी मरज़ी पूरी करने की हममें इच्छा  पैदा कर सकता है। वह यह कैसे करता है? शायद हमें पता चले कि किसी भाई या बहन को मदद चाहिए या मंडली में कोई काम किया जाना है। या फिर प्राचीन, शाखा दफ्तर का कोई खत पढ़ते हैं, जिसमें बताया गया है कि फलाँ जगह प्रचारकों की बहुत ज़रूरत है। ऐसे में शायद हम खुद से पूछें, ‘मैं अपनी तरफ से क्या कर सकता हूँ?’ या हो सकता है कि हमें कोई मुश्‍किल काम करने के लिए कहा गया हो और हमें चिंता हो रही है कि हम इसे अच्छी तरह कर पाएँगे या नहीं। या फिर बाइबल पढ़ते वक्‍त हम सोचें, ‘इसमें लिखी बातों से मैं दूसरों की मदद कैसे कर सकता हूँ?’ यहोवा हमसे कोई भी काम ज़बरदस्ती नहीं करवाता। लेकिन जब वह देखता है कि हम उसकी सेवा में ज़्यादा करने की सोच रहे हैं, तो वह हममें इच्छा पैदा करता है ताकि हमने जो सोचा है, उसे पूरा कर सकें।

4. यहोवा किन तरीकों से हमें ताकत  दे सकता है?

4 इच्छा पैदा करने के अलावा, यहोवा अपनी मरज़ी पूरी करने की हमें ताकत  भी दे सकता है। (यशा. 40:29) वह ऐसा कई तरीकों से करता है। वह अपनी पवित्र शक्‍ति देता है, जिससे हम अपना हुनर निखार पाते हैं और उसका काम पूरा कर पाते हैं। (निर्ग. 35:30-35) वह अपने संगठन के ज़रिए भी हमें काम करना सिखाता है। अगर कभी आपको यह चिंता सताए कि आप फलाँ काम या ज़िम्मेदारी कैसे पूरी कर पाएँगे, तो बेझिझक भाइयों से मदद माँगिए। यहोवा से भी मदद माँगिए। वह आपको ऐसी ‘ताकत देगा जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है।’ (2 कुरिं. 4:7; लूका 11:13) बाइबल में ऐसे कई आदमी-औरतों का ज़िक्र है, जिन्हें यहोवा ने अपनी मरज़ी पूरी करने की इच्छा और ताकत दी। आइए कुछ उदाहरणों पर गौर करें। ऐसा करते वक्‍त सोचिए कि कैसे यहोवा आपको भी उसकी मरज़ी पूरी करने के काबिल बना सकता है।

यहोवा ने कुछ आदमियों को किस काबिल बनाया?

5. (क) यहोवा ने कब मूसा को अपने लोगों का छुड़ानेवाला बनाया? (ख) इससे हम क्या सीखते हैं?

5 यहोवा ने इसराएलियों को गुलामी से आज़ाद करने के लिए मूसा को उनका छुड़ानेवाला बनाया। लेकिन यहोवा ने उसे कब इसके काबिल बनाया? क्या तब, जब मूसा को “मिस्रियों की हर तरह की शिक्षा दी गयी” थी और उसे लगा कि वह इसराएलियों को छुटकारा दिलाने के लिए तैयार है? नहीं। (प्रेषि. 7:22-25) यहोवा ने मूसा को इसराएलियों का छुड़ानेवाला तब बनाया, जब वह यहोवा की मदद से नम्र और दीन बन गया था। (प्रेषि. 7:30, 34-36) उसने मूसा को मिस्र के सबसे ताकतवर राजा से बात करने की हिम्मत दी। (निर्ग. 9:13-19) यहोवा ने जिस वक्‍त और जिस तरह मूसा से अपना काम करवाया, उससे हम क्या सीखते हैं? यहोवा उन लोगों से अपना काम करवाता है, जो उसके जैसे गुण बढ़ाते हैं और जो हिम्मत और ताकत के लिए उस पर निर्भर रहते हैं।—फिलि. 4:13.

6. (क) यहोवा ने दाविद की मदद करने के लिए किस तरह बरजिल्लै को काबिल बनाया? (ख) इस घटना से हम क्या सीख सकते हैं?

6 कई सदियों बाद, यहोवा ने बरजिल्लै को इस काबिल बनाया कि वह राजा दाविद की मदद करे। बात तब की है जब दाविद अपने बेटे अबशालोम से जान बचाकर भाग रहा था। दाविद और उसके लोग “भूखे-प्यासे और थके-माँदे” थे। बरजिल्लै और उसके साथी अपनी जान जोखिम में डालकर उनके लिए खाना और दूसरी चीज़ें लाए। बरजिल्लै ने यह नहीं सोचा, ‘अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ, भला मैं यहोवा के किस काम आऊँगा।’ इसके बजाय उसके पास जो कुछ था, उससे उसने ज़रूरत की घड़ी में यहोवा के सेवकों की मदद की। (2 शमू. 17:27-29) इस घटना से हम क्या सीख सकते हैं? चाहे हम बूढ़े हों या जवान, यहोवा हमारे ज़रिए मंडली के या फिर दूसरे देश के ज़रूरतमंद भाई-बहनों की मदद कर सकता है। (नीति. 3:27, 28; 19:17) अगर हम खुद जाकर उनकी मदद न कर पाएँ, तो हम पूरी दुनिया में होनेवाले काम के लिए दान कर सकते हैं। इस तरह जहाँ कहीं राहत काम के लिए पैसों की ज़रूरत हो, वहाँ हमारा दान काम आ सकता है।—2 कुरिं. 8:14, 15; 9:11.

7. (क) यहोवा ने शिमोन से क्या काम करवाया? (ख) इस घटना से हमारा हौसला कैसे बढ़ता है?

7 बुज़ुर्ग शिमोन यरूशलेम का रहनेवाला था और यहोवा का वफादार सेवक था। यहोवा ने उससे वादा किया था कि जब तक वह मसीहा को न देख ले, वह मौत का मुँह नहीं देखेगा। यहोवा के इस वादे से शिमोन को बहुत हिम्मत मिली होगी, क्योंकि वह सालों से मसीहा का इंतज़ार कर रहा था। यहोवा ने उसके विश्‍वास और धीरज का उसे इनाम दिया। एक दिन जब वह “पवित्र शक्‍ति से उभारे जाने पर” मंदिर में आया, तो उसने नन्हे यीशु को देखा। फिर यहोवा ने शिमोन के ज़रिए उस बच्चे के बारे में भविष्यवाणी करवायी, जो आगे चलकर मसीह बनता। (लूका 2:25-35) ऐसा मालूम होता है कि शिमोन यीशु को धरती पर अपनी सेवा शुरू करते नहीं देख पाया, फिर भी वह इस बात के लिए एहसानमंद था कि वह यहोवा के किसी काम आ सका। उसे सबसे बड़ी आशीष तो नयी दुनिया में मिलेगी, जब वह खुद अपनी आँखों से देखेगा कि कैसे यीशु के राज में धरती के सभी लोग आशीष पा रहे हैं। (उत्प. 22:18) आज यहोवा हमसे भी अलग-अलग तरह के काम करवाता है और हम इस सम्मान के लिए उसके बहुत एहसानमंद हैं।

8. बरनबास की तरह यहोवा आपको भी किस काबिल बना सकता है?

8 पहली सदी में यूसुफ नाम का एक दरियादिल आदमी था, जो खुद को यहोवा के हाथों सौंपने के लिए तैयार था। (प्रेषि. 4:36, 37) यूसुफ लोगों को अच्छे से दिलासा देता था, इसलिए प्रेषित उसे बरनबास नाम से बुलाते थे जिसका मतलब है, “दिलासे का बेटा।” उदाहरण के लिए, मसीहियों पर ज़ुल्म ढानेवाला शाऊल जब यीशु का चेला बना, तो कई भाई उसके साथ मेल-जोल रखने से डरते थे। उस वक्‍त बरनबास ने शाऊल को दिलासा दिया और उसकी मदद की। शाऊल इस बात के लिए उसका बहुत एहसानमंद रहा होगा। (प्रेषि. 9:21, 26-28) कुछ समय बाद यरूशलेम के प्राचीन उन भाइयों का हौसला बढ़ाना चाहते थे, जो दूर सीरिया के अंताकिया में रहते थे। इस काम के लिए उन्होंने बरनबास को भेजने का फैसला किया। उनका यह फैसला बिलकुल सही था। बाइबल बताती है कि बरनबास उन “सबका हौसला बढ़ाने लगा कि वे दिल के पक्के इरादे के साथ प्रभु के वफादार बने रहें।” (प्रेषि. 11:22-24) बरनबास की तरह यहोवा हमें भी “दिलासे का बेटा” बना सकता है। वह शायद हमारे ज़रिए मंडली के उन लोगों को दिलासा दे, जिनके अपनों की मौत हो गयी है। या फिर हो सकता है, वह हमें किसी बीमार या निराश मसीही को फोन करने और हौसला बढ़ानेवाले शब्द कहने के लिए उभारे। बरनबास ने खुद को यहोवा के हाथों सौंप दिया, ताकि वह उसके काम आ सके। क्या आप भी ऐसा करेंगे?—1 थिस्स. 5:14.

9. (क) यहोवा ने एक काबिल चरवाहा बनने में भाई वसीली की कैसे मदद की? (ख) इससे हम क्या सीखते हैं?

9 यहोवा ने एक काबिल चरवाहा बनने में वसीली नाम के एक भाई की मदद की। यह भाई 26 साल की उम्र में प्राचीन बना। उस वक्‍त उसे लगा कि उसके पास इतना तजुरबा नहीं कि वह भाई-बहनों के काम आ सके, खासकर उन भाई-बहनों के जो किसी मुश्‍किल दौर से गुज़र रहे हैं। मगर फिर उसे अनुभवी प्राचीनों और राज-सेवा स्कूल से बेहतरीन प्रशिक्षण मिला। उसने खुद भी बहुत मेहनत की। एक अच्छा प्राचीन बनने के लिए उसने छोटे-छोटे लक्ष्य रखे। जैसे-जैसे वह अपने लक्ष्य हासिल करता गया, उसका डर दूर होने लगा। अब वह कहता है, “जिन बातों के बारे में सोचकर मैं पहले डर जाता था, अब उन्हीं बातों से मुझे बहुत खुशी मिलती है। जब यहोवा कोई ऐसी आयत ढूँढ़ने में मेरी मदद करता है, जिससे मैं किसी भाई या बहन को दिलासा दे पाता हूँ, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।” भाइयो, अगर आप भी वसीली की तरह खुद को यहोवा के हाथों सौंप दें, तो वह आपको मंडली में और भी ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल बनाएगा।

यहोवा ने कुछ औरतों को किस काबिल बनाया?

10. (क) अबीगैल ने क्या किया? (ख) उसकी मिसाल से आप क्या सीखते हैं?

10 दाविद और उसके वफादार लोग राजा शाऊल से अपनी जान बचाकर भाग रहे थे। एक मौके पर दाविद के आदमियों ने नाबाल नाम के एक अमीर इसराएली से थोड़ा खाना माँगा। उन्हें लगा कि वे नाबाल से खाना माँग सकते हैं, क्योंकि उन्होंने वीराने में उसकी भेड़ों की रक्षा की थी। मगर नाबाल ने मदद करने से साफ इनकार कर दिया। दाविद को इतना गुस्सा आया कि उसने नाबाल और उसके घराने के सभी आदमियों को मार डालने की ठान ली। (1 शमू. 25:3-13, 22) लेकिन अबीगैल अपने पति नाबाल की तरह नहीं थी। वह खूबसूरत होने के साथ-साथ समझदार और हिम्मतवाली थी। अबीगैल दाविद को रोकने के लिए उससे मिलने गयी। वह उसके पैरों पर गिरकर उससे बिनती करने लगी कि वह नाबाल से बदला लेकर खून का दोषी न बने। उसने समझ-बूझ से काम लिया और दाविद से कहा कि वह यहोवा पर भरोसा रखे और मामला उसके हाथ में छोड़ दे। अबीगैल की बातें और उसका व्यवहार दाविद के दिल को छू गया। वह इस नतीजे पर पहुँचा कि यहोवा ने ही अबीगैल को उसके पास भेजा था। (1 शमू. 25:23-28, 32-34) अबीगैल में कई अच्छे गुण थे, इसलिए वह यहोवा के काम आयी। आज भी ऐसी कई मसीही बहनें हैं, जो समझ-बूझ से काम लेती हैं और अपने परिवारों और मंडलियों को मज़बूत करने में यहोवा के बहुत काम आती हैं।—नीति. 24:3; तीतु. 2:3-5.

11. (क) शल्लूम की बेटियों ने क्या किया? (ख) आज कौन उनकी मिसाल पर चलती हैं?

11 अब ध्यान दीजिए कि यहोवा ने शल्लूम की बेटियों से क्या काम करवाया। उन्होंने यरूशलेम की शहरपनाह दोबारा बनाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। (नहे. 2:20; 3:12) हालाँकि उनका पिता एक हाकिम था और यह काम मुश्‍किल-भरा और खतरनाक था, फिर भी वे पीछे नहीं हटीं। (नहे. 4:15-18) वे तकोआ के बड़े-बड़े आदमियों से कितनी अलग थीं! उन आदमियों को ‘यह मंज़ूर नहीं था कि वे किसी के अधीन रहकर काम करें।’ (नहे. 3:5) ज़रा सोचिए, शल्लूम की बेटियों को यह देखकर कितनी खुशी हुई होगी कि सिर्फ 52 दिन में शहरपनाह बनकर तैयार हो गयी! (नहे. 6:15) आज हमारे दिनों में कई बहनें खुशी-खुशी एक खास किस्म की पवित्र सेवा करती हैं, वह है निर्माण काम। वे ऐसी इमारतों के निर्माण और रख-रखाव में सहयोग देती हैं, जो यहोवा को समर्पित की जाती हैं। ये वफादार, हुनरमंद और जोशीली बहनें सच में तारीफ के काबिल हैं!

12. तबीता की तरह यहोवा हमें भी क्या करने के लिए उभार सकता है?

12 पहली सदी में यहोवा ने तबीता नाम की एक मसीही बहन को दरियादिल होने और दूसरों की मदद करने के लिए उभारा। वह खासकर विधवाओं के लिए “बहुत-से भले काम करती थी और दान दिया करती थी।” (प्रेषि. 9:36) इस वजह से जब वह गुज़र गयी, तो लोगों को बहुत दुख हुआ। लेकिन जब प्रेषित पतरस ने उसे ज़िंदा किया, तो सबने खुशियाँ मनायीं। (प्रेषि. 9:39-41) हम तबीता से क्या सीखते हैं? चाहे हम जवान हों या बुज़ुर्ग, आदमी हों या औरत, हम सब अलग-अलग तरीकों से अपने भाई-बहनों के काम आ सकते हैं और उनकी मदद कर सकते हैं।—इब्रा. 13:16.

13. (क) यहोवा ने बहन रूत को किस काबिल बनाया? (ख) सालों तक परमेश्‍वर की सेवा करने के बाद बहन का क्या कहना है?

13 ज़रा बहन रूत पर ध्यान दीजिए। वे स्वभाव से शर्मीली थीं मगर एक मिशनरी बनना चाहती थीं। जब वे छोटी थीं, तो बड़े जोश के साथ एक घर से दूसरे घर जाकर परचे बाँटती थीं। उन्होंने बताया, “ट्रैक्ट बाँटने में मुझे बड़ा मज़ा आता था।” लेकिन लोगों से बात करना और परमेश्‍वर के राज के बारे में गवाही देना उनके लिए आसान नहीं था। फिर भी बहन ने 18 साल की उम्र में पायनियर सेवा शुरू की। सन्‌ 1946 में उन्हें वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड में जाने का मौका मिला और बाद में उन्होंने हवाई द्वीप और जापान में सेवा की। उन देशों में यहोवा ने उस बहन के ज़रिए ज़बरदस्त तरीके से प्रचार करवाया। करीब 80 साल यह काम करने के बाद बहन का कहना था, “यहोवा ने मुझे हिम्मत दी है। उसकी मदद से मेरा शर्मीलापन दूर हुआ। आज मैं पूरे यकीन के साथ कह सकती हूँ कि जो इंसान यहोवा पर भरोसा रखता है, उसे वह अपना काम करने के काबिल ज़रूर बनाता है।”

खुद को यहोवा के हाथों सौंप दीजिए

14. अगर हम चाहते हैं कि हम यहोवा के काम आएँ, तो कुलुस्सियों 1:29 के मुताबिक हमें क्या करना होगा?

14 यहोवा ने हमेशा अपने सेवकों को उसकी मरज़ी पूरी करने के काबिल बनाया है। वह ज़रूरत के हिसाब से उन्हें जो चाहे वह बना सकता है। आप उसके हाथों क्या बनेंगे? यह काफी हद तक आप पर निर्भर करता है कि आप कितनी मेहनत करते हैं। (कुलुस्सियों 1:29 पढ़िए।) अगर आप खुद को यहोवा के हाथों सौंप दें, तो वह अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए आपको एक जोशीला प्रचारक, अच्छा शिक्षक, दिलासा देनेवाला, हुनरमंद कारीगर, भरोसेमंद दोस्त या फिर जो चाहे बना सकता है!

15. पहला तीमुथियुस 4:12, 15 के मुताबिक जवान भाइयों को यहोवा से क्या बिनती करनी चाहिए?

15 जवान भाइयो, आप किस तरह यहोवा के काम आ सकते हैं? आज ऐसे भाइयों की बहुत ज़रूरत है, जो अपना दमखम मंडली के काम में लगा सकते हैं और सहायक सेवक की ज़िम्मेदारी निभा सकते हैं। कई मंडलियों में प्राचीनों के मुकाबले सहायक सेवकों की गिनती कम है। क्या आपमें से कुछ भाई और भी ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए आगे आ सकते हैं? कभी-कभी भाइयों को लगता है कि वे मंडली में प्रचारक के नाते जो सेवा कर रहे हैं, वही काफी है। क्या आपको भी ऐसा लगता है? अगर हाँ, तो यहोवा से बिनती कीजिए कि वह आपमें सहायक सेवक बनने की इच्छा पैदा करे और तन-मन से उसकी सेवा करने की ताकत दे। (सभो. 12:1) भाइयो, हमें आपकी बहुत ज़रूरत है!—1 तीमुथियुस 4:12, 15 पढ़िए।

16. हमें यहोवा से क्या प्रार्थना करनी चाहिए और क्यों?

16 यहोवा अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए आपको जो चाहे बना सकता है। तो फिर उससे प्रार्थना कीजिए कि वह उसका काम करने की आपमें इच्छा  पैदा करे और उसे पूरा करने की ताकत  भी दे। चाहे आप जवान हों या बुज़ुर्ग, अपना समय, अपनी ताकत और जो कुछ आपके पास है, वह सब यहोवा की महिमा करने में लगाइए। (सभो. 9:10) अगर आपके सामने यहोवा की सेवा में कुछ करने का मौका आता है, तो यह सोचकर पीछे मत हटिए कि आपसे वह काम नहीं हो पाएगा। याद रखिए, हम यहोवा की सेवा में चाहे मामूली काम क्यों न करें, हमारे हर काम से उसकी महिमा होती है और यह हमारे लिए किसी सम्मान से कम नहीं!

गीत 127 मुझे कैसा इंसान बनना चाहिए

^ पैरा. 5 क्या कभी आपको लगता है, ‘काश! मैं यहोवा की सेवा में और कर पाता’? या क्या आप सोचते हैं, ‘पता नहीं, मैं अब भी यहोवा के किसी काम आ सकता हूँ या नहीं’? या फिर क्या आपको लगता है कि आप यहोवा के लिए जितना कर रहे हैं, उतना काफी है? इस लेख में बताया गया है कि यहोवा अपना मकसद पूरा करने के लिए हममें से किसी को भी काबिल बना सकता है। लेख में कुछ तरीके बताए गए हैं जिनसे वह अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए हममें इच्छा पैदा करता है और उसे पूरा करने की ताकत भी देता है।

^ पैरा. 3 हालाँकि पौलुस ने यह चिट्ठी पहली सदी के मसीहियों को लिखी थी, मगर इसमें बतायी बातें यहोवा के सभी सेवकों के लिए फायदेमंद हैं।