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अध्ययन लेख 43

सिर्फ यहोवा की भक्‍ति कीजिए!

सिर्फ यहोवा की भक्‍ति कीजिए!

“यहोवा ऐसा परमेश्‍वर है जो माँग करता है कि सिर्फ उसकी भक्‍ति की जाए।”—नहू. 1:2.

गीत 51 हम परमेश्‍वर को समर्पित हुए!

लेख की एक झलक *

1. सिर्फ यहोवा हमारी भक्‍ति पाने का हकदार क्यों है?

यहोवा हमारा सृष्टिकर्ता है, उसी ने हमें जीवन दिया है और सिर्फ वही हमारी भक्‍ति पाने का हकदार है। (प्रका. 4:11) हम यहोवा से बहुत प्यार करते हैं और उसका आदर करते हैं, लेकिन अगर हम सावधान न रहें, तो दूसरी बातें हमारी ज़िंदगी में यहोवा की जगह ले सकती हैं। यह कैसे हो सकता है? इस लेख में इस बारे में समझाया जाएगा। लेकिन आइए पहले देखें कि सिर्फ यहोवा की भक्‍ति करने का क्या मतलब है।

2. निर्गमन 34:14 के मुताबिक सिर्फ यहोवा की भक्‍ति करने का क्या मतलब है?

2 बाइबल के मुताबिक यहोवा की भक्‍ति  करने का मतलब है, उससे दिलो-जान से प्यार करना और सिर्फ उसकी उपासना करना। हम अपने दिल में यहोवा को पहली जगह देते हैं और किसी भी व्यक्‍ति या चीज़ को उसकी जगह लेने नहीं देते।—निर्गमन 34:14 पढ़िए।

3. यह क्यों कहा जा सकता है कि हम आँख मूँदकर यहोवा की भक्‍ति नहीं करते?

3 हम आँख मूँदकर यहोवा की भक्‍ति नहीं करते। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? क्योंकि पहले हमने यहोवा को जाना और उसके बढ़िया गुणों के बारे में सीखा। हमने जाना कि उसे किन बातों से प्यार है और किन बातों से नफरत और हम भी उन स्तरों पर चलने लगे। हमने यह भी सीखा कि उसने इंसानों को किस मकसद से बनाया। यह सब जानने के बाद ही हम उससे प्यार करने लगे और उसकी भक्‍ति करने लगे। हम कितने खुश हैं कि यहोवा ने हमें अपना दोस्त बनने का मौका दिया है! (भज. 25:14) सच में, हम जितना ज़्यादा अपने सृष्टिकर्ता के बारे में सीखते हैं, उतना ही उसके करीब आते हैं।—याकू. 4:8.

4. (क) शैतान किस तरह हमें लुभाने की कोशिश करता है? (ख) इस लेख में हम क्या देखेंगे?

4 यह दुनिया शैतान के कब्ज़े में है और इसके ज़रिए वह हमें लुभाने की कोशिश करता है, ताकि हम अपनी इच्छाएँ और गलत ख्वाहिशें पूरी करने में लग जाएँ। (इफि. 2:1-3; 1 यूह. 5:19) शैतान चाहता है कि यहोवा के लिए हमारा प्यार बँट जाए और हम पूरी तरह से उसकी भक्‍ति न करें। इस लेख में हम देखेंगे कि अपना यह लक्ष्य हासिल करने के लिए वह हमारे सामने कौन-से दो फंदे बिछाता है। एक है, पैसे का प्यार और दूसरा, गलत किस्म का मनोरंजन।

पैसे के प्यार से खबरदार रहिए

5. हमें क्यों सावधान रहना चाहिए कि हमारे दिल में पैसे के लिए प्यार न बढ़ने लगे?

5 हम सब चाहते हैं कि हमारे पास भरपेट खाना हो, पहनने के लिए कपड़े हों और सिर पर छत हो। लेकिन हमें सावधान रहना है कि कहीं इस वजह से हमारे दिल में पैसे के लिए प्यार न बढ़ने लगे। आज दुनिया में कई लोग “पैसे से प्यार करनेवाले” हैं और उन चीज़ों से भी जो पैसों से खरीदी जा सकती हैं। (2 तीमु. 3:2) यीशु जानता था कि पैसे का प्यार उसके चेलों के लिए भी एक फंदा हो सकता है, इसलिए उसने कहा, “कोई भी दास दो मालिकों की सेवा नहीं कर सकता। क्योंकि या तो वह एक से नफरत करेगा और दूसरे से प्यार या वह एक से जुड़ा रहेगा और दूसरे को तुच्छ समझेगा। तुम परमेश्‍वर के दास होने के साथ-साथ धन-दौलत की गुलामी नहीं कर सकते।” (मत्ती 6:24) अगर कोई यहोवा की उपासना करने के साथ-साथ दिन-रात पैसा कमाने में लगा रहे, तो वह मानो दो मालिकों की सेवा कर रहा होगा। उसके बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि वह सिर्फ यहोवा की भक्‍ति कर रहा है।

लौदीकिया के कुछ मसीही अपने बारे में क्या सोचते थे? मगर यहोवा और यीशु उनके बारे में क्या सोचते थे? (पैराग्राफ 6 देखें)

6. लौदीकिया मंडली से यीशु ने जो कहा, उससे हम क्या सीखते हैं?

6 पहली सदी के आखिर में लौदीकिया मंडली के कुछ मसीही घमंड कर रहे थे, “मैं अमीर हूँ और मैंने बहुत दौलत हासिल की है और मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं।” मगर यहोवा और यीशु की नज़र में वे ‘लाचार, बेहाल, गरीब, अंधे और नंगे’ थे। क्या यीशु ने उन्हें इसलिए फटकारा कि वे अमीर थे? नहीं। दरअसल उन्हें पैसों से इस कदर प्यार हो गया था कि यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता खतरे में पड़ गया था। इस वजह से यीशु ने उनकी सोच सुधारी। (प्रका. 3:14-17) अगर हमें एहसास हो कि हम पैसों से प्यार करने लगे हैं, तो हमें तुरंत अपनी सोच सुधारनी चाहिए। (1 तीमु. 6:7, 8) अगर हम ऐसा न करें, तो यहोवा के लिए हमारा प्यार बँट जाएगा। वह हमारी उपासना कबूल नहीं करेगा, क्योंकि वह “माँग करता है कि सिर्फ उसी की भक्‍ति की जाए।” (व्यव. 4:24) मगर सवाल है कि हम पैसे को इतनी अहमियत कैसे देने लग सकते हैं?

7-9. डेविड के अनुभव से आपने क्या सीखा?

7 अमरीका में रहनेवाले डेविड नाम के एक प्राचीन की मिसाल पर ध्यान दीजिए। वह एक कंपनी में नौकरी करता था और उसका कहना है कि वह बहुत मेहनती था। उसने खूब तरक्की की और देश-भर में उसे उन लोगों में गिना जाने लगा, जो अपने काम में बहुत हुनरमंद हैं। डेविड कहता है, “उस वक्‍त मुझे लगा कि यह तरक्की और कामयाबी यहोवा से मिली आशीष है।” लेकिन क्या यह वाकई यहोवा की आशीष थी?

8 डेविड को एहसास होने लगा कि काम की वजह से यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता खतरे में पड़ गया है। वह बताता है, “मंडली की सभाओं में, यहाँ तक कि प्रचार में भी मैं काम के बारे में सोचता रहता था। मैं खूब पैसा कमा रहा था, लेकिन इसके साथ-साथ तनाव भी बढ़ रहा था। मेरे और मेरी पत्नी के बीच समस्याएँ उठने लगी थीं।”

9 डेविड समझ गया कि वह अपनी ज़िंदगी में ज़रूरी बातों को पहली जगह नहीं दे रहा है। वह बताता है, “मुझे एहसास हुआ कि मुझे कुछ करना होगा।” उसने अपनी नौकरी के समय में थोड़ा फेरबदल करने की सोची और यह बात अपने बॉस के सामने रखी। नतीजा, उसकी नौकरी चली गयी। डेविड ने क्या किया? वह कहता है, “अगले ही दिन मैंने नियमित तौर पर सहयोगी पायनियर सेवा के लिए अर्ज़ी भर दी।” कुछ समय बाद डेविड पायनियर के तौर पर प्रचार में 70 घंटे बिताने लगा। फिर उसकी पत्नी भी पायनियर सेवा करने लगी। गुज़ारा चलाने के लिए वह और उसकी पत्नी साफ-सफाई का काम करने लगे। यह ऐसा काम था जिसे ज़्यादातर लोग नीची नज़रों से देखते हैं, लेकिन उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे पहले जितना कमाते थे, अब उसका सिर्फ दस प्रतिशत कमाते हैं, लेकिन इससे हर महीने उनकी ज़रूरतें पूरी हो जाती हैं। डेविड और उसकी पत्नी यहोवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देना चाहते हैं और उन्होंने खुद अनुभव किया है कि परमेश्‍वर उन लोगों की देखभाल करता है, जो उसके राज को पहली जगह देते हैं।—मत्ती 6:31-33.

10. हम अपने दिल की हिफाज़त कैसे कर सकते हैं?

10 चाहे हम अमीर हों या गरीब, हमें अपने दिल की हिफाज़त करनी है। हम यह कैसे कर सकते हैं? हमें अपने दिल में पैसे का प्यार नहीं बढ़ने देना चाहिए और अपनी नौकरी को यहोवा की सेवा से ज़्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए। आप कैसे जान सकते हैं कि पैसे का प्यार आपके लिए फंदा बन रहा है या नहीं? खुद से पूछिए, ‘क्या मैं सभाओं या प्रचार में अकसर काम के बारे में सोचता हूँ? क्या मैं दिन-रात यह चिंता करता हूँ कि मैंने भविष्य के लिए पैसे जोड़ रखे हैं? क्या पैसों या सुख-सुविधा की चीज़ों को लेकर मेरे और मेरे जीवन-साथी के बीच बहस होती है? क्या मैं ऐसी नौकरी करने को तैयार हूँ, जो भले ही लोगों को छोटा काम लगे, मगर जिससे मैं यहोवा की और अच्छी तरह सेवा कर पाऊँगा?’ (1 तीमु. 6:9-12) जब आप इन सवालों की मदद से खुद की जाँच करते हैं, तो यह मत भूलिए कि यहोवा आपसे बहुत प्यार करता है और उसने अपने सेवकों से वादा किया है, “मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा, न कभी त्यागूँगा।” यही वजह है कि प्रेषित पौलुस ने कहा, “तुम्हारे जीने का तरीका दिखाए कि तुम्हें पैसे से प्यार नहीं।”—इब्रा. 13:5, 6.

सोच-समझकर मनोरंजन कीजिए

11. मनोरंजन का एक व्यक्‍ति पर क्या असर हो सकता है?

11 यहोवा चाहता है कि हम ज़िंदगी का मज़ा लें और मनोरंजन करने से हमें कुछ हद तक वह खुशी मिल सकती है। परमेश्‍वर का वचन भी बताता है, “इंसान के लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता है कि वह खाए-पीए और अपनी मेहनत से खुशी पाए!” (सभो. 2:24) लेकिन दुनिया के ज़्यादातर मनोरंजन का हम पर बुरा असर हो सकता है। हम सही को गलत और गलत को सही मानने लग सकते हैं। यह भी हो सकता है कि हमें उन बातों से लगाव हो जाए, जिन्हें परमेश्‍वर अपने वचन में बिलकुल गलत बताता है।

आपका मनोरंजन कौन तैयार कर रहा है? (पैराग्राफ 11-14 देखें) *

12. पहला कुरिंथियों 10:21, 22 के मुताबिक हमें सोच-समझकर मनोरंजन क्यों करना चाहिए?

12 हम सिर्फ यहोवा की भक्‍ति करना चाहते हैं, इसलिए हम ऐसा नहीं कर सकते कि “यहोवा की मेज़” से खाएँ और “दुष्ट स्वर्गदूतों की मेज़” से भी। (1 कुरिंथियों 10:21, 22 पढ़िए।) किसी के साथ मिलकर खाना खाने का मतलब है कि हमारी उससे दोस्ती है। यही बात मनोरंजन के बारे में सच है। अगर हम ऐसा मनोरंजन करें जिसमें खून-खराबा, जादू-टोना और अनैतिक काम दिखाए जाते हैं या बुरी इच्छाओं और गलत रवैए का बढ़ावा दिया जाता है, तो यह ऐसा होगा मानो हम परमेश्‍वर के दुश्‍मनों के साथ खाना खा रहे हैं, वह खाना जो उन्होंने तैयार किया है। इस तरह के मनोरंजन से हम न सिर्फ खुद को नुकसान पहुँचा रहे होंगे, बल्कि यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता भी दाँव पर लगा रहे होंगे।

13-14. याकूब 1:14, 15 के मुताबिक हमें बुरे किस्म के मनोरंजन से क्यों खबरदार रहना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।

13 गौर कीजिए कि मनोरंजन की तुलना किस तरह खाने से की जा सकती है। जब हम खाना खाने बैठते हैं, तो हम इस बात का ध्यान रखते हैं कि हम क्या खाएँगे। लेकिन एक बार हम खाना खा लेते हैं, तो उसका हमारे शरीर पर क्या असर होगा, इस पर हमारा कोई बस नहीं होता। पौष्टिक खाना खाने से हमारी सेहत अच्छी रहती है, जबकि उलटा-सीधा खाने से हमारी सेहत बिगड़ सकती है। हम जो खाते हैं, उसका असर शायद हमें तुरंत नज़र न आए, मगर बाद में पता चल ही जाता है।

14 उसी तरह हम इस बात का तो ध्यान रख सकते हैं कि हम किस तरह का मनोरंजन करेंगे। मगर एक बार हम वह मनोरंजन कर लेते हैं, तो उसका हमारे दिलो-दिमाग पर क्या असर होगा, इस पर हमारा कोई बस नहीं होता। अच्छे किस्म के मनोरंजन से हमें ताज़गी मिलती है, जबकि बुरे किस्म के मनोरंजन से नुकसान होता है। (याकूब 1:14, 15 पढ़िए।) बुरे किस्म के मनोरंजन का असर शायद तुरंत दिखायी न दे, लेकिन बाद में पता चल ही जाता है। इस वजह से बाइबल हमें खबरदार करती है, “धोखे में न रहो: परमेश्‍वर की खिल्ली नहीं उड़ायी जा सकती। एक इंसान जो बोता है, वही काटेगा भी। क्योंकि जो शरीर के लिए बोता है वह शरीर से विनाश की फसल काटेगा।” (गला. 6:7, 8) यह कितना ज़रूरी है कि हम ऐसे हर किस्म का मनोरंजन ठुकराएँ जिससे यहोवा को नफरत है!—भज. 97:10.

15. यहोवा ने हमें क्या तोहफा दिया है?

15 बहुत-से यहोवा के साक्षियों को हमारे टीवी चैनल, JW ब्रॉडकास्टिंग पर कार्यक्रम देखना अच्छा लगता है। मैरलिन नाम की एक बहन कहती है, “JW ब्रॉडकास्टिंग की वजह से मैं पहले से ज़्यादा खुश रहती हूँ। यह चैनल देखते वक्‍त मुझे चिंता नहीं होती कि इसमें कुछ गलत दिखाया जाएगा। जब मैं निराश या अकेला महसूस करती हूँ, तो कोई भाषण या सुबह की उपासना देखती हूँ। इससे मैं यहोवा और उसके संगठन के और भी करीब महसूस करती हूँ। JW ब्रॉडकास्टिंग ने मेरी ज़िंदगी बदल दी है।” क्या आपको भी यहोवा के इस तोहफे से फायदा हो रहा है? हर महीने JW ब्रॉडकास्टिंग पर नए कार्यक्रम आते हैं, साथ ही इसमें ऐसे कई ऑडियो और वीडियो कार्यक्रम और हौसला बढ़ानेवाले गीत हैं, जिन्हें हम किसी भी वक्‍त सुन और देख सकते हैं।

16-17. (क) हम मनोरंजन करने में जितना समय बिताते हैं, उसका ध्यान रखना क्यों ज़रूरी है? (ख) हम क्या कर सकते हैं ताकि हम मनोरंजन करने में बहुत ज़्यादा समय न बिताएँ?

16 हमें न सिर्फ इस बात का ध्यान रखना है कि हम किस तरह  का मनोरंजन करते हैं, बल्कि इस बात का भी कि हम इसमें कितना  समय बिताते हैं। अगर हम सावधान न रहें, तो हम शायद अपना ज़्यादातर समय यहोवा की सेवा में लगाने के बजाय मनोरंजन करने में लगा दें। कुछ लोगों के लिए यह एक खतरा हो सकता है। ऐबिगैल नाम की एक बहन जो 18 साल की है, कहती है, “दिन के आखिर में मैं थक जाती हूँ और टीवी देखने से मेरी थकान दूर हो जाती है। लेकिन अगर मैं ध्यान न दूँ, तो घंटों टीवी के सामने बैठी रहती हूँ।” सैम्यूल नाम का एक जवान भाई कहता है, “कई बार मैं एक छोटा-सा वीडियो देखने के लिए इंटरनेट पर जाता हूँ, मगर फिर और भी वीडियो देखने लगता हूँ और ऐसे ही तीन-चार घंटे निकल जाते हैं।”

17 आप कैसे इस बात का ध्यान रख सकते हैं कि आप मनोरंजन करने में बहुत ज़्यादा समय न बिताएँ? सबसे पहले पता लगाइए कि आप इसमें ठीक कितना समय बिताते हैं। क्यों न एक हफ्ते के लिए हिसाब रखें? एक कैलेंडर पर लिखिए कि आप कितनी देर तक टीवी और इंटरनेट देखते हैं और मोबाइल पर गेम खेलते हैं। अगर आपको लगता है कि आप बहुत ज़्यादा समय बिता रहे हैं, तो एक योजना बनाइए कि आप कब क्या करेंगे। पहले ज़रूरी बातों को निपटाने का समय तय कीजिए, फिर मनोरंजन का। यहोवा से बिनती कीजिए कि वह इस योजना के मुताबिक काम करने में आपकी मदद करे। इस तरह आपके पास निजी बाइबल अध्ययन, पारिवारिक उपासना, सभाओं और प्रचार के लिए काफी वक्‍त और ताकत होगी। यहोवा को पहली जगह देने के बाद मनोरंजन करने से आपको उसमें और भी मज़ा आएगा।

ठान लीजिए कि आप सिर्फ यहोवा की भक्‍ति करेंगे

18-19. हम कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं कि हम सिर्फ यहोवा की भक्‍ति करते हैं?

18 शैतान की दुनिया के अंत और आनेवाली नयी दुनिया के बारे में लिखने के बाद प्रेषित पतरस ने कहा, “प्यारे भाइयो, जब तुम इन सब बातों का इंतज़ार कर रहे हो, तो अपना भरसक करो कि आखिरकार उसके सामने तुम निष्कलंक और बेदाग और शांति में पाए जाओ।” (2 पत. 3:14) जब हम इस सलाह को मानकर चालचलन और उपासना के मामले में निष्कलंक और बेदाग रहते हैं, तो हम ज़ाहिर करते हैं कि हम सिर्फ यहोवा की भक्‍ति कर रहे हैं।

19 शैतान और उसकी दुनिया कोशिश करती रहेगी कि हम यहोवा के बजाय दूसरी चीज़ों को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दें। (लूका 4:13) चाहे हमारे लिए कितना भी मुश्‍किल क्यों न हो, हम अपने दिल में किसी भी व्यक्‍ति या चीज़ को यहोवा की जगह नहीं लेने देंगे। सिर्फ यहोवा हमारी भक्‍ति का हकदार है और हमने ठान लिया है कि हम उसे छोड़ और किसी की उपासना नहीं करेंगे!

गीत 30 यहोवा, मेरा परमेश्‍वर, पिता और दोस्त

^ पैरा. 5 हम यहोवा से बहुत प्यार करते हैं और उसकी सेवा करना चाहते हैं। मगर सवाल है कि क्या हम सिर्फ उसकी भक्‍ति करते हैं? इसका जवाब जानने के लिए हमें गौर करना होगा कि रोज़मर्रा ज़िंदगी में हम किस तरह के फैसले करते हैं। इस लेख में हम दो मामलों पर चर्चा करेंगे, जिससे ज़ाहिर होगा कि हम यहोवा की पूरी तरह से भक्‍ति करते हैं या नहीं।

^ पैरा. 53 तसवीर के बारे में: हम ऐसा खाना खाना पसंद नहीं करते, जो किसी गंदी रसोई में बनाया गया हो। तो फिर क्या हम ऐसा मनोरंजन करेंगे जिसमें खून-खराबे, जादू-टोने या अनैतिक काम जैसी गंदी चीज़ें दिखायी गयी हों?