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अध्ययन लेख 41

बपतिस्मे के योग्य बनने में बाइबल विद्यार्थियों की मदद कीजिए​—भाग 1

बपतिस्मे के योग्य बनने में बाइबल विद्यार्थियों की मदद कीजिए​—भाग 1

‘यह बात ज़ाहिर है कि तुम मसीह की चिट्ठी हो जिसे हम सेवकों ने लिखा है।’​—2 कुरिं. 3:3.

गीत 78 ‘यहोवा का वचन सिखाते रहें’

लेख की एक झलक *

एक विद्यार्थी अच्छी तरक्की करता है, इसलिए मंडली के सभी भाई-बहन उससे प्यार करते हैं। जब वह बपतिस्मा लेता है, तो वे खुशी से फूले नहीं समाते (पैराग्राफ 1 पढ़ें)

1. अगर कोई विद्यार्थी बपतिस्मा लेता है, तो 2 कुरिंथियों 3:1-3 के मुताबिक यह क्यों हमारे लिए खुशी की बात है? (बाहर दी तसवीर देखें।)

अगर आपकी मंडली में आनेवाला कोई बाइबल विद्यार्थी बपतिस्मा लेता है, तो आपको कैसा लगता है? आपको ज़रूर खुशी होती होगी। (मत्ती 28:19) और अगर आपका विद्यार्थी बपतिस्मा लेता है, तो आप खुशी से फूले नहीं समाते होंगे। (1 थिस्स. 2:19, 20) वह इस बात का जीता-जागता सबूत है कि आपने और मंडली के बाकी भाई-बहनों ने उसकी मदद करने के लिए बहुत मेहनत की है। हम कह सकते हैं कि जो विद्यार्थी बपतिस्मा लेते हैं, वे ‘सिफारिशी चिट्ठियों’ जैसे हैं। जिन्होंने उनके साथ अध्ययन किया है, उनके लिए भी और पूरी मंडली के लिए भी।​—2 कुरिंथियों 3:1-3 पढ़िए।

2. (क) हमें किस सवाल पर गहराई से सोचना चाहिए और क्यों? (ख) बाइबल अध्ययन क्या होता है? (फुटनोट देखें।)

2 पिछले चार सालों के दौरान हर महीने औसतन एक करोड़ बाइबल अध्ययन  * चलाए गए। यह बहुत खुशी की बात है। इसी दौरान हर साल औसतन 2,80,000 से ज़्यादा लोगों ने बपतिस्मा लिया और यहोवा के साक्षी बन गए। हम तरक्की करने और बपतिस्मा लेने में और भी लाखों लोगों की कैसे मदद कर सकते हैं? इस सवाल पर हमें गहराई से सोचना चाहिए। वह इसलिए कि यहोवा ने आज तक सब्र रखा है और वह लोगों को मौका दे रहा है कि वे मसीह के चेले बनें। हमें जितना हो सके उनकी मदद करनी चाहिए। समय बहुत कम रह गया है।​—1 कुरिं. 7:29क; 1 पत. 4:7.

3. इस लेख से हम क्या जानेंगे?

3 आज प्रचार काम जल्द-से-जल्द करना ज़रूरी है। इसलिए अलग-अलग शाखा दफ्तरों से पूछा गया कि हम बपतिस्मे के योग्य बनने में बाइबल विद्यार्थियों की कैसे मदद कर सकते हैं। तब अनुभवी पायनियरों, मिशनरियों और सर्किट निगरानों ने कुछ अच्छे सुझाव दिए। * (नीति. 11:14; 15:22) इन सुझावों के बारे में हम इस लेख में और अगले लेख में जानेंगे। उन भाई-बहनों ने बताया कि अध्ययन चलानेवालों और विद्यार्थियों को क्या करना चाहिए। इस लेख में हम देखेंगे कि हरेक विद्यार्थी क्या कर सकता है ताकि वह जल्द तरक्की करके बपतिस्मा ले। हम पाँच बातों पर गौर करेंगे।

हर हफ्ते अध्ययन कीजिए

विद्यार्थी से पूछिए कि क्या आप दोनों कहीं बैठकर चर्चा कर सकते हैं? (पैराग्राफ 4-6 देखें)

4. क्या दरवाज़े पर खड़े-खड़े अध्ययन कराना काफी है? समझाइए।

4 कई भाई-बहन लोगों के घर के दरवाज़े पर खड़े-खड़े बाइबल अध्ययन चलाते हैं। बाइबल में दिलचस्पी बढ़ाने का यह अच्छा तरीका है। लेकिन दरवाज़े पर खड़े-खड़े हम थोड़ी देर ही चर्चा कर पाते हैं और वह भी हर हफ्ते नहीं कर पाते। कुछ भाई-बहन विद्यार्थियों का फोन नंबर वगैरह लेते हैं और बीच-बीच में उन्हें फोन करके या मैसेज करके बाइबल की कुछ बातें बताते हैं। इस तरह वे थोड़ी-थोड़ी देर तक चर्चा करते हैं और यह महीनों चलता रहता है। लेकिन अगर एक विद्यार्थी कभी-कभार ही अध्ययन करे और ज़्यादा समय न दे, तो क्या वह तरक्की कर पाएगा और समर्पण करके बपतिस्मा लेगा? शायद नहीं।

5. लूका 14:27-33 के मुताबिक हमें अपने विद्यार्थी को क्या बात समझानी चाहिए?

5 एक बार यीशु ने समझाया कि अगर कोई उसका चेला बनना चाहता है, तो उसे क्या करना चाहिए। उसने एक ऐसे आदमी का उदाहरण दिया जो मीनार बनाना चाहता है और फिर एक राजा का उदाहरण दिया जो अपनी सेना को लेकर युद्ध करना चाहता है। यीशु ने बताया कि मीनार बनानेवाले को ‘पहले बैठकर खर्च का हिसाब लगाना’ होगा, तभी वह मीनार बना पाएगा। राजा को ‘पहले सलाह करनी’ होगी कि क्या उसकी फौज दुश्‍मन राजा का मुकाबला कर पाएगी। (लूका 14:27-33 पढ़िए।) यीशु ये दोनों उदाहरण देकर यह बताना चाह रहा था कि जो कोई उसका चेला बनना चाहता है, उसे अच्छी तरह सोचना होगा कि उसके पीछे चलने के लिए उसे क्या करना है। हम चाहते हैं कि हमारा बाइबल विद्यार्थी इस बात को समझे, इसलिए हमें उसे बढ़ावा देना चाहिए कि वह हर हफ्ते हमारे साथ अध्ययन करने की कोशिश करे। इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?

6. विद्यार्थी जल्दी तरक्की करे, इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?

6 सबसे पहले तो अध्ययन का समय बढ़ाने की कोशिश कीजिए। जब भी आप जाते हैं, तो एक आयत के बजाय दो आयतों पर चर्चा कीजिए। फिर जब आप देखते हैं कि विद्यार्थी को ज़्यादा समय तक चर्चा करने में कोई एतराज़ नहीं है, तो आप पूछ सकते हैं कि क्या आप दोनों कहीं बैठकर चर्चा कर सकते हैं। अगर वह ‘हाँ’ कहे, तो इसका मतलब है कि वह अध्ययन को बहुत अहमियत देता है। कुछ समय बाद आप उससे पूछ सकते हैं कि क्या वह हफ्ते में दो बार अध्ययन करना चाहेगा। ऐसा करने से वह जल्दी तरक्की कर पाएगा। मगर विद्यार्थी के साथ हर हफ्ते एक या दो बार अध्ययन करने के अलावा हमें कुछ और भी करना होगा।

हर अध्ययन की अच्छी तैयारी कीजिए

अध्ययन की अच्छी तैयारी कीजिए और विद्यार्थी को भी तैयारी करना सिखाइए (पैराग्राफ 7-9 देखें)

7. शिक्षक को हर अध्ययन की तैयारी कैसे करनी चाहिए?

7 हर अध्ययन के लिए शिक्षक  को अच्छी तैयारी करनी चाहिए। जिस जानकारी का आप अध्ययन करेंगे, उसे पहले पढ़िए और दी गयी आयतें देखिए। खास मुद्दे दिमाग में अच्छी तरह बिठा लीजिए। पाठ के विषय, उपशीर्षकों और पैराग्राफ के लिए दिए सवालों पर गौर कीजिए। यह भी देखिए कि पढ़ने के लिए कौन-सी आयतें दी गयी हैं, साथ में कौन-सी तसवीरें हैं और कौन-से वीडियो दिखाने से विद्यार्थी उस विषय को अच्छी तरह समझ पाएगा। फिर अपने विद्यार्थी को ध्यान में रखकर सोचिए कि आप जानकारी को कैसे साफ और सरल शब्दों में समझाएँगे ताकि वह अच्छी तरह समझे और उसके मुताबिक कदम उठाए।​—नहे. 8:8; नीति. 15:28क

8. कुलुस्सियों 1:9, 10 के मुताबिक हमें अपने विद्यार्थी के बारे में क्या प्रार्थना करनी चाहिए?

8 तैयारी करते समय विद्यार्थी के बारे में यहोवा से प्रार्थना कीजिए। उससे मदद के लिए बिनती कीजिए ताकि आप विद्यार्थी को बाइबल से जो भी सिखाएँ, वह उसके दिल पर असर करे। (कुलुस्सियों 1:9, 10 पढ़िए।) पहले से अंदाज़ा लगाइए कि विद्यार्थी को कौन-सी बातें समझना या उन पर यकीन करना मुश्‍किल लग सकता है। यह बात याद रखिए, आप उसके साथ अध्ययन इसलिए करते हैं कि वह तरक्की करके बपतिस्मा ले।

9. आप अपने विद्यार्थी को तैयारी करना कैसे सिखा सकते हैं? समझाइए।

9 हम आशा करते हैं कि जब एक विद्यार्थी हर हफ्ते अध्ययन करेगा, तो वह इस बात को समझ पाएगा कि यहोवा और यीशु ने उसके लिए क्या किया है और वह बाइबल के बारे में ज़्यादा जानना चाहेगा। (मत्ती 5:3, 6) मगर अध्ययन से विद्यार्थी  को तभी फायदा होगा जब अध्ययन के दौरान उसका ध्यान नहीं भटकेगा। इसलिए हमें उसे सिखाना होगा कि वह अध्ययन की अच्छी तैयारी करे। वह पहले से पाठ को पढ़ सकता है और सोच सकता है कि उसमें जो लिखा है, उसे वह कैसे लागू कर सकता है। अध्ययन की तैयारी करने में आप कैसे उसकी मदद कर सकते हैं? उसके साथ मिलकर एक पाठ की तैयारी कीजिए ताकि वह देखे कि तैयारी कैसे की जाती है। * उसे समझाइए कि पैराग्राफ में दिए सवालों के जवाब वह कैसे ढूँढ़ सकता है और कैसे खास शब्दों पर निशान लगाने से जवाब याद रहेगा। फिर उसे अपने शब्दों में जवाब देने के लिए कहिए। उसके जवाब से आप जान पाएँगे कि उसने बात सही-सही समझी है या नहीं। आप अपने विद्यार्थी को एक और काम सिखा सकते हैं।

सिखाइए कि वह यहोवा से बात करे और उसकी सुने

विद्यार्थी को यहोवा से प्रार्थना करना सिखाइए (पैराग्राफ 10-11 देखें)

10. (क) विद्यार्थी को बाइबल क्यों पढ़नी चाहिए? (ख) बाइबल पढ़ने के अलावा उसे और क्या करना होगा?

10 विद्यार्थी को हर हफ्ते आपके साथ मिलकर अध्ययन करने के अलावा हर दिन अकेले में भी कुछ करना होगा। उसे यहोवा की बात सुननी होगी और उससे बात करनी होगी। रोज़ बाइबल पढ़ने  से वह यहोवा की बात सुन सकता है। (यहो. 1:8; भज. 1:1-3) उसे jw.org पर “बाइबल पढ़ने का शेड्‌यूल” दिखाइए और बताइए कि वह कैसे उसके हिसाब से पढ़ सकता है। * यह भी बताइए कि बाइबल पढ़ने के साथ-साथ उस पर मनन भी करना होगा, तभी उसे फायदा होगा। वह यह मनन कर सकता है कि उसने जो आयतें पढ़ी हैं, उनसे यहोवा के बारे में क्या पता चलता है और वह उन बातों को अपनी ज़िंदगी में कैसे लागू कर सकता है।​—प्रेषि. 17:11; याकू. 1:25.

11. (क) एक विद्यार्थी सही तरह से प्रार्थना करना कैसे सीख सकता है? (ख) उसे क्यों रोज़ यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए?

11 अपने विद्यार्थी को बढ़ावा दीजिए कि वह हर दिन यहोवा से बात करे यानी प्रार्थना करे।  हर बार अध्ययन की शुरूआत में और आखिर में दिल से प्रार्थना कीजिए। अपने विद्यार्थी के लिए भी बिनती कीजिए। आपकी प्रार्थनाएँ सुनकर वह सीखेगा कि उसे कैसे यीशु मसीह के नाम से यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए और वह कैसे अपने दिल की बात यहोवा को बता सकता है। (मत्ती 6:9; यूह. 15:16) रोज़  बाइबल पढ़ने यानी यहोवा की बात सुनने और रोज़ प्रार्थना करने यानी यहोवा से बात करने से आपका विद्यार्थी परमेश्‍वर के और भी करीब आएगा। (याकू. 4:8) जब वह रोज़ बाइबल पढ़ने और प्रार्थना करने की आदत बनाएगा, तो अच्छी तरक्की करेगा और समर्पण करके बपतिस्मा लेगा। तरक्की करने के लिए उसे और क्या करना चाहिए?

यहोवा के साथ खुद एक रिश्‍ता बनाना सिखाइए

12. यहोवा के साथ एक रिश्‍ता कायम करने में आप विद्यार्थी की कैसे मदद कर सकते हैं?

12 हम चाहते हैं कि बाइबल अध्ययन से हमारा विद्यार्थी यहोवा के बारे में बहुत सारी बातें सीखे। पर यह काफी नहीं है। वह जो सीखता है उसका दिल पर भी असर होना चाहिए और उसे कदम उठाने के लिए खुद आगे बढ़ना चाहिए। यीशु की शिक्षाओं में ज़बरदस्त दलीलें होती थीं जिससे लोग कायल हो जाते थे। मगर वे उसके चेले इसलिए बनते थे क्योंकि उसकी बातें उनके दिल पर असर करती थीं। (लूका 24:15, 27, 32) यह समझने में अपने विद्यार्थी की मदद कीजिए कि यहोवा सचमुच की एक हस्ती है जिसके साथ वह एक रिश्‍ता कायम कर सकता है। यह भी समझने में उसकी मदद कीजिए कि यहोवा उसका पिता और परमेश्‍वर और दोस्त है। (भज. 25:4, 5) अध्ययन में आप चाहे किसी भी विषय पर चर्चा कर रहे हों, विद्यार्थी का ध्यान यहोवा के मनभावने गुणों की तरफ खींचिए। (निर्ग. 34:5, 6; 1 पत 5:6, 7) उसे एहसास दिलाइए कि यहोवा कितना प्यार करता है, कितनी कृपा करता है और कितनी करुणा से भरा है। यीशु ने कहा था कि “सबसे बड़ी और पहली आज्ञा” यह है कि हम ‘अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करें।’ (मत्ती 22:37, 38) अपने विद्यार्थी को इस तरह सिखाइए कि उसके दिल में यहोवा के लिए प्यार बढ़े।

13. उदाहरण देकर बताइए कि आप किस तरह एक विद्यार्थी को यहोवा के गुणों के बारे में बता सकते हैं।

13 विद्यार्थी को सिखाते समय उसे बताइए कि आप यहोवा के बारे में कैसा महसूस करते हैं। तब विद्यार्थी को एहसास होगा कि उसे भी यहोवा के साथ एक गहरा रिश्‍ता कायम करना होगा। (भज. 73:28) उदाहरण के लिए, आप विद्यार्थी को जो पैराग्राफ पढ़ाएँगे, उसमें गौर कीजिए कि क्या कोई आयत या बात है जिसमें यहोवा के प्यार, उसकी बुद्धि, न्याय या शक्‍ति के बारे में बताया गया है जो आपको बहुत अच्छी लगी। विद्यार्थी को बताइए कि यहोवा में इस तरह की कई अच्छी बातें हैं जिस वजह से आप उससे प्यार करते हैं। लेकिन तरक्की करके बपतिस्मा लेने के लिए हर बाइबल विद्यार्थी को एक और काम करना होगा।

सभाओं में आने का बढ़ावा दीजिए

विद्यार्थी को जल्द-से-जल्द सभाओं में आने का बढ़ावा दीजिए (पैराग्राफ 14-15 देखें)

14. इब्रानियों 10:24, 25 के मुताबिक तरक्की करने के लिए एक बाइबल विद्यार्थी को सभाओं में आना क्यों ज़रूरी है?

14 हम सब चाहते हैं कि हमारे विद्यार्थी तरक्की करके बपतिस्मा लें। उनकी मदद करने का एक तरीका है, उन्हें सभाओं में बुलाना। अनुभवी भाई-बहन बताते हैं कि जो विद्यार्थी फौरन सभाओं में आते हैं, वे जल्दी तरक्की करते हैं। (भज. 111:1) कुछ भाई-बहन अपने विद्यार्थियों को बताते हैं कि वे बाइबल की सारी बातें अध्ययन से नहीं सीख पाएँगे। सभाओं में भी आना ज़रूरी है। अपने विद्यार्थी को इब्रानियों 10:24, 25 पढ़कर सुनाइए और बताइए कि सभाओं में आने से उसे क्या-क्या फायदा होगा। (पढ़िए।) उसे राज-घरों में क्या होता है?  नाम का वीडियो दिखाइए। * अपने विद्यार्थी को सभाओं की अहमियत बताइए ताकि वह एक भी हफ्ते सभा न छोड़े।

15. आप अपने विद्यार्थी को लगातार सभाओं में आने का बढ़ावा कैसे दे सकते हैं?

15 अगर आपका विद्यार्थी कभी-कभार ही सभाओं में आता है या अब तक एक बार भी नहीं आया है, तो आप क्या कर सकते हैं? आपने हाल की किसी सभा में जो बातें सीखी हैं, उसे पूरे जोश के साथ बताइए। जब वह आपकी खुशी देखेगा, तो वह भी सभाओं में आना चाहेगा। फिलहाल सभाओं में जो प्रहरीदुर्ग  या सभा पुस्तिका  पढ़ी जा रही है, उसकी एक कॉपी उसे दीजिए। उसमें से किन बातों पर अगली सभा में चर्चा की जाएगी, उसे बताइए। उससे पूछिए कि उसमें से कौन-सी बातें उसे दिलचस्प लगती हैं। फिर जब वह पहली बार सभा में आएगा, तो वह देखेगा कि हमारी सभाएँ बाकी धार्मिक सभाओं से बिलकुल अलग हैं। उसे बहुत अच्छा लगेगा। (1 कुरिं. 14:24, 25) वह दूसरे भाई-बहनों से भी मिल पाएगा और उनसे बहुत कुछ सीखेगा और तरक्की करके बपतिस्मा लेगा।

16. (क) हम तरक्की करने में विद्यार्थी की कैसे मदद कर सकते हैं? (ख) अगले लेख में हम क्या सीखेंगे?

16 इस लेख में हमने सीखा कि हम तरक्की करने में अपने बाइबल विद्यार्थी की कैसे मदद कर सकते हैं। हम उसे बढ़ावा दे सकते हैं कि वह हर हफ्ते अध्ययन करे और पहले से उसकी अच्छी तैयारी करे। तब वह समझ पाएगा कि अध्ययन करना कितना ज़रूरी है। हम उसे यह भी बढ़ावा दे सकते हैं कि वह हर दिन यहोवा की बात सुने और उससे बात करे। अध्ययन में हमें इस तरह सिखाना चाहिए कि वह यहोवा के साथ खुद एक रिश्‍ता कायम करे। हम सभाओं में आने के लिए भी उसके अंदर जोश बढ़ा सकते हैं। (“ बपतिस्मे के योग्य बनने के लिए विद्यार्थी क्या कर सकता है?” नाम का बक्स पढ़ें।) अगले लेख में हम देखेंगे कि हम और कौन-से पाँच काम कर सकते हैं ताकि हम विद्यार्थियों की मदद कर सकें और वे तरक्की करके बपतिस्मा लें।

गीत 76 कैसा लगता है?

^ पैरा. 5 जब हम किसी को कुछ सिखाते हैं, तो हम उसे नए तरीके से सोचना और नए तरीके से काम करना सिखाते हैं। सन्‌ 2020 का सालाना वचन मत्ती 28:19 है। इस आयत ने हमें याद दिलाया कि लोगों के साथ बाइबल अध्ययन करना और उन्हें सिखाना बहुत ज़रूरी काम है। तभी वे बपतिस्मा पाकर यीशु मसीह के चेले बन पाएँगे। इस लेख में और अगले लेख में हम जानेंगे कि हम यह काम और अच्छी तरह कैसे कर सकते हैं।

^ पैरा. 2 इसका क्या मतलब है? अगर आप किसी के साथ बाइबल के एक-एक विषय पर लगातार चर्चा करते हैं, तो इसका मतलब है कि आप उसके साथ बाइबल अध्ययन  कर रहे हैं। अगर आपने किसी को दिखाया है कि अध्ययन कैसे किया जाता है और फिर उसके साथ दो बार अध्ययन किया है और आपको लगता है कि अध्ययन जारी रहेगा, तो आप उसकी रिपोर्ट कर सकते हैं।

^ पैरा. 3 जुलाई 2004 से मई 2005 तक हमारी राज-सेवा  के अंकों में “तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाना” नाम के लेख आए थे। उन लेखों में दिए सुझाव भी इस लेख में दिए गए हैं।

^ पैरा. 9 विद्यार्थियों को अध्ययन की तैयारी करना सिखाइए  नाम का चार मिनट का वीडियो देखें। JW लाइब्रेरी  पर मीडिया > हमारी सभाएँ और सेवा > अपना हुनर बढ़ाना पर जाएँ।

^ पैरा. 10 शास्त्र से जानिए > पवित्र शास्त्र को गहराई से जानिए पर जाएँ।

^ पैरा. 14 JW लाइब्रेरी  पर मीडिया > हमारी सभाएँ और सेवा > प्रचार के लिए वीडियो पर जाएँ।