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अध्ययन लेख 42

बपतिस्मे के योग्य बनने में बाइबल विद्यार्थियों की मदद कीजिए​—भाग 2

बपतिस्मे के योग्य बनने में बाइबल विद्यार्थियों की मदद कीजिए​—भाग 2

“खुद पर और अपनी शिक्षा पर लगातार ध्यान देता रह।” ​—1 तीमु. 4:16.

गीत 77 अँधेरी दुनिया में सच की रौशनी

लेख की एक झलक *

1. हम क्यों कह सकते हैं कि चेला बनाने का काम जान बचाने का काम है?

चेला बनाने का काम लोगों की जान बचाता है। ऐसा हम क्यों कह सकते हैं? मत्ती 28:19, 20 में यीशु ने हमें यह आज्ञा दी है, ‘जाओ और लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ और बपतिस्मा दो।’ हम जानते हैं कि बपतिस्मा लेने से ही एक इंसान का उद्धार होगा। जो कोई बपतिस्मा लेना चाहता है, उसे यह विश्‍वास करना होता है कि यीशु ने हमारे लिए अपनी जान दी और उसे ज़िंदा किया गया और इसीलिए हमें हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है। यही वजह है कि प्रेषित पतरस ने कहा, ‘बपतिस्मा आज तुम्हें यीशु मसीह के ज़िंदा होने के ज़रिए बचा  रहा है।’ (1 पत. 3:21) जब कोई बपतिस्मा लेता है, तो उसके लिए उद्धार पाने का रास्ता खुल जाता है। तो हम कह सकते हैं कि जब हम चेला बनने में किसी की मदद करते हैं, तो हम जान बचाने का काम कर रहे हैं।

2. दूसरा तीमुथियुस 4:1, 2 के मुताबिक हमें किस तरह सिखाना चाहिए?

2 हमें ‘सिखाने की कुशलता’ बढ़ानी चाहिए। (2 तीमुथियुस 4:1, 2 पढ़िए।) यह क्यों ज़रूरी है? क्योंकि जब यीशु ने चेला बनाने की आज्ञा दी, तो उसने कहा, ‘जाओ और लोगों को सिखाओ।’ प्रेषित पौलुस ने भी कहा कि हम सिखाने के काम में ‘लगे रहें’ क्योंकि ऐसा करने से ‘हमारा और जो हमारी बात सुनते हैं, उनका उद्धार  होगा।’ यह जान बचानेवाला काम है, इसीलिए पौलुस ने कहा, “अपनी शिक्षा पर लगातार ध्यान देता रह।” (1 तीमु. 4:16) जब हम लोगों को अच्छी तरह सिखाएँगे, तो ही वे चेले बन पाएँगे।

3. इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

3 हम लाखों लोगों को बाइबल की सच्चाइयाँ सिखा रहे हैं। मगर जैसे पिछले लेख में बताया गया था, हम चाहते हैं कि इनमें से ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग बपतिस्मा लेकर मसीह के चेले बनें। इस लेख में हम अपने विद्यार्थियों की मदद करने के और पाँच तरीकों पर चर्चा करेंगे।

बाइबल का अच्छा इस्तेमाल कीजिए

बाइबल का अच्छा इस्तेमाल करने के लिए किसी अनुभवी प्रचारक से सलाह माँगिए (पैराग्राफ 4-6 देखें) *

4. बाइबल अध्ययन कराते समय हमें क्यों ज़्यादा नहीं बोलना चाहिए? (फुटनोट भी देखें।)

4 हमें बाइबल की बातें बहुत अच्छी लगती हैं, इसलिए यह स्वाभाविक है कि हम बाइबल के बारे में बहुत-सी बातें दूसरों को बताना चाहते हैं। लेकिन दूसरों को सिखाते वक्‍त हमें ध्यान रखना है कि हम बहुत ज़्यादा न बोलें। चाहे हम प्रहरीदुर्ग  अध्ययन चला रहे हों या मंडली बाइबल अध्ययन में या किसी के घर पर सिखा रहे हों, हमें खुद ही नहीं बोलते जाना चाहिए बल्कि बाइबल का अच्छा इस्तेमाल करना चाहिए। हो सकता है, बाइबल की किसी आयत या विषय के बारे में हमें बहुत सारी बातें पता हों, लेकिन हमें एक-साथ वे सारी बातें नहीं बता देनी चाहिए। * (यूह. 16:12) याद कीजिए कि जब आपका बपतिस्मा हुआ था, तब आप बाइबल की सिर्फ बुनियादी शिक्षाएँ समझते थे। (इब्रा. 6:1) आज आपके पास बाइबल का जो ज्ञान है, उसे पाने में आपको कई साल लगे हैं। इसलिए नए विद्यार्थी को सारी बातें एक ही बार में मत बताइए।

5. (क) 1 थिस्सलुनीकियों 2:13 के मुताबिक हमारे विद्यार्थी को क्या बात समझ में आनी चाहिए? (ख) विद्यार्थी जो सीखता है, उसके बारे में बात करने के लिए हम उसे कैसे उभार सकते हैं?

5 हम चाहते हैं कि हमारा विद्यार्थी इस बात को समझे कि वह जो भी सीख रहा है, वह बाइबल से है। (1 थिस्सलुनीकियों 2:13 पढ़िए।) इसके लिए आप क्या कर सकते हैं? बाइबल की सारी आयतें आप ही मत समझाइए, कुछ आयतें विद्यार्थी को समझाने के लिए कहिए। इस तरह बाइबल के बारे में बात करने के लिए विद्यार्थी को उभारिए। यह जानने में उसकी मदद कीजिए कि बाइबल में जो लिखा है, उसके मुताबिक उसे क्या करना चाहिए। जब वह कोई आयत पढ़ता है, तो उसके बारे में छोटे-छोटे सवाल कीजिए और उसकी राय जानिए। इससे आपको पता चलेगा कि उस आयत के बारे में वह कैसा महसूस करता है। (लूका 10:25-28) आप कुछ इस तरह के सवाल कर सकते हैं, “इस आयत से आपको यहोवा के किस गुण के बारे में पता चलता है?” “बाइबल में बतायी इस बात को मानने से आपको क्या फायदा होगा?” “अभी-अभी आपने जो सीखा, उसके बारे में आप क्या सोचते हैं?” (नीति. 20:5) यह बात मायने नहीं रखती कि एक विद्यार्थी कितना जानता है, पर यह बात मायने रखती है कि वह जो सीखता है, क्या उसे अहमियत देता है।

6. बाइबल अध्ययन के लिए किसी अनुभवी प्रचारक को साथ ले जाना क्यों अच्छा होगा?

6 क्या आप अपने बाइबल अध्ययन के लिए कभी ऐसे भाई-बहनों को भी ले जाते हैं जिन्हें सिखाने में बहुत अनुभव है? अगर आप कभी उन्हें ले जाएँ, तो अध्ययन के बाद उनसे पूछिए कि क्या आपने ठीक से सिखाया और क्या आपने बाइबल का अच्छा इस्तेमाल किया। अगर आप सिखाने का हुनर बढ़ाना चाहते हैं, तो यह ज़रूरी है कि आप नम्र बनें और किसी अनुभवी प्रचारक से सलाह माँगें। (प्रेषितों 18:24-26 से तुलना करें।) अध्ययन के बाद उससे पूछिए कि विद्यार्थी जो सीख रहा है, क्या वह उसे वाकई में समझ रहा है? अगर आप एक-दो हफ्ते के लिए कहीं जा रहे हैं, तो आप उसी प्रचारक को अध्ययन कराने के लिए कह सकते हैं। तब अध्ययन जारी रहेगा और विद्यार्थी समझ पाएगा कि हर हफ्ते अध्ययन करना ज़रूरी है। ऐसा मत सोचिए कि यह आपका  अध्ययन है, इसलिए कोई और उसे नहीं चला सकता। आखिर आप यही चाहते हैं कि आपका विद्यार्थी अच्छी तरह सीखे और तरक्की करता रहे।

पूरे जोश और यकीन के साथ बोलिए

दूसरे भाई-बहनों के अनुभव बताइए। तब विद्यार्थी सीखेगा कि वह बाइबल के सिद्धांतों को कैसे लागू कर सकता है (पैराग्राफ 7-9 देखें) *

7. आपको किस तरह सिखाना चाहिए ताकि विद्यार्थी के अंदर जोश भर आए?

7 आपको अध्ययन में पूरे जोश के साथ सिखाना चाहिए और यकीन के साथ बोलना चाहिए। (1 थिस्स. 1:5) तब विद्यार्थी देख सकेगा कि बाइबल की बातें आपके दिल के बहुत करीब हैं और उन पर आपको पूरा विश्‍वास है। फिर विद्यार्थी के अंदर भी आपके जैसा जोश भर आएगा। हो सके तो बताइए कि बाइबल के सिद्धांतों को मानने से आपको क्या फायदा हुआ है। तब वह समझ पाएगा कि उन्हें मानने से उसे भी फायदा होगा।

8. (क) आप अपने बाइबल विद्यार्थी के लिए और क्या कर सकते हैं? (ख) ऐसा करने का फायदा क्या है?

8 हो सकता है, आपके विद्यार्थी के सामने कुछ मुश्‍किलें या रुकावटें हों। उसे उन भाई-बहनों के बारे में बताइए जिन्होंने उसके जैसी मुश्‍किलों और रुकावटों को पार किया है। अगर आपकी मंडली में ऐसा कोई भाई या बहन है, तो उसे आप अध्ययन में अपने साथ ले जा सकते हैं। या आप चाहें तो विद्यार्थी का हौसला बढ़ाने के लिए jw.org पर “पवित्र शास्त्र सँवारे ज़िंदगी” में से कुछ अनुभव बता सकते हैं। * इस तरह के लेखों और वीडियो से वह जान पाएगा कि बाइबल की सलाह मानने से उसकी ज़िंदगी सँवर सकती है।

9. दूसरों को गवाही देने के लिए आप विद्यार्थी को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं?

9 अगर आपका विद्यार्थी शादीशुदा है, तो क्या उसका साथी भी अध्ययन करता है? अगर वह अध्ययन नहीं करता, तो उसे भी अध्ययन करने के लिए बढ़ावा दीजिए। अपने विद्यार्थी से कहिए कि वह जो भी सीखता है, अपने परिवार के लोगों और दोस्तों को बताए। (यूह. 1:40-45) आप उससे पूछ सकते हैं, “अभी-अभी आपने जो सीखा, वह आप अपने परिवार के लोगों को कैसे बता सकते हैं?” “जब आप बाइबल की यह शिक्षा किसी दोस्त को बताएँगे, तो उसे सच साबित करने के लिए कौन-सी आयत दिखाएँगे?” इस तरह आप अपने विद्यार्थी को एक शिक्षक बनना सिखा रहे होंगे। फिर जब वह बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने के काबिल हो जाएगा, तो वह मंडली के भाई-बहनों के साथ मिलकर प्रचार कर सकता है। आप अपने विद्यार्थी से यह भी पूछ सकते हैं कि क्या उसके जान-पहचानवालों में से कोई बाइबल के बारे में सीखना चाहेगा। अगर वह किसी का नाम बताता है, तो उससे फौरन संपर्क कीजिए और बाइबल अध्ययन के बारे में उसे बताइए। बाइबल का अध्ययन कैसे होता है?  नाम का वीडियो उसे दिखाइए। *

मंडली के भाई-बहनों से दोस्ती कराइए

मंडली के भाई-बहनों से विद्यार्थी की दोस्ती कराइए (पैराग्राफ 10-11 देखें) *

10. पहला थिस्सलुनीकियों 2:7, 8 के मुताबिक हम पौलुस की तरह क्या कर सकते हैं?

10 हमें अपने विद्यार्थियों की दिल से परवाह करनी चाहिए। उनके बारे में ऐसा सोचिए कि वे एक दिन आपके मसीही भाई-बहन बन सकते हैं। (1 थिस्सलुनीकियों 2:7, 8 पढ़िए।) दुनियावी दोस्तों को छोड़ना और अपनी ज़िंदगी में बदलाव करना उनके लिए आसान नहीं होगा। मंडली में सच्चे दोस्त पाने में उनकी मदद कीजिए। आप खुद भी एक अच्छे दोस्त बनिए। बाइबल अध्ययन के अलावा दूसरे वक्‍त पर भी उनके साथ समय बिताइए। आप कभी उनका हाल-चाल जानने के लिए उन्हें फोन कर सकते हैं, कोई मैसेज भेज सकते हैं या यूँ ही उनके घर जा सकते हैं। ऐसा करना दिखाएगा कि आप वाकई में उनकी परवाह करते हैं।

11. हमें अपने विद्यार्थी को मंडली के भाई-बहनों से क्यों मिलाना चाहिए?

11 कहा जाता है कि एक बच्चे को बड़ा करने में पूरे गाँव का हाथ होता है। उसी तरह हम कह सकते हैं कि एक व्यक्‍ति को चेला बनाने में पूरी मंडली का हाथ होता है। एक अच्छा शिक्षक मंडली के भाई-बहनों से अपने विद्यार्थी की जान-पहचान कराएगा। तब विद्यार्थी परमेश्‍वर के लोगों की संगति का आनंद उठा सकेगा और वे यहोवा के करीब आने में उसकी मदद कर पाएँगे और मुश्‍किलें आने पर उसकी हिम्मत बँधाएँगे। हम चाहते हैं कि हमारा विद्यार्थी मंडली के भाई-बहनों के बीच अपनापन महसूस करे और उन्हें अपना परिवार समझे। हम चाहते हैं कि वह भाई-बहनों का प्यार देखे और उनके करीब महसूस करे। तब वह दुनियावी लोगों से ज़्यादा मिलना-जुलना छोड़ देगा। (नीति. 13:20) अगर बाद में उसके पुराने दोस्त उसे ठुकरा देंगे, तो उसे बुरा नहीं लगेगा क्योंकि उसे मंडली में सच्चे दोस्त मिलेंगे।​—मर. 10:29, 30; 1 पत. 4:4.

समर्पण और बपतिस्मे के बारे में बात कीजिए

जब विद्यार्थी एक-एक करके कदम उठाएगा, तो वह तरक्की करके बपतिस्मा लेगा (पैराग्राफ 12-13 देखें)

12. हमें क्यों अपने विद्यार्थी से समर्पण और बपतिस्मे के बारे में बात करनी चाहिए?

12 समर्पण और बपतिस्मे के बारे में विद्यार्थी को खुलकर बताइए। आखिर हम उसे बाइबल के बारे में इसीलिए सिखाते हैं कि वह बपतिस्मा पाकर मसीह का चेला बने। अगर विद्यार्थी कुछ महीनों से अध्ययन कर रहा है और सभाओं में भी आने लगा है, तो उसे यह बात साफ समझ में आनी चाहिए कि हम उसे बाइबल अध्ययन क्यों कराते हैं। वह इसलिए कि वह यहोवा का एक साक्षी बनकर उसकी सेवा करे।

13. एक विद्यार्थी बपतिस्मा लेने के लिए क्या-क्या कदम उठाता है?

13 जब विद्यार्थी एक-एक करके कुछ कदम उठाता है, तो वह तरक्की करके बपतिस्मा लेता है। सबसे पहले तो वह यहोवा को जानना शुरू करता है, उससे प्यार करता है और उस पर विश्‍वास करता है। (यूह. 3:16; 17:3) यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता कायम होने लगता है और भाई-बहनों से भी उसकी दोस्ती होती है। (इब्रा. 10:24, 25; याकू. 4:8) कुछ समय बाद वह अपनी बुरी आदतें छोड़ देता है और अपने पापों का पश्‍चाताप करता है। (प्रेषि. 3:19) इस बीच सच्चाई की बातों पर विश्‍वास होने की वजह से वह दूसरों को भी बताता है। (2 कुरिं. 4:13) फिर वह अपना जीवन यहोवा को समर्पित करता है और बपतिस्मा लेकर यह बात सब पर ज़ाहिर करता है। (1 पत. 3:21; 4:2) बपतिस्मे का दिन सबके लिए खुशी का दिन होता है। जब विद्यार्थी एक-एक करके ये कदम उठाता है, तो आप दिल खोलकर उसकी तारीफ कीजिए। उसका जोश बढ़ाइए ताकि वह तरक्की करता रहे।

समय-समय पर विद्यार्थी की तरक्की पर ध्यान दीजिए

14. हम कैसे जान सकते हैं कि विद्यार्थी तरक्की कर रहा है या नहीं?

14 हम चाहते हैं कि हमारा विद्यार्थी तरक्की करके बपतिस्मा ले। इसके लिए हमें सब्र रखना होगा। पर साथ ही हमें जानना होगा कि क्या यहोवा की सेवा करने के लिए उसके दिल में इच्छा है। गौर कीजिए कि क्या वह यीशु की आज्ञाएँ मानने की कोशिश कर रहा है या सिर्फ बाइबल की जानकारी लेना चाहता है।

15. विद्यार्थी तरक्की कर रहा है या नहीं, यह जानने के लिए हमें क्या देखना चाहिए?

15 समय-समय पर देखिए कि विद्यार्थी तरक्की कर रहा है या नहीं। मिसाल के लिए, क्या वह कभी बताता है कि वह यहोवा के बारे में कैसा महसूस करता है? क्या वह यहोवा से प्रार्थना करता है? (भज. 116:1, 2) क्या उसे बाइबल पढ़ना अच्छा लगता है? (भज. 119:97) क्या वह नियमित तौर पर सभाओं में आता है? (भज. 22:22) क्या उसने अपनी ज़िंदगी में बदलाव किए हैं? (भज. 119:112) क्या वह सीखनेवाली बातें अपने दोस्तों और परिवार के लोगों को बताता है? (भज. 9:1) सबसे खास बात, क्या वह यहोवा का एक साक्षी बनना चाहता है? (भज. 40:8) अगर उसने इनमें से किसी भी मामले में तरक्की नहीं की है, तो इसकी वजह जानने की कोशिश कीजिए। फिर उससे खुलकर और प्यार से बात कीजिए और उसकी मदद कीजिए। *

16. किस तरह के विद्यार्थी का अध्ययन बंद कर देना अच्छा होगा?

16 समय-समय पर इस बारे में सोचिए कि आपको फलाँ विद्यार्थी के साथ अध्ययन जारी रखना चाहिए या नहीं। आप इन सवालों पर सोच सकते हैं, क्या वह बिना तैयारी किए अध्ययन के लिए बैठता है? क्या उसे सभाओं में आने में कोई दिलचस्पी नहीं है? क्या अब भी उसकी कुछ बुरी आदतें हैं? क्या वह अब भी किसी झूठे धर्म का सदस्य है? अगर वह इन मामलों में कोई तरक्की नहीं करता, तो क्या उसके साथ अध्ययन करने का कोई फायदा है? उसके साथ अध्ययन करना ऐसा होगा मानो हम किसी ऐसे व्यक्‍ति को तैरना सिखा रहे हों जो भीगना ही नहीं चाहता। जो विद्यार्थी सीखनेवाली बातों की कदर नहीं करता और बदलाव नहीं करना चाहता, उसका अध्ययन बंद कर देना ही अच्छा होगा।

17. पहला तीमुथियुस 4:16 के मुताबिक हम कैसे अपनी शिक्षा पर लगातार ध्यान दे सकते हैं?

17 हमें चेले बनाने की ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभानी चाहिए और तरक्की करके बपतिस्मा पाने में अपने बाइबल विद्यार्थियों की मदद करनी चाहिए। तो आइए हम अध्ययन कराते वक्‍त बाइबल का अच्छा इस्तेमाल करें और पूरे जोश और यकीन के साथ बोलें। हम विद्यार्थी को मंडली के भाई-बहनों से दोस्ती करने का बढ़ावा दें। हम समर्पण और बपतिस्मे के बारे में उससे बात करते रहें और समय-समय पर ध्यान दें कि वह तरक्की कर रहा है या नहीं। (“ एक शिक्षक अपने विद्यार्थी की कैसे मदद कर सकता है?” नाम का बक्स पढ़ें।) यह हमारे लिए कितनी खुशी की बात है कि हमें जीवन बचाने का काम दिया गया है! तो आइए हम जी-जान लगाकर यह काम करें और बपतिस्मे के योग्य बनने में बाइबल विद्यार्थियों की मदद करें।

गीत 79 उन्हें मज़बूत रहना सिखाओ

^ पैरा. 5 यहोवा ने हमें दूसरों को बाइबल सिखाने का सुअवसर दिया है। जब हम किसी के साथ बाइबल अध्ययन करते हैं, तो हम उसे यहोवा के तरीके से सोचना और काम करना सिखाते हैं। इस लेख में बताया जाएगा कि लोगों को अच्छी तरह सिखाने के लिए हम और क्या-क्या कर सकते हैं।

^ पैरा. 4 सितंबर 2016 की मसीही ज़िंदगी और सेवा  सभा पुस्तिका में यह लेख पढ़ें, “बाइबल अध्ययन कराते वक्‍त कुछ बातों का ध्यान रखिए।

^ पैरा. 8 हमारे बारे में > अनुभव पर जाएँ।

^ पैरा. 9 JW लाइब्रेरी पर मीडिया > हमारी सभाएँ और सेवा > प्रचार के लिए वीडियो पर जाएँ।

^ पैरा. 77 तसवीर के बारे में: अध्ययन के बाद अनुभवी बहन दूसरी बहन को बता रही है कि हमें सिखाते वक्‍त बहुत ज़्यादा नहीं बोलना चाहिए।

^ पैरा. 79 तसवीर के बारे में: अध्ययन में विद्यार्थी सीख रही है कि वह कैसे एक अच्छी पत्नी बन सकती है। बाद में ये बातें वह अपने पति को बता रही है।

^ पैरा. 81 तसवीर के बारे में: विद्यार्थी और उसका पति एक बहन के घर पर अच्छी संगति का आनंद ले रहे हैं। विद्यार्थी उस बहन से राज-घर में मिली थी।