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अध्ययन लेख 43

सच्ची बुद्धि पुकार रही है!

सच्ची बुद्धि पुकार रही है!

“सच्ची बुद्धि सड़कों पर पुकारती है, चौराहों पर उसकी आवाज़ गूँजती है।”​—नीति. 1:20.

गीत 88 मुझे अपनी राहें सिखा

एक झलक a

1. जब हम लोगों को बाइबल की बुद्धि-भरी बातें बताते हैं, तो बहुत-से लोग क्या करते हैं? (नीतिवचन 1:20, 21)

 कई देशों में हमारे भाई-बहन भीड़-भाड़वाले चौराहों पर लोगों को प्रचार करते आए हैं। वे सड़क किनारे खड़े होकर खुशी-खुशी आने-जानेवालों को गवाही देते हैं। क्या आपने भी कभी लोगों को इस तरह प्रचार किया है और उन्हें पढ़ने के लिए कुछ दिया है? उस वक्‍त शायद आपने नीतिवचन की किताब में लिखी एक बात के बारे में सोचा हो। वह यह कि सच्ची बुद्धि चौराहों पर पुकार रही है ताकि लोग उसकी सुनें। (नीतिवचन 1:20, 21 पढ़िए।) बाइबल और हमारे प्रकाशनों में “सच्ची बुद्धि” यानी यहोवा की बुद्धि-भरी बातें मिलती हैं। इसलिए जब भी लोग हमारा कोई प्रकाशन लेते हैं तो हमें बहुत खुशी होती है, क्योंकि उसमें दी बातें पढ़ने से उन्हें आगे चलकर हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है। पर हर कोई हमारे प्रकाशन नहीं लेता। कुछ लोग सुनना ही नहीं चाहते कि बाइबल में क्या बताया गया है। तो कुछ हमारा मज़ाक उड़ाते हैं, उन्हें लगता है कि बाइबल तो पुराने ज़माने की है और इसमें लिखी बातें आज हमारे किसी काम की नहीं। और कुछ लोगों को बाइबल के स्तर पसंद नहीं आते और वे अपने हिसाब से जीना चाहते हैं। ये लोग हमें बुरा-भला कहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि हम कुछ ज़्यादा ही कायदे-कानून मानते हैं। भले ही आज कुछ लोग यहोवा की बुद्धि-भरी बातों पर कान नहीं लगाते, फिर भी यहोवा हर किसी को सच्ची बुद्धि पाने का मौका दे रहा है। वह यह कैसे कर रहा है?

2. हमें सच्ची बुद्धि कहाँ से मिल सकती है? लेकिन ज़्यादातर लोग क्या करते हैं?

2 यहोवा अपने वचन बाइबल के ज़रिए लोगों को बुद्धि-भरी बातें सिखाता है। आज लगभग हर कोई उस भाषा में बाइबल पढ़ सकता है जो उसे समझ में आती है। यहोवा बाइबल पर आधारित प्रकाशनों के ज़रिए भी हमें सिखाता है। ये प्रकाशन 1,000 से भी ज़्यादा भाषाओं में उपलब्ध हैं। जो लोग यहोवा की बातों पर कान लगाते हैं यानी बाइबल और उस पर आधारित प्रकाशन पढ़ते हैं और उनमें लिखी बातें मानते हैं, उन्हें फायदा होता है। लेकिन ज़्यादातर लोग यहोवा की नहीं सुनते। जब भी उन्हें कोई फैसला लेना होता है, तो वे अपने दिल की सुनते हैं या दूसरे लोगों से सलाह लेते हैं। और जब कोई बाइबल में लिखी बातें मानता है, तो कई बार वे उसकी बेइज़्ज़ती करते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि लोग ऐसा क्यों करते हैं। लेकिन आइए पहले जानें कि यहोवा से बुद्धि पाने के लिए हमें क्या करना होगा।

यहोवा के बारे में जानें और बुद्धि पाएँ

3. सच्ची बुद्धि का क्या मतलब है?

3 हम एक ऐसे व्यक्‍ति को बुद्धिमान कहते हैं जो समझ से काम लेता है और अच्छे फैसले करता है। लेकिन जहाँ तक सच्ची बुद्धि की बात है, इस बारे में बाइबल में लिखा है, “यहोवा का डर मानना बुद्धि की शुरूआत है, परम-पवित्र परमेश्‍वर के बारे में जानना, समझ हासिल करना है।” (नीति. 9:10) तो जब कभी हमें कोई ज़रूरी फैसला लेना हो, हमें यहोवा की सोच जानने की कोशिश करनी चाहिए। हम उसकी सोच कैसे जान सकते हैं? बाइबल और बाइबल पर आधारित प्रकाशन पढ़कर। और एक बार हम यहोवा की सोच जान लें, तो हम उसी हिसाब से फैसले लेंगे। इससे पता चलेगा कि हममें सच्ची बुद्धि है।​—नीति. 2:5-7.

4. हम क्यों कह सकते हैं कि हमें यहोवा से ही सच्ची बुद्धि मिल सकती है?

4 सच्ची बुद्धि हमें यहोवा से ही मिल सकती है। (रोमि. 16:27) हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? इसकी तीन वजहों पर ध्यान दीजिए। पहली, उसी ने सबकुछ बनाया है और वह अपनी बनायी सृष्टि के बारे में सबकुछ जानता है। (भज. 104:24) दूसरी, वह जो भी करता है, उससे पता चलता है कि वह कितना बुद्धिमान है। (रोमि. 11:33) और तीसरी, यहोवा की सलाह मानने से हमेशा फायदा होता है। (नीति. 2:10-12) जब हम इन बातों के बारे में सोचेंगे, तो हमें यकीन हो जाएगा कि यहोवा ही सच्ची बुद्धि दे सकता है। फिर कोई भी काम करने से पहले या कोई भी फैसला लेने से पहले हम यहोवा की सोच जानने की कोशिश करेंगे।

5. जब लोग यहोवा की सुनने के बजाय अपने हिसाब से जीते हैं, तो क्या होता है?

5 आज दुनिया में कई लोग सृष्टि को देखकर कहते हैं कि यह कितनी लाजवाब है, लेकिन वे यह नहीं मानते कि किसी ने इन सब चीज़ों को बनाया है। वे विकासवाद की शिक्षा को मानते हैं। और कुछ लोग ऐसे हैं जो मानते तो हैं कि कोई ईश्‍वर है, लेकिन उन्हें बाइबल में लिखी बातें पुराने ज़माने की लगती हैं और वे अपने हिसाब से जीते हैं। इन लोगों को लगता है कि उन्हें ईश्‍वर की कोई ज़रूरत नहीं है और वे अपने फैसले खुद ले सकते हैं। लेकिन परमेश्‍वर की सुनने के बजाय अपना दिमाग लगाने से क्या लोग आज खुश हैं? क्या उनके पास भविष्य के लिए कोई आशा है? क्या इससे दुनिया के हालात बेहतर हो गए हैं? नहीं। इससे बाइबल में लिखी इस बात पर हमारा यकीन बढ़ जाता है, “यहोवा के खिलाफ न तो कोई बुद्धि, न कोई पैनी समझ और न ही कोई सलाह टिक सकती है।” (नीति. 21:30) सच में, यहोवा ही हमें सच्ची बुद्धि दे सकता है। क्या यह जानकर हमारा मन नहीं करता कि हम यहोवा से बुद्धि माँगें? पर आइए देखें कि कई लोग क्यों यहोवा की नहीं सुनना चाहते।

बहुत-से लोग यहोवा की बुद्धि-भरी बातें क्यों नहीं सुनते?

6. नीतिवचन 1:22-25 के मुताबिक कौन सच्ची बुद्धि की पुकार नहीं सुनते?

6 जब “सच्ची बुद्धि सड़कों पर पुकारती है,” तो बहुत-से लोग मानो अपने कान बंद कर लेते हैं। बाइबल में बताया गया है कि तीन तरह के लोग हैं जो परमेश्‍वर की बुद्धि-भरी बातों पर कान नहीं लगाते। वे हैं, ‘नादान,’ ‘खिल्ली उड़ानेवाले’ और ‘मूर्ख’ लोग। (नीतिवचन 1:22-25 पढ़िए।) आइए देखें कि ये लोग परमेश्‍वर की क्यों नहीं सुनते और हम क्या कर सकते हैं ताकि हम इनकी तरह ना बनें।

7. कुछ लोग क्यों ‘नादान’ बने रहते हैं?

7 ‘नादान’  लोग जल्दी से दूसरों की बातों में आ जाते हैं और आसानी से गुमराह हो जाते हैं। (नीति. 14:15) आज दुनिया में ऐसे लाखों लोग हैं जो नेताओं और धर्म गुरुओं को बहुत मानते हैं। उनसे जो भी कहा जाता है, वे करने के लिए तैयार रहते हैं। बाद में जब उन्हें पता चलता है कि इतने समय से उन्हें गुमराह किया गया है, तो उनमें से कुछ को बड़ा धक्का लगता है। पर कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, वे नादान ही रहना चाहते हैं। उन्हें उन गुरुओं के पीछे चलना बहुत पसंद है। (यिर्म. 5:31) प्रचार करते वक्‍त हमें ऐसे बहुत-से लोग मिलते हैं। वे जानना ही नहीं चाहते कि बाइबल में क्या लिखा है और वही करते हैं जो उन्हें ठीक लगता है। कनाडा के क्यूबेक शहर में एक भाई को प्रचार करते वक्‍त ऐसी ही एक औरत मिली। वह अपने पादरी को बहुत मानती थी। उसने उस भाई से कहा, “अगर हमारे पादरी हमें गलत सिखा रहे हैं, तो यह उनकी गलती है, हमारी नहीं।” हम ऐसे लोगों की तरह बिलकुल भी नहीं बनना चाहते जो जानबूझकर नादान बने रहते हैं।​—नीति. 1:32; 27:12.

8. एक समझदार इंसान बनने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

8 बाइबल में भी लिखा है, ‘नादान मत बनो, बल्कि सोचने-समझने की काबिलीयत में सयाने बनो।’ (1 कुरिं. 14:20) अगर हम बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जीएँ, तो हम समझदार बन पाएँगे। धीरे-धीरे हम देख पाएँगे कि बाइबल के सिद्धांत मानने से कितने फायदे होते हैं। हम मुश्‍किलों में पड़ने से बच पाते हैं और सही फैसले ले पाते हैं। सोचिए कि आपने अब तक कैसे फैसले लिए हैं। क्या आप बहुत समय से बाइबल का अध्ययन कर रहे हैं और सभाओं में आ रहे हैं, लेकिन अब तक आपने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित नहीं की है और बपतिस्मा नहीं लिया है? अगर ऐसा है, तो सोचिए कि क्या बात आपको ऐसा करने से रोक रही है। या अगर आपका बपतिस्मा हो चुका है, तो क्या आप लोगों को और अच्छी तरह प्रचार करने और सिखाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या आप बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक फैसले लेते हैं? क्या आप भी लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं, जैसा यीशु लोगों के साथ करता था? अगर आपको लगता है कि आपको कहीं सुधार करने की ज़रूरत है, तो यहोवा की हिदायतों पर ध्यान दीजिए। उसकी हिदायतें ‘उन्हें भी बुद्धिमान बना देती हैं, जिन्हें कोई तजुरबा नहीं है।’​—भज. 19:7.

9. नीतिवचन 1:22 में बताए दूसरे तरह के लोग कौन हैं और वे क्या करते हैं?

9 नीतिवचन 1:22 में ‘खिल्ली उड़ानेवाले’  लोगों के बारे में भी बताया गया है। बाइबल में पहले से बताया गया था कि आखिरी दिनों में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं होगी। (2 पत. 3:3, 4) बीते ज़माने में लूत के दामादों ने परमेश्‍वर की तरफ से मिली चेतावनी पर कोई ध्यान नहीं दिया था। (उत्प. 19:14) उसी तरह आज जब हम लोगों को प्रचार करते हैं, तो कुछ लोग हमारी नहीं सुनते, उलटा हमारा मज़ाक उड़ाते हैं। (भज. 123:4) वे लोग “अपनी बुरी इच्छाओं के मुताबिक काम” करना चाहते हैं, इसलिए वे उन लोगों की हँसी उड़ाते हैं जो बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जीते हैं। (यहू. 7, 17, 18) और देखा जाए तो जो लोग धर्मत्यागी बन गए हैं या जो यहोवा के बारे में सीखना ही नहीं चाहते, वे ऐसा ही तो करते हैं।

10. अगर हम नहीं चाहते कि हम ‘खिल्ली उड़ानेवालों’ की तरह बन जाएँ, तो हमें क्या करना होगा? (भजन 1:1)

10 हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम ‘खिल्ली उड़ानेवालों’ की तरह ना बन जाएँ। इसके लिए हम कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं। जैसे, हमें उन लोगों से दूर रहना चाहिए जो हर बात में नुक्स निकालते रहते हैं। (भजन 1:1 पढ़िए।) धर्मत्यागी भी ऐसा ही करते हैं। इसलिए ना तो हमें उनकी सुननी चाहिए और ना ही उनका कोई लेख पढ़ना चाहिए। अगर हम ऐसे लोगों के साथ वक्‍त बिताएँ, तो हम भी उनकी तरह बन जाएँगे। शायद हम हर बात के बारे में शिकायत करने लगें। या हो सकता है, हम इस बात पर शक करने लगें कि क्या यहोवा ही संगठन को चला रहा है और हमें जो हिदायतें मिल रही हैं, क्या वे सही हैं। हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम कभी ऐसा ना करने लगें। तो क्यों ना इस बारे में सोचें: ‘जब भी हमें कोई नयी हिदायत मिलती है या हमारी समझ में कोई फेरबदल होता है, तो क्या मैं तुरंत उसे मान लेता हूँ या उसमें नुक्स निकालने लगता हूँ? जो भाई संगठन में अगुवाई कर रहे हैं, क्या मैं उनमें कमियाँ निकालता रहता हूँ?’ अगर आपको लगता है कि आप ऐसा करने लगे हैं, तो बिना देर किए खुद को बदलने की कोशिश कीजिए। तब यहोवा आपसे बहुत खुश होगा।​—नीति. 3:34, 35.

11. किन लोगों को ‘मूर्ख’ कहा गया है?

11 तीसरे तरह के लोग जो सच्ची बुद्धि की पुकार नहीं सुनते ‘मूर्ख’  लोग हैं। हम जानते हैं कि यहोवा ही सबसे बुद्धिमान है, पर ये लोग ना तो यहोवा को और ना ही उसके स्तरों को मानना चाहते हैं। (भज. 53:1) इसके बजाय वे वही करते हैं जो उन्हें सही लगता है। (नीति. 12:15) इसी वजह से उन्हें ‘मूर्ख’ कहा गया है। उनके खुद के पास तो कोई अच्छी सलाह होती नहीं है और जब हम उन्हें प्रचार करते हैं, तो वे हमें बुरा-भला कहते हैं। उन्हें लगता है कि बाइबल के स्तरों के हिसाब से जीना बेकार है। ऐसे लोगों के बारे में बाइबल में लिखा है, “सच्ची बुद्धि मूर्ख की पहुँच से बाहर है, उसके पास शहर के फाटक पर कहने को कुछ नहीं होता।” (नीति. 24:7) तभी यहोवा हमसे कहता है, “मूर्ख से दूर रह।”​—नीति. 14:7.

12. हम क्या कर सकते हैं ताकि यहोवा के स्तर मानने का हमारा इरादा और पक्का हो जाए और हम ‘मूर्ख’ लोगों की तरह ना बनें?

12 हम उन ‘मूर्ख’ लोगों की तरह नहीं हैं जो यहोवा की बुद्धि-भरी बातों पर कान नहीं लगाते। हम तो दिल से चाहते हैं कि हम यहोवा के स्तरों को मानें और उसकी तरह सोचें। हम अपना यह इरादा कैसे पक्का कर सकते हैं? हम इस बारे में सोच सकते हैं कि जो लोग यहोवा की बुद्धि-भरी बातें नहीं सुनते, उनकी ज़िंदगी कैसी है, वे खुद पर कितनी सारी मुश्‍किलें ले आएँ हैं। फिर हम सोच सकते हैं कि यहोवा की सुनने की वजह से हमारी ज़िंदगी कितनी अच्छी है।​—भज. 32:8, 10.

13. क्या यहोवा लोगों के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती करता है कि वे उसकी सलाह मानें?

13 यहोवा आज हर किसी को यह मौका दे रहा है कि वह उसकी बुद्धि-भरी बातों से फायदा पाए। लेकिन वह किसी के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं करता। सुनना, ना सुनना उसने लोगों पर छोड़ा है। पर उसने यह ज़रूर बताया है कि जो लोग उसकी नहीं सुनते, उनका क्या होगा। बाइबल में लिखा है, “वे अपने कामों का फल पाएँगे।” (नीति. 1:29-32) वे जैसी ज़िंदगी जीते हैं, उस वजह से उन्हें कई मुश्‍किलें, कई परेशानियाँ झेलनी पड़ेंगी और आखिर में उनका नाश हो जाएगा। लेकिन जो यहोवा की सुनते हैं और उसके स्तरों को मानते हैं, उनसे उसने वादा किया है, ‘तुम बेखौफ जीओगे, तुम्हें विपत्ति का डर नहीं सताएगा।’​—नीति. 1:33.

सच्ची बुद्धि से होते हैं ढेरों फायदे

जब हम सभाओं में जवाब देते हैं, तो यहोवा के साथ हमारी दोस्ती और पक्की हो जाती है (पैराग्राफ 15)

14-15. नीतिवचन 4:23 से हम क्या सीखते हैं?

14 यहोवा ने हमें बहुत-सी बुद्धि-भरी बातें बतायी हैं और आज हर कोई उनसे फायदा पा सकता है। जैसे नीतिवचन की किताब में यहोवा ने ऐसी बहुत-सी बातें लिखवायी हैं जो आज भी हमारे बड़े काम आती हैं। आइए ऐसी ही चार बातों पर ध्यान दें।

15 अपने दिल की हिफाज़त कीजिए।  बाइबल में लिखा है, “सब चीज़ों से बढ़कर अपने दिल की हिफाज़त कर, क्योंकि जीवन के सोते इसी से निकलते हैं।” (नीति. 4:23) हम सब चाहते हैं कि हमारी सेहत अच्छी रहे और हमें दिल की कोई बीमारी ना हो, इसलिए हम अच्छा खाना खाते हैं, कसरत करते हैं और ध्यान रखते हैं कि हमें कोई बुरी आदत ना पड़ जाए। उसी तरह अपने दिल की हिफाज़त करने के लिए हम हर दिन बाइबल पढ़ते हैं, सभाओं की अच्छी तैयारी करते हैं, हर सभा में जाते हैं और वहाँ जवाब भी देते हैं। हम प्रचार करने में भी खूब मेहनत करते हैं। और हम उन बुरी बातों से भी दूर रहते हैं जो हमारी सोच बिगाड़ सकती हैं, जैसे अनैतिक मनोरंजन और बुरी संगति।

जब हम पैसे के पीछे नहीं भागते, तो हमारे पास जो है, उसी में संतुष्ट रहते हैं (पैराग्राफ 16)

16. नीतिवचन 23:4, 5 में दी गयी सलाह क्यों बहुत फायदेमंद है?

16 आपके पास जो है, उसमें संतुष्ट रहिए।  बाइबल में सलाह दी गयी है, ‘पैसे के पीछे इतना मत भाग कि तू थककर चूर हो जाए। क्या तू ऐसी चीज़ पर आँख लगाएगा जो नहीं रहेगी? पैसा तो पंख लगाकर उकाब की तरह आसमान में उड़ जाता है।’ (नीति. 23:4, 5) सच में, पैसे का कोई भरोसा नहीं, यह आज है तो कल नहीं। लेकिन आज हर कोई इसके पीछे पागल है, फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब। इसके चक्कर में लोग अपना नाम तक खराब कर लेते हैं और दूसरों के साथ अपने रिश्‍ते, अपनी सेहत, सब दाँव पर लगा देते हैं। (नीति. 28:20; 1 तीमु. 6:9, 10) लेकिन बाइबल में दी बुद्धि-भरी सलाह मानने से हम पैसे के पीछे नहीं भागते, बल्कि हमारे पास जो है, हम उसमें संतुष्ट रहते हैं और इससे हमें खुशी मिलती है।​—सभो. 7:12.

जब हम सोच-समझकर बात करते हैं, तो अपनी बातों से दूसरों को नुकसान नहीं पहुँचाते (पैराग्राफ 17)

17. नीतिवचन 12:18 से हम क्या सीखते हैं?

17 सोच-समझकर बात कीजिए।  अगर हम बिना सोचे-समझे बोलें, तो इससे बहुत नुकसान हो सकता है। बाइबल में लिखा है, “बिना सोचे-समझे बोलना, तलवार से वार करना है, लेकिन बुद्धिमान की बातें मरहम का काम करती हैं।” (नीति. 12:18) अगर हम दूसरों की बुराई करते फिरें, तो इससे लोगों के आपसी रिश्‍ते खराब हो सकते हैं। (नीति. 20:19) ऐसी बातें करने के बजाय हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमारी बातें मरहम का काम करें, उनसे लोगों का हौसला बढ़े। हम ऐसा तभी कर पाएँगे जब हम रोज़ बाइबल पढ़ेंगे और अपने दिल में अच्छी बातें भरेंगे। (लूका 6:45) और जब हम बाइबल में लिखी बातों के बारे में मनन करेंगे, तो हम हमेशा बुद्धि-भरी बातें करेंगे और इससे लोगों को नदी के पानी की तरह ताज़गी मिलेगी।​—नीति. 18:4.

जब हम संगठन से मिलनेवाली हिदायतें मानते हैं, तो और अच्छी तरह प्रचार कर पाते हैं (पैराग्राफ 18)

18. नीतिवचन 24:6 में लिखी बात मानने से हम कैसे और अच्छे से प्रचार कर सकते हैं?

18 हिदायतें मानिए।  बाइबल में लिखा है, “बुद्धि-भरी सलाह लेकर अपनी जंग लड़, बहुतों की सलाह से तू कामयाबी हासिल कर पाएगा।” (नीति. 24:6, फु.) जब हम इस सलाह को ध्यान में रखेंगे, तो अपने-अपने तरीके से प्रचार करने के बजाय हम उन हिदायतों को मानेंगे जो हमें संगठन से मिलती हैं। इस तरह हम और अच्छी तरह प्रचार कर पाएँगे और लोगों को अच्छी तरह सिखा पाएँगे। और सभाओं में जो भाग पेश किए जाते हैं और जो भाषण दिए जाते हैं, उनसे भी हम सीख सकते हैं कि लोगों को बाइबल से और अच्छी तरह कैसे सिखाएँ। संगठन ने ऐसे बहुत से प्रकाशन और वीडियो भी तैयार किए हैं, जिनसे लोग बाइबल में लिखी बातें और अच्छी तरह समझ सकते हैं। क्या आप इनका अच्छी तरह इस्तेमाल करते हैं?

19. यहोवा ने हमें जो बुद्धि-भरी बातें बतायी हैं, उनके बारे में आपको कैसा लगता है? (नीतिवचन 3:13-18)

19 नीतिवचन 3:13-18 पढ़िए। परमेश्‍वर ने बाइबल में जो बुद्धि-भरी बातें लिखवायी हैं, उनके लिए हम कितने एहसानमंद हैं। उनके बिना ना जाने हमारा क्या होता! इस लेख में हमने नीतिवचन में दी कई बढ़िया बातों पर ध्यान दिया। ऐसी बढ़िया बातें पूरी बाइबल में पायी जाती हैं। दुनिया के लोग परमेश्‍वर की बातों पर कान नहीं लगाते, लेकिन आइए हम उनकी तरह कभी ना बनें बल्कि ‘बुद्धि को थामे रहें।’ फिर हम “सुखी माने जाएँगे।”

गीत 36 दिल का नाता है जीवन से

a आज दुनिया में सलाह देनेवालों की कमी नहीं है। लेकिन यहोवा हमें जो बुद्धि देता है, वह उनकी सलाह से कहीं बढ़कर है। नीतिवचन की किताब में एक दिलचस्प बात लिखी है। वह यह कि सच्ची बुद्धि चौराहों पर पुकारती है। इस लेख में हम जानेंगे कि इसका क्या मतलब है। हम यह भी जानेंगे कि हम बुद्धिमान कैसे बन सकते हैं, क्यों कुछ लोग यहोवा की बुद्धि-भरी बातों पर कान नहीं लगाते और अगर हम यहोवा की बातों पर ध्यान दें, तो हमें क्या फायदा होगा।